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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

रतन लाल

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  1. आज तक किसी पशु की नजर आदमी को नहीं लगी, मनुष्य की नजर बहुत विषैली है, इतनी विषैली कि गाय के स्तनों में भरा दूध भी सूख जाता है, पत्थर कट जाता है-पिघल जाता है। आज आदमी की नजर पशुओं को लगी हुई है, आज आदमी विश्व भक्षी बन गया है।
  2. अनर्थ वही करता है, जो परमार्थ को भूल जाता है जो परमार्थ को याद रखता है वह व्यक्ति अनर्थ नहीं कर सकता।
  3. मनुष्य को अपनी जीवन शैली शुद्ध कर लेना चाहिए यदि मनुष्य सुधर जाएगा तो सारी दुनिया सुधर जाएगी, खतरा प्रकृति से नहीं मनुष्य से है।
  4. यदि भारत की पवित्र संस्कृति और सभ्यता को पवित्र रखना चाहते हो तो भारत से मांस का निर्यात बंद कर दी। मांस बेचना भारतीय संस्कृति नहीं, बस! यही स्वर्ण जयन्ती की सार्थकता है।
  5. मतदान के बिना लोकतंत्र एकमात्र भार है जिसे आपने उठा रखा है। उसका भीतर से आपको परिचय नहीं है। जो जो मतदान कर रहे हैं वो तो फिर भी कथचित् मतदान देकर के कम से कम लोकतंत्र को जीवित रख रहे हैं। हहैollow0
  6. आजकल तो फटे कपड़े पहनना फैशन बन गया है। कपड़े फाड़-फाड़ कर पहने जा रहे हैं। समाज के प्रतिष्ठित वर्ग के बच्चे या राजनेताओं के बच्चे ऐसी वेशभूषा पहनते हैं जिनको देखकर शर्म आ जाए। २-३ जगह कपड़े को फाड़ देते हैं और उसमें या तो थिगड़ा लगा हुआ है या नहीं लगा हुआ है। उसमें कई सारे जेब होते हैं। उनको देखकर लगता है कि ये आखिर क्या दिखाना चाहते हैं?
  7. जब शनिवार आएगा तभी तो रविवार आएगा। कभी सोमवार के बाद रविवार नहीं आता इसलिए अच्छे समय का भी इंतजार करो क्योंकि वो भी निर्धारित समय पर आता है
  8. अहिंसा धर्म का पालन करते हुए अनीति को छोड़ नीतिपूर्वक कार्य करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए; तभी सच्चा प्रजातंत्र माना जायेगा।
  9. राजा हमेशा प्रजा के लिए समर्पित भाव से कार्य करता है तो प्रजा भी अपना दायित्व निभाने के लिए तत्पर होती है। मत का मतलब मन का अभिप्राय होता है। लोकनीति लोक संग्रह है, लोभ संग्रह नहीं
  10. चुनाव के समय ही नहीं, आचार संहिता हमेशा के लिए लागू होना चाहिए सही
  11. जो अपनी आलोचना करता है दुनिया कभी उसकी आलोचना नहीं करती।
  12. भारतीय संस्कृति के मूलभूत सिद्धान्तों को पकड़कर रखी उसके अनुसार जीवन बनाओ-जीयो तो गेहूँ की फसल के समान मूल्यवान बने रहोगे फिर कोई फेंकेगा नहीं उपयोग करेगा।
  13. अपने बच्चों का सुरक्षित भविष्य चाहते हो तो उस पर ध्यान देना प्रारम्भ करो। उसे 'मोबाइल मेन' नहीं बनाओ, उसे अच्छा मेन बनाओ।
  14. श्रेष्ठता का मापदंड बड़ेपन से नहीं बल्कि बड़प्पन से माना जाता है। जो बड़े होते हुए भी कभी अपने को बड़ा सिद्ध करने की होड़ में नहीं लगते उन्हीं के भीतर से बड़प्पन झलकता है।
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