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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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वोट नहीं देते लेकिन सपोर्ट देते हैं।

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़  में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि अशोभनीय  गुण वाले मनुष्य के संसर्ग से मनुष्य उसी की तरह स्वयं भी अशोभनीय गुणवाला हो जाता है। दुर्जनों की गोष्ठी के दोष से सज्जन भी अपना बड़प्पन खो देता है। फूलों की कीमती माला भी मुर्दे पर डालने से अपना मूल्य खो देती है। दुर्जन के संसर्ग से लोग व्यक्ति के सदोष होने की शंका करते हैं। जैसे मद्यालय में (शराब की दुकान में) बैठकर दूध पीने वाले की भी मद्यपायी (शराबी) होने की शंका करते हैं। लोग दूसरों के दो

सज्जनों के संग दुर्जन भी पूजित होता है

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़  में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि जैसे सुगंध से रहीत फूल भी “वह  देवता का आशीर्वाद है ” ऐसा मानकर सिर पर धारण किया जाता है। उसी प्रकार सुजनों के मध्य में रहने वाला दुर्जन भी पूजित होता है। जिसको धर्म से प्रेम नहीं है तथा जो दुःख से डरता है वह मनुष्य भी संसार भीरू के मध्य में रहकर भावना , भय, मान और लज्जा से पाप के कार्यों से निवृत होने का उद्योग करता है। अपने ही भरण – पोषण में लगे रहने वाले क्षुद्रजन तो हजारों हैं किन्तू परोपकार ही ज

भक्ति से डर भाग जाता है। 

चंद्रगिरि डोंगरगढ़  में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि जिन भक्ति जिनके हृदय में होती है उसे संसार से डर नहीं लगता है। जब अपने भीतर है तो माँगने की क्या आवष्यकता है। अच्छे व्यक्ति माँग करते हैं जैसे नेताओं से माँगते हैं। धर्म कर्मों को नष्ट करता है। मेरू की तरह निष्चल भक्ति होनी चाहिये। बगुला जैसी भक्ति नहीं होना चाहिये। श्वास – श्वास में भगवान के प्रति समर्पण होना चाहिये। कोई कुछ भी कह दे आस्था मिटती नहीं है । यदि अटूट भक्ति है तो भक्त बनते ही प्रत्येक क्षण भगवान

मोबाईल का उपयोग सीमित हो !

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि अपनी प्रषंसा करने से अपने गुण नष्ट हो जाते हैं। अपनी क्षमता का उपयोग करें मन को वष में करें । मोबाईल मंदिर में संत निवास में सब जगह बजते रहते हैं कोई ध्यान नहीं देता है इससे बहुत सी बीमारियाँ भी होती है इसका सीमित उपयोग करें। ग्रन्थों के दृष्टांत देकर आचार्य श्री ने कहा कि धन का उपयोग पुण्य कार्यों में करो वह तो नष्ट होगा ही यदि पुण्य कार्यों में उपयोग करेंगे तो और पुण्य बंध होगा। अपनी क्षमता का उपयो

पाजीटिव पावर आता है।

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि वैराग्य वर्धक वाले के पास बैठने से वैराग्य वर्धन होता है। कई लोग बोलते हैं दुकान अच्छी चलती है तो क्या पहिये लगे हैं जो चलती है लेकिन बोला जाता है । विकासषील जो होते हैं उनसे मिलते रहो तो आपका विकास होगा। आज बाजार कुछ लोगो के हाथों से चल रहा है। कम मूल्य वाली वस्तु को ज्यादा मूल्य में बेचेंगे तो वह पैसा बीमारियों में जायेगा। महापुरूषों का नाम लेने से पाॅजीटिव पावर आता है। सज्जनों के द्वारा अपमान भी ठ

अपनी प्रषंसा घातक है।

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि सभी आत्मा एक सी है, मैं छोटा मैं बड़ा यही नहीं सोचना चाहिये। सज्जन मनुष्यों के बीच में अपने विद्यमान की गुण की प्रषंसा सुनना लज्जित होता है। तब वह स्वयं ही अपने गुणों की प्रषंसा कैसे कर सकता है। जिस समय वस्तु हम चाहते हैं नहीं मिलती है। अपनी प्रषंसा स्वयं न करने वाला स्वयं गुण रहीत होते हुये भी सज्जनों के मध्य में गुणवान की तरह होता है। कस्तूरी की गंध के लिये कुछ करना नहीं होता है। वचन से गुणों का कह

