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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

रतन लाल

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  1. यदि सम्यग्दर्शन के निकट पहुँचना चाहते हो तो दया, जो धर्म का मूल है उसे जीवन में उच्च स्थान देना होगा।
  2. आज दया की भावना का नितांत अभाव होता जा रहा है इसलिए महापुरुषों का अभाव धरती पर होता जा रहा है।
  3. जीवन की रक्षा चाहते हो तो हरियाली की रक्षा करो, पर्यावरण की रक्षा करो, धरती की रक्षा करो, बचाओ पर्यावरण, नहीं तो अकालमरण।
  4. गाय और गोबर दोनों पर्यावरण के संरक्षक हैं, ये पृथ्वी के भार नहीं है। गाय जितना खाती हैं, उससे अधिक खाद देती है। यह प्रयोग द्वारा सिद्ध हो गया है कि जहाँ गाय-बैल आदि रहते हैं, उस स्थान पर यदि टी.बी. के मरीज को बैठा दिया जाए तो उसकी बीमारी ठीक हो जाती है।
  5. देश के लिए कुछ कर जाओ लेकिन कर्जा मत करना, हमने आज भारत की क्या दशा कर दी।
  6. हथकरघा से देश में रोजगार बढ़ेगा, बेरोजगारी कम होगी। बड़ी-बड़ी पढ़ाई करके चपरासी बनने की अपेक्षा श्रम करो, श्रमिक बनी, स्वाभिमान से जियो, न शोषित होओ, न शोषण करो। इसी कारण तो भारत सोने की चिड़िया था। बिना परिश्रम के वह पिंजड़े की चिड़िया बन गई है, जो पर के आश्रित हो गई है और भीख माँग रही है।
  7. कोई भी निष्कर्ष तभी निकलता है जब हम गुणवत्ता को अच्छे से परख लेते हैं। कुशल तैराक भी बाढ़ में बह जाता है। उसी प्रकार आप लोग भी विज्ञापन की बाढ़ में बह रहे हो।
  8. पर्यावरण की खराबी के लिए सबसे बड़ा प्रदूषण रासायनिक खादों का है। इन जहरीली रासायनिक खादों के कारण फसल प्रदूषित हो चुकी है।
  9. आज विज्ञान अपनी योग्यताओं का दुरुपयोग करने लगा है जिससे मानव जीवन के लिए ही नहीं वरन् सम्पूर्ण जीवन चक्र के लिए वह खतरनाक सिद्ध हो रहा है।
  10. सही दिशा में पसीना बहाते जाओ क्योंकि पसीना न बहे तो अस्पताल जाना पड़ता है। पसीना बहाने से स्वास्थ्य और मन दोनों अच्छे रहते हैं।
  11. निरन्तर चलायमान रहें पीछे लौटने का या बदलने का उपक्रम न करें।
  12. आपके परिवार का विद्याथी जब संस्कारित होकर शिक्षा ग्रहण करेगा तो वो समाज को भी और राष्ट्र को भी सही दिशा की ओर अग्रसर कर सकेगा।
  13. भारत एक ऐसा वट वृक्ष है जिसकी जड़ें बहुत गहरी हैं, परन्तु विदेशी संस्कृति के रोपण से इस वृक्ष की सूरत हमने बिगाड़ ली है।
  14. विद्यार्थियों को जब तक शुद्ध आहार नहीं मिलेगा उनका शारीरिक और मानसिक विकास सम्भव नहीं है।
  15. पहले भारत से दूध, दही, घी का निर्यात होता था, आज क्या हो रहा है; ये सोचना जरूरी है। हमें उजाले का चिंतन करना है।
  16. आज शिक्षा के नाम पर जो छल किये जा रहे हैं वो हमारी संस्कृति पर कुठाराघात है और ये सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। गोधूलि बेला में गाय-भैंस लौटकर आ जाते हैं फिर वो जुगाली करते हैं जिससे अंदर सार-तत्व बनते हैं जिससे दूध बनता है। आपके लिए भी कुछ सिद्धान्त बनाए गए हैं जो आपके ज्ञान को विकसित करने में सहायक सिद्ध होते हैं, आप जिनवाणी बगल में नहीं सामने रखोगे तभी ज्ञान की प्राप्ति हो सकेगी। आप बच्चों को भी यदि संस्कारित करना चाहते हो तो उन्हें ज्ञान का सही मार्ग दिखाने का उपक्रम करें।
  17. आज शिक्षा के नाम पर जो छल किये जा रहे हैं वो हमारी संस्कृति पर कुठाराघात है और ये सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। गोधूलि बेला में गाय-भैंस लौटकर आ जाते हैं फिर वो जुगाली करते हैं जिससे अंदर सार-तत्व बनते हैं जिससे दूध बनता है। आपके लिए भी कुछ सिद्धान्त बनाए गए हैं जो आपके ज्ञान को विकसित करने में सहायक सिद्ध होते हैं, आप जिनवाणी बगल में नहीं सामने रखोगे तभी ज्ञान की प्राप्ति हो सकेगी। आप बच्चों को भी यदि संस्कारित करना चाहते हो तो उन्हें ज्ञान का सही मार्ग दिखाने का उपक्रम करें।
  18. सत्पुरुषों की कथाओं को पढ़कर के आँखों में से विकृत पानी को निकाल दीजिए और उन कथाओं से सबक लें
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