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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • हे अदभुत प्रज्ञा के धनी... गुरूदेव!

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    मेरे हृदय के लघु पात्र में ,

    जब आपने अपनी कृपा का सुख रस उड़ेला,

    तब मैं पुण्य फलों में मानो बेभान हो गया।

    यह नहीं सोचा कि इतना सारा सुख,

    मुझे क्यों दिया जा रहा है?

    और जब तिनके सा ढुःख आया,

    मानो पहाड़ टूट पड़ा।

    तब मैं पाप फलों में बेहोश हो गया।

    यही सोचता रहा कि सारा दु:ख,

    मुझे ही क्यों दिया जा रहा है?

    मेरी बुद्धि सम  हो!

    न तव हो, न मम हो!

     

    “आप दृष्टि दो जिससे सुख के, सागर में गहरे उतरूँ।

    पलके बंद न हो लहरों को, अपने दामन में भर लूँ।।

    स्वाति बूंद बनकर तुम बरसो, मैं विद्या मोती पाऊँ।

    कर्मों की आँधी-तूफाँ से, किञ्चित् भी ना घबराऊँ।''

     

    आर्यिका पूर्णमती माताजी


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