आउट लाइन को देखो !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की  भगवान् की पीठ के दर्शन और फोटो महत्वपूर्ण है वह आस्था के सांथ हो तो | पत्रिका में लेख माला चलती है और लिखा रहता है क्रमश: ऐसा ही यहाँ होता है | रत्नकरंडक  श्रावकाचार में आचार्य समतभद्र जी ने शिल्पी का उदाहरण दिया है लोहे में जंग होता है तो वह कार्य नहीं करता है ऐसे ही हमें मन की जंग साफ करना होगी तभी कोई अच्छी वस्तु कार्य करेगी उपदेश का प्रभाव होगा | कई लोग पल्ला बिछाकर दर्शन करते हैं भगवान् से मांग

धन विदेष में क्यों रखते हैं।

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि करोड़ो रूपयो का व्यय होने पर भी कुछ नहीं हो रहा है और कहते हैं कि आप जानों, और कहते हैं कि श्ष्वेत क्रांतिश् है । शासन क्या है आप जानो। कमा – कमाकर रख रहे हो क्या होगा, केवल नारे लगाने से कुछ नहीं होगा। आज दूध में मिलावट हो रही है, वह दूध बच्चों को भी पिलाया जाता है कितनी सारी बिमारियाँ होती है। धन विदेषों में रखते हैं क्योंकि माता – पिता, भाई – बहन, पति/पत्नि पर विष्वास नही रहता है। कोई ड्रेस एड्रेस

मरण आत्मा का उपकारक है !

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि मरण के द्वारा आत्मा का उपकार होता है । साधारणतया मरण किसी को प्रिय नहीं है तो भी व्याधि (रोग), पीड़ा, शोक आदि से व्याकुल प्राणी को ऋण भी प्रिय होता है । अतः उसे उपकार की श्रेणी में ले लिया । जिसने एक बार भी समाधि मरण किया है, ऐसा जीव अधिक से अधिक 7 – 8 भवों में मुक्ति प्राप्त कर लेता है । सर्वश्रेष्ठ समाधि मरण से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है । अतः मरण भी उपकारक है। जीव परस्पर में उपकार करते हैं । जैस

अखबार की न्यूज क्या है

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि अखबार वाले दुनिया की खबर तो लेते हैं लेकिन आत्मा से बेखबर रहते हैं। न्यूज का अर्थ होता है नार्थ, ईस्ट, वेस्ट, साउथ, चारों दिषाओं की खबर को न्यूज कहते हैं। आचार्य श्री ने पद्म पुराण का सीता की अग्नि परीक्षा संबंधी प्रसंग सुनाया और कहा कि अग्नि परीक्षा नहीं थी कर्मों की सही परीक्षा थी वह धधकती अग्नि थी और जैसे ही प्रवेष हुआ वह जल कुण्ड में परिवर्तित हो गया सारी जनता देखते रह गयी और राम भी देखते रह गये

मशीन बता देती है धन कहाँ छिपा है !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की संसारी प्राणी भ्रम के सांथ ही यात्रा करता रहता है | प्रत्येक व्यक्ति अपराधी सिद्ध होता है तो दंड संहिता लागू ही नहीं हो पायेगी | मोक्ष मार्ग में शब्दों और भावों से ही मार पड़ती है | जिसकी दृष्टि  में  इन्द्रिय विषय है तो आत्मस्थ कैसे कह सकते हैं | केवल ज्ञानी के ज्ञान में अनंतानंत विषय आ रहे हैं वह दूर नहीं होते हैं बस राग द्वेष  नहीं करते हैं | भाव होने के बाद भी राग द्वेष नहीं करना यही सही पुरुषार्थ

शराब करती  है जीवन ख़राब !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की चित्त में महान विकार पैदा करते हैं इसलिए इन्हें महाविकृति कहते हैं | शराब जीवन ख़राब करती  है | भोग की इच्छा पैदा करती है, परिवार को बर्बाद कर देती है, रोगों को उत्पन्न करती है और शरीर को ख़राब कर देती है | सर्वज्ञ की आज्ञा के प्रति आदरवान, पाप भीरु और तप में एकाग्रता के अभिलाषी ये महा विकृतियाँ त्याग करते हैं | इस आज्ञा का आदर करना चाहिए और पालन करना चाहिए नहीं तो संसार के मध्य में पतन हुआ है और होग

