करोडो रुपयों में आत्मा की बात नहीं !
चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की जिस घोड़े को शब्द के संकेत में चलने , भ्रमण, लंघन आदि की शिक्षा नहीं दी गयी है और चीरकाल तक सुख पूर्वक लालन – पालन किया गया है | वह घोडा युद्ध भूमि में सवारी के लिए ले जाया गया कार्य नहीं करता है | वैसे ही सभी जनों बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहिए | बाहर पढने जाता है क्या खा रहा है, क्या पी रहा है पता नहीं चलता है | विज्ञान के युग में विश्वास नहीं रहा है | करोड़ों रुपयें खर्च हो रहे हैं शिक्षा के क्षेत्र में लेकिन आत्मा के बारे में बात बताने वाला नहीं है “हम दो हमारे दो ” अब लिखा हुआ नहीं मिलता है | “हम ही सब कुछ है ” यह दिख रहा है | अब पैकेज भी कम हो रहा है | आज बच्चे , जवान आस्था में बूढ़े हो रहे हैं | घोडा हार्स पावर वाला भी काम में नहीं आता | अकोड़े के बिना हांथी भी सांथी नहीं रहेगा | इन्द्रियों पर लगाम लगाओ, भाडा दो और काम लो | निश्चिंतता में भोगी सो जाता है और योगी खो जाता है | घर में यदि छोटी बहु अच्छा कार्य करती है तो सभी तारीफ़ करते हैं हो सकता है बड़ी बहु की तारीफ़ नहीं करें | आर्डर मन देता है फिर इन्द्रियां कार्य करती है | मन अधिष्ठाता है वही संकेत करता है तब कार्य होता है, वह उस्ताद है | आत्मा रूप, रस, गंध, वर्ण आदि से रहित है | प्रबल अभ्यास के बल से स्मृति बिना खेद के अपना काम करती है |
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