आज जो मूक हैं, निर्दोष हैं, अनाथ हैं, ऐसे निरीह जानवरों की आँखों में आँसू हैं, वो पशु अपनी करुण पुकार किससे कहें क्योंकि उनके पास वचन नहीं, वे बोल नहीं सकते। यदि वे मूक प्राणी बोलना जानते होते तो अवश्य किसी कोर्ट में अपनी याचिका दायर कर देते, अपने अत्याचारों की कहानी सुना देते लेकिन हम इन्सान हैं, जो बोलने-सुनने वाले होकर भी कुछ न समझ रहे हैं और न सुन रहे हैं। यही सबसे बड़ी विडम्बना है।