जीरो से हेलोजन में अंतर है !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महारज जी ने कहा की जिनेन्द्र  भगवान् की भक्ति से प्रलय, भूत पिशाच, विघ्न, शाकिनी, विष का प्रभाव आदि नष्ट हो जाता है | हमारे जन्म – जरा – मृत्यु के कष्ट समाप्त नहीं हो रहे हैं | तृष्णा सर्पिणी की भांति है वह हमारे अन्दर प्रवेश कर रही है | जिनेन्द्र भगवान् का गंधोदक सब रोग, कष्ट हर लेता है, सर्वश्रेष्ठ औषधि है | भावों का खेल है भाव अच्छे रखेंगे तो सब अच्छा हो सकता है | पदम् पुराण में कैकई और दशरथ का दृष्टान्त  देते हुए क

भगवान् सही कथाकार होते हैं !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की जब व्यक्ति उठता है प्रातः तो ताजगी महसूस करता है सूर्योदय के कारण और सूर्यास्त के समय बेहोशी जैसी लगती है | एक विषयों की नींद है और एक दिन अस्त होने की नींद है | महान पुरुष विपरीत परिस्तिथियों में भी अपने आपको संयत बनाये रखते हैं | तीन घंटे तक हम कोई कार्यक्रम  देखते हैं तो वह याद में बना रहता है | जब स्वाभाव का बोध होता है तो पश्चाताप होता है | हमारी दिशा, दशा भगवान् की भांति हो जायेगी जिस दिन बोध हो जाएगा | द

करोडो रुपयों में आत्मा की बात नहीं !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन  आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की जिस घोड़े को शब्द के संकेत में चलने , भ्रमण, लंघन आदि की शिक्षा नहीं दी गयी है और चीरकाल तक सुख पूर्वक लालन – पालन किया गया है | वह घोडा युद्ध भूमि में सवारी के लिए ले जाया गया कार्य नहीं करता है | वैसे ही सभी जनों बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहिए | बाहर पढने जाता है क्या खा रहा है, क्या पी रहा है पता नहीं चलता है | विज्ञान के युग में विश्वास नहीं रहा है | करोड़ों रुपयें खर्च हो रहे हैं शिक्षा के

वेट कम करो धन  और शरीर का  !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की जो प्राणियों में दया नहीं करता तथा दूसरों को पीड़ा पंहुचा कर भी पछताता नहीं है वह दुर्भावना करता है | कई लोगो को कुछ भी करने के बाद भी पश्चाताप नहीं होता है | ऋण और बैर भव – भव में पीछा करते हैं | आज मुक्ति नहीं होती है लेकिन संबर और निर्जरा भी मोक्ष का कारण है | परिग्रह कम करते चले जाओ  तो सुख मिलेगा | वेट कम करो धन और शरीर का | तीन लोक की सम्पदा मिलने पर भी साधू को कुछ नहीं होता | अशुधि के भाव रखोगे तो विशुधि नहीं बढेग

शरीर गंदगी की फैक्ट्री है  !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान  आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की शरीर गंदगी की फैक्ट्री है, बड़े – बड़े डाक्टर, भी शरीर को  देखकर कुछ  नहीं कर पाते उसको शुद्ध नहीं कर सकते | कर्म को एक्सरे और फोटो ग्राफी से भी नहीं पकड़ सकते| पुलिस रक्षा भी करती है और अपराधी को पकडती भी है ऐसे ही कर्म द्विमुखी होते हैं | विज्ञान भी मानता है 50 वर्ष के बाद मीठा, नमक लेने की आवशयकता नहीं रहती है, अपने आप शरीर से मिलते हैं रस | यह शरीर जन्म मरण से युक्त , असार, अपवित्र, कृतघ्न, भार रूप रोगों क

