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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

रतन लाल

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  1. आप अकेलो अवतरे मरे अकेलो होय मरती बिरिया इस जीव को साथी सगा न कोय
  2. वन्दना या दर्शन करते समय इतना ध्यान अवश्य रखना चाहिये, वन्दना का प्रयोजन भोग की प्राप्ति न हो, अपितु कर्मों का क्षय हो, अभव्य-जीव भोग के निमित्त धर्म करता है। पर, भव्य-प्राणी कर्म-क्षय के लिए धर्म करता है, कितना अन्तर है दोनों में, एक का लक्ष्य संसार है और दूसरे का लक्ष्य मुक्ति।
  3. गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारीगुरु आपने गोविंद दियो बताए
  4. स्वाध्याय का शब्दार्थ होता है-'स्व' यानी अपने आपको प्राप्त करना, जिसने अनेक शास्त्रों को पढ़कर भी 'स्व' को प्राप्त नहीं किया उसका शास्त्र पढ़ना सार्थक नहीं।
  5. गौ धन गज धन गाज धन और रतन धन खान जब आवे संतोष धन सब धन धुरि समान
  6. मेरा है सो जावे नहीं जावे सो मेरा नहीं
  7. जहां मन को शांति मिलती है वह मंदिर है
  8. सटीक विश्लेषण व ज्ञानवर्धक
  9. कोई ऐसे मुहूर्त नहीं आने वाले हैं जो हमें बह्मा बना दें, किन्तु आदिब्रह्मा आदिनाथ भगवान् को देखकर हम अपने आप को शुद्ध कर लें जैसे दर्पण में देखकर अपने मुख को साफ किया जा सकता है। उसी भाँति हमें अपने जीवन की कमियों को निकाल करके अपने आप के स्वरूप को व्यक्त करने का प्रयास करना है, चाहे आज करो, चाहे कल करो, कभी भी करो करना आपको है। जब कभी भी दर्पण मिलेगा तो यही एकमात्र आदर्श मिलेगा। इन्हीं के लक्षण से, इन्हीं के दर्शन से और इन्हीं के कहे हुए के अनुसार आचरण करने से वह बुद्धत्व, सिद्धत्व प्राप्त हो जाता है।
  10. सिद्ध क्षैत्रों, तीर्थ क्षैत्रों की वन्दना करो
  11. तृष्णा की खाई भरी नहीं, वह रिक्त रही वह रिक्त रही
  12. जो व्यक्ति अपने भविष्य को उन्नत करना चाहता है उसे भी अपनी मिथ्या परम्परा को छोड़कर सम्यक्र परम्परा की शरण में आना चाहिए।
  13. कभी सोचा है आप लोगों ने पंचकल्याणक महोत्सव क्या होता है? उद्धार की बात जिसमें निहित है, वह पंचकल्याणक होता है। उसमें मेरा कहना है कि पंचों का भी कल्याण होना चाहिए। प्राय: लोग यह कहते हैं कि पंचकल्याण होता है। पंचों का कल्याण नहीं होता। पंचों का कल्याण नहीं होता क्योंकि प्रपंचों में पड़े रहते हैं इसे भली-भाँति समझने पर प्रपंचों को छोड़ने पर कल्याण हो सकता है। इन पंचकल्याणकों से शिक्षा लेनी चाहिए।
  14. गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए
  15. माता पिता की आज्ञा का पालन करने वाले उच्च होते हैं
  16. धैर्य और संयम से सब संकट टाला जा सकता है
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