संत शिरोमणि आचार्य भगवन गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज ससंघ का वर्षायोग चातुर्मास डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में हो रहा है
कलश स्थापना समारोह 2 जुलाई 23 को दोपहर 1 बजे से श्री चंदगिरी जैन तीर्थ क्षेत्र डोंगरगढ़ में होगी
वर्षों से महावीर जयंती मनाते आये हैं , चैत्र मास आते ही एक एक दिन गिनते हैं | कब आये कब आये सोचते हैं पर खेद का विषय हैं पिछले 2 वर्ष से इस उत्साह उमंग और भक्ति में कमी सी आ गई | आज लग ही नहीं रहा की महावीर जयंती हैं | गत साल तो फिर भी थोड़ा कम था , इस वर्ष तो और ज्यादा नाजुक स्थिथि हैं |
ऐसे सामुहिक अंतराय कर्म का उदय आया जो ऐसी स्थिति बन गई | वैश्विक महामारी ने भयावय रूप ले लिया | महराष्ट्र में तीन लाख से भी ज्यादा लोग पीड़ित हैं | सरकार भी क्या करें – आपको ही जो करना हैं व करें | इस रोग हेतु सबसे अधिक आवश्यकता हैं – प्राण वायु की | प्राणों का संरक्षण बिना प्राण वायु के नहीं हो सकेगा | प्राण रहेंगे तो शरीर रहेगा, शरीर रहेगा तो धर्म रहेगा | शरीर को रखने हेतु अन्न की आवश्यकता हैं |
स्वामी समंतभद्र आचार्य ने कहा की “यद् निष्ट तद व्रतये“ धर्म को जीवन में रखना हैं तो पहले जो अनिष्ठ हैं उसका त्याग करों | जो जीवन के लिए घातक हैं उसका तो त्याग ही कर देना चाहिए, तभी धर्म सुरक्षित रहेगा | आज मैं पूछना चाहता हूँ की आप सब जाग्रत हैं या नहीं ? कोल्ड स्टोरेज में फल फूल रखते हैं, कब से रखा हैं – पता नहीं |
अन्य वस्तुओं की तो शास्त्र में मर्यादा एक हफ्ते आदि बताई फिर इन साग सब्जी फल की मर्यादा ? चाहें नगर हो या ग्राम – घर में हो या बाहर, बासी हो गया तो नहीं खायेंगे, बच्चों को भी नहीं देंगे, रोगी बन जायेंगे | आज इसी से करोड़ो का व्यपार चल रहा हैं, अकाल में ही फल आदि आपको लाके दिए जा रहे हैं, आप भक्ष मान के खा रहे हैं, कैसे पढ़ें लिखें हैं आप ?
अपने आप को समझदार मान रहे हो – standard मान रहे हैं – जो बेमौस फल सब्जी खायेगा, निश्चित बेमौसम चला जायेगा | डॉक्टर लोग भी इसे नहीं समझ पा रहे हैं – कैसे पढ़े लिखें कहलायेंगे ? कैंसर की पूरी सम्भावना हैं, प्राण घातक हैं | ऐसे स्थान पर रख कर क्या धर्म सुरक्षित रख पा रहे हैं ? खेद के साथ कहना पड़ता हैं यह सब विदेशी शिक्षा का ही प्रति फल हैं | रखने की तो छोड़ो, छूने योग्य भी नही हैं | जो आटा आ रहा हैं, कब का हैं , पता ही नहीं |
ऐसे कोल्ड स्टोर में रखे पदार्थों को गैया तो क्या गधे भी उसे नहीं खाते | आपकी कौनसी गति विधि हैं कोई ज्ञान नहीं | एक और फ़ास्ट फ़ूड की तरह सी फ़ूड भी होता हैं – सी फ़ूड और कुछ नहीं समुद्र के जीव जंतुओं को भोजन बना के खा रहे हैं – आचार्यों ने ऐसे व्यक्तियों के साथ रहने को भी मना किया हैं |
आप इस विषय में सोच भी नहीं रहे हो | जो कुछ भी कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं , वह खाना तो दूर छूने योग्य भी नहीं | दूसरा भाजी वाला इत्यादि में रंग छिड़ककर उन्हें ताज़ी ताज़ी बताते हैं – आपका तो भोजन ही नहीं होता हरी सब्जी के बिना | आज उन्हीं से गंभीर बीमारियाँ किडनी आदि फैल हो रहे हैं |
