आज सात्विकता समाप्त होने के कारण से ऐसी दशा हो रही है। मान-प्रतिष्ठा के कारण से हम चमक-दमक में फैंसते जा रहे हैं। मान-प्रतिष्ठा को बढ़ाने में प्रत्येक व्यक्ति लगा हुआ है। सब अपनी चिन्ता में है, देश की चिन्ता किसी को नहीं। भगवान् के स्वरूप को उनके दर्शन से लाखों व्यक्तियों में परिवर्तन आ जाता है। आज भारत की इस धरती पर ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है, जो चारों तरफ शान्ति का वातावरण ला सके। आज हमें ऐसे दीपक की आवश्यकता है, जो इस अन्धकार को दूर कर सके, ऐसे रत्नदीपक की बहुत आवश्यकता है।