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आज का विचार - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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आचार्यश्री के नवीनतम प्रवचन
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10 दिसम्बर 2019 आचार्य श्री विद्यासागर प्रवचन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर
By: Vidyasagar.Guru · 12/10/2019 · 20 views -
8 दिसम्बर 2019 आचार्य श्री विद्यासागर प्रवचन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर
By: Vidyasagar.Guru · 12/08/2019 · 73 views -
7 दिसम्बर 2019 आचार्य श्री विद्यासागर दोपहर प्रवचन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर
By: Vidyasagar.Guru · 12/08/2019 · 54 views -
7 दिसम्बर 2019 आचार्य श्री विद्यासागर प्रवचन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर
By: Vidyasagar.Guru · 12/08/2019 · 36 views
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*‼आहारचर्या*‼
*श्री सिद्धयोदय नेमावर*
_दिनाँक :१०/१२/२०१९_
*आगम की पर्याय,महाश्रमण युगशिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज* के आहारचर्या कराने का सौभाग्य *श्रीमान राजेश जी,विनोद जी,आयुष जी जैन पोरवाल खातेगांव* वालो को एवं उनके परिवार को प्राप्त हुआ है।_इनके पूण्य की अनुमोदना करते है।
💐🌸💐🌸
*भक्त के घर भगवान आ गये*
🌹🌹🌹🌹
*_सूचना प्रदाता-:श्री अक्षय जी जैन खातेगांव_*
🌷🌷🌷
*अंकुश जैन बहेरिया
*प्रशांत जैन सानोधा- Read more...
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सतवास पंचकल्याणक हेतु सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर से उपसंघ का विहार:
• मुनिश्री विराटसागर जी
• मुनिश्री दुर्लभसागर जी
• मुनिश्री संधानसागर जी______________;
*नेमावर से मुनिसंघ का मंगल विहार-*
*परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से-*
● पूज्य मुनिश्री विराट सागर जी महाराज
● पूज्य मुनिश्री दुर्लभ सागर जी महाराज
● पूज्य मुनिश्री संधान सागर जी महाराज*उपसंघ का मंगल विहार नेमावर जी से सतवास की ओर हुआ।*
आगामी 8 से 14 दिसम्बर तक आयोजित होने बाले *पंचकल्याणक महोत्सव* में पूज्य मुनिसंघ सानिध्य प्रदान करेंगे।
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भारत सरकार की कैबिनेट मंत्री *श्रीमती स्मृति ईरानी* जी ने लिया आचार्य श्री विद्यासागर जी का आशिर्वाद
*नेमावर पहुँची केंद्रीय मंत्री, किये आचार्यश्री के दर्शन, लिया आशीर्वाद।*
_*सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र में विराजमान पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महामुनिराज* के दर्शन-वंदन की भावना से आज *केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी* नेमावर पहुँची एवम पूज्य गुरुदेव को नमन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रीमती ईरानी ने पूज्य आचार्यश्री से अहिंसा सहित अन्य विषयों पर चर्चाकर मार्गदर्शन भी प्राप्त किया।_
_प्रबंधकारिणी समिति नेमावर द्वारा, ब्रह्मचारिणी बहनों के माध्यम से *केन्द्रीय मंत्री का सम्मान* भी किया गया। दर्शन उपरान्त उन्होंने अपनी प्रशन्नता व्यक्त कर अपने को अत्यन्त सौभाग्यशाली माना।_सर्वोदयी राष्ट्रीय महासन्त आचार्यश्री के श्रीचरणों में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जी की भावाभिव्यक्ति
हमें भारत को आगे बढ़ाने के साथ-साथ संस्कारित करने की दिशा में भी काम करना चाहिए..