शुद्ध सात्विक भोजन करोंगे तब ही धर्म को जीवित रख पाओंगे | कहते हुए मुझे बुरा नहीं लग रहा – शुद्ध भोजन में क्या क्या घुस गया | सोच लो प्राणों की रक्षा हेतु साग सब्जी कुछ नहीं, अन्न चाहिये | अन्न से ही प्राण बच सकते हैं | अन्न को बीज भी कहते हैं | 6 महीने तक सूर्य के ताप को सहन करता हैं, तपस्या के बिना बलिष्ट खाने योग्य नही बन सकता | खून का बनना अलग बात, बन कर उसका टिके रहना अलग बात | इसलिए क्या खा रहे हैं | थर्मामीटर से तापमान नापते हैं, तापमान अर्थात भीतर की गर्मी, साग सब्जी से वह गर्मी नहीं आती, अन्न से ही वह गर्मी आएगी| जठराग्नि प्रदीप्त होगी तभी पाचन शक्ति अच्छी होगी | तापमान गिरते जा रहा हैं अब तो हिमपात भी होने लगा | रक्त संचार भी तभी जठराग्नि उदीप्त हैं, उद्दीपन हेतु बीज चाहिये| शरीर को बीज / अन्न का कीड़ा कहा, फल या साग सब्जी का नहीं | अन्न खाओ, दो रोटी किसान खाता हैं तो सुबह से शाम तक काम करता रहता हैं | गर्मी के दिन में थोड़ा सा सतवा घोल कर पी लिया – अब कहीं भी जाओ, लू भी कुछ नहीं कर सकती | आज पानी तक दूषित हो गया, वनस्पति पर कीट नाशक छिड़कते हैं , वह तो प्राण घातक ही हैं |
अंगूर (दाक्ष) आदि को कीड़े से बचाने के लिए पानी में डुबोते हैं उसमे दवा भी रहती हैं जो अंगूर के भीतर तक चले जाती हैं | पैसा भी गया, प्राण भी गए सब गया | रोग और भयानक हो गया | अब तो सोचो कोल्ड स्टोरेज के पदार्थ जीवन रक्षक नहीं वे तो जीवन भक्षक हैं | जब तक परिक्षण, नीरक्षण अथवा निर्णित नहीं तब तक कैसे कुछ भी खा सकते हैं |
अब सब कहने लगे फ़ास्ट फ़ूड मत खाओ, सी फ़ूड बंद करो | क्यों हुआ परिणाम सामने हैं पर कोल्ड स्टोरेज के पदार्थों से कोई नहीं डर रहा बल्कि निर्भीक होके प्रयोग कर रहे हैं – ऐसे में सम्यक दर्शन आएगा ही नहीं | आप कैसे माता पिता, कैसे संरक्षक हैं ? इसे घर से बहार निक़ालना ही पड़ेगा | हमे तो बहुत विस्मय होता हैं – कल संघ के मध्य भी रखा था | सभी महाराज जी ने कहा इसे हाथ भी न लगाये | यह सब चीजें घर में आनी नहीं चाहिये | आपकी क्वालिफिकेशन का क्या – हम ऐसा आशीर्वाद कभी नहीं देंगे |
धर्म के झंडे को ऊँचा रखना हैं तो इन सब का त्याग करना होगा | आपके बाप दादाओं ने जो इतनी मेहनत से तैयार किया उस धर्म को सुरक्षित रखना हैं | कुछ कटु शब्द का प्रयोग किया किन्तु आवश्यक था | ग्रंथो में आया हैं बिना कुछ कहे, बिना कुछ पूछे भी हमे बोलना चाहिए | इतना ही पार्यप्त हैं | अहिंसा परमो धर्म की जय |
शक्कर के चक्कर में मत पड़ो, गुड़ के चक्कर में पड़ो, गुड़ में बहुत गुण: आचार्य विद्यासागर
भाग्योदय तीर्थ परिसर में विराजमान आचार्य विद्यासागर महाराज ने बुधवार को धर्म सभा में कहा कि गुड गुणकारी है और कभी हानिकारक नहीं होता है। जबकि शक्कर के उपयोग से डायबिटीज की बीमारी बढ़ रही है और वह बहुत हानिकारक है।
आचार्यश्री ने कहा शुगर में डूबोगे तो निश्चित रूप से डायबिटीज हो जाएगी। शक्कर के चक्कर में मत पड़ो गुड़ के चक्कर में पड़ो, गुड़ में बहुत गुण हैं। आपके आलसी बने रहने से आपको शुगर की बीमारी होती जा रही है। लाखों लोग प्रतिदिन इंसुलिन लगाकर भोजन कर रहे हैं।
6 फरवरी 2019 आचार्य श्री विद्यासागर जी प्रवचन (सागर)
आचार्यश्री ने कहा कि शक्कर बनाने लाल से सफेद करने की प्रक्रिया रासायनिक पद्धति से होती है, जो खराब है। शक्कर से चक्कर आते हैं। किसी भी रूप में यह गुणकारी नहीं है। आज मानव बीमार हो रहा है तो उसमें सबसे बड़ी भूमिका शक्कर की है बीमारी में किसी और का हाथ नहीं आपका स्वयं का हाथ है। रसायन के माध्यम से शक्कर को सफेद किया जा रहा है और यह सफेद शक्कर जहर है। जीवन बचाने के लिए शक्कर छोड़ने की जरूरत है।