कर्म क्या होते हैं !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की संसार में सबसे ज्यादा इमानदार हैं तो वह है कर्म | मुनि हो, गृहस्थ हो, राजा हो या रंक हो, युवा हो या वृद्ध हो कर्म किसी के साथ पक्षपात नहीं करते, जीव जैसा कर्म करता है वैसे ही उसे  फल मिलता है | जिसके द्वारा आत्म परतंत किया जाता है, उसे कर्म कहते हैं | जीव और कर्म का अनादिकाल से सम्बन्ध चला आ रहा है | मैं हूँ इस अनुभव से जीव जाना जाता है | संसार में कोई गरीब है, कोई अमीर है, कोई बुद्धिमान है , कोई बु

माँ,डाक्टर, वकील , गुरु को बतायें !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की आज विज्ञान ब्रह्माण्ड की खोज कर रहा है | हर बात में विस्फोट करता है | कई लोगो ने समर्थन भी दिया है | पृथ्वी की रचना भगवान् ने कैसे की है यह खोज की है 27 किलोमीटर की सुरंग में की है खोज लेकिन हमें तो नहीं लगता है की यह ठीक है | योग्य का ग्रहण ही अयोग्य को त्याग है | थेओरी तो ज्यादा पढते हैं लेकिन प्रेक्टिकल (प्रयोग) नहीं करते हैं | रोटी में नज़र न लग जाये इसलिए काले धब्बे हैं ऐसा एक व्यक्ति ने कहा अप

भाव नगर में जहाज तोड़ते है !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की शरीर का त्याग करना सुख, शांति की प्राप्ति का कारण है ! उसके तीव्र वेदना होने पर जीवन की आशा नष्ट हो जाती है ! मुक्ति को खोजने वाला साधू परिग्रह को मन, वचन, काय से त्याग कर देता है ! गाडी में पेट्रोल सप्लाई बंद कर दो तो सब ठीक हो जाता है ! हांथी को भी जब मद आता है तो तीन उपवास करवा देते हैं तो ठीक हो जाता है ! जैसे परीक्षा देना कठिन है ऐसे ही संलेखना कठिन है ! अच्छे – अच्छे घबडा जाते हैं ! कितने भी हार्स पावर

रक्षाबंधन पर्व मनाया गया !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की ज्ञात हो – दिगम्बर जैन धर्म के अनुसार रक्षाबंधन के दिन 700 मुनिराजों का उपसर्ग (विघ्न) दूर हुआ था | विष्णु कुमार मुनि ने रिद्धियों के द्वारा किया था उसी की ख़ुशी में यह पर्व मनाया जाता है | आज के दिन मंदिर में पैसा दान करके राखी लेकर बांधते हैं और भाई की कलाई पर बहिन राखी बांधती है | आज के दिन चन्द्रगिरि में प्रतिभा स्थली की ब्रह्मचारिणी बहिने एवं छात्राओं ने आचार्य श्री के शास्त्रों की चौकी पर भी राखी बाँधी

शब्द की यात्रा तीन लोक तक होती है !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की उचित स्मृति रहती है तो विषयांतर नहीं होता है ! यह समझ भी आ जाता है की ठोस ज्ञान कितना है ! आप कई पृष्ठ पढ़ लो लेकिन उपयोग में नहीं आया तो क्या मतलब ! प्रतिभा संपन्न विद्यार्थी हमेशा परीक्षा को लेकर अलर्ट रहता है ! खूब लिखने से भी कुछ नहीं होता सही लिखोगे तो ही नंबर मिलेंगे ! शब्द जो आप बोलते हैं तीन लोक तक जाता है ! नदी कभी घर तक नहीं आती हमें जाना पड़ता है ! लोग कहते हैं नल आ गया पर नल तो वहीं रहता है ! आज लोग चाहते हैं

इंटरव्ह्यु में क्रीम बच जाती है !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की आयु के थोडा रह जाने पर आहार ग्रहण करने पर भी शरीर नहीं ठहरता! एक बार श्रधा के नष्ट हो जाने पर उसका पुनह प्राप्त होना दुर्लभ है ! तप में दोष लगने पर बहुत निर्जरा नहीं हो सकती ! बड़ा धंधा करने में जैसे बड़ी पूंजी लगती हैं उसी प्रकार संलेखना में पूरी शक्ति लगानी पड़ती है ! प्रशासन सम्बन्धी परीक्षाओं में संकेत दिया जाता है की तयारी करें और लाखों की संख्या में परीक्षार्थी परीक्षा में बैठते हैं लेकिन उसमे से लगभग 10
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