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1 मई 2023 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रवचन
By: Vidyasagar.Guru · 05/28/2023 · 37 views -
2 मई 2023 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रवचन
By: Vidyasagar.Guru · 05/28/2023 · 25 views -
8 मई 2023 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रवचन चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगाढ़
By: Vidyasagar.Guru · 05/28/2023 · 29 views -
9 मई 2023 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रवचन चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगाढ़
By: Vidyasagar.Guru · 05/28/2023 · 18 views
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आज का विचार - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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जिनेन्द्र देव की वाणी , जिसे पूर्वाचार्यो ने प्राकृत संस्कृत भाषा में निबद्ध किया था, उसी का आचार्य विद्यासागर जी द्वारा हिंदी भाषा में अनुदित पद्यानुवादजैन गीता (समणसुत्तं) कुन्दकुन्द का कुन्दन (समयसार) -
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♦️आहारचर्या*♦️
*डोगरगढ़ छ.ग.*
_दिनांक ०१/०६/२०२३_
*आगम की पर्याय,महाश्रमण युगशिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के आहार कराने का सौभाग्य _ब्र. रचना दीदी, ब्र मोनिका दीदी श्रीमती अनिता जी जैन (आर्यिका माँ सहमती माताजी एवं आर्यिका माँ धवलमती माताजी के ग्रहस्थ जिवन की बड़ी बहन)श्री. सुबोधकुमार जी जैन(बिलहरी वाले), श्री जयकुमार फट्टा, सविता जी फट्टा सचिन जी जैन फट्टा (पथरिया वाले) सागर भारत_* एवं उनके परिवार को प्राप्त हुआ है।इनके पूण्य की अनुमोदना करते है।
💐🌸💐🌸
*भक्त के घर भगवान आ गये*
🌹🌹🌹🌹
*_सूचना साभार-:ब्र.विवेक भैया जी (बजरंग) बंडा_*
🌷🌷🌷
*सूचना प्रदाता-:*
🏔️🏔️🏔️🏔️🏔️🏔️🏔️🏔️🏔️
*अंकुश जैन बहेरिया
*प्रशांत जैन सानोधा- Read more...
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आत्मा का स्वभाव जानना और देखना है |
दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वस् धनवान |
कहीं न सुख संसार में, सब जग देखलियों छान ||
राजा राणा छत्रपति हाथिन के अश्वार |
मरना सबको एक दिन अपनी – अपनी बार ||
- आचार्य श्री विद्यासागर महाराज
29/05/2023 सोमवार
डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि एक बड़ा वृक्ष है जिसकी छाँव में बहुत सारी गाये आदि बैठे थे और वहाँ के वातावरण में कुछ ठंडक थी | इसके पीछे क्या रहस्य है यह छाँव कहा से आ रही है और इसमें कुछ ठंडक का एहसास भी हो रहा है जिससे पशु – पक्षी आदि वहाँ एकत्रित हो गये है | उस वृक्ष को किसने लगाया या वह अपने आप ही उग गया है | जब उस वृक्ष के बारे में गहराई से शोध करते हैं तो पता चलता है कि वह वृक्ष एक सरसों के दाने जितना बड़ा बीज से उत्पन हुआ है और वह जो कुछ भी आज है उसे सब कुछ धरती से प्राप्त हुआ है | वह आज भी इतनी ऊंचाई पर होने के बाद भी अपनी जड़ से जुड़ा हुआ है जिसके कारण उसको भूमिगत जल से जल कि प्राप्ति हो जाती है जिससे वह स्वयं ठंडा रहता है और उसकी छाँव में भी कुछ ठंडक का एहसास होता है | आप लोग जो आज कल दिनभर कूलर के सामने बैठे रहते हैं वह शुरुवात में ठंडी ठंडी हवा देता देता है परन्तु कुछ घंटो बाद वह उतनी ठंडी हवा नहीं देता उसमे से भी हल्की गर्म हवा आने लगती है क्योंकि आपके कमरे का वातावरण में बाहर कि हवा का प्रवाह बंद होने के कारण ऐसा होता है जबकि उस वृक्ष कि छाँव में हमेशा ठंडक बनी रहती है चाहे बाहर लू चल रही हो तो भी छाँव में आते ही कुछ ठंडक का एहसास होने लगता है | आत्मा का स्वभाव जानना और देखना है | किसी भी वस्तु आदि को देखने और जानने में कोई समस्या नहीं है लेकिन उस वस्तु को पकड़ने कि, खरीदकर अपने पास रखने कि और छिनने का स्वभाव आत्मा का नहीं होता है | इसलिए जो व्यक्ति अपने स्वभाव में रहता है वह संतोषी होता है उसके भाव, परिणाम शांत रहते है |
दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वस धनवान |
कहीं न सुख संसार में, सब जग देखलियों छान ||
धन के बिना निर्धन दुखी है और तृष्णा के कारण धनवान भी और – और – और धन चाहिये के चक्कर में दुखी रहता है पर वह किसी से कहता नहीं है | इस संसार में कितने चक्रवर्ती हुए है कितने अरबपति, ख़राबपति हुए है पर आज तक कोई संतुष्ट नहीं हुआ है धन, दौलत, हीरा, मोती, सोना, चांदी आदि जमा कर - कर के | इस संसार में जो कुछ बाहर कि वस्तु आदि है वह सब सुखाभास है | जो सच्चा सुख है वह हमारे भीतर है जो इसे जान लेता है वह फिर पैसे के पीछे नहीं जाता जबकि उसके पीछे पैसा भागता है |
राजा राणा छत्रपति हाथिन के अश्वार |
मरना सबको एक दिन अपनी – अपनी बार ||
इस धरती पर कितने ही राजा, महाराजा हुए है जिनके पास सैकड़ों, हजारों कर्मचारी, महल, धन, दौलत, हीरा, मोती, सोना, चांदी आदि होते हुए भी आज वे कहाँ है कुछ पता नहीं | कितने आये और कितने चले गए ऐसे ही सबको एक दिन जाना है यह निश्चित है जिसको कोई रोक नहीं सकता है | बारह भावना में यह सब कुछ लिखा है जिसे हमें प्रतिदिन पढना चाहिये और उसका स्मरण भी करना चाहिये| दिगम्बर मुनिराज जो इस तपती गर्मी में पहाड़ पर जाकर तप करते हैं जहाँ बाहर लू चल रही हो और निचे चट्टान भी तप रही हो ऐसे में वो अपने तप में ऐसे लीन रहते हैं जिससे उनके कर्मों कि निर्जरा होती है | आज आप लोग तप के बारे में सुन रहे हैं अच्छा है जिसके बारे में सोचने से भी आपको पसीना आता है ऐसे में वो मुनिराजों कि तपस्या क्या गजब होती होगी जो शिखरों में, बड़े – बड़े पहाड़ कि गुफाओं में अपनी तपस्या करते होंगे | कभी चंद्रगिरी के पहाड़ में भी कई साधुओं ने तप किया होगा | ऐसे तपस्वियों के प्रभाव से ही आपको यहाँ आकर शान्ति का अनुभव होता है | तो सोचो उन तपस्वियों को कितनी शान्ति का अनुभव होता होगा और वे कितने आनंदीत होते होंगे | एक – एक पल में कितने – कितने कर्मों कि निर्जरा होती होगी | इस प्रकार आप अपने स्वभाव में रहकर अपना आत्मकल्याण कर सुख – शांति से अपना जीवन जी सकते हैं | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्री श्रेणिक जी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है |
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बहुत सूंदर वेब साईड है।प्रतिभास्थली के बारे में जानकारी एवम प्रचार अधिक हो ये आचार्य श्री जी भाव को आप के माध्यम से सभी तक पहुंचा सकते है सप्रेम जैन संयुक्त मंत्री प्रतिभास्थली चन्द्रगिरी डोंगरगढ़I am very happy to join this website and thank you for sending me the information through this website. Thank u so much Jai jinedra 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏Great work*Acharya Guruvar Vidhyasagar Jee Maharaj Ko Paschimi Uttar Pradesh Laane Ki Ek Vishesh Aur Adbhut Pehal Shantinath Yuva Sangh Asoda House Meerut Dwaara* Kaun Kehta Hai Ke Acharye Shri Vidhyasagar Jee Maharaj Paschimi Uttar Pradesh Nahi Aana Chahte? Agar Aap Bhi Yahi Sochte Hain Toh Yeh Video Dekhiye, Unki Muskuraahat Dekhkar Aapko Khud Samajh Ajaayega Ki Woh Kya Chahte Hain. Shantinath Yuva Sangh Ka Utsaah Evam Akalpniye Tareeka Dekhiye Apne Guruwar Ko Manane Ka. Poori tarah se jut gaye h…Very very nice appThis is really a very great webpage. Thank you so much.बहुत ही अच्छी वेबसाइट है, गुरु जी के बारे मे सभी को जानने का मौका मिला। पुण्य बाले लोगो को ही पंचम काल में ऐसे गुरु मिल सकते है। और उनकी अनुमोदना करने वाली ये वेबसाइट बहुत ही अच्छी है।