स्वानुभव की,
समीक्षा पर करें,
तो आँखें सुने।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम से ह
दुग्ध पात्र में,
नीलम सा जीव है,
तनु प्रमाण ।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम से
आलोचन से,
लोचन खुलते हैं,
सो स्वागत है।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम से हम अपन
तुम्बी तैरती,
औरों को भी तारती,
छेद वाली क्या ?
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम स
क्या सोच रहे,
क्या सोचूँ जो कुछ है,
कर्म के धर्म।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
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क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम
उनसे मत,
डरो जिन्हें देख के,
पारा न चढ़े।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
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क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम से हम अ
वीतरागी गुरुओं का जीवन दया और करुणा से भरा हुआ होता है। वह अपने दु:ख को सहन करने के लिए वज्र के समान कठोर हो जाते हैं, और दूसरे के दु:ख को देखकर नवनीत या मोम की तरह पिघल जाते है जब मेरे पैर में तकलीफ थी, तब आचार्य श्री जी कक्ष के सामने से देव वंदना के लिए निकले। कुछ 10-25 कदम आगे निकल गए, अचानक उन्हें कुछ याद आया, कि मुझे पैर में दर्द है। देव वंदना के पूर्व ही मेरे कक्ष में लौट कर आ गए।
मैंने नमोस्तु करते हुए कहा- "आचार्य श्री जी आप देव वंदना के बाद भी तो आ सकते थे, आप बीच से ही लौट आए?"
?????????? ☀☀ संस्मरण क्रमांक 53☀☀
? परीषय-विजय ?
आचार्य महाराज का उन दिनों बुन्देलखंड में प्रवेश हुआ था।उनकी निर्दोष मुनि-चर्या और अध्यात्म का सुलझा हुआ ज्ञान देखकर सभी प्रभावित हुए।कटनी में आए कुछ ही दिन हुए थे कि महाराज को तीव्र ज्वर हो गया। प.जगन्मोहनलाल जी की देखरेख में उपचार होने लगा।सतना से आकर नीरज जी भी सेवा में संलग्न थे।एक दिन मच्छरों की बहुलता देखकर पंडित जी ने रात्रि के समय महाराज के चारों ओर पूरे कमरे में मच्छरदानी लगवा दी।
सुबह जब महाराज ने मौन खोला तो कहा कि- य
☀☀ 52वां स्वर्णिम संस्मरण ☀☀
? बालक समान भोले ?
आचार्य ज्ञानसागर जी के पास मेरे जैसे(विद्याधर)बच्चों की अनवरत भीड़ लगी रहती थी। उनमें कितनी दया और करुणा होगी कि मुझसे यह भी नहीं पूछा कि-तुम कितने पढ़े हो और पूछ भी लेते तो बताने की हिम्मत भी मुझ में नहीं होती,कौन सी भाषा में हम बताते। वह करुणावान थे।ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो उनके बाद नि:संकोच नहीं होता हो।
(आचार्य विद्यासागर जी)
अपने गुरु के समान ही आचार्य श्री जी में उनके गुरु के अनंत गुण समाहित हैं।
बात 9 सितम्बर 2017 रामटे
☀☀ 51वां स्वर्णिम संस्मरण ☀☀
? महान आचार्य ?
नैनागिरी पंचकल्याणक पूरे हुए।गजरथ की प्रदक्षिणा होनी थी।दो- तीन लाख लोग क्षेत्र पर उपस्थित हुए थे।यह सब आचार्य महाराज के पुण्य प्रताप का फल था।देखते ही देखते यथासमय गजरथ की फेरी सम्पन्न हो गई और महाराज संघ-सहित प्रतिष्ठा-मंच पर विराज गए।आशीर्वचन सुनने का सभी का मन था। इसी बीच कई लोगों ने एक साथ आकर अत्यंत हर्ष-विभोर होकर कहा कि "आज जो भी हुआ,वह अद्भुत हुआ है,उसे आपका आशीर्वाद और चमत्कार ही मानना चाहिए।आज के दिन इतने कम साधनों के बावजूद
☀☀ 50वां स्वर्णिम संस्मरण ☀☀
? विश्ववंदनीय ?
बात महाराजपुर की है, पंचकल्याणक का अंतिम दिन था, सुबह आहार के समय निकलते हुए सब महाराजों ने आचार्य भगवन को नमोस्तु किया, आचार्य श्री जी ने आशीर्वाद दिया, और अंजुली बांधने से पहले रुक गए और कहा कि- सभी महाराज ध्यान रखे, मौसम बदल गया है,ठंड नही गर्मी है, कुछ अलग प्रकार का बहुत गरम मौसम हो गया है, आहार पानी अच्छे से लेकर आना, पंचकल्यानक की परिक्रमा बड़ी और लंबी है , बहुत तेज धूप है आहार अच्छे से करके आना।
हमे आश्चर्य लगा, क्योंकि कभी आचा
?????????? ☀☀ संस्मरण क्रमांक 49☀☀
? अद्भुत गुरु भक्ति ?
