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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. संस्कृतिक पर्यावरण मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा ओर कुसमारिया सासंद ने लिया आशीर्वादसंस्कृतिक पर्यावरण मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा ओर कुसमारिया सासंद ने लिया आशीर्वाद
  2. अब ग्रन्थकार मोक्ष का उपाय बतलाते हैं: सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः॥१॥ https://vidyasagar.guru/musicbox/play/462-audio/ अर्थ - सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र ये तीनों मिले हुए मोक्ष का मार्ग हैं। English - Right faith, right knowledge & right conduct (together) constitute the path to liberation. विशेषार्थ - इस सूत्र का पहला शब्द 'सम्यक् का अर्थ है - प्रशंसा। यह शब्द प्रत्येक के साथ लगाना चाहिए। यानि सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र। किन्तु ये तीनों अलग-अलग मोक्ष के मार्ग नहीं हैं, बल्कि तीनों का मेल ही मोक्ष का मार्ग है। इसी से सूत्र में एकवाची ‘मार्गः' शब्द रखा है। पदार्थों के सच्चे स्वरूप के श्रद्धान को सम्यग्दर्शन कहते हैं; पदार्थों के सच्चे स्वरूप के जानने को सम्यग्ज्ञान कहते हैं और जिन कामों के करने से कर्मबन्ध होता है, उन कामों के न करने को सम्यक्चारित्र कहते हैं। शंका - सूत्र में ज्ञान को पहले रखना चाहिए, क्योंकि ज्ञान-पूर्वक ही पदार्थों का श्रद्धान होता है। तथा दर्शन की अपेक्षा ज्ञान में थोड़े अक्षर हैं। इसलिए भी अल्प अक्षर वाले ज्ञान को दर्शन से पहले कहना चाहिए? समाधान - जैसे मेघ-पटल के हटते ही सूर्य का प्रताप और प्रकाश दोनों एक साथ प्रकट होते हैं, वैसे ही दर्शनमोहनीय कर्म के उपशम, क्षयोपशम अथवा क्षय से जिस समय आत्मा में सम्यग्दर्शन प्रकट होता है, उसी समय आत्मा के कुमति और कुश्रुत ज्ञान मिटकर मतिज्ञान और श्रुतज्ञान रूप होते हैं। अतः सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में काल भेद नहीं है, दोनों एक साथ होते हैं। यद्यपि ‘ज्ञान' अल्प अक्षर वाला है, किन्तु अल्प अक्षर वाले से जो पूज्य होता है, वही प्रधान होता है। दर्शन और ज्ञान में दर्शन ही पूज्य है; क्योंकि सम्यग्दर्शन के होने पर ही मिथ्याज्ञान सम्यग्ज्ञान हो जाता है। अतः पूज्य होने से सम्यग्दर्शन को पहले कहा है, उसके बाद ज्ञान को रखा है। तथा सम्यग्ज्ञानपूर्वक ही सम्यक्चारित्र होता है। इसी से चारित्र को अन्त में रखा है।
  3. मंगलाचरण मोक्ष-मार्गस्य नेतारं, भेत्तारं कर्म-भूभृताम्। ज्ञातारं विश्व-तत्त्वानां, वन्दे तद्-गुण-लब्धये॥ अर्थ - जो मोक्षमार्ग का प्रवर्तक है, कर्मरूपी पर्वतों का भेदन करने वाला है और समस्त तत्त्वों को जानता है, उसे मैं उन गुणों की प्राप्ति के लिए नमस्कार करता हूँ। English: I bow to the Lord, the promulgator of the path to liberation, the destroyer of mountains ( large heaps) of karmas and the knower of the whole reality, so that I may realize these qualities. विशेषार्थ - यहाँ तीन विशेषणों के साथ आप्त की स्तुति की है। प्रथम विशेषण से आप्त को परम हितोपदेशी बतला कर जगत् के प्राणियों के प्रति उनका परम उपकार दर्शाया है। दूसरे विशेषण से आप्त को निर्दोष और वीतराग बतलाया है; क्योंकि जगत् के समस्त जीवों को अपने स्वरूप से भ्रष्ट करने वाले मोहनीय कर्म तथा ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय कर्म का नाश करके ही आप्त होता है। तीसरे विशेषण से अपने गुणपर्याय सहित समस्त पदार्थों को एक साथ जानने के कारण आप्त को सर्वज्ञ बतलाया है। इस तरह परम हितोपदेशी, वीतराग और सर्वज्ञ ही आप्त है। उसी के उपदेश से शास्त्र की उत्पत्ति होती है, उसका यथार्थ ज्ञान होता है, तथा उसी के द्वारा सर्वज्ञता और वीतरागता की प्राप्ति होती है। अतः ग्रन्थ के प्रारम्भ में ऐसे आप्त को नमस्कार करना उचित ही है।
  4. View this quiz अपराजेय साधक आचार्य श्री विद्यासागर प्रश्नावली प्रतियोगिता आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के स्वर्णिम संयम महोत्सव पर परम पूज्य मुनि पुंगव श्री १०८ सुधासागर जी महाराज के आशीर्वाद व क्षुल्लक १०५ धैर्य सागर जी महाराज जी के निर्देशन से "अपराजेय साधक" पुस्तिका पर आधारित प्रश्नावली प्रतियोगिता--- अगर आपके पास ये पुस्तिका नहीं है तो यहाँ से डाउनलोड करें- सभी प्रश्न इसी पुस्तिका से ही लिए गए हैं। आप इस वेबसाइट पर अपना खाता (अकाउंट) बना कर भाग ले सकते हैं| आपको आपके अंक सब्मिट करने के बाद तुरंत मिल जाएँगे। इस प्रतियोगिता पर प्रथम पुरस्कार ५१०० रुपये, द्वितीय पुरस्कार ३१०० रुपये, तृतीय पुरस्कार २१०० रुपये, व ७ सांत्वना पुरस्कार ५०१ रुपये | एक से ज़्यादा प्रतियोगी होने पर पुरस्कार लकी ड्रॉ से (Random Number technique) निकाला जाएगा | आप इस वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल अपडेटेड रखें, ताकि आपको पुरस्कार की सूचना दी जा सके | सभी प्रतियोगी एक बार ही प्रश्नों का उत्तर दे पाएंगे| एक बार प्रविष्टि भेजने के उपरांत उसमें कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा| प्रतियोगिता की अंतिम तिथि 31 March 2018 कर दी गई हैं है| उपरोक्त नियमों मेंं परिवर्तन संभव | सभी सूचनाएँ इसी वेबसाइट से मिलेंगी| Reproduced from the quiz Prepared by Mr. Vineet Patni Jaipur Submitter संयम स्वर्ण महोत्सव Type Graded Mode Time 60 minutes Total Questions 50 Category प्रतियोगिताएँ Submitted 09/06/2017
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