आज्ञा पालन से है,
कठिनतम।
भावार्थ -आज्ञापालन की अपेक्षा आज्ञा देना ज्यादा कठिनतम, गुरुत्तम और विशिष्ट कार्य हैं क्योंकि आज्ञा देने वाला क्रिया तो कुछ नहीं करता लेकिन इस क्रिया के परिणाम का उत्तरदायी होता है । उस क्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होने वाले हानि-लाभ और जय-पराजय से उसका सीधा सम्बन्ध होता है। कभी-कभी आज्ञा देने वाले के सम्पूर्ण जीवन में उसका परिणाम परिलक्षित होता है । अत: आज्ञा देने की योग्यता कुछ विरले ही व्यक्तियों में होती है ।
आज्ञापालन करने वाला आज्ञा देने वाले के आदेश के अनुसार कार्य मात्र करता है । वह उसके परिणाम का उत्तरदायी नहीं होता । अतः वह हानि-लाभ आदि में निश्चिन्त रहता है | व्याकरण का एक सिद्धान्त है कि उपदेश मित्रवत्, आदेश शत्रुवत् । आदेश या आज्ञा देने के उपरान्त सामने वाला कष्ट का अनुभव करता है क्योंकि उसके मान पर प्रहार होता सा लगता है किन्तु स्वयं दूसरों की आज्ञा का पालन करना सरल कार्य है क्योंकि उसमें प्रसन्नता का अनुभव होता है । अतः आज्ञापालन करने की अपेक्षा आज्ञा देना कठिनतम कार्य है ।
- आर्यिका अकंपमति जी
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
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क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
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