आज सारे विश्व को एक अद्भुत हीरा,जो युगों-युगों तक चमकेगा, ऐसे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज रूपी हीरे को देने का श्रेय पूज्य आचार्य भगवन श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराजको जाता है।
अध्यात्म सरोवर के राजहंस आगम की पर्याय संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसे महाश्रमण, जिन के चरणों में नतमस्तक होते हैं जिनका गुणानुवाद करते हुए भाव विभोर होते हो, अपनी ह्रदय वेदिका पर उन्होंने जिन्हें प्रतिष्ठित कर रखा है।ऐसे पू
☀☀ संस्मरण क्रमांक 48☀☀
? इंटेन्शन ?
गर्मी का समय था , विहार चल रहा था। सामायिक के उपरान्त मै आचार्य गुरुदेव के चरणों के समीप जाकर बैठ गया, नमोस्तु किया । आचार्य श्री जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा - क्यों कुंथु गाड़ी (स्वास्थ) ठीक है , आज थोड़ा ज्यादा चलना है। मैने कहा जी आचार्य श्री जी लेकिन गर्मी बहुत है । ऐसी गर्मी में जमीन बहुत गर्म है , लू चल रही है । इतनी धूप में जल्दि विहार कैसे करेगे । आचार्य महाराज कुछ चिन्तन करने के बाद बोले - भैया ठंड दिमाग से चलो भले गर्मी में
☀☀ संस्मरण क्रमांक 47☀☀
?
?????????? ☀☀ संस्मरण क्रमांक 47☀☀
? आत्मसूर्य ?
रात बहुत बीत गई थी । सभी लोगो के साथ मैं भी इन्तजार कर रहा था, कि आचार्य महाराज सामायिक से उठे और हमे उनकी सेवा का अवसर मिले। कितना अद्भुत है जैन मुनि का जीवन कि यदि वे आत्मस्थ हो जाते है तो स्वयं को पा लेते है और आत्म-ध्यान से बाहर आते है, तो हम उन्हे पाकर अपने आत्मस्वरूप में लीन होने का मार्ग जान लेते है।
उस दिन दीपक के धीमे- धीमे प्रकाश में उनके श्रीचरणों में बैठकर बहुत अपनापन महसूस हुआ,ऐसा लग
☀☀ संस्मरण क्रमांक 46☀☀
? अनुकम्पा ?
सागर से विहार करके आचार्य महाराज संघ सहित नैनागिरी आ गए।वर्षाकाल निकट था पर अभी बारिश आई नहीं थी। पानी के अभाव में गांव के लोग दुखी थे। एक दिन सुबह सुबह जैसे ही आचार्य महाराज शौच क्रिया के लिए मंदिर से बाहर आए, हमने(क्षमासागर जी) देखा कि गांव के सरपंच ने आकर अत्यंत श्रद्धा के साथ उनके चरणों में अपना माथा रख दिया और विनोद भाव से बुंदेलखंडी भाषा में कहा कि- "हजूर!आपखों चार मईना ईतई रेने हैं और पानू ई साल अब लों नई बरसों, सो किरपा करो,पानू जरूर चानें है
☀☀ संस्मरण क्रमांक 45☀☀
? त्रिसंध्याभिवंदी ?
आचार्य भगवन चारों दिशाओं में दिग्वंदना करने के बाद तीनों काल की सामायिक से पहले अथवा बाद में स्वयंभू स्तोत्र प्रतिदिन पूर्वाह्न,मध्यान्ह,औरअपराह्न में पढ़ते हैं।इस प्रकार 24 तीर्थंकरों की स्तुति वह तीव्र राग भक्ति से पढ़ते हैं। नंदीश्वर भक्ति भी तीनों संध्याओं में आप पढ़ते हैं। सामायिक पाठ- सत्त्वेषु मैत्री.......(संस्कृत वाला सामायिक पाठ) इसका भी पाठ करते हैं।इस प्रकार अर्हतभक्ति, तीर्थंकरभक्ति,तीर्थभक्ति, चैत्यभक्ति इत्यादि भक्ति
☀☀ संस्मरण क्रमांक 44☀☀
? शिथिलाचार विनाशक ?
मुनिराज छहकाय के जीवों की हिंसा से विरक्त होते हैं,आधुनिक युग में विद्युत प्रयोग से उत्पन्न अनेक साधन उपलब्ध होते हैं। आचार्य भगवन रात्रि में पठन, लेखन आदि क्रिया ना स्वयं करते ना संघस्थो को करने के लिए अनुमोदित करते हैं।
नैनागिरी शीतकाल में एक बार संघस्थ नव दीक्षित शिष्य ने आचार्य भगवंत से निवेदन करते हैं कि- रात्रि प्रतिक्रमण हम लोग रात में पढ़ नहीं सकते हैं इसलिए आपकी आज्ञा चाहते हैं कि बाहर प्रकाश उत्पन्न करने वाली लालटेन हैं,क
पौधे न रोपे,
छाया और चाहते,
निकम्मे से हो।(पौरुष्य नहीं)
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
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क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके
शून्य को देखूँ,
वैराग्य बढ़े-बढ़े,
नेत्र की ज्योति।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
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क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्
उससे डरो,
जो तुम्हारे क्रोध को,
पीते ही जाते।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
लिखिए हमे आपके विचार
क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम से
घी दूध पुन:,
बने तो मुक्त पुन:,
हम से रागी।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
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क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम से हम
काले मेघ भी,
नीचे तपी धरा को,
देख रो पड़े।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
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क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
इसके माध्यम से हम
भूत सपना,
वर्तमान अपना,
भावी कल्पना।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
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