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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. until
    पंचकल्याणक महोत्सव परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के सानिध्य में पंचकल्याणक महोत्सव अतिशय क्षेत्र श्री बीना बारह जिला सागर में 4 से 10 मार्च तक होने जा रहे है |
  2. मुनिश्री योगसागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार आज जबलपुर (मदर टेरेसा कॉलोनी) से पाटन की ओर हुआ।
  3. पूज्य मुनि पुंगव श्री 108 सुधासागर जी महाराज ससंघ का सुदर्शनोदय तीर्थ क्षेत्र आंवा से अभी-अभी हुआ विहार विहार दिशा:- आदिश्वर गिरी जी तीर्थ क्षेत्र सिलोर
  4. झूठा सच बचपन के जाने कितने सच बड़े होने पर झूठे मालूम पड़ते हाँ! क्या सचमुच बड़े होते-होते हम सच को झूठ करते जाते हैं? False truth So many truths Of our childhood Seem false when we Grow up. Do we really Turn all truths Into falsehood As we grow tall?
  5. प्रतियोगिता मैं उसी दिन समझ गया था जब मैंने ईश्वर होना चाहा था, कि अब कोई जरूर ईश्वर से बड़ा होना चाहेगा! और अब सब ईश्वर से बड़े हो गए हैं, कोई ईश्वर नहीं है! Competition The day I wished To be god, I knew that someone Now surely would want To be larger than god. Now everyone Is larger than god. No one is god.
  6. मैंने ऐसा क्यों सोचा आज जब चिड़िया देर तक मुझे एकटक देखती रही, फिर सहमी और सहसा उड़ गयी! मैं दिन भर उदास रहा, कि मैंने ऐसा क्यों सोचा कि चिड़िया का एक पिंजरा होता! Why Did I wish Today, the bird Looked at me intently, Then suddenly Flew away in fright. I was sad when I realized That I had wished For a cage To hold the bird in.
  7. फानूस पर चिड़िया कांच के नाजुक फानूस पर बैठी चिड़िया बहुत भोली और अच्छी लगती है, पर मन डरता है कि कहीं फानूस टूटकर गिर न जाए कि कहीं चिड़िया उड़ न जाए! Bird On the Glass Chandelier The bird looks So innocent and elegant Sitting on the delicate Glass of the chandelier. I fear, however That the glass may break And the bird will Fly away.
  8. चुप रह जाता हूँ जब कभी लगता है कि तुमसे पूछूँ- बच्चों की तरह, कि सूरज को रोशनी कौन देता है, कि आकाश में इतना नीलापन कहाँ से आता है, कि सागर में इतना पानी कौन भर जाता है, तब यह सोचकर कि कहीं तुम हंसकर टाल न दो कि मैं बड़ा हो गया हूँ मैं चुप रहा जाता हूँ! I Do Not Ask Sometimes I wish to ask you Like a mere child, ‘Please tell me, Who gives to the sun Its light? Who brings so much blueness To the sky? Who keeps The ocean Filled to the brim?’ But I do not ask. I am afraid That you may laugh And say, ‘You are no longer a child.’ And silence me.
  9. एक अनुभूति जितनी दूर देखता हूँ उतनी ही रिक्तता पाता हूँ जितना निकट आता हूँ उतना ही भर जाता हूँ! A Feeling There is only emptiness And more emptiness As I look farther And farther. When I come nearer, I am more and more Fulfilled.
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