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वतन की उड़ान: इतिहास से सीखेंगे, भविष्य संवारेंगे - ओपन बुक प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

संयम स्वर्ण महोत्सव

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Everything posted by संयम स्वर्ण महोत्सव

  1. ३० जून २०१७ प्रातः समय कार्यक्रम ५:३० बजे आचार्य भक्ति ८.०० बजे आचार्यश्री जी का संगीतमय भव्य पूजन ९.०० बजे आचार्यश्री जी के अमृत वचन ९.३० बजे आचार्यश्री जी की आहार चर्या मध्याह्न २.०० बजे आचार्यश्री जी का मंच पर आगमन २:१० बजे मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, मुख्य अतिथि द्वारा आचार्यश्री जी को श्रीफल भेंट २:२० बजे I. चन्द्रगिरि की महिलाओं द्वारा प्रस्तुति ३:२० बजे मुख्य अतिथि का उद्बोधन ३:३० बजे मुनि महाराज के द्वारा गुरु गुणगान ४:०० बजे आचार्यश्री जी के अमृत वचन सायंकाल ५.३० बजे आचार्यभक्ति ६:०० बजे भव्य संगीतमय आरती एवं भक्ति ७.०० बजे विद्वत प्रवचन रात्रि ७.३० बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम
  2. २९ जून २०१७ प्रातः समय कार्यक्रम ५:३० बजे आचार्य भक्ति ८.०० बजे आचार्यश्री जी का संगीतमय भव्य पूजन ९.०० बजे आचार्यश्री जी के अमृत वचन ९.३० बजे आचार्यश्री जी की आहार चर्या मध्याह्न २.०० बजे आचार्यश्री जी का मंच पर आगमन २:१० बजे मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, मुख्य अतिथि द्वारा आचार्यश्री जी को श्रीफल भेंट २:२० बजे मुख्य अतिथि द्वारा उद्बोधन २:३० बजे से ४:०० बजे I. आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का गुणानुवाद II. आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व का दर्शन विभिन्न वक्ताओं के उद्बोधन ४:०० बजे आचार्यश्री जी के अमृत वचन सायंकाल ५.३० बजे आचार्यभक्ति ६:०० बजे भव्य संगीतमय आरती एवं भक्ति ७.०० बजे विद्वत प्रवचन रात्रि ७.३० बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम भारतीय जन नाट्य संघ या इंडियन पीपल्स थियेटर असोसिएशन (इप्टा) रंगमंच कर्मियों का एक दल है। इसका नामकरण प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा ने किया था। इप्टा द्वारा “अंधेरी नगरी” शीर्षक समसामयिक नाटक का भव्य मंचन
  3. 29 June प्रातः समय कार्यक्रम ५:३० बजे आचार्य भक्ति ८.०० बजे आचार्यश्री जी का संगीतमय भव्य पूजन ९.०० बजे आचार्यश्री जी के अमृत वचन ९.३० बजे आचार्यश्री जी की आहार चर्या मध्याह्न २.०० बजे २.०५ बजे आचार्यश्री जी का मंच पर आगमन मंगलाचरण श्रीमती रंजना जैन, श्रीमती इंदु जैन श्रीमती सुधा मलैया २:१० बजे क्षेत्र के मंत्री श्री चंद्रकांत जैन द्वारा चन्द्रगिरि की योजनाओं का ब्यौरा, २:२० बजे प्रतिभास्थली, रामटेक की प्रस्तुति/ बहनों द्वारा झाँकी का प्रदर्शन २:४० बजे शास्त्र भेंट २:४५ श्री बृजमोहन अग्रवाल, कृषि मंत्री छत्तीसगढ़, एवं श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय, राजस्व एवं शिक्षा मंत्री छत्तीसगढ़ द्वारा आचार्यश्री जी को