इंटेन्शन - संस्मरण क्रमांक 48
☀☀ संस्मरण क्रमांक 48☀☀
? इंटेन्शन ?
गर्मी का समय था , विहार चल रहा था। सामायिक के उपरान्त मै आचार्य गुरुदेव के चरणों के समीप जाकर बैठ गया, नमोस्तु किया । आचार्य श्री जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा - क्यों कुंथु गाड़ी (स्वास्थ) ठीक है , आज थोड़ा ज्यादा चलना है। मैने कहा जी आचार्य श्री जी लेकिन गर्मी बहुत है । ऐसी गर्मी में जमीन बहुत गर्म है , लू चल रही है । इतनी धूप में जल्दि विहार कैसे करेगे । आचार्य महाराज कुछ चिन्तन करने के बाद बोले - भैया ठंड दिमाग से चलो भले गर्मी में चलो , कुछ नही होगा । "इंटेन्शन ठीक रखो टेंशन नही होगा ।" मैने कहा आप तो है हमारा इंटेन्शन सुधारने वाले और टेंशन दूर करने वाले । फिर हमें काहे का टेंशन *सभी लोग हस पड़े)। सच बात है, गुरुजी को जीवन समर्पित कर देने के बाद हमे तनाव मुक्त हो जाना चाहिए।
गुरु को नाव
बना बैठा तू , फिर
क्यों तनाव में
? संस्मरण पुस्तक से साभार ?
✍ मुनि श्री कुंथुसागर जी महामुनिराज✍
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