आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के श्री चरणों में संयम स्वर्ण महोत्सव समिति के श्रद्धा सुमन रूपी प्रस्तुति "अपराजेय साधक";
कार्यक्रम की तैयारियों में जुटी जैन समाज गुरुदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु तन मन धन समर्पण के भाव से पिछले चार महीनों से अनवरत जुटी हुई थी, प्रतिभास्थली से पधारने वाली अपनी बेटियों और बालब्रम्हचारी बहनों के लिये पलक पांवड़े बिछाकर बैठी थी। और वह दिन भी आ गया दिनांक ९-१२-२०१७ को ढेर सारी बेटियां हमारी ममता भरी झोली को स्नेह से भरने आ गईं, धार्मिक, अनुशासित, समर्पित, कुशल, अद्भुत छात्राएँ। धन्य हो गयी मुंबई धरा तपस्वी बहनों को मुंबई में पाकर।
दिन आ गया वह जब हमें निहारना था कुशल कारीगर बहनों के मूर्त कला-प्रस्तुति को प्रदर्शित करने का और सुनहरे पलों में सार्थकता भरने का कार्य को गरिमा प्रदान करने हेतु विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय न्यायमूर्ति श्री कमल किशोर जी तातेड़, न्यायाधीश मुंबई उच्च न्यायालय, माननीय श्री कृष्ण प्रकाश जी, महाराष्ट्र पुलिस महानिरीक्षक, श्वेताम्बर जैनाचार्य पूज्य डॉ श्री लोकेश मुनि जी, माननीय संजय घोड़ावत जी, न्यायमूर्त श्री केयू चांदीवाल जी पूर्व न्यायाधीश मुंबई उच्च न्यायालय, माननीय श्री रामनिवास जी, पूर्व पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ राज्य, श्री राहुल कोठारी भारतीय जनता युवा मोर्चा, राष्ट्रीय संयम स्वर्ण महोत्सव समिति के मुख्य कार्यकारी श्री प्रबोध जैन कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यासागर विद्यालय के नन्हे बच्चों द्वारा किये गये मंगलघोष द्वारा हुआ, गुरुदेव आचार्य श्री १०८ शांतिसागर जी महाराज जी, गुरुदेव आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज जी, गुरुदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के श्री चरणों में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ।
कार्यक्रम की श्रंखला में भक्ति नृत्य,सितार तबला वादन, गुरु विद्यासागर जी महाराज के अनछुए पहलुओं को चित्रित करते हुये रेत के रंगों में मंत्रमुग्धित कला मनोहारी थी।
मुंबई से ख़ुशी जैन और प्रशा जैन ने श्री आदिनाथ स्तुति नृत्य और गुरुभक्ति नृत्य के द्वारा सबको मोहित किया। और प्रारंभ हुआ वह समय जिसने मंत्रमुग्ध कर दिया मुंबई को ठहर सी गई जिंदगी उन २ घंटों के लिये, प्रतिभास्थली की बेटियों के द्वारा छाया नृत्य जिसमें गुरुदेव की प्रेरणाओं के दर्शन हुये, तो मूक अभिव्यक्ति ने गायों की दशा चित्रण ने अश्रुपूरित कर दिया, छोटे छोटे सुंदर नृत्य, आज 100 वर्ष बाद के वर्ष २११७ के भारत की परिकल्पना के वर्णन द्वारा सबको हंसा हंसा कर हम गलत दिशा में जा रहे इस बोध का परिचय दिया, तो भारत के स्वर्णिम युग ने पुन: विचार करने पर विवश कर दिया, योग का परिचय भी जब दिया तो तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गुंजायमान था, अंतिम
शास्त्रीय नृत्य की गुरुवर भक्ति अतुलनीय रही, खचाखच भरे सभागार में दर्शक अपलक कार्यक्रम का आनंद लेकर आत्मसात करते रहे।
बिटिया मोही सेठी, और प्रज्ञा जैन तो प्रतिभास्थली में पढ़कर सीए की उत्कृष्ट परीक्षा में सफलता हेतु समाज की गौरव इन बेटियों को सम्मानित किया।
मुंबई के दिगंबर जैन समाज ने कृतज्ञता ज्ञापित की ब्रम्हचारिणी बहनों के प्रति| जबलपुर मप्र, डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ और रामटेक महाराष्ट्र से 271 बालिकाएँ आई थीं और उन्होंने प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ की उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली का परिचय अपनी प्रतिभा के बल पर दे ।
प्रस्तुति: श्रीमती विधि प्रवीण जैन
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