श्रीफल भेंट २:५० बजे उद्बोधन सम्मान ३:०० बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का आगमन ३:०५ बजे ३:०५ -३:२० बजे श्रीफल भेंट, पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, मुख्यमंत्री का सम्मान मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा उद्बोधन ३:२० बजे से ३:५० बजे I. आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का गुणानुवाद II. आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व का दर्शन विभिन्न वक्ताओं के उद्बोधन श्री सौरभ जैन श्री स्नेहल जैन (कनाडा) ३:५० बजे आचार्यश्री जी की आरती ३:५५ बजे आचार्यश्री जी के अमृत वचन सायंकाल ५.३० बजे आचार्यभक्ति ६:०० बजे भव्य संगीतमय आरती एवं भक्ति रात्रि ७.३० बजे इप्टा डोंगरगढ़ द्वारा अंधेर नगरी चौपट राजा का भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम
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    जानिये आचार्य विद्यासागर जी के बारे में Please click green colour button to download file
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    डाउनलोड करके अपने फ्लैक्स मुद्रक को यह डिज़ाइन उपलब्ध करवा दें, इसमें आप प्रभातफेरी /शोभायात्रा का मार्ग और आयोजक में अपने समाज/संगठन/मंडल/न्यास का नाम और संपर्क नंबर अवश्य डालें. Please click green button to download CDR files of banners. Attached 2 cdr files 1 is for Prabhat Pheri and 1 for Shobhayatra.
  6. संयम स्वर्ण महोत्सव के मानक कार्यक्रम क्या होंगे? २१वीं सदी के महानतम् दिगम्बर जैन साधु, उत्कृष्ट तपस्वी, ज्ञान के सागर, जन जन के आराध्य, उत्कृष्ट दूरदृष्टा, करुणा मूर्ति, दिगम्बरत्व के उन्नायक, हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं के परम हितैषी, हिन्दी साहित्य के पुरोधा, महावीर के लघुनंदन, भारत और भारतीय संस्कृति के परम संवर्द्धक, परम पूज्य, संतों के संत आचार्य गुरुवर श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज की जैनेश्वरी दीक्षा के ५० वर्ष २८ जून २०१८ को पूर्ण हो रहे हैं और हम सब परम सौभाग्यशाली हैं कि हमें उनके युग में जन्म मिला है। संयम स्वर्ण महोत्सव का शुभारंभ आषाढ़ शुक्ल पंचमी, तदनुसार बुधवार, दिनांक 28 जून 2017 को हो रहा है. संयम स्वर्ण महोत्सव का आयोजन अद्भुत और अभूतपूर्व उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए। यह ५० वर्ष न केवल जैन धर्म के इतिहास में अपितु विश्व इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित होंगे। हम सभी को गुरुदेव के संदेशों को जैन अजैन आबाल वृद्ध सब तक पहुँचाना है और हमें स्वयं अपने आचरण में उतारना है। यही हम सबकी अपने गुरुदेव के प्रति सच्ची श्रद्धा की अभिव्यक्ति होगी। २८ जून २०१७ का आयोजन संपूर्ण भारत वर्ष में एक साथ और एक ही सुर ताल में होना चाहिए ऐसी हम सभी की भावना है, इसलिए एक मानक कार्यक्रम रूपरेखा तैयार की गई है, जो इस प्रकार है : *प्रात:काल* १. अपने गाँव/नगर/शहर में प्रात: 7 बजे