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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • जिनके दर्शन को तरसते है यहाँ लाखों नयन

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    जिनके दर्शन को तरसते है यहाँ लाखों नयन

    मेरे गुरुदेव नमन-2

    जिनकी मुस्कान से खिलते है यहाँ मन के चमन

    मेरे गुरुदेव नमन-2

     

    छोड़ घरबार को महावीर का पथ स्वीकारा-2

    यूँ कषायों को कषा वेश दिगंबर धारा-2

    बिछौना धरती को बना के ओढते हो गगन

    मेरे गुरुदेव नमन

     

    देखकर जिनको चित्रकार भी खो जाते है ।

    यहाँ जो आते हैं बस इनके ही हो जाते है-2

    जिनके तप को डिगा पाते नहीं सर्दी औ तपन

    मेरे गुरुदेव नमन 

     

    मैं तो गुरुदेव की महिमा का क्या बखान करूँ

    शब्द बौने हैं कैसे मैं तेरा गुणगान करूँ-2

    बिन तेरे सूने से लगते है अहिंसा के भवन

    मेरे गुरुदेव नमन

     

    लेखक : अजय 'अहिंसा

    बाखल (म.प्र.)


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