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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • मन की खटिया

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    कृपा पालित कपालवाली

    अनुभव-भावित भालवाली

    ओ! ‘आदिम सत्ता’

    कृपा पात्र तो बना ही दिया इसे...

    चिर से

    युगों-युगों से चुभते थे

    जीवन के गहन मूल में

    दुखद अभावों के शूल

    भावों स्वभावों में

    ..............ढले,  

    बदले आज वे

    सुखद फूल हो गये।

     

    जीवन - पादप

    पतित-पात था

    पलित - गात था

    कषाय तपन के

    तीव्र ताप से

    आज.......

    सलिल का सिंचन हुआ

    शीतल - शीतल

    अनिल का संचरण हुआ

    सुर - तरु से

    हरे - भरे

    आमूल - चूल हो गये,

     

    सुरपति - पदवी

    भव - भव वैभव पाने

    मन की खटिया पर

    वयोवृद्धा आशा

    जीवित थी आज तक

    दिवंगत हुई वह,

    अब सब कुछ बस

    जीर्ण-शीर्ण तृण सम

    धूल हो गये

    सब के सब

    मन से बहुत दूर

    भूल हो गये |


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