से भव्य प्रभात फेरी/शोभा यात्रा निकालें। २. प्रभात फेरी के उपरांत आचार्यश्री का संगीतमय पूजन करें । ३. पूजन के बाद समाज जनों और स्थानीय विद्वानों द्वारा गुरुदेव का गुणानुवाद/उद्बोधन । ४. स्वलापाहार एवं जैन-अजैन सभी को गाँव /नगर में मिठाई /प्रभावना वितरण। ५. अपनी क्षमता के अनुरूप अस्पतालों, अनाथालय, वृद्धाश्रम, गरीब बस्तियों में फल/खाद्यान्न/वस्त्र/उनकी आवश्यकता के अनुरूप सामग्री आदि का वितरण अवश्य करवाएँ। जिन संस्थाओं में सामग्री वितरण करते हैं वहाँ गुरुदेव के चित्र स्थापित करवाएँ, गुरुदेव के संक्षिप्त जीवन परिचय की पुस्तिका/पत्रक आदि वितरित करवाएँ. *दोपहर* ६. मंदिर परिसर अथवा आसपास के क्षेत्र में जैन समाज वृक्षारोपण का कार्य करवाए और लगाए गए वृक्षों की देखभाल का प्रबंध करे. ७. युवक/युवती मंडल/महिला मंडल बच्चों के लिए आचार्यश्री के जीवन, उनके साहित्य और उनके द्वारा प्रेरित योजनाओं पर आधारित प्रश्न मंच आयोजित करे और पुरस्कार प्रदान करे. ८. युवक/युवती मंडल/महिला मंडल मंदिर में रखी जिनवाणी, शास्त्र और ग्रंथों की साज सज्जा का कार्य करें सायंकाल* ९. सायं 7:30 बजे जिनेन्द्र देव एवं आचार्यश्री की 50 दीपकों से महाआरती आयोजित करें. १०. रात्रि 8:15 बजे से आमंत्रित विद्वानों/त्यागीव्रतियों से प्रवचन करवाएं ११. रात्रि 9 बजे से आचार्यश्री के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंगों/जीवन पर आधारित लघु नाटिकाएँ, नृत्य नाटिकाएँ, भजन संध्या /कवि सम्मेलन /सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें. कार्यक्रम के लिए शासन से शोभायात्रा/प्रभातफेरी निकालने हेतु अनुमति लेने का अनुरोध पत्र, गाँव/नगर के गणमान्य/प्रतिष्ठित व्यक्तियों को कार्यक्रमों/शोभायात्राओं में आमंत्रित करने हेतु पत्र, बैनर/पोस्टर, नारे, गुरुदेव के सूक्तिवाक्य, प्रेस विज्ञप्ति आदि के संभावित मानक प्रारूप शीघ्र ही इस वेबसाइट पर उपलब्ध करवाए जाएँगे, जिनका आप उपयोग करके अपने कार्यक्रमों की तैयारी कर सकेंगे . कार्यक्रमों के लिए सामान्य निर्देश:
  7. Download word file : 1. सावधान ज्ञान का नाम ही ध्यान है | 2. जो मानता स्वयं कोसबसे बड़ा है , वह धर्म से अभी बहुत दूर खड़ा है | 3. अर्थ की तुला से परमार्थ को मत तौलो | 4. अर्थ के पीछे अनर्थ मत करो | 5. उद्योग में हिंसा समझ में आती है, हिंसा का उद्योग समझ से परे है | 6. धन की प्राप्ति कदाचित पुण्य का फल हो सकता है, पर उसका सदुपयोग तपस्या का फल है | 7. जीवन का उपयोग करो, उपभोग नहीं | 8. अभिमान पतन का कारण है| 9. संसार से मोक्ष की ओर जाना है तो बस इतना करो कि जिधर मुख है, उधर पीठ कर लो और जिधर पीठ है उधर मुख कर लो 10. गुरु की आज्ञा में चलना ही गुरु की सच्ची विनय हैं | 11. आवेग में विवेक मत खोओ| 12. बहुत नहीं बहुत बार पढ़ो | 13. पेट भरने की चिंता करो, पेटी भरने की नहीं| 14. अपने धन को द्रव्य बनाओ और उसे वहां पहुंचाओ जहां उसकी आवश्यकता है| 15. जिस व्यक्ति का हृदय दया से भीगा नहीं है, उस हृदय में धर्म का अंकुर नहीं फूट सकता| 16. वासना का सम्बन्ध न तो तन से हैं और न वसन से है, अपितु माया से प्रभावित मन से है| 17. किसी के दुख को देख कर दुखी होना ही सच्ची सहानुभूति है। 