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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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  1. जीवन के किसी भी पल में, वैराग्य उपज सकता है, संसार में रहकर प्राणी संसार को तज सकता है। कहीं दर्पण देख विरक्ति, कहीं मृतक देख वैरागी, बिन कारण दिक्षा लेता, को पूर्व जन्म का त्यागी, निर्ग्रन्थ साधु ही इतने, सदगुण से सज सकता है, संसार................ आत्मा तो अजर अमर है, हम आयु गिने इस तन की, वैसा ही जीवन बनता, जैसी धारा चिन्तन की, वहीं सबको समझा पाता, जो स्वयं समझ सकता है, संसार.................. शास्त्रों में सुने थे जैसे, वैसे ही देखें गुरुवर, | तेजस्वी परम तपस्वी, उपकारी विद्यासागर, जिनकी मृदु वाणी सुनकर, हर प्रश्न सुलझ सकता है, संसार....................
  2. गुरु की छाया में, शरण जो पा गया उसके जीवन में, सुमंगल आ गया गुरु कृपा सबसे बड़ा उपहार है। गुरु है खेवन हार तो बेड़ा पार है। प्रेम का पावन उजाला छा गया उसके जीवन................ वो रचा है आती जाती श्वाँस में वो बसा है प्राण में विश्वास में शांति सुख अमृत कोई वरसा गया उसके जीवन................ हमको क्या उनको हमारा ध्यान है। गुरु हैं अपने देवता श्री भगवान हैं। प्राणों का पंक्षी बसेरा पा गया उसके जीवन में सुमंगल आ गया गुरु की छाया...............
  3. कैसे धरें मन धीरा रे कि तीनो भईया निकल गए, कौन जाने मन की पीड़ा ये तीनों भईया निकल गए। देखो विद्या के पीछे चले समय योग सागर, प्यार वाली भावना को करके उजागर, गोदी सूनी-2 गोदी सूनी कर गए रे, कि तीनों................. देखो पिता मलप्पा औ श्री मती माता, कैसे तोड़े इस जनम का नाता, आंसू धीरे-धीरे-2, बह गए रे, कि तीनों........................ तीन संतान में से कोई एक चला जाए, उस घर की पीड़ा को कौन मिटाए, चरणों में-2, चरणों में सूनी लायो रे, कि तीनों........................
  4. हर क्षण हर पल हर दम आशीष रहे तेरा। गुरुवर बस ये चाहूँ, मिट जाये भव फेरा हर क्षण................. मेरे मन मंदिर में, तस्वीर रहे तेरी तू दूर रहे पर क्या , तेरे पास नजर मेरी अंतिम सांसों तक हो, सिर चरणों में मेरा हर क्षण......... मेरी मंजिल तुम ही हो, मेरे मंदिर तुम ही हो हो मात पिता भाई, मेरी पूजा तुम ही हो मैं अरज विनम्र करें, कल्याण करो मेरा हर क्षण हर पल.....................
  5. जिनके दर्शन को तरसते है यहाँ लाखों नयन मेरे गुरुदेव नमन-2 जिनकी मुस्कान से खिलते है यहाँ मन के चमन मेरे गुरुदेव नमन-2 छोड़ घरबार को महावीर का पथ स्वीकारा-2 यूँ कषायों को कषा वेश दिगंबर धारा-2 बिछौना धरती को बना के ओढते हो गगन मेरे गुरुदेव नमन देखकर जिनको चित्रकार भी खो जाते है । यहाँ जो आते हैं बस इनके ही हो जाते है-2 जिनके तप को डिगा पाते नहीं सर्दी औ तपन मेरे गुरुदेव नमन मैं तो गुरुदेव की महिमा का क्या बखान करूँ शब्द बौने हैं कैसे मैं तेरा गुणगान करूँ-2 बिन तेरे सूने से लगते है अहिंसा के भवन मेरे गुरुदेव नमन लेखक : अजय 'अहिंसा बाखल (म.प्र.)
  6. गुरु की वाणी समाई जिसने,गुरु सी किस्मत उसी ने पाई गुरु कृपा से ही पाई हमने-गुरु चरण रज जो सिर लगाई गुरु हैं ब्रह्मा गुरु है विष्णु-2 गुरु हैं शंकर गुरु हितंकर । गुरु में दिखती है सारी सृष्टि-2 गुरु ही दिखते जिसे तीर्थंकर गुरु............................ गुरु को अपने हृदय बसाया-2 सदा ही श्रद्धा से सिर झुकाया । गुरु के कदमों पे हम चलेंगे-2 ये भाव दिल में सहज की आया गुरु.......................... गुरु बिना है अधूरा जीवन-2 गुरु नहीं तो है उजड़ा उपवन गुरु मिलें तो महकता जीवन-2 गुरु मिलें जीवन सारा मधुवन गुरु.......................... गुरु है मेरे हृदय की धड़कन-2 गुरु ही जीवन में मेरे दर्पण गुरु से होती है शाम-सुबह-2 गुरु को है जिंदगी से अर्पण गुरु......................... न कोई जग में गुरु से प्यारा-2 गुरु ही सच्चा हितू हमारा गुरु से जिसका शुरु जो जीवन-2 उसी ने पाया है भव किनारा गुरु..........................
