केवल ज्यादा पैसों की बोली लगाने से कुछ नहीं होता, तनाव को कम करने के लिए दान देते हैं। जबकि तन को दूर करने के लिए दान दिया जाता है। यह उद्गार राष्ट्रीय जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने देवरी के दिगंबर जैन मंदिर परिसर में व्यक्त किए। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज सुबह गोपालपुरा से देवरी नगर पहुंचे जहां देवरी जैन समाज द्वारा धूमधाम से अगवानी की गई। इसके बाद आहार चर्या का सौभाग्य नन्हे भाई जैन परिवार को मिला।
प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने कहा कि आप लोग केवल देहरी पर रह रहे हैं इसलिए भीतर की बात समझ में नहीं आती है, देहरी घर के बाहर रहती है। जैसे बीना जी अतिशय क्षेत्र की देहरी देवरी है और अभी में देहरी पर आया हूं। उन्होंने कहा जब भीतर पहुंचो तभी भगवान से परिचय होता है। देहरी के बिना मंदिर में प्रवेश नहीं होता। आप लोग शांतिनाथ भगवान की ओर जा रहे हैं, इसलिए देहरी के बिना नहीं पहुंचा जा सकता है। आप लोगों को अपना कल्याण करना है तो भीतर जाना होगा। केवल जाने के लिए ज्यादा पैसाें की बोली लगाने से कुछ नहीं होता है। तनाव को टेंशन को कम करने के लिए लोग दान देते हैं तन को दूर करने के लिए दान दिया जाता है।
राष्ट्रीय जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज देवरी नगर से दोपहर 3 बजे ससंघ बिहार करते हुए शाम करीब 5 बजे अतिशय क्षेत्र बीना बारह पहुंचे। जहां उन्होंने गजरथ स्थल का मुआयना किया एवं बीना बारह में चल रहे मंदिरों का निर्माण कार्य और प्रतिमाओं का अवलोकन किया। शोभायात्रा में अखिलेश जैन, तेजी राजपूत, मयंक चौरसिया नपाध्यक्ष, प्रमोद जैन, ऋषभ जैन, रजनीश जैन, गौरव पांडे, विनीत, अभय, विनोद, कमल, मुकेश जैन ढाना, आकाश, अप्पू चौधरी, नीरज जैन, कल्लू बड़कुल आदि शामिल रहे।