सिद्धांत को सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना चाहिए। भारत में जो शास्त्र लिखे गए हैं। मनगढ़ंत नहीं है। आप भावों का मिश्रण बनाइए। विष के अंश समाप्त हो जाएंगे। जितना गुड़ का उपयोग करोगे निश्चित रूप से बीमारियां भी आपसे दूर हो जाएंगे। आचार्यश्री ने कहा संसार में अद्भुत परिवर्तन आते हैं, जो हमारी समझ में नहीं आते हैं। सिद्धांत में कोई परिवर्तन संभव नहीं है लेकिन कुछ वस्तुओं के सम्मिश्रण होने पर परिवर्तन हो जाते हैं। आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन का अवसर विनोद पाटनी गुवाहाटी को मिला। आचार्यश्री की पूजन गोपालगंज जैन समाज के श्रद्धालुओं ने की इस अवसर पर लगभग एक दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं ने राजकोट जिनालय में अपने परिवार की ओर से मूर्ति विराजमान कराने की घोषणा की। आचार्यश्री की आहारचर्या बैशाखिया परिवार के चौके में हुई। आज आहारचर्या के बाद बैशाखिया परिवार ने सर्वतोभद्र जिनालय में एक बड़ी प्रतिमा विराजमान कराने की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन मुकेश जैन ढाना और सुरेंद्र जैन मालथौन ने किया।
आचार्यश्री विद्यासागर महाराज इन दिनों भाग्योदय तीर्थ परिसर में विराजमान है। आचार्यश्री की शिष्या आर्यिका ऋजुमति माताजी का रहली से, आर्यिका अकम्पमति माताजी का गौरझामर से, आर्यिका उपशांतमति माताजी का सुरखी और आर्यिका गुणमति माताजी का परसोरिया से विहार कर भाग्योदय तीर्थ सागर आने के संकेत हुए है। आर्यिका विज्ञान मति माताजी भी आचार्य श्री के दर्शनों के लिए बिलहरा से विहार करते हुए सागर पहुंच रही है। जबकि झांसी में विराजमान आर्यिका पूर्णमति माताजी ससंघ विहार कर 1 सप्ताह में ललितपुर पहुंचेगी और वहां से उनके भी सागर पहुंचने की संभावना है। शुक्रवार तक 63 माताजी (कुल 6 संघ) भाग्योदय में विराजमान हो जाएंगी।
सभा को संबोधित करते आचार्यश्री इनसेट- आचार्यश्री से मिलने कमिश्नर, आईजी और डीआईजी पहुंचे। सभी ने लिया आशीर्वाद।
मुनिश्री समय सागर महाराज ईसुरवारा पहुंचे - सागर. मुनिश्री समय सागर महाराज खुरई से सागर की ओर बिहार कर रहे हैं। बुधवार शाम मुनिसंघ का बिहार जरुआखेड़ा से मुनि सुधासागर महाराज की जन्मस्थली प्रसिद्ध जैन तीर्थक्षेत्र ईसुरवारा के लिए हुआ। शाम 5 बजे भव्य अगवानी हुई। मुनि संघ की 8 फरवरी को सागर में भव्य अगवानी होगी। भाग्योदय में विराजमान आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन करने के लिए सागर संभाग के आयुक्त मनोहर दुबे, सागर पुलिस आईजी सतीश सक्सेना और डीआईजी राकेश जैन पहुंचे। आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया और चर्चा की।
इंदौर:- इंदौर में कल से शुरू होने वाले ऐतिहासिक पंचकल्याणक को वर्ल्ड बुक्स ऑफ रिकॉर्डस लंदन में दर्ज किया जाएगा।
ब्रह्मचारी सुनील भैया जी ने बताया विश्व में पहली बार 13 दिगम्बर जिनालयों के पंचकल्याणक एक साथ दिगंबर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के सानिध्य में इंदौर शहर में आयोजित किए जा रहे हैं इसमें देश विदेश के लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है।
इस अनूठे आयोजन को वर्ल्ड बुक्स ऑफ रिकॉर्डस लंदन में दर्ज किया जा जा रहा है।
आचार्य श्री के संघस्थ मुनि श्री संभव सागर महाराज को समाज के संजीव जैन “संजीवनी” एवं जयेश कोठारी संपादक “शिखर ध्वज” द्वारा पत्र प्रदान कर इस हेतु विनती की गई एवं आचार्य श्री का आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
