फ़टे हुये जींस पहनना दरिद्रता को आंमत्रण देना है??आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
डिंडोरी (म.प्र.)- आप लोग भिन्न भिन्न प्रकार के हार गले में पहनते हैं और यदि नकली हो तो नहीं पहनेगे।लेकिन आज नकली आभूषण भी पहने जा रहे हैं। नकली आभूषणो,फटे वस्त्रो,का प्रभाव व्यक्ति पर पङता है ज्योतिष शास्त्रों में इसका स्पष्ट उल्लेख है,यहाँ तक की जिन फटे वस्त्रो को भिखारी भी नहीं पहनता उन जींस आदि वस्त्रों को फैशन के नाम पर बच्चे पहन लेते है इसका दुष्प्रभाव देखने में आ रहा है। उक्त आशय के उदगार डिडोरी में धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज ने कहे।आचार्य श्री ने कहा कि सोना खाया भी जाता है,पहले रहीस लोग सोना खाते थे।क्या खाना ?कैसे खाना ? इसका प्रभाव पडता है।
हमारे पास एक विद्यार्थी आया वह फटा हुआ जींस पहने था वह भी एक एक जगह से नहीं कई जगह से फटा था हमने उससे समझाया तो वह मान गया। वस्तुतः शिक्षा के साथ वस्त्र,आभूषण भी हमारे संस्कारों को दिखाते हैं।आप को क्या खाना है ?, क्या पहनना हैं ? ये आपके संस्कृति और संस्कारों दिखाने वाले हैं इसीलिए माता पिता को इस ओर ध्यान देना चाहिए।आज हथकरघा में शुद्ध वस्त्रो का उत्पादन हो रहा है ये वस्त्र शरीर के गुण धर्म के अनुरूप तो है ही अन्य लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं और इनका उत्पादन पुरी तरह आहिंक रूप से किया जा रहा है।
पूज्य आचार्य भगवंत ने हथकरघा के लिए आचार्य श्री ने श्रमदान का नाम दिया है और इसके माध्यम से सौकङो लोगो को अत्मनिर्भर होने का अवसर मिला रहा है।हम सब शुद्ध बस्त्रों को अपनाते हुए दुसरे लोगों को भी प्रेरित करे।
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