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वतन की उड़ान: इतिहास से सीखेंगे, भविष्य संवारेंगे - ओपन बुक प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. म अहिंसा परमाे धर्म की जय, अाचार्य कुंद कुंद सागर, अाचार्य ज्ञानसागर महाराज की जय। अाज रविवार है। जनता अाती है अाैर भूल जाती है कि जगह मिलेगी कि नहीं, जगह क्या है। जगह ताे दिल में मिलना चाहिए। जगह क्या है। यह लेने देने की नहीं, हमेशा दिल में जगह होना चाहिए। दिल में कितनी जगह है इसको हम नाप नहीं सकते, लेकिन हम जगह सबकाे दे सकते हैं। दिमाग चलाना ठीक है पर अपने हिसाब से दिमाग लगाना ठीक नहीं हाेता है। हमें अपने इस पागलपन पर राेष अाना चाहिए। धन एेसे ही नहीं अा जाता, पसीना आने के बाद ही पैसा आता है। श्रद्धा दिल से करना है सिर से नहीं। इसके लिए आपको दिलदार होना पड़ेगा । बिना प्रयाेजन, पूजन का काेर्इ मतलब नहीं निकलता है। स्वाध्याय के बगैर पूजन करना व्यर्थ है। शास्त्र गुरु की पूजन से अख्यात कर्मों की निर्जरा होती है। जितना समय शास्त्रों के सामने और जिन बिम्बों के सामने बैठकर पूजन करोगे, उससे भी कर्मों की निर्जरा होगी। केवल भगवान अनंत को जान रहे हैं और हम भी अनंत कर्म को जान रहे हैं। भक्त बनकर ही भगवान बना जा सकता है बिना भक्त बने भगवान बनना संभव नहीं है। चक्रवर्ती को भी भक्त बनना पड़ा था। यह वैभव नश्वर है माया के कारण सब परेशान हैं। णमोकार मंत्र की जाप से असंख्यात कर्मों की निर्जरा होती है। सागर में कर्इ माेड़ है चकराघाट पर चक्कर अा जाए, मैने रामपुरा, वर्णी कॉलोनी और गोपालगंज के अलावा कर्इ गलियां देखी हैं। महाराज हमारे इते अार्इयाे, हम भी कुछ कह सकते है भइया तुम्हे कुछ चाहिए ताे हमारे यहा अा जाना। शहर बड़ा होता जा रहा है। जो चलता है उसका ही विकास होता है और जो बैठा रहता है उसका विकास नहीं होता। भारत का इतिहास क्या था आपको पता है। इस देश का नाम भारत भगवान भरत के कारण पड़ा था हमें गौरव होना चाहिए यदि भीतर की आंख खुल गई तो केवल ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। अटूट श्रद्धा से काेर्इ भी बात बन सकती है। यहां सर्वतो भद्र जिनालय यानी मंदिर बड़ा बन रहा है और इसे हमेशा खचाखच भरा रहना चाहिए। ऐसे जिनालय में आ कर आप सब दुनिया भूल जाएंगे, चारों तरफ, कहीं से भी मंदिर में प्रवेश करने पर पूरे चौबीसी भगवान के दर्शन आपको होंगे कहीं भी बैठ कर के जब आप पूछोगे आप को ध्यान करना होगा कि कहां से प्रवेश हुआ था कहां से नहीं। तीन खंड के इस ऊंचे मंदिर में 12 चौबीसी भगवान विराजमान होंगे। आप लोगों के उत्साह को देख कर लगता है कि काम अच्छा हो रहा है। इस मंदिर का स्वरूप दान के माध्यम से ही संभव है। प्रांगण में बन रहे विशाल मंदिर को देखने के लिए ऊपर से देव भी नीचे आएंगे। -जैसा की भाग्याेदय तीर्थ स्थित बड़े पंडाल में आचार्य श्री ने कहा अाचार्यश्री का पाद प्रक्षालन, सर्वतो भद्र जिनालय में प्रतिमा देने की घाेषणा भी की रविवार को धर्मसभा के पू्र्व अाचार्यश्री विद्यासागर के पाद प्रक्षालन मनोज जैन बड़जात्या मुंबई, विजय जैन, संजय जैन, अनिल भोलू जैन और नीरज जैन बल्लू परिवार, विकास जैन भिंड व सुमत जगाती टडा ने किया। आचार्यश्री का पूजन ढाना, अंकुर कॉलोनी जैन समाज, रामपुरा पाठशाला के बच्चों ने किया। बुंदेली पूजन संगीतकार नीलेश जैन ने करवाया। पढ़गाहन और आहारचर्या निर्मल जैन,जिनेंद्र बड़कुल,दिनेश बिलहरा और आनंद दिगंबर परिवार ने किया। बिलहरा परिवार ने सर्वतो भद्र जिनालय में एक बड़ी प्रतिमा विराजमान कराने की घोषणा की। परिवार के सदस्यों लकी जैन,शुभम जैन, राहुल जैन ने भाग्योदय के ट्रस्टी बनने के लिए राशि देने की घोषणा की। सर्वतो भद्र जिनालय में बड़ी प्रतिमा डॉ राकेश जैन, मुकेश जैन और डॉ. सुधीर जैन बंडा ने विराजमान करने की घोषणा की। सहस्त्र कूट जिनालय में 25 से अधिक लाेगाें ने एक-एक प्रथमा विराजमान कराने की घोषणा की। कार्यक्रम में दमोह के जिला और सत्र न्यायाधीश, अनूपपुर के जिला और सत्र न्यायाधीश सुभाष जैन और दमोह के न्यायाधीश शुभम मोदी, डीआईजी राकेश जैन, महेश बिलहरा देवेंद्र जैन, मुकेश जैन ढाना, सुधा मलैया, राकेश पिडरुआ, सुरेंद्र मालथाैन, आनंद , प्रकाश जैन , ऋषभ जैन , सट्टू जैन , प्रदीप जैन थे। संचालन मुकेश जैन ढाना सुरेंद्र मालथाैन ने किया।
  2. अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए दान करना आवश्यक है : आचार्य विद्यासागर धन सब के पास दो प्रकार का होता है एक धन घूमता रहता है और दूसरा धन स्थिर रहता है अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए दान करना आवश्यक है ये बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने शनिवार को भाग्योदय तीर्थ में शनिवार काे एक धर्मसभा में कही। आचार्यश्री ने कहा कि शरीर में आत्मा रह रही है शरीर आत्मा नहीं है। शरीर साथ नहीं दे रहा हो तो आत्मा कहती है मेरे पास पंख हैं, तुम्हारे पैर अब किसी काम के नहीं हैं। आप शरीर के नहीं आत्मा के दास बनो। आचार्यश्री ने कहा आप दूसरों के नियंत्रण में नहीं अपने नियंत्रण में चलें अधिक तेज रक्त के चलने से चक्कर आ जाते हैं। आप बाहर से तो स्वस्थ दिखते हो पर भीतर से मंदी रहती है। आप यदि ताली बजाओगे तो गर्मी भी आ जाएगी। धर्म ध्यान करना चाहो तो ध्यान निर्धारित करो। जैसे रक्त अनुपात से जरूरी है वैसे आप भी अपने अनुपात से रहो। आचार्यश्री ने कहा कि अपनी आत्मकथा की बात करो सब के पास अपनी आत्मकथा है। हमारी कथा आपके पास नहीं है और आप की कथा हमारे पास नहीं है। यह दोनों की व्यथा है। आत्मकथा में कोई व्यथा नहीं होना चाहिए। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए शरीर में रक्त का होना अनिवार्य है। आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन का अवसर दिनेश जैन अमरदीप और जयदीप जैन चितौरा परिवार और विजय जैन पड़ा को प्राप्त हुआ। जिनेश जैन सुरखी और रविकांत जैन नेहानगर ने आचार्यश्री को शास्त्र भेंट किए। आचार्यश्री की पूजन नेहा नगर जैन समाज मकरोनिया, सागर में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों और मोराजी की पाठशाला के बच्चों ने की। आचार्यश्री की आहारचर्या हथकरघा के माध्यम से लोगों को रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही ब्रह्मचारिणी रेखा दीदी, डॉ. नीलम दीदी और डॉक्टर राजा जैन के चौके में हुई। डीआईजी पुलिस राकेश जैन को भी आचार्य श्री को आहार देने का अवसर मिला। इस माैके पर तीन प्रतिमाएं सहस्त्रकूट जिनालय के लिए देने की घोषणा हुई। किरण शील चंद जैन, अशोक जैन अंकुर कॉलोनी, राकेश जैन, सौरभ जैन, आदि ने इसका प्रण लिया। आचार्यश्री के रविवारीय प्रवचन होंगे आज भाग्योदय तीर्थ में अाचार्यश्री विद्यासागर महाराज के रविवारीय मंगल प्रवचन दोपहर 2 बजे से बड़े पंडाल में होंगे। मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि यहां अभी आचार्य संघ में 48 मुनि महाराज और 49 आर्यिकाएं माताजी विराजमान हैं। रविवार को जैन समाज ढाना और अंकुर कॉलोनी मकरोनिया जैन समाज के द्वारा आचार्यश्री की बुंदेली पूजन सुबह 8.45 बजे से प्रारंभ होगी। आर्यिका पूर्णमति माताजी का विहार झांसी से सागर की ओर चल रहा है इस संघ में 8 माताजी हैं। 15 फरवरी को आर्यिका संघ के सागर प्रवेश की संभावना है। 6 दिवसीय निशुल्क आयुर्वेदिक शिविर आज से भाग्योदय में कैंसर के लिए आयुर्वेदिक औषधि का निशुल्क वितरण दिव्यांग संरक्षण सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक केसरीमल जैन बागीदौरा राजस्थान द्वारा किया जा रहा है। यह शिविर रविवार से शुरू हाेकर 15 फरवरी तक चलेगा। इसी दवा से स्वयं का कैंसर ठीक हाेने का दावा करने वाले जैन इससे पहले मुंबई, हल्दीघाटी, खजुराहो, छत्तीसगढ उदयपुर आदि स्थानों पर शिविर लगा चुके हैं। भाग्योदय तीर्थ धर्मशाला के सामने सुबह 11 से शाम 4 बजे तक यह शिविर राेजाना लगेगा।