मुझे यह ,साइट बहुत पसंद आई यह बहुत उपयोगी साइट है धन्यवादआचार्य श्री और संघ के अन्य महाराज की आहार चर्या की फोटो और वीडियो डालें डेली प्लीज.When notification received, the App isn't opening. No response. Please develop the App.JAI JAINENDRA I am feeeling very glad to make account in this www.vidhyasagar.guru website. This is the most one of my favrouite website i loved this website . In this website we can get easily all information about our Param pujya Saint shiromani 108 Acharya Bhagwant Charya shiromani abhishangyanopyogi Vidhyasagar Ji Maha muniraj Ji . Like written by Acharya shree ji Haiku, Motivational thoughts, Audio- Video Pravchans, Under Acharya shree…Great initiativeबहुत ही बढ़िया साइट बनायी है इस साइट के माध्यम से मुझे बहुत ही ज्ञान की प्राप्ति हुयी मैनें दूसरों को भी ज्ञान के बारे में बताया सौरव भाई का बहुत बहुत धन्यवाद साइट बनाने के लिये गुरूदेव की पूरी जानकारी मिलती हैमेरे भगवन मेरे गुरुवर आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के चरणो में मेरा कोटी कोटी नमन नमोस्तु भगवन नमोस्तु गुरूदेव नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु *जैनम् जयतु शासनम्* *वंदे विघा सागरम्*आपके द्वारा मीडिया का बहुत ही सुन्दर प्रयोग किया गया है।आन लाइन स्वाध्याय एकबहुत ही सुन्दर प्रयोग है जिसके लिएआप बधाई के पात्र हैं। आपको बहुत बहुत साधुवाद । मुझे इससे बहुत फ़ायदा हुआ है।आपका कोटि कोटि धन्यवाद । इस स्वाध्याय को प्रतियोगिता से जोड़ कर तो आपने इसे बहुत ही दिलचस्प भी बना दिया है। पुन:बहुत बहुत धन्यवाद प्रमोद जैन लखनऊजय जिनेंद्र 🙏 नमोस्तु शासन जयवंत हो 🤗 इस एप से हमारे जैन धर्म की बहुत प्रभावना हो रही हैमै इस साईट पर उपलब्ध शास्र ग्रन्थ लेख का बड़ी रुचिपूर्वक स्वाध्याय करता हू मन आनंद से भर जाता है इस समूह के भाई सौरभजी की सक्रियता से लाखों गुरुभक्तो को यहाँ वः सब कुछ मिल जाता है जो बाहर कही सुलभ नही है इसे इसी तरह उचाईया प्रदान करते रहें आपके इस जटिल परिश्रम शील कार्य की अनुमोदनाMe yah janana chata hu ki marte hue tote ko namokar mantra kisne sunayaकृपया करके 26 July 2019 का प्रवचन भी upload कर दीजिए। -
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संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज
ये ऐसे संत है जिनका जीवन एक सम्पूर्ण दर्शन है जिनके आचरण में जीवों के लिए करुणा पलती है जिनके विचारों में प्राणी मात्र का कल्याण आकर लेता है,जिनकी देशना में जगत अपने सदविकास का मार्ग प्रशस्त करता है |आप निरीह, निस्पृह वीतरागी है फिर भी आपके विचार भारतीयता के प्रति अगाध निष्ठा, राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यपरायणता से ओतप्रोत है आपका चिंतन प्राचीन भारतीय हितचिंतको दार्शनिको एवं संतो का अनुकरण करते हुए भी मौलिक है |आचार्य महाराज तो ज्ञानवारिधी है और उनके विचारों को संकलित करना छोटी सी अंजुली में सागर को भरने का असंभव प्रयास करना है|
रास्ता उनका, सहारा उनका, मैं चल रहा हूँ दीपक उनका, रौशनी उनकी मैं जल रहा हूँ प्राण उनके हर श्वास उनकी मैं जी रहा हूँ
From Wikipedia Acharya Shri Vidyasagarji Maharaj (born 10 October 1946) is one of the best known modern Digambara Jain Acharya(philosopher monk). He is known both for his scholarship and tapasya (austerity). He is known for his long hours in meditation. While he was born in Karnataka and took diksha in Rajasthan, he generally spends much of his time in the Bundelkhand region where he is credited with having caused a revival in educational and religious activities. Know more about him
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