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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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सिद्ध घृत से - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ​​​​​​​२१‍९


संयम स्वर्ण महोत्सव

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Haiku (219).jpg

 

 

सिद्ध घृत से,

महके, बिना गन्ध,

दुग्ध से हम।

 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

2 Comments


Recommended Comments

सिद्ध भगवान घृत के समान है जैसे घृत में गन्ध है और हम दूध के समान है जिसमें गन्ध नहीं है. अर्थ यह कि जैसे दूध में घी छिपा है वैसै ही हम में भी सिद्धपना है पर उसका अनुभव अभी हम नहीं कर सकते. जब दूध से घी बनेगा तभी महेकेगा उसी तरह जब हम सिद्ध बनेंगे तभी महेकेंगे, अनुभव होगा. मैं भगवान हूं यह न कहकर यह कहो कि मैं भगवान बन सकता हूं, बनना है.

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