18. मरहम पट्टी बांधकर व्रण का कर उपचार, ऐसा यदि ना बन सके डंडा तो मत मार। 19. लायक बन नायक नहीं, करना है कुछ काम, ज्ञायक बन गायक नहीं, पाना है शिवधाम| 20. उस पथिक की क्या परीक्षा पथ में शूल नहीं, उस नाविक की क्या परीक्षा धारा प्रतिकूल नहीं| 21. प्रतिभा देश की सबसे बड़ी संपत्ति है इसका पलायन नहीं होना चाहिए 22. धन का संग्रह अनुग्रह के लिए करो परिग्रह के लिए नहीं | 23. तुम भीतर जाओ,तुम्बी सम, तुम भीतर जाओ| 24. जो दिख रहा है वह मैं नहीं हूँ, जो देख रहा है वह मैं हूं| 25. मन की मलिनता धर्म की तेजस्विता को नष्ट कर देती है | 26. यदि तुम समर्थ हो तो असमर्थो को समर्थ बनाओ,यही समर्थ होने का सच्चा लाभ है | 27. सत्य केवल शाब्दिक अभिव्यक्ति का साधन नहीं, अनुभूति की साधना है| 28. जैसे पानी के प्रवाह के बिना नदी की शोभा नहीं होती, वैसे ही नैतिकता के अभाव में मनुष्य की शोभा नहीं| 29. मनुष्य के अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है उसका प्रमाद| 30. दूसरों की निंदा करना सबसे निंदनीय कार्य है| 31. अपनी वासना का शमन ही सच्ची उपासना है | 32. संघर्षमय में जीवन का उपसंहार हमेशा हर्षमय होता है| 33. जीवन के उतार चढ़ाव में ठहराव बनाए रखना ही जीने की कला है| 34. आदेश नहीं अनुरोध की भाषा का प्रयोग करो | 35. वीतरागी बनने का ध्येय रखे, वित्त रागी नहीं। 36. अच्छे लोग दूसरों के लिए जीते हैं जबकि दुष्ट लोग दूसरों पर जीते हैं| 37. नम्रता से देवता भी मनुष्य के वश में हो जाते हैं| 38. जिस तरह कीड़ा कपड़ों को कुतर देता है, उसी तरह ईर्ष्या मनुष्य को| 39. जिन्हें सुंदर वार्तालाप करना नहीं आता, वही सबसे अधिक बोलते हैं| 40. दूसरों के हित के लिए अपने सुख का त्याग करना ही सच्ची सेवा है| 41. धर्म पंथ नहीं पथ देता है| 42. चार पर विजय प्राप्त करो- १. इंद्रियों पर २. मन पर ३. वाणी पर ४. शरीर पर| 43. यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं| 44. डरना और डराना दोनों पाप है| 45. चरित्रहीन ज्ञान जीवन का बोझ है| 46. सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता| 47. अहिंसा की ध्वजा जहाँ लहराती है, वहाँ सदा मंगलमय वातावरण रहता है। 48. उस ओर कभी मत जाओ, जिस ओर तुम्हारे चरित्र में पतन होने का खतरा हो। 49. देशवासी का प्रथम कर्तव्य अपने देश के स्वाभिमान की रक्षा करना हैं | 50. क्रोध रुपी अग्नि, पूण्य रूपी रत्नों को जल देती हैं | 51. क्रोध अपने स्वभाव की कमजोरी है | 52. क्रोध में बोध नहीं होता और क्षमा में विरोध नहीं होता | 53. क्रोध मनुष्य के जीवन को एकाकी बनाता है | 54. गुरू ही परमात्मा तक पहुँचाते हैं | 55. गुरू की आज्ञा और वचन, सूत्र के सामान होते हैं | 56. जिसका हदय दया से द्रवीभूत नहीं हैं, उसमें धर्म के अंकुर संभव ही नहीं हैं | 57. दीन-दु:खी जीवों की पीड़ा देखकर जिनकी आँखों