  7. ग्रेटर नोएडा में जैन यूथ वर्कशॉप की सुंदर शुरुआत जैन युवा प्रोफेशनल्स में दिखा जैन दर्शन सीखने का जज्बा *YOUTH WORKSHOP 2018* दिनांक 10 जून 2018 को आचार्य श्री विद्यासागर संयम स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में दिगम्बर जैन मंदिर ग्रेटर नोएडा में जीवन जीने की कला पर एक *युवा कार्यशाला* का सफल आयोजन किया गया। जिसमे 150 से अधिक लोगों ने भाग लिया। नई दिल्ली के जैनदर्शन विभाग,श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ,मानित विश्वविद्यालय से पधारे हुए जैन विद्या के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त दो विद्वान प्रो वीरसागर जी जैन व प्रो. अनेकांत कुमार जैन जी ने जैन धर्म और दर्शन के अनुसार जीवन जीने की सही कला क्या है इस विषय पर युवाओं को अत्यंत मनोवैज्ञानिक तरीके से संबोधित किया । डॉ वीरसागर जी ने जीवन में क्या महत्त्वपूर्ण है, हम अपने जीवन को अच्छा, सुंदर, चमकदार कैसे बना सकते हैं, इसको अत्यंत सरलता से बताया। डॉ अनेकांत कुमार जैन जी ने युवाओं में बढ़ते स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए जैन सिद्धातों पर आधारित stress management techniques की सुंदर व्याख्या की तथा कायोत्सर्ग के प्रयोग भी करवाये । मंच का संचालन श्रीमती श्रद्धा जैन, मंगलाचरण प्रस्तुति श्रीमती आशु जैन, अंजू जैन, सरोज जैन ने किया। इसमें समाज के गणमान्य सदस्य श्री सुखमाल जी, अमित जी, बृजेश चंद्र जैन जी, महेंद्र जी आदि उपस्थित रहे। स्मित जैन, अलंकृत जैन, शुभम जैन, सम्यक जैन, शुभनय जैन आदि युवाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। - श्रीमती आशु जैन ,ग्रेटर नोएडा Dr Anekant Kumar Jain JIN FOUNDATION New Delhi
  8. प्रतिभा मंडल वह समूह है जिसमें आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को अपना जीवन समर्पित करने वाली एवं उनके मार्गदर्शन में चलने वाली ब्रह्मचारिणी बहने प्रतिभास्थली कन्या आवासीय विद्यालय, महिला- हथकरघा प्रशिक्षण केन्द्र आदि का संचालन करती हैं वर्तमान में 5 जगहों पर प्रतिभास्थली कन्या आवासीय विद्यालय चल रहा है 1 जबलपुर (मध्य प्रदेश) 2 डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) 3 रामटेक (नागपुर, महाराष्ट्र) 4 पपौरा जी (टीकमगढ़, मध्य प्रदेश) 5 इंदौर (मध्य प्रदेश)
  9. जल्द शुरू हो रही हैं - *संयम स्वर्ण महोत्सव प्रतियोगिता* विद्यासागर.गुरु वेबसाइट पर 30 दिन चलने वाली प्रतियोगीता में प्रत्येक दिन एक नई प्रश्नावली होगी, और हर दिन मिलेंगे उपहार | https://vidyasagar.guru/quizzes/category/2-1 *इस के अतिरिक्त* आप अपने समाज के नाम से / प्रतिष्ठान के नाम से भी इस वेबसाइट पर एक प्रतियोगिता रख सकते हैं - जिसमे पूरा भारत ही नहीं अपितु विश्व का जैन समाज भाग ले सकेगा आप खुद चुने प्रश्न और आप स्वयं दे इनाम | जैसे जैन समाज अशोक नगर की तरफ से आयोजित एक प्रतियोगिता, जैन समाज गुना की तरफ से आयोजित संयम स्वर्ण महोत्सव प्रतियोगिता | आप अगर कोई समूह चलाते हो जैसे श्री न्यूज़, AB न्यूज़, प्रतियोगिता अहिंसा न्यूज़, प्रतियोगिता, जिनवाणी चैनल प्रतियोगिता , पारस चैनल प्रतियोगिता , जिन साशन प्रतियोगिता , नमोस्तु शासन प्रतियोगिता | मुनि दीक्षा की ५० वर्ष में तो उपहारों की बरसात होनी चाहिए - ऐसा हमारा सोचना हैं | *यह प्रतियोगिता एक प्रयास हैं गुरु प्रभावना करने का - और विद्यासागर.गुरु वेबसाइट को जन जन तक पहुचाने का* - जिसके माध्यम से हम सभी प्रतिदिन स्वाध्याय कर पाएं, और अपने जीवन को उत्कर्ष पथ पर अग्रसर कर सकें | *आप दे सकते हैं सहयोग*, बन सकते हैं पुण्यार्जक, आप अपने मंदिर में इस वेबसाइट की और प्रतियोगिता की सुचना लगा सकते हैं , सभी को वेबसाइट मोबाइल में खोलके दिखाए और साथ ही उनका अकाउंट बनादे | आपके पास कोई सुझाव हो तो हमे जरूर भेजे - हम चाहते हैं यह प्रयास सफल हो | हमारा प्रयास आपका सहयोग www.Vidyasagar.Guru नोट - रूपरेखा अभी फाइनल नहीं हुई हैं - बदलवा संभव
  10. आप इसमें और तस्वीर न डाले - सिर्फ अपने भाव व्यक्त करें - नमोस्तु लिखे , कविता लिखे
  11. भाषा माध्यम विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार https://vidyasagar.guru/quotes/anya-sankalan/bhaasha-maadhyam/
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