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वतन की उड़ान: इतिहास से सीखेंगे, भविष्य संवारेंगे - ओपन बुक प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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    जन्म का उत्सव तो सभी मानते हैं, किंतु जो  मरण का उत्सव मनाते हैं वह मौत को भी जीत जाते है। जैन परम्परा में  मरण को जीतने की इसी कला को समाधिमरण कहते है।
     

    छत्तीसगढ़ की धर्मनगरी डोगरगढ़ चंद्रगिरी दिगंबर तीर्थक्षेत्र पर समाधि साधनारत दिगंबर जैनाचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज ने दिनांक 18 फरवरी 2024 के ब्रम्हमुहूर्त में जीवन की इसी श्रेष्ठतम समाधि अवस्था को प्राप्त किया।

     

     

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