में पानी नहीं आता, वह आँख, आँख नहीं छेद है, फिर छेद तो नारियल में भी होता हैं | 58. नम्रता के आगे कठोरता सदैव पिघलती है | 59. दया धर्म से ही धर्म की रक्षा संभव है | 60. दया और करुणा के अभाव में मानवता का प्रकाश प्राप्त होना संभव नहीं | 61. दयाधर्म की रक्षा करना ही मानवता की रक्षा करना है | 62. हम किसी को जीवन नहीं दे सकते, किन्तु जीवन बचा तो सकते हैं | 63. महत्वपूर्ण जन्म नहीँ, जीवन है | 64. सरलता, सादगी और सदभावना ही जीवन का सही धर्म है | 65. धन से सुविधायें मिल सकती है, सुख नहीं 66. परिश्रम से अर्जित धन सौभाग्य का दाता होता है | 67. परलोक गमन के समय पैसा नहीं पुण्य काम आता है | 68. ज्ञान एक ऐसा धन हैं, जो मन को भी अपने वश में कर लेता है 69. जोड़ने का प्रयत्न करो, तोड़ने का नहीं, क्योंकि तोड़ना सरल है पर जोड़ना काफी कठिन है | 70. सबके कल्याण की भावना रखने वाला अपने कल्याण का बीजारोपण कराता हैं | 71. दूसरे का हित करके अपने हित का साधन करना चाहिए | 72. सत्य परेशांन हो सकता है, परंतु पराजित नहीं | 73. समय देना महत्वपूर्ण नहीं, समय के अनुरूप कार्य करना महत्वपूर्ण है | 74. अवसर आने पर जो उपकार किया जाता है, वह देखने में भले ही छोटा हो पर वास्तव में सबसे बड़ा होता है | 75. आपकी अपनी असफलता में ही सफलता का रहस्य छुपा होता है | 76. आधुनिकता की होड़ में अपनी मूल संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए | 77. दीपक के तरह की जलना नहीं, सूर्य के तरह चमकना सीखो | 78. पथिक को पहले पथ नहीं प्रकाश चाहिए | 79. कत्लखाने भारतीय इतिहास के लिये कलंक हैं | 80. क़त्लखानों का आधुनिकीकरण दुर्भाग्यपूर्ण है | 81. आस्था मस्तिष्क में नहीं हृदय में जन्मती है, अत: हमारी आस्था का केन्द्र ज्ञान सम्पन्न मस्तिष्क नहीं, बल्कि भावना सम्पन्न हृदय होता है | 82. “ही” एकान्त का प्रतीक है और "भी" अनेकान्त का |“ही” में किसी की अपेक्षा नहीं है जबकि "भी" पर के अस्तित्व को स्वीकार करता है | 83. हमें दूसरों की बात बिना पूर्वाग्रह के सुनना चाहिए, यही तो अनेकान्त का मूल मन्त्र है|
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    जुलूस के लिए प्रशासनिक अनुमति हेतु आवेदन पत्र ------------------------------- दिनांक: सेवा में, श्रीमान्............. अधिकारी ..................................... ..................................... विषय: प्रभात फेरी/शोभा यात्रा/जुलूस निकालने के लिए अनुमति हेतु अनुरोध-पत्र महोदय, आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि हम सब अखिल भारतीय जैन समाज दिगंबर जैनाचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के 50वें दीक्षा दिवस को "संयम स्वर्ण महोत्सव" के रूप में देशभर में मना रहे हैं, जो 28 जून 2017 को आ रहा है। आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज पिछले पचास वर्षों से आध्यात्मिक साधना में रत हैं। स्व कल्याण के साथ साथ वह जन कल्याण के लिए भी निरंतर प्रेरणा देते हैं और उनके आशीर्वाद से अनेक सामाजिक उत्थान के कार्य हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं: बालिकाओं हेतु उत्कृष्ट उच्च शिक्षा, जीवदया के अंतर्गत १०० से अधिक गौशालाओं की स्थापना, जिसमें अब तक १ लाख बूढ़ी/परित्यक्त/असहाय गायों की प्राण रक्षा की गई है और सेवा कार्य निरंतर जारी है, ग्रामीण भारत में स्वदेशी और स्वावलंबन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 50 से अधिक स्थानों पर हथकरघा केंद्र खोले जा चुके हैं। ऐसे महान संत के 50वें दीक्षा दिवस निमित्त आयोजित संयम स्वर्ण महोत्सव के अवसर हम सकल जैन समाज प्रभात फेरी/शोभा यात्रा/जुलूस निकालना चाहते हैं। कृपया दिनांक २८ जून २०१७ को सुबह............... बजे से........... तक स्थान ............ से............... तक की प्रभात फेरी/शोभा यात्रा/जुलूस निकालने हेतु अनुमति प्रदान करने की कृपा करें। धन्यवाद, भवदीय (संस्था का नाम) हस्ताक्षर (पदाधिकारी का नाम.....................) (पद.............) संलग्न : आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज के जीवनपरिचय की प्रति
  9. please see the following link https://vidyasagar.guru/announcement/1-संयम-स्वर्ण-महोत्सव-50-वें-मुनिदीक्षा-महोत्सव-के-कार्यक्रम/
  10. संयम स्वर्ण महोत्सव एक विशिष्ट तिथि: आषाढ़ शुक्ल पंचमी, तदनुसार बुधवार, दिनांक 28 जून 2017 अद्भुत ज्ञान के धनी, उत्कृष्ट चर्या के पालक, जिनागम के अद्वितीय हस्ताक्षर, महाकाव्यों के रचयिता, सरस्वती के वरद हस्त, गुरुनाम गुरु श्रीमद आचार्यदेव श्री १०८ ज्ञानसागर जी महामुनिराज के सुशिष्य, अद्भुत दृष्टा, जन जन के आराध्य, जिनधर्म प्रभावक, स्वदेशी और स्वभाषाओं के प्रबल समर्थक आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज का दीक्षा महोत्सव हम सब के लिए जीवन का एक अनुपम पर्व बनकर उपस्थित होने जा रहा है, इस उत्सव में सहभाग ना केवल हम सबके आनंद की अभिवृद्धि करेगा अपितु हम सबके मन में अपने समय के सर्वोच्च मनीषी की आध्यात्मिक चेतना के साक्षात्कार का निमित्त भी बनेगा। जैसा कि आप सभी को विदित है कि गुरुदेव की दीक्षा का स्वर्ण महोत्सव आषाढ़ शुक्ल पंचमी 28 जून 2017 को आ रहा है। हम सबको इसे अलौकिक क्षण को एक महापर्व के रूप में आयोजित करना है। इस शुभ दिन को अविस्मरणीय बनाने के लिए हम सभी बहुत सारे आयोजन कर सकते हैं जैसे हर घर में दीपमालाएँ प्रज्वलित की जाएँ, हर मुनिभक्त श्रावक के निवास स्थान पर जैन ध्वजा लहलहा उठे, संस्थानों में आचार्य श्री के सुंदर चित्र सुशोभित किए जाएँ, नगर नगर और गाँव गाँव में "जैनम् जयतु शासनम्, वंदे विद्यासागरम्" के जयघोष के साथ प्रभात फेरियाँ, चल समारोह निकाले जाएँ, आचार्य छत्तीसी विधान, महा आरती, भक्ति संगीत, भजन कीर्तन संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विद्वान ब्रह्मचारी भाई बहनों के प्रवचनों का आयोजन कर सकते हैं। मुनि संघ अथवा आर्यिका संघ का सान्निध्य मिले तो इन कार्यक्रमों की प्रभावना चौगुनी बढ़ जाएगी। निवेदन यह भी है कि इन सभी आयोजनों का प्रचार-प्रसार स्थानीय समाचार माध्यमों में अवश्य किया जाना चाहिए।