भारत तो विश्व गुरु था, है और रहेगा: आचार्यश्री विद्यासागरजी
✍🏻 पुनीत जैन, खातेगांवशनिवार को केंद्रीय महिला एवं बालविकास और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन करने और हथकरघा के विषय पर विस्तृत चर्चा करने नेमावर आयी। हेलीकॉप्टर से अपने तय समय से 10 मिनट पहले पहुंची ईरानी लगभग ढाई घंटे तक नेमावर जैन मंदिर परिसर में रही।
ईरानी ने आचार्यश्री के आशीर्वाद से चलने वाले समाजसेवा के विभिन्न प्रकल्पों हथकरघा, हस्तशिल्प, प्रतिभास्थली, मातृभाषा हिन्दी जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर आचार्यश्री से लम्बी चर्चा की। इसके साथ ही बारीकी से हथकरघा से निर्मित वस्त्र, हस्तशिल्प से बनी विभिन्न वस्तुओं का अवलोकन किया। ईरानी ने आचार्यश्री से निवेदन किया कि वे ससंघ देश की राजधानी दिल्ली आएं।
सक्रिय सम्यक सहकार संघ की ओर से आरके मार्बल ग्रुप की सुशीला पाटनी एवं ब्रम्हचारी सुनील भैयाजी ने हथकरघा से बनी साड़ी ईरानी को भेंट की।वहीं ट्रस्ट कमेटी की ओर से वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेशचंद काला, दिलीप सेठी, राजीव कटनेरा, महेंद्र अजमेरा ने कलश एवं आचार्यश्री द्वारा रचित जैन साहित्य भेंटकर स्मृति ईरानी को सम्मानित किया।
स्मृति ईरानी ने कहा-
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा आध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए मानवता को परिभाषित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज और मुनिसंघ का आशीर्वाद आज प्राप्त हुआ। आचार्यश्री के प्रकल्प के माध्यम से हिंसा के अवगुणों को लेकर भी जेल में बंद कैदी आध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए हथकरघा के माध्यम से संतों का सानिध्य प्राप्त कर रहे हैं।
अहिंसा को अपनाकर जीवन का उत्थान कैसे किया जाए इसका प्रतिबिम्ब आज तिहाड़ जेल में हथकरघा के वस्त्र बनाते कैदियों को देखने पर मिल रहा है।
अहिंसा के मार्ग पर चलना, स्वावलंबन के साथ जीना और प्रभु का स्मरण करते हुए समाज के संरक्षण में अपने आप को समर्पित करने का भाव आपके माध्यम से जो जनमानस में जागृत हुआ है उसके लिए मैं आपके श्रीचरणों में सादर वंदन करती हूँ।
आपके शुभाशीष से ब्रम्ह्चारिणी बहिने शिक्षा का आशीर्वाद बेटियों को दे रही हैं, हथकरघा के माध्यम से सूत को काटकर संस्कार भरा वस्त्र निर्मित किया जा रहा है। आपके दिखाए मार्ग पर चलकर शिल्प की दुनिया के लोगों को जोड़कर भारत के भविष्य का वो अपने हाथों से निर्माण कर रहे हैं। राष्ट्र कीर्ति के पथ पर हम सभी सदैव चलें ऐसा आशीष आपसे मांगती हूँ।
आचार्य श्री ने अपने आशीर्वचन में कहा-
विशेष रुप से विशेष विषय को लेकर जिज्ञासू (मंत्री महोदय) दूरी को दूर करते हुए आज यहां आए हैं। अपने व्यस्ततम समय से समय निकालकर जनता के कल्याण की भावनाओं को लेकर संस्कारित जीवन निर्मित हो देश के कल्याण के साथ राष्ट्र भाव सदैव बना रहे। यही भाव देश की जनता में भी आए, इन सब भावों को लेकर महोदया आई हैं।
आचार्यश्री ने राष्ट्र उत्थान पर केंद्रित करते हुए अपने उदगार में कहा कि भारत को स्वतंत्र हुए कई वर्ष होने के बावजूद पूर्व स्थिति में नहीं आए।
हमें भारत को आगे बढ़ाने के साथ-साथ संस्कारित करने की दिशा में भी काम करना चाहिए।
हमें अपनी संस्कृति में पुनः लौटना है। हमे अपनी संस्कृति के अनुसार ही विश्व पटल पर भारत को आदर्श बनाना चाहिए।भारत तो विश्व गुरु था और रहेगा। भारत की जीवंत संस्कृति यदि कोई है तो वह अहिंसा ही है।