इसका प्रमाण पत्र 28 जनवरी को पंचकल्याणक समारोह में दिए जाने की संभावना है इस अवसर पर समाज के गायक श्री चिंतन बाकीवाला, वर्ल्ड रिकॉर्ड लंदन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष शुक्ला, तिथि भल्ला एवं समस्त जैन समाज के गणमान्य महिला पुरुष उपस्थित रहेंगे
संविधान में संशोधन के लिए दिल्ली के किसान की जनहित याचिका पर 2 जून 2020 को सुनवाई
उच्चतम न्यायालय में याचिका- देश को इंडिया कहना अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक, नाम बदलकर भारत करें; इससे राष्ट्रीय भावना बढ़ेगी
तर्क दिया- अंग्रेज गुलामों को इंडियन कहते थे, उन्होंने ही इंडिया नाम दिया
नई दिल्ली. 30-मई-2020
देश का नाम भारत ही लिखा और बोला जाना चाहिए: जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी
जैन संत आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज भी इंडिया नाम को लेकर प्रश्न उठाते रहे हैं। भारत को भारत कहा जाए यह बात वह अपने प्रवचनों में कहते रहे हैं। यहाँ तक कि वे 2017 से वे देशव्यापी अभियान भी चला रहे हैं। कुछ दिनों पहले 'भारत बने भारत' नाम से एक यूट्यूब चैनल भी आरंभ किया गया है। आचार्यश्री कहते हैं कि जब हम मद्रास का नाम बदल कर चेन्नई कर सकते हैं, गुड़गाँव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर सकते हैं तो इंडिया को हटाकर भारत करने में क्या बाधा है?
श्रीलंका जैसा छोटा सा देश पहले सीलोन के नाम से जाना जाता था, अब श्रीलंका के नाम से जाना जाता है, तो हम क्यों गुलामी के प्रतीक इंडिया को थामे हुए हैं, हमें भी अपने गौरवशाली भारत नाम को पुनः अपनाना चाहिए।
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अंग्रेजी में देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने की माँग उच्चतम न्यायालय पहुँची है। दिल्ली के किसान नमः ने एक जनहित याचिका दायर कर संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग की है। इसी के माध्यम देश को अंग्रेजी में इंडिया और हिंदी में भारत नाम दिया गया है। उच्चतम न्यायालय इस याचिका पर 2 जून को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता का कहना है कि इंडिया नाम हटाने में भारत सरकार की विफलता अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक है। देश का नाम अंग्रेजी में भी भारत करने से लोगों में राष्ट्रीय भावना का विकास होगा और देश को अलग पहचान मिलेगी।
यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ में होगी। इस मामले में सुनवाई शुक्रवार को होनी थी, लेकिन श्री बोबडे की अनुपस्थिति के कारण इसे आगे बढ़ा दिया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि प्राचीन काल से ही देश को भारत के नाम से जाना जाता रहा है। परंतु अंग्रेजों की 200 वर्षों की गुलामी से मिली आजादी के बाद अंग्रेजी में देश का नाम इंडिया कर दिया गया। देश के प्राचीन इतिहास को भुलाया नहीं जाना चाहिए इसलिए देश के मूल प्रामाणिक नाम भारत को मान्यता दी जानी चाहिए। उन्होंने दलील दी है कि इंडिया नाम हटाने में सरकार की विफलता अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक है। अंग्रेज गुलामों को इंडियन कहकर संबोधित करते थे। उन्होंने ही देश को अंग्रेजी में इंडिया नाम दिया था। 5 नवंबर 1948 को संविधान के प्रारूप 1 के अनुच्छेद 1 के मसौदे पर बहस करते हुए एम. अनंतशयनम अय्यंगार और सेठ गोविंद दास ने देश का नाम अंग्रेजी में इंडिया रखने पर जोरदार विरोध दर्ज कराया था।