साथ ही सामाजिक संचार माध्यमों जैसे मूषक, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स एप आदि पर भी अधिक से अधिक प्रचारित किया जाना चाहिए ताकि समाज के विभिन्न समुदायों के लोग आचार्यश्री के व्यक्तित्व और कृतित्व से अवगत होकर लाभान्वित हों। आशा करते हैं कि आप पूरी उर्जा के साथ इस ऐतिहासिक क्षण को अविस्मरणीय बनाने में जुट जायेंगे। हम इसके साक्षी, सहभागी एवं अनुगामी बनें, इससे हमारे जीवन में आध्यात्मिक चिंतन, दर्शन तथा आचरण को एक नई दृष्टि मिलेगी।⁠ यह भी अवश्य देखें:
  11. आपकी बाल्यावस्था अत्यंत रोचक एवं आश्चर्यकारी घटनाओं से भरी है। आप बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धारी हैं। आपकी मातृभाषा कन्नड़ है। आपने कक्षा नवमी तक मराठी माध्यम से अध्ययन किया। इसके उपरांत आपका लौकिक बढ़ाई से मन उचट गया और आप अलौकिक आत्म तत्व की खोज में लग गये।चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी के प्रवचन सुनकर 9 वर्ष की बाल उम्र में आपके हृदय पर वैराग्य का बीज अंकुरित हो गया। 12 वर्ष की उम्र में आचार्य श्री देशभूषण जी के सान्निध्य में आपका मूंजी बंधन संस्कार हुआ। अपनी मित्र मंडली के साथ खेल-खेलते समय आपको मुनि श्री महाबल जी के दर्शन हुए। आपकी तीक्ष्ण प्रज्ञा से प्रभावित होकर उन्होंने आपको बाल्यावस्था में ही तत्वार्थ सूत्र और सहस्रनाम कण्ठस्थ करने की प्रेरणा दी। आपके पिता ने भी आपको घर में धार्मिक शिक्षण प्रदान किया। यौवन की दहलीज पर पग रखते ही (20 वर्ष की अवस्था में) जुलाई 1966 आपने सदा-सदा के लिए सदलगा त्याग दिया और राजस्थान प्रांत अंतर्गत जयपुर पहुंचकर आचार्य श्री देशमुख जी से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार कर लिया। 1967 में श्रवणबेलगोला में श्री बाहुबली भगवान के महामस्ताकाभिषेक के समय आप आचार्य संघ के साथ पदयात्रा करते हुए वहाँ पहुंचे और वहीं आपने आचार्य श्री देशभूषण जी से सप्तम प्रतिमा के व्रत ग्रहण किये।आपकी ज्ञान पिपासा ने आपको मुनि श्री ज्ञानसागर जी के पास पहुंचा दिया। आपको सुपात्र जानकर गुरूवर श्री ज्ञानसागर जी ने यह कहकर आपकी परीक्षा ली-विद्याधर जब नाम है तो विद्याधरों की तरह विद्या लेकर उड़ जाओगे, फिर मैं श्रम क्यों करूँ ? गुरू के यह वचन सुनकर आपने आजीवन वाहन का त्याग करके अपनी गुरूभक्ति एवं समर्पण का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। जिस तरह एक शिल्पी किसी अनगढ़ पत्थर से व्यर्थ को हटाकर उसमें भगवान को तराशता है, उसी तरह आपके गुरू ने अत्यंत लगन एवं तत्परता से आपको तराशा। जब उन्हें प्रतीत हुआ कि यह प्रस्तर पूर्ण रूप से तराशा जा चुका है, तो उन्होंने इस प्रतिमा को जग के सम्मुख प्रस्तुत करने का विचार किया। आषाढ़ शुक्ल पंचमी 30 जून 1968 को अजमेर की पुण्यभूमि पर आचार्य गुरूवर श्री ज्ञानसागर जी ने आपको दिगम्बरी दीक्षा प्रदान की। आपकी उत्तम पात्रता एवं प्रखर प्रतिभा से प्रभावित