Gurudev ke pavan shri charno me koti koti vandana
तेरी दो आंखे अथार्त जीव में दो ज्ञान सामान्यतः होते हैं मति और श्रुत ज्ञान।कर्म करते समय जीव इन्ही दो ज्ञान का सहारा लेता है। वैसे ज्ञान के चार प्रकार हैं मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान, अवधि ज्ञान, मनपर्याय ज्ञान।सर्व अवधि ज्ञान ही केवल ज्ञान है जो केवली भगवान के ज्ञान चक्षु को कई हज़ार गुना बना देता है हमारे द्वारा किये भाव , और कर्म केवली भगवान के ज्ञान में झलकते हैं। इसलिये सदैव केवली प्रभु का समरण करते हुए सदैव सतर्क रहते हुए ही कर्म करना चाहिये।