विहार करते हुए नेमावर की ओर से जा रहे थे। रास्ते में ही आचार्य श्री जी से पूछा - आप तो आचार्य श्री जी नवमीं कक्षा तक पढ़े हैं और हम लोगों को एम0ए0 पढ़ने के लिए कहते हैं| यदि आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज ने आपको एम0ए0 तक पढ़ने को कहा होता तो आप हम लोगों को कहाँ तक पढ़ने को कहते - पी.एच.डी., लॉ आदि। आचार्य श्री जी हँसकर बोल उठे - नहीं पहले मल्लिसागर जी (मल्लप्पा जी) कहते थे ज्यादा क्या पढ़ना, खेती-किसानी तो करना ही है। मेन सब्जेक्ट तो कृषि ही है। यह हल चलाओ जो कि समस्त समस्याओं का हल है। पहले लोग नौकरी (सर्विस) को अच्छा नहीं मानते थे, खेती को ही प्रधानता देते थे। उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और जघन्य नौकरी ऐसा मानते थे, इसलिए दक्षिण में आज भी नौकरी को अच्छा नहीं मानते है।
(रेहटी 1/2/2002 बुधवार)