होकर आपके गुरू ने आपको अपना गुरू बनाया। हाँ, 22 नवम्बर 1972 को नसीराबाद की पुण्यधारा पर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने अपना आचार्य पद आपको सौंपकर आपका शिष्यत्व स्वीकार कर, आपके चरणों में अपनी सल्लेखना की भावना व्यक्त की। यह उनकी मृदुता और ऋजुता का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण था। ऐसा गुरूत्व और ऐसा शिष्यत्व इतिहास में दुर्लभ है। आपके दीक्षित होते ही आपके माता-पिता एवं भाई-बहिनों ने भी आपके मार्ग का अनुसरण किया। यह इस सदी की प्रथम घटना है। जहाँ एक ही परिवार के आठ सदस्यों में सात सदस्य, सात तत्वों का चिंतन करते हुए मोक्ष मार्ग पर आरूढ़ हो गए। माँ श्रीमंती ने आर्यिका व्रत ग्रहण कर आर्यिका श्री समयमति नाम पाया, तो पिता श्री मल्लप्पा जी मुनिव्रत अंगीकार कर 108 मुनि श्री मल्लिसागर नाम पाया। दोनों अनुज भ्राता मुनि श्री समयसागर जी एवं मुनि श्री योगसागर जी के नाम से वर्तमान में आचार्य संघ की शोभा बढ़ा रहे हैं। दोनों बहनें शांता एवं सुवर्णा आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत से अलंकृत होकर धर्म साधना मंे रत हैं। मात्र अनुज भ्राता महावीर अष्टगे ही उदासीन भाव से अपने गृहस्थ धर्म का पालन कर रहे हैं। आपके पवित्र कर कमलों से अभी तक 130 मुनि दीक्षा, 172 आर्यिका दीक्षा, 56 ऐलक दीक्षा, 64 क्षुल्लक दीक्षा एवं 3 क्षुल्लिका दीक्षा सम्पन्न हो चुकी है। वर्तमान में विराट संघ है। आपकी निर्दोष चर्या से प्रभावित होकर 1000 से अधिक युवा-युवतियाँ आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण करने वाले ये सभी भाई-बहिन उच्च शिक्षित एवं समृद्ध परिवार से हैं। तीर्थंकर प्रकृति के बंध के कारणभूत लोक कल्याण की भावना से अनुप्राणित होकर आपने अपने लोकोपकारी कार्यों हेतु अपनी प्रेरणा व आशीर्वाद प्रदान किया।जैसे जीवदया के क्षेत्र में सम्पूर्ण भारत वर्ष में संचालित गौ शालाएँ, चिकित्सा क्षेत्र में भाग्योदल चिकित्सा सागर, शिक्षा क्षेत्र में-प्रतिभा स्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ जबलपुर (म.प्र.) डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) एवं रामटेक (महाराष्ट्र), शांतिधारा दुग्ध योजना बीना बारहा, पूरी मैत्री, हथकरघा आदि लोक कल्याणकारी संस्थाएँ आपके आशीर्वाद का ही सुफल है।
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    शिल्पकार (आर्किटेक्चर) विवरण - कीर्ति स्तम्भ कृपया हरे डाउनलोड बटन पर क्लिक करके तीनों प्रकार के स्तंभों के आरेख चित्र डाउनलोड करें Please click green color download button to download all the three drawings in pdf format: KS-Model 1 85"X85"X25'9" (२६ फुट) KS-Model 2 58"X58"X21'1" (२१ फुट) KS-Model 3 50"X50"X14'3" (१४ फुट) Keerthi Stambh details pdf For more information 1. https://vidyasagar.guru/clubs/7-Keerti-stambh 2. https://vidyasagar.guru/forums/topic/11-vidyasagar-guru/
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