पंच कल्याणक में गर्भ से लेकर मोक्ष तक का मंचन - समाज के अविनाश जैन ने पंच कल्याणक महोत्सव के बारे में बताया कि यह प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव की तरह ही है। बस फर्क इतना है कि इसमें भगवान के गर्भ मेंहने से लेकर मोक्ष प्रप्त करने तक की क्रियाओं का चित्रण किया जात है। सजीव लघु नाटिका के साथ पांच दिनों तक दिखाया जाता है कि कैसे भगवान गर्भ में रहे, कैसे उन्होंने जन्म लिया, कैसे दीक्षा ली, ज्ञान अर्जित किया । और अंत में मोक्ष प्राप्त किया। इन सभी क्रियाओं के बीच ही अंतिम दिन प्रतिमा की प्रतिष्ठा विधि पूरी हो जाती है। लाभांडी में चल रहे पंच कल्याणक में आचार्य श्री विद्यासागर जी के सान्निध्य में । सभी विधियाँ और क्रियाएँ पूरी की जा रही हैं।
पंच कल्याणक के पांच दिन में इनका चित्रण -
पहले दिन - गर्भ कल्याणकः जब तीर्थंकर प्रभु की आत्मा माता के गर्भ में आती है।
दूसरे दिन - जन्म कल्याणक: जब तीर्थंकर बालक आदि कुमार का जन्म होता है।
तीसरे दिन - दीक्षा कल्याणकः जव तीर्थंकर सब कुछ त्यागकर वन में जाकर मुनिदीक्षा ग्रहण करते हैं।
चौथे दिन - केवल ज्ञान कल्याणकः जब तीर्थंकर को केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है।
पांचवें दिन - मोक्ष कल्याणकः जब भगवान शरीर का त्यागकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
लाभांडी के शांति नगर में चल रहे पंच कल्याणक महोत्सव में हर दिन भगवान आदिनाथ के जीवन के प्रसंगों का मंचन कर अनुष्ठान पूरे किए जा रहे हैं।बुधवार को यहां भगवान आदिनाथ के गर्भकाल का मंचन किया गया था। गुरुवार को धर्मसभा में हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं के बीच बालक आदि कुमार का जन्म हुआ। सौधर्म इंद्राणी बालक को लेकर श्रद्धालुओं के बीच पहुंचीं। यह सब कुछ एक लधु नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया गया।
धर्मसभा के लिए बना पंडाल भगवान के जयकारों से गूंजने लगा। इस दौरान हर कोई भगवान के दर्शन को आतुर नजर आया। भगवान की मोहक प्रतिमा को करीब पाकर कई श्रद्धालु भक्तिभाव में भावुक होते नजर आए। आयोजन के लिए विदिशा से आए समाज के अविनाश जैन ने बताया कि प्रातः काल हस्तिनापुर नगरी में राजा नाभीराय के यहां माता मरूदेवी से बालक का जन्म हुआ। धनपति कुबेर के आदेश से ऐरावत ह्यथ पर सौधर्म इंद्र सचि इंद्राणी को बैठाकर मध्यलोक में प्रवेश करता है और गंधर्व 700 करोड़ देवों के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनाने स्वर्ग से उतर कर ऐरावत ह्मथी पर आते हैं। इसी प्रसंग के साथ लाभांड़ी में पंचकल्याणक स्थल पर ऐरावत हाथी पर सौधर्म इंद्र अपनी इंद्राणी के पात्र अपने इंद्र परिवार के साथ पंडाल के पास बने पांडुक शिला का स्वर्ण एवं रजत कलशों से अभिषेक किया। गुरुवार को आहार के सौभाग्यशाली नरेंद्र कुमार जैन थे। गुरुवार को धर्मसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक प्रेमजी, कनीरामजी, दीपक विस्पुते, केबिनेट मंत्री अमर अग्रवाल, चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जैन जितेंद्र बरलोटा ने आचार्य विद्यासागर से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया।