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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. कुंडलपुर सिद्ध क्षेत्र की धरा में भक्तामर महामंडल विधान में बैठने वाले सभी श्रावक श्राबिकाओ को ध्यान देने योग्य बातें 1 मंगल कलश रखें 2 घी का दीपक रखें 3 कलाई में बांधने मौली रखें 4 पीली सरसों रखें 5 उच्च आसन पर एक ग्रंथ विराजमान करें 6 आचार्य श्री का फोटो रखें 7अष्ट द्रव्य का थाल सजाकर बीजाक्षर सहित भक्तामर विधान की पूजन करें 8 पारस चैनल पर दोपहर 2:00 से 4:00 तक प्रतिदिन 4 से 12 अक्टूबर तक । 9 यदि बन सके तो भक्तामर विधान का एक 1/1 फीट का फ्लेक्स का मंडल बनाकर विराजमान करें समस्त कार्य पूर्ण विशुध्दी के साथ करें 10 विधान पर्यंत रात्रि भोजन का त्याग रखें ! 11 अभक्ष्य पदार्थ का सेवन ना करें । 12 सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओं से दूर रहें परिणामों को निर्मल रखें ! महाअर्चना कर्म नाश का कारण बनेगी । !!धन्यवाद!! बिधानाचार्य संजीव भैया
  2. *आचार्यश्री के दर्शन करने पहुंचे मप्र उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह *न्यायमूर्ति ने कहा कि अब अधिकांश सुनवाई भी हिंदी में करेंगे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह ने मंगलवार को आचार्यश्री विद्यासागर से भेंट की और कहा कि आपकी प्रेरणा से पहली बार हिंदी में निर्णय दिया। अब अधिकांश सुनवाई हिंदी में ही हो रही है। । न्यायमूर्ति सिंह ने आचार्यश्री से चर्चा में बताया कि वर्ष 2016 में पहली बार आपके दर्शन भोपाल में किए थे। उस दिन आपने कहा था कि हिंदी भाषा में अधिक से अधिक कार्य करें। आपकी प्रेरणा पर अब मैंने क्रियान्वयन किया है। वर्ष 2020 के हिंदी दिवस से मेरी बेंच में होने वाली अधिकांश केस की सुनवाई हिंदी में हो रही है। गत दिनों एक मामले का निर्णय भी मैंने हिंदी में दिया था। इस पर आचार्यश्री ने कहा कि हमारा देश भारत गांवों में बसता है। देश की अधिकांश जनता अंग्रेजी नहीं समझती है। इसलिए देश के न्यायिक और प्रशासनिक कार्य हिंदी में होने चाहिए। इससे जिसके पक्ष में फैसले होंगे, वे लोग आसानी से समझ सकेंगे। आचार्यश्री ने कहा कि 200 साल पहले हमारे देश में अंग्रेजी नहीं थी, तब क्या हम उन्नाति नहीं कर रहे थे। विश्व में अनेक ऐसे देश भी हैं, जिन्होंने अपनी भाषा को नहीं छोड़ा है। वे देश भी आज के समय उन्नाति कर रहे हैं। इसके बाद फिर आचार्यश्री ने आशीर्वाद स्वरूप न्यायमूर्ति सिंह को धार्मिक पुस्तक दी। आचार्य श्री जी के विचार एवं सुझाव.pdf
  3. पूज्यगुरूदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी एवं संघस्थ मुनिश्री मुनिश्री दुर्लभसागर जी मुनिश्री निरामयसागर जी मुनिश्री श्रमणसागर जी मुनिश्री संधानसागर जी के प्रारम गार्डन, (निर्वाण गार्डन के पास), इंदौर में हुए केश लोच |
  4. राष्ट्र हित चिंतक, संत शिरोमणि, पूज्य 108 आचार्य विद्यासागर जी महाराज के विचार वर्तमान केंद्रीय सरकार के द्वारा प्रस्तावित नई शिक्षा नीति 2020 को समर्थन देने के पीछे एक ही भाव अवचेतन में चल रहा था कि, इसमें हिंदी और अन्य प्रांतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण देने की बात कही गयी थी। इसी परिपेक्ष में कस्तूरीरंगन समिति को हिंदी और अन्य मातृ भाषाओं के माध्यम से शिक्षण एवं इनके सार्वजनिक प्रयोग में आवश्यक सावधानी बरतने का सुझाव दिया गया था। मगर दुर्भाग्य से देश में सामान्य अथवा विशिष्ट वर्ग के सार्वजनिक संवाद में अंग्रेजी भाषा के शब्दों का चलन कम नहीं हो रहा है, बल्कि चिंता का विषय है, कि नई शिक्षा नीति के प्रवर्तन के बावजूद भी अंग्रेजी शब्दों का व्यापक प्रचलन बढ़ रहा है। यह चूक,लापरवाही अथवा गलती आगे चलकर भारी पड़ने वाली है। क्या हिंदी अथवा अन्य प्रांतीय भाषा कोष इतने गरीब है कि,उन्हें अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा से शब्दों को उधार लेना पड़ता है ? आखिर क्या कारण है कि हिंग्रेजी अथवा हिंग्लिश का जादू अब भी हमारे मस्तिष्क से नहीं उतरा है ? जब तक हम अगली पीढ़ी को शिक्षण संवाद में अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग से पढ़ाते रहेंगे, यह समस्या खत्म नहीं होगी। हिंदी और अन्य प्रांतीय भाषाओं को विकृत करने में अंग्रेजी का निर्णायक योगदान रहा है, इस तथ्य से भलीभांति परिचित होने के बावजूद भी, आज सामान्य संवाद में अंग्रेजी के शब्द सिर चढ़कर बोलते हैं, उदाहरण के तौर पर · स्कूल जाओ, · वाटर लाओ, · लाइट ऑन कर दो, · ऑनलाइन प्रोग्राम चल रहा है, · इत्यादि इत्यादि क्या फ्रांस,जर्मनी,चीन,इजराइल,जापान की जनता और उनके नेता अपने संवाद में इस प्रकार का खिचड़ी प्रयोग करते हैं ? अगर नहीं करते, तो हम ऐसा क्यों कर रहे हैं ? सामान्य वार्तालाप में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है, जिसके दीर्घकालिक गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे, भाषाई स्तर पर और सांस्कृतिक स्तर पर भी। इस देश का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनैतिक नेतृत्व को भी अपने भाषाई संस्कारों में अंग्रेजी शब्दों का बहिष्कार करना चाहिए, अन्यथा हिंदी और अन्य प्रांतीय भाषाएं कभी भी मुख्यधारा में अपना स्थान नहीं बना पाएंगी।खास तौर पर जब इस महान राष्ट्र के प्रधानमंत्री अथवा अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति अपने भाषणों अथवा वक्तव्य में अंग्रेजी भाषा के शब्दों का प्रयोग करते हैं, तो मुझे बहुत पीड़ा होती है। मुख्य रूप से सर्वोच्च राजनीतिक पदों पर बैठे व्यक्तियों यथा प्रधानमंत्री उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी अथवा राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री और उनकी नौकरशाही को सबसे ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, शब्दों के प्रयोग और चयन को लेकर,क्योंकि सामान्य वर्ग इनका अनुकरण करता है, अगर यह वर्ग इसी प्रकार अपने वक्तव्य अथवा संवाद में अंग्रेजी भाषा के शब्दों का प्रयोग करता रहेगा तो नई शिक्षा नीति अपने मूल उद्देश्य को कभी भी प्राप्त नहीं कर पाएगी। जिस प्रकार वर्तमान महामारी ने गंगा को शुद्ध कर दिया है,उसी प्रकार नई शिक्षा नीति को वाक् शुद्धि पर बल देना होगा,देश एक वाक्-गंगा शुद्धि अभियान की राह देख रहा है। मुझे बताया गया है कि विश्व के दस देशों ने भारत की नवीन शिक्षा नीति की प्रशंसा की है, और उसको अपनाने का आग्रह किया है, इसका मुख्य आधार हिंदी अथवा मातृ भाषाओं में शिक्षण देने का विचार रहा है , इसलिए हमारी वैश्विक जिम्मेदारी बनती है,कि किसी भी स्तर पर हम अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग ना करें और जरूरत पड़ने पर अनुवाद के माध्यम से नए शब्दों/भावों को हिंदी और अन्य प्रांतीय भाषाओं के भाषा कोष में जोड़ें। मुझे आशा है कि प्रबुद्ध जन उपरोक्त विचारों को स्वस्थ चेतावनी/सलाह के रूप में लेंगे, प्रतिक्रिया नहीं समझेंगे।
  5. परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के परम आशीर्वाद और मुनिश्री क्षमासागरजी महाराज की प्रेरणा से आयोजित 🥇 जैन युवा प्रतिभा सम्मान - 2020🥇 मैत्री समूह यंग जैन अवार्ड 2020 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित करता है । यंग जैन अवार्ड 2020 के लिए न्यूनतम योग्यता अंक: # 2020 में आयोजित परीक्षा में 10वीं में 85+% या # 12वीं विज्ञान में में 80+%, या 12वीं कला / वाणिज्य में में 75+% या # 2020 में आयोजित किसी प्रतियोगी परीक्षा में चयन # सीनियर अवार्डी - 2020 में ग्रेजुएशन / पोस्ट ग्रेजुएशन (केवल पूर्व यंग जैना अवार्डीस के लिए) (शारीरिक रूप से विकलांग उम्मीदवारों और राष्ट्रीय / राज्य स्तर के एथलीटों / या संगीत, कला में विशेष उपलब्धियों को न्यूनतम अंकों की बाध्यता नहीं होगी) आवेदन प्रक्रिया - आवेदन सिर्फ online www.MaitreeSamooh.com पर कर सकते हैं । आवेदन फ़ॉर्म की लिंक: HTTPS://maitreesamooh.com/yja2020 आवेदन की अंतिम तिथि : 30 September 2020 आवेदन संबंधी पूछताछ: Samooh.Maitree@gmail.com +91 97735 36530, +91 94254 24985, +91 89836 94093, +91 94065 50299 मैत्री समूह +91 94254 32295 +91 94254 24984
  6. उपलब्ध जैन-दर्शन साहित्य में प्राकृत-भाषा-निष्ठ साहित्य का बाहुल्य है। कारण यही है कि यह भाषा सरल, मधुर एवं ज्ञेय है। इसीलिए कुन्दकुन्द की लेखनी ने प्राकृत-भाषा में अनेक ग्रंथों की रचना कर डाली। उन अनेक सारभूत ग्रंथों में अध्यात्म-शान्तरस से आप्लावित ग्रंथराज 'समयसार' है। इसमें सहज-शुद्ध तल की निरूपणा, अपनी चरम सीमा पर सोल्लास 'नृत्य करती हुई. पाठक को, जो साधक एवं अध्यात्म से रुचि रखता है, बुलाती हुई सी प्रतीत होती है। यथार्थ में, कुन्दकुन्द ने अपनी अनुभूतियों को 'समयसार' इस ग्रंथ के रूप में रूपांतरित ही किया है। अमूर्त का हृदय मूर्त के माध्यम से देखना तो कठिन है ही, किन्तु दूसरों को दिखाना कठिनतम है। इस प्रकार से दुस्साध्य कार्य को सिद्ध करने का सौभाग्य आप जैसे महान्पूत पवित्र आत्माओं को ही प्राप्त है। तभी तो हम, आपकी इस कृति को बाह्य निमित्त बनाकर, उस निजी समयसारमय सरस सत्ता का रसास्वादन करने का परम सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं। इस अपूर्व कार्य में आप (कुन्दकुन्द) ही परम निमित्त हैं यह कहना असत्य तो नहीं है, परन्तु कटु सत्य अवश्य है कि बाह्य सभी प्रकार के ग्रंथों को तजकर, निर्भीक-निर्ग्रन्थ हो, शेष आभ्यन्तर ग्रंथों के विमोचनार्थ, ग्रंथराज 'समयसार' का अवलोकन करना ही सार्थक है। निर्ग्रन्थ हुए बिना 'समसयार' का निरूपण तो संभव है, किन्तु 'समयसार' का साक्षात् निरीक्षण तो आकाश-कुसुमवत् ही है। पञ्चेन्द्रियों के विषम-विषयों मे रच-पचने वाले विषयी-कषायों पुरुषों को 'समयसार', शिरोगम तो हो सकता है किन्तु हृदयंगम कदापि नहीं। 'समयसार' पाचन उतना सुगम नहीं है, जितना कि वाचन या भाषण-संभाषण। वस्तुतः 'समयसार' बहिर्वस्तु नहीं है जिसे खरीदा जा सके, जिसके ऊपर अपनी सत्ता-बलवत्ता जमा सके, वह तो आंतरिक आत्मोत्य शुद्ध परिणति सहज अन्तर घटना है। हां, दिगम्बर मुनि भी ऐसा न समझें कि हमने सब परिग्रह का त्याग तो कर ही दिया है, तिल तुष-मात्र भी परिग्रह नहीं रखते, अतः हमने 'समयसार' का साक्षात्कार कर ही लिया है, अथवा नियम से कर ही लेंगे, यदि ऐसा समझते हैं तो उनकी यह भ्रान्तधारणा है। क्योंकि 'समयसार' की अनुभूति के लिए मात्र दिगम्बरत्व पर्याप्त नहीं है। दिगम्बर होने के उपरान्त भी दिगम्बरत्व की विस्मृति नितान्त आवश्यक है, परिधि में अटकी हुई चैतन्यधारा को केन्द्र की ओर प्रवाहित करना होगा, जिससे चेतना में स्थिरता की उद्भूति होगी, जिसमें 'समयसार' का नियमरूपेण दर्शन होता है। मुनि-दीक्षा के उपरांत, परम-पावन, तरण-तारण, गुरु-चरण सान्निध्य में इस महान् ग्रंथ का अध्ययन प्रारम्भ हुआ। यह भी गुरु की “गरिमा" कि कन्नड भाषा-भाषी मुझे अत्यन्त सरल एवं मधुर भाषा शैली में 'समयसार' के हृदय को श्रीगुरु महाराज ने (आ. श्री गुरुवर ज्ञानसागर महाराज ने) बार-बार दिखाया। जिसकी प्रत्येक गाथा में अमृत ही अमृत भरा है और मैं पीता ही गया! पीता ही गया!! मां के समान गुरुवर अपने अनुभव और मिलाकर, घोल-घोलकर पिलाते ही गये, पिलाते ही गये। फलस्वरूप एक उपलब्धि हुई, अपूर्व विभूति की, आत्मानुभूति की! अब तो समयसार ग्रंथ भी "ग्रंथ" (परिग्रह के रूप में) प्रतीत हो रहा है। कुछ विशेष गाथाओं के रसास्वादन में जब डूब जाता हूं, तब अनुभव करता हूं, कि ऊपर उठता हुआ, उठता हुआ ऊर्ध्वागममान होता हुआ, सिद्धालय को भी पार कर गया हूं, सीमोल्लंघन कर चुका हूं। अविद्या कहा? कब सरपट चली गई, पता तक नहीं रहा। आश्चर्य तो यह है कि जिस विद्या की चिरकालीन प्रतीक्षा थी, उस विद्या-सागर के भी पार! बहुत दूर!! पहुंच चुका हूं। विद्या-अविद्या से परे, ध्येय, ज्ञान-ज्ञेय से परे, भेदाभेद, खेदाखेद से परे, उसका साक्षी बनकर, उद्ग्रीव उपस्थित हूं अकम्प निश्चल शैल!! चारों ओर छाई है सत्ता, महासत्ता, सब समर्पित स्वयं अपने में। आचार्य विद्यासागर मुनि
  7. इतिहास में प्रथमबार ४८मण्डलीय भक्तामरानुष्ठान एवं कोरोना क्षय विश्वशांति महायज्ञ (हवन) का सौभाग्य आपके द्वार पर बुन्देलखण्ड की हृदयस्थली सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुरजी के परम अतिशयकारी बड़े बाबा श्री आदिनाथ भगवान के समक्ष सर्व ऋद्धि सिद्धि प्रदायक महास्तोत्रराज श्री भक्तामर जी का २६८८महाबीजाक्षर सम्पन्न महानुष्ठान मंगलबेला- 4 से 12 अक्टूबर 2020 भक्तामर विधान लाईव प्रसारण - पारस चैनल पर दोपहर 01.30 से 03.30 बजे तक प्रतिदिन आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महामुनिराज एवं समस्त संघ के स्वास्थ्यलाभार्थ एवं * सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त कोरोना महामारी के क्षय हेतु महार्चना* मंगलमय आशीर्वाद- संतशिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महाराज, पावन सान्निध्य त्रयविंशति आर्यिका ससंघ आर्यिका श्री 105 ऋजुमति माताजी आर्यिका श्री 