शराब करती है जीवन ख़राब !
चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की चित्त में महान विकार पैदा करते हैं इसलिए इन्हें महाविकृति कहते हैं | शराब जीवन ख़राब करती है | भोग की इच्छा पैदा करती है, परिवार को बर्बाद कर देती है, रोगों को उत्पन्न करती है और शरीर को ख़राब कर देती है | सर्वज्ञ की आज्ञा के प्रति आदरवान, पाप भीरु और तप में एकाग्रता के अभिलाषी ये महा विकृतियाँ त्याग करते हैं | इस आज्ञा का आदर करना चाहिए और पालन करना चाहिए नहीं तो संसार के मध्य में पतन हुआ है और होगा | पाप से जो डरता है तथा जो तप में एकाग्रता का अभिलाषी है वह त्याग करें | 6 रसों का भी देखकर क्रमशः त्याग करना चाहिए | साधू आहार में जाते हैं तो नियम / प्रतिज्ञा लेते हैं की इतने घर तक जाऊँगा, एक कलश , श्रीफल , अन्य वस्तु , अन्य रंग के वस्त्र , बालक , वृद्ध आदि करोडो भेद हो सकते हैं | यह विधि आहार से पहले मंदिर आदि में निकलते समय लेते हैं | आहार और शरीर गृहस्थों से राग घटाने के लिए यह तप किया जाता है | विधि मिलती है तो आहार ग्रहण करते हैं नहीं तो उपवास हो जाता है फिर दूसरे दिन ही आहार को उठते हैं, यह वृत्ति परिसंस्थान तप कहलाता है |
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