आपको भगवान् समझकर,
भक्ति करने में सुख व आनंद बना रहता है।
चाहे आप बोलो या न बोलो,
देखो या न देखो,
दर्शन दो या न दो,
पास बुलाओ या न बुलाओ,
भाव कभी नहीं बिगड़ते।
जब आपका नाम रटते,
पाप कर्म ही कटते,
आप सदा भगवान् ही बने रहे,
अपने आपमें ही रमे रहें।
“सुनते सबका करते मन का, ये तो चेतन राता हैं।
राजा जिनके चरण पूजते, गुरुदेव महाराजा हैं।
सिद्धों की बस्ती में जाकर,डाला जिनने डेरा है।
गुरु विद्यासागर वंदन से, मिटे जगत का फेरा है।।''
आर्यिका पूर्णमती माताजी