अद्भुत गुरु भक्ति - संस्मरण क्रमांक 49
?????????? ☀☀ संस्मरण क्रमांक 49☀☀
? अद्भुत गुरु भक्ति ?
आज सारे विश्व को एक अद्भुत हीरा,जो युगों-युगों तक चमकेगा, ऐसे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज रूपी हीरे को देने का श्रेय पूज्य आचार्य भगवन श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराजको जाता है।
अध्यात्म सरोवर के राजहंस आगम की पर्याय संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसे महाश्रमण, जिन के चरणों में नतमस्तक होते हैं जिनका गुणानुवाद करते हुए भाव विभोर होते हो, अपनी ह्रदय वेदिका पर उन्होंने जिन्हें प्रतिष्ठित कर रखा है।ऐसे पूज्य परम श्रद्धेय आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज महाराज के प्रति आचार्य श्री का अद्भुत समर्पण, असीम प्रेम और अद्वितीय गुरु भक्ति दिखाई देती है।
एक बार पिच्छिधारी एक शिष्य ने आचार्य श्री जी से पूछा- "भगवन!आपको अपने गुरु (ज्ञान सागर जी)की याद आती होगी।" आचार्य श्री बोले- "आनी ही चाहिए,सपनों में खूब दिखते हैं।सल्लेखना वाला दृश्य भी दिखता है,मुझे तो लगता ही नहीं कि वह है ही नहीं। शिष्य ने कहा- यह आपकी आस्था की सघनता है आचार्य श्री जी बोले - "हमारी आस्था भी वह है, रास्ता भी वह है और शास्ता (गुरु) भी वो ही हैं।यह याददाश्त भी उन्हीं की है।"
सच में आचार्य श्री जी अपने गुरु ज्ञानसागर जी महाराज के अनंत उपकारों का हमेशा स्मरण करते रहते है।
आचार्य श्री जी, ज्ञानसागर जी महाराज के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा करते है- वे तो धन्य थे ही, हम अपने आपको भी धन्य समझते हैं कि उन्होंने अपने पास रखते हुए हमें ऐसी उत्कृष्ट सल्लेखना भी दिखा दी।
? आचार्य श्री विद्यासागर पत्राचार पाठ्यक्रम प्रणामाञ्जली भाग 1 से साभार?
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