म अहिंसा परमाे धर्म की जय, अाचार्य कुंद कुंद सागर, अाचार्य ज्ञानसागर महाराज की जय। अाज रविवार है। जनता अाती है अाैर भूल जाती है कि जगह मिलेगी कि नहीं, जगह क्या है। जगह ताे दिल में मिलना चाहिए। जगह क्या है। यह लेने देने की नहीं, हमेशा दिल में जगह होना चाहिए। दिल में कितनी जगह है इसको हम नाप नहीं सकते, लेकिन हम जगह सबकाे दे सकते हैं।
दिमाग चलाना ठीक है पर अपने हिसाब से दिमाग लगाना ठीक नहीं हाेता है। हमें अपने इस पागलपन पर राेष अाना चाहिए। धन एेसे ही नहीं अा जाता, पसीना आने के बाद ही पैसा आता है। श्रद्धा दिल से करना है सिर से नहीं। इसके लिए आपको दिलदार होना पड़ेगा । बिना प्रयाेजन, पूजन का काेर्इ मतलब नहीं निकलता है। स्वाध्याय के बगैर पूजन करना व्यर्थ है।
शास्त्र गुरु की पूजन से अख्यात कर्मों की निर्जरा होती है। जितना समय शास्त्रों के सामने और जिन बिम्बों के सामने बैठकर पूजन करोगे, उससे भी कर्मों की निर्जरा होगी। केवल भगवान अनंत को जान रहे हैं और हम भी अनंत कर्म को जान रहे हैं। भक्त बनकर ही भगवान बना जा सकता है बिना भक्त बने भगवान बनना संभव नहीं है। चक्रवर्ती को भी भक्त बनना पड़ा था। यह वैभव नश्वर है माया के कारण सब परेशान हैं। णमोकार मंत्र की जाप से असंख्यात कर्मों की निर्जरा होती है। सागर में कर्इ माेड़ है चकराघाट पर चक्कर अा जाए, मैने रामपुरा, वर्णी कॉलोनी और गोपालगंज के अलावा कर्इ गलियां देखी हैं। महाराज हमारे इते अार्इयाे, हम भी कुछ कह सकते है भइया तुम्हे कुछ चाहिए ताे हमारे यहा अा जाना। शहर बड़ा होता जा रहा है। जो चलता है उसका ही विकास होता है और जो बैठा रहता है उसका विकास नहीं होता। भारत का इतिहास क्या था आपको पता है। इस देश का नाम भारत भगवान भरत के कारण पड़ा था हमें गौरव होना चाहिए यदि भीतर की आंख खुल गई तो केवल ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। अटूट श्रद्धा से काेर्इ भी बात बन सकती है। यहां सर्वतो भद्र जिनालय यानी मंदिर बड़ा बन रहा है और इसे हमेशा खचाखच भरा रहना चाहिए। ऐसे जिनालय में आ कर आप सब दुनिया भूल जाएंगे, चारों तरफ, कहीं से भी मंदिर में प्रवेश करने पर पूरे चौबीसी भगवान के दर्शन आपको होंगे कहीं भी बैठ कर के जब आप पूछोगे आप को ध्यान करना होगा कि कहां से प्रवेश हुआ था कहां से नहीं। तीन खंड के इस ऊंचे मंदिर में 12 चौबीसी भगवान विराजमान होंगे। आप लोगों के उत्साह को देख कर लगता है कि काम अच्छा हो रहा है। इस मंदिर का स्वरूप दान के माध्यम से ही संभव है। प्रांगण में बन रहे विशाल मंदिर को देखने के लिए ऊपर से देव भी नीचे आएंगे। -जैसा की भाग्याेदय तीर्थ स्थित बड़े पंडाल में आचार्य श्री ने कहा
अाचार्यश्री का पाद प्रक्षालन, सर्वतो भद्र जिनालय में प्रतिमा देने की घाेषणा भी की
रविवार को धर्मसभा के पू्र्व अाचार्यश्री विद्यासागर के पाद प्रक्षालन मनोज जैन बड़जात्या मुंबई, विजय जैन, संजय जैन, अनिल भोलू जैन और नीरज जैन बल्लू परिवार, विकास जैन भिंड व सुमत जगाती टडा ने किया। आचार्यश्री का पूजन ढाना, अंकुर कॉलोनी जैन समाज, रामपुरा पाठशाला के बच्चों ने किया। बुंदेली पूजन संगीतकार नीलेश जैन ने करवाया। पढ़गाहन और आहारचर्या निर्मल जैन,जिनेंद्र बड़कुल,दिनेश बिलहरा और आनंद दिगंबर परिवार ने किया। बिलहरा परिवार ने सर्वतो भद्र जिनालय में एक बड़ी प्रतिमा विराजमान कराने की घोषणा की। परिवार के सदस्यों लकी जैन,शुभम जैन, राहुल जैन ने भाग्योदय के ट्रस्टी बनने के लिए राशि देने की घोषणा की। सर्वतो भद्र जिनालय में बड़ी प्रतिमा डॉ राकेश जैन, मुकेश जैन और डॉ. सुधीर जैन बंडा ने विराजमान करने की घोषणा की। सहस्त्र कूट जिनालय में 25 से अधिक लाेगाें ने एक-एक प्रथमा विराजमान कराने की घोषणा की। कार्यक्रम में दमोह के जिला और सत्र न्यायाधीश, अनूपपुर के जिला और सत्र न्यायाधीश सुभाष जैन और दमोह के न्यायाधीश शुभम मोदी, डीआईजी राकेश जैन, महेश बिलहरा देवेंद्र जैन, मुकेश जैन ढाना, सुधा मलैया, राकेश पिडरुआ, सुरेंद्र मालथाैन, आनंद , प्रकाश जैन , ऋषभ जैन , सट्टू जैन , प्रदीप जैन थे। संचालन मुकेश जैन ढाना सुरेंद्र मालथाैन ने किया।