भारतीय अर्थशास्त्रियों के भरोसे ही अमेरिका अपनी मंदी से उबरने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगा है।हम राष्ट्र के प्रति आस्थावान और समर्पित होकर रहेंगे तो देश को कोई हिला नहीं पाएगा। भारत वासना, विलासिता को नहीं बल्कि उपासना और साधना को पूजने वाला देश है। हमारी दृष्टि अखंड भारत की ओर होना चाहिए।
हथकरघा, अंबर चरखा और हस्तशिल्प के कारण तिहाड़ जेल में हुंकार भरने वाले कैदी प्रार्थना कर रहे हैं, हिंसा को भूल गए हैं। कैदियों के जीवन में परिवर्तन आ रहा है।
व्यापार से धन नहीं बढ़ता, श्रम करने से बढ़ता है। जो व्यक्ति श्रम करेगा, वो कभी भूखा नहीं सोएगा। श्रमण शब्द की उत्पत्ति श्रमदान से ही हुई है।
भारत हमेशा भगवान का भक्त रहा है। राम से नहीं राम नाम का सच्चा सुमिरन करने से ही सारे काम हो जाते हैं। श्रीराम के नाम के जाप के सहारे ही हनुमानजी ने कई बाधाओं को लांघकर अविस्मरणीय कार्य किए। उसी प्रकार देश के सैनिक भी सीमा पर अपनी जान की बाजी लगाए देशहित में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं।
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सादगी पूर्ण व्यवहार:केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पूरे कार्यक्रम में बहुत ही सादगी में दिखी। उनके लिए ट्रस्ट ने सोफे पर बैठने की व्यवस्था की थी, ट्रस्ट द्वारा आग्रह करने पर ईरानी ने कहा भारतीय संस्कृति में संतों के सामने ऊँचे स्थान पर बैठना शोभा नहीं देता, और वह आमजन के बीच ही बैठी रहीं। चेहरे पर धूप आने के बावजूद भी अपनी जगह नहीं बदली।
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आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू
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संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज
ये ऐसे संत है जिनका जीवन एक सम्पूर्ण दर्शन है जिनके आचरण में जीवों के लिए करुणा पलती है जिनके विचारों में प्राणी मात्र का कल्याण आकर लेता है,जिनकी देशना में जगत अपने सदविकास का मार्ग प्रशस्त करता है |आप निरीह, निस्पृह वीतरागी है फिर भी आपके विचार भारतीयता के प्रति अगाध निष्ठा, राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यपरायणता से ओतप्रोत है आपका चिंतन प्राचीन भारतीय हितचिंतको दार्शनिको एवं संतो का अनुकरण करते हुए भी मौलिक है |आचार्य महाराज तो ज्ञानवारिधी है और उनके विचारों को संकलित करना छोटी सी अंजुली में सागर को भरने का असंभव प्रयास करना है|
रास्ता उनका, सहारा उनका, मैं चल रहा हूँ दीपक उनका, रौशनी उनकी मैं जल रहा हूँ प्राण उनके हर श्वास उनकी मैं जी रहा हूँ
From Wikipedia Acharya Shri Vidyasagarji Maharaj (born 10 October 1946) is one of the best known modern Digambara Jain Acharya(philosopher monk). He is known both for his scholarship and tapasya (austerity). He is known for his long hours in meditation. While he was born in Karnataka and took diksha in Rajasthan, he generally spends much of his time in the Bundelkhand region where he is credited with having caused a revival in educational and religious activities. Know more about him
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