105 पूर्णमति माताजी आर्यिका श्री 105 उपशांत मति माताजी विधानाचार्य - ब्र. संजीव भैया कटंगी ✒️ *आर्यिका मां श्री पूर्णमति माताजी✒️ द्वारा रचित भक्तामर महाबीजाक्षर ४८ मण्डलीय विधान एवं विश्व विघ्नविनाशक महायज्ञ * ऑनलाइन के माध्यम से आप भी महानुष्ठान का महापात्र बनने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते है- सौधर्म इंद्र - 2,51,000/- कुबेर इंद्र - 1,11,000/- यज्ञ नायक - 51,000/- आनलाइन राशि देकर बड़े बाबा जी की शांतिधारा में आर्यिका श्री के मुखारबिंद से अपने परिवार के नाम उच्चारण करा कर बड़े बाबा के मंदिर निर्माण में सहयोगी बन पुण्यानुबंधी पुण्य कमा सकते हैं| क्षेत्र के खाते में राशि जमा करने हेतु बैंक विवरण - A/C NAME - SHRI DIGAMBER JAIN SIDDHA KSHETRA KUNDALPUR, DAMOH (M.P.) BANK - AXIS BANK DAMOH, A/C NO - 910010000535130 IFS CODE - UTIB0000770, BANK- SBI DAMOH, A/C NO- 10708180064 IFSC CODE-SBIN0001832 PAN NO.-AAHTSO546A (80G) NO- F.NO. CIT-1/JBP/TECH/80G/09/2007-08 संपर्क सूत्र -7771835891 & 7771834880 राशि जमा करने बाद दिए गए नंबरों पर जानकारी अवश्य देवे
  8. A/C NAME - SHRI DIGAMBER JAIN SIDDHA KSHETRA KUNDALPUR, DAMOH (M.P.) BANK - AXIS BANK DAMOH, A/C NO - 910010000535130 I FS CODE - UTIB0000770, BANK- SBI DAMOH, A/C NO- 10708180064 IFSC CODE-SBIN0001832 PAN NO.-AAHTSO546A (80G) NO- F.NO. CIT-1/JBP/TECH/80G/09/200-08 PLZ INFORM TO MOB. NO.7771835891 & 7771834880 राशि जमा करके जानकारी देवे।
  9. १५ सितम्बर गुरु जी का गमन निर्वाणा की और हुआ 10 सितंबर आचार्य संघ पहुंचा इंदौर के जीआरडी ग्रुप के भवन में सागर / संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का मंगल चातुर्मास इंदौर स्थित रेवती रेंज दयोदय गौशाला प्रतिभास्थली स्कूल में चल रहा था पिछले तीन-चार दिनों से ऐसी चर्चा थी गुरुदेव अगल-बगल के किसी अन्य स्थान पर पहुंचेंगे 10 सितंबर को सुबह गुरुदेव वहां से बिहार कर 2 किलोमीटर दूर जी आर डी ग्रुप रेवती गांव पहुंचे यह गार्डन नवीन जी गाजियाबाद का है यहां पर गुरुदेव चातुर्मास निष्ठावन तक रहेंगे। उल्लेखनीय है कि चातुर्मास कलश स्थापना के समय आचार्य संघों और मुनि संघ द्वारा वर्षा काल मे एक सीमा निर्धारित की जाती है जरूरत पड़ने पर इतनी दूर के किसी अन्य स्थल पर पहुंचकर रुक सकते हैं समाचार सुचना मुकेश जैन ढाना एमडी न्यूज़ सागर
  10. सभी से क्षमा, सभी को क्षमा गुरु प्रभावना में आपका सहयोग हमेशा मिलता रहे। टीम विद्यासागर डॉट गुरु सौरभ जैन जयपुर
  11. आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल ऐप्प के प्ले स्टोर पर हुए ५० हज़ार डाउनलोड आप सभी को इस ऐप को पसंद करने के लिए धन्यवाद https://play.google.com/store/apps/details?id=com.app.vidyasagar इस एप्प को और अच्छा कैसे बनाया जाये, इसके लिए आप अपने सुझाव कमेंट में जरूर लिखें यह एप्प शीघ्र 1 लाख डाउनलोड की और अग्रेसर हो, इसी भावना के साथ एक बार आप सभी के सहयोग के लिए पुनः आभार
  12. पूज्यवर श्री शांतिसागर जी महामुनिराज के 65 वे समाधि दिवस पर शत शत नमोस्तु...
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