इन छोटे-छोटे पशुपक्षियों में भी प्राण हैं, उनके पास भी ज्ञान है, सोचने-विचारने की शक्ति है। वे भी धर्म को समझ जाते हैं और अपने जीवन की उन्नति कर लेते हैं। हमारा इन तमाम पशु-पक्षियों की रक्षा करना परम कर्तव्य है, ये जानवर प्रकृति के संतुलन को बनाते हैं। यह धरती की हरियाली जानवरों की किस्मत से है, मनुष्य की किस्मत से नहीं। यदि ये जानवर समाप्त हो जायेंगे तो धरती की हरियाली भी समाप्त हो जायेगी और हरियाली के अभाव में यह मनुष्य जाति भी जिंदा नहीं रह सकती। अत: जानवरों की रक्षा करना ही हरियाली को जिन्दा रखना है। मनुष्य ने आज जानवरों पर बहुत जुल्म करना प्रारंभ कर दिया। लगता है आज मनुष्यता मर चुकी है, पशुओं में भी इतनी क्रूरता नहीं जितनी आज मनुष्य में दिखाई दे रही है। प्राणी संरक्षण आज बहुत कठिन हो गया है जो मनुष्य का पहला कर्तव्य था।
-१९९७, नेमावर