  3. मानव काया को पुण्य का वैभव मिल जाना सुख का कारण नहीं होता: आचार्यश्री भाग्योदय तीर्थ में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने धर्मसभा में कहा कि देवों के पास भोजन नहीं होता, वे तो सिर्फ मानसिक भोजन करते हैं। भोजन करने वाले तो मनुष्य होते हैं जो अपने हाथ आपके सामने करते हैं। देवों के पास पंच आश्चर्य तो होते हैं परंतु आहार नहीं करते। आचार्य श्री ने कहा भारतीय संस्कृति में मुनि बनने की संस्कृति अभी जीवित है। हम यहां भी अल्पसंख्यक हैं जो चीजें दुर्लभ होती हैं वह बढ़ नहीं सकती हैं अपितु कम होती जाती हैं। मुनि संख्या में अनंत नहीं हो सकते क्योंकि हम भगवान के निकट रहते हैं। आचार्य श्री ने कहा नवधा भक्ति के साथ पढ़गाहन करना चाहिए सौधर्म इंद्र बनने के बाद भी मुनि महाराज का पड़गाहन नहीं होना आप ने पंचकल्याणक में देखा होगा। सौधर्म इंद्र तांडव नृत्य तो कर सकता है और उसे उल्लास भी होता है इतना वैभव होने के साथ-साथ वह पड़गाहन के समय सामान्य व्यक्ति के साथ खड़ा होता है। नर काया को पुण्य का वैभव मिल जाना सुख का कारण नहीं होता। आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन का अवसर संतोष जैन,सोनू जैन सीहोरा, मोना जैन इंदौर और दिनेश, आनंद बिलहरा परिवार को प्राप्त हुआ। वहीं सर्वतोभद्र जिनालय में बड़ी प्रतिमा विराजमान कराने वाले पदम जैन को परिवार सहित पाद प्रक्षालन का अवसर मिला। आचार्य श्री की आहारचर्या अनिल जैन , प्रदीप जैन, राजकुमार जैन, किरण जैन, ज्योति जैन,नीलू जैन, मधुर जैन, महक जैन,मिलन, युवराज आदि के चौके में हुई। आहारचर्या कराने वाले इस परिवार ने सर्वतो भद्र जिनालय के निर्माण में एक शिखर का निर्माण कराने की घोषणा की। इसके पूर्व यह परिवार एक मूलनायक भगवान की प्रतिमा विराजमान कराने की घोषणा कर चुका है। विजय जैन ने भी एक छोटी प्रतिमा सर्वतोभद्र जिनालय में विराजमान कराने की घोषणा की। रविंद्र जैन ने सर्वतो भद्र जिनालय के एक पिलर निर्माण के लिए 5 लाख की राशि देने की घोषणा की। वैश्य महासम्मेलन के पदाधिकारियों ने आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। अंध मूक बधिर शाला के 51 बच्चों ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के दर्शन किए सागर. दिगंबर जैन महिला परिषद की चंद्रप्रभु शाखा और विचार संस्था द्वारा शासकीय अंध मूक बधिर शाला के 51 बच्चों व शिक्षकों को भाग्योदय तीर्थ ले जाया गया। जहां आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को बच्चों नारियल चढ़ाया और आशीर्वाद लिया। इस मौके पर संध्या रांधेलिया, मंजू ,कविता सेठ, अर्चना , अध्यक्ष मुक्ति, मंजरी, शिवानी ,विचार संस्था की आकांक्षा मलैया, सुनीता उपस्थित थीं। जिनेश जैन ने आश्रम को प्रिंटर के लिए दान राशि भी दी। रविवार को दोपहर से प्रवचन होंगे - आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के साथ भाग्योदय में 48 मुनि महाराज और 49 आर्यिका, माताजी विराजमान है । मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि बसंत पंचमी को सुबह 9 बजे आचार्यश्री की पूजन बुंदेली ढंग से जैन समाज ढाना, अंकुर कॉलोनी मकरोनिया और अन्य सभी श्रावक करेंगे। आचार्य श्री के रविवारीय प्रवचन दोपहर 2 बजे से बड़े पंडाल में होंगे ।
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