वास्तविक ऋद्धि तो वीतराग है, जिससे केवल ज्ञान प्राप्त हो सकता है, वह अनन्त है, अविनश्वर है। वीतराग की ऋद्धि को लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ेंगे तो अनादि का दुख छूट जाएगा और अविनश्वर सुख की प्राप्ति होगी। सांसारिक ऋद्धियों के लिए अनन्त समय बीत गया और केवलज्ञान की ऋद्धि के लिए अन्तर्मुहूर्त चाहिए। सम्यक दर्शन, ज्ञान, वीतरागता ही ऋद्धि है बाकी सब विषयों की वृद्धि हैं, उनसे केवलज्ञान नहीं होगा। अत: ऋद्धियों पर मद नहीं करना चाहिए। केवलज्ञान प्राप्त करने के साधनों को अपनावें और शक्ति का सदुपयोग करें।