उन्होंने इंडिया की जगह अंग्रेजी में भारत, भारतवर्ष और हिंदुस्तान आदि नामों का सुझाव दिया था। मगर, उस समय इस पर ध्यान नहीं दिया गया। अब इस गलती को सुधारने के लिए न्यायालय केंद्र सरकार को निर्देश दे कि अनुच्छेद 1 में संशोधन कर अंग्रेजी में देश का नाम भारत किया जाए।
"मूकमाटी" महाकाव्य निजी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी शामिल
दिगम्बर जैनाचार्यप्रवर सन्तशिरोमणि श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपनी सुदीर्घ साधना से अर्जित दिव्यज्ञान को गागर में सागर के समान भरकर सन् १९८७ में हिन्दी साहित्य जगत् को अप्रतिम योगदान के रूप में ‘मूकमाटी' महाकाव्य प्रदान किया था। यह कालजयी महाकाव्य अपनी साहित्यिक आभा से जनमानस की चेतना को प्रकाशित कर रहा है व आत्मोत्थान एवं सामाजिक समरसता के दिव्य सन्देश के माध्यम से सुषुप्त चेतना को जाग्रत कर रहा है। ‘मूकमाटी' महाकाव्य की विषयवस्तु पर केन्द्रित होकर मध्यप्रदेश, नई दिल्ली, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों के अनेक विश्वविद्यालयों में अद्यतन ४डी. लिट्., २४ पी-एच. डी. के शोध प्रबन्ध एवं ६ एम. फिल., २ एम. एड. तथा ५ एम. ए. के लघुशोध प्रबन्ध रूप में ४१ शोधकार्य हो चुके/रहे हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित ज्येष्ठ मुनि श्री समयसागर जी महाराज के साथ मुनि श्री प्रशस्तसागर जी, मुनि श्री मल्लिसागर जी तथा मुनि श्री आनन्दसागर जी महाराज का वर्षायोग-२०१८ विन्ध्य क्षेत्र की सुप्रसिद्ध धर्मनगरी सतना में हो रहा है। संघस्थ मुनि श्री मल्लिसागर जी महाराज की सत्प्रेरणा से श्री रुचिर जैन, ( साईं कृपा, जे. आर. बिरला मार्ग, सन्तोषी माता के पास ) सतना, म. प्र. ने अथक एवं सार्थक प्रयास किया। इसी के परिणामस्वरूप निजी विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध 'श्री कृष्णा विश्वविद्यालय' ने अपने पाठ्यक्रम में अब'मूकमाटी'महाकाव्य को भी शामिल कर लिया है।
श्री कृष्णा विश्वविद्यालय, छतरपुर, म. प्र. के कुलसचिव के पत्र क्रमांक १९/एसकेयू/२०१८, दिनांक ०७-०९-२०१८ के अनुसार “सन्त शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक ‘मूकमाटी' को स्नातकोत्तर उपाधि हिन्दी विषय के पाठ्यक्रम चतुर्थ सेमेस्टर के तृतीय प्रश्नपत्र में वैकल्पिक प्रश्नपत्र 'कोई एक साहित्यकार-आचार्य विद्यासागर' के रूप में पढ़ाये जाने हेतु पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर लिया है।''
"मूकमाटी" महाकाव्य अब तक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (उत्तरप्रदेश), पण्डित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़ ), राष्ट्रसन्त तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ, नागपुर ( महाराष्ट्र), सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजकोट (गुजरात), अटलबिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल (म. प्र.), बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल (म. प्र.), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म. प्र. ) आदि के एम. ए./एम. फिल.-हिन्दी तथा अंग्रेजी आदि के विविध पाठ्यक्रमों में भी ‘मूकमाटी' महाकाव्य सम्मिलित किया जा चुका है।
मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के लिए मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केन्द्र, भोपाल' द्वारा निर्मित 'कक्षा नवमी' विषयक 'नवनीत- हिन्दी विशिष्ट' नामक पाठ्यपुस्तक २०१८ के संस्करण में 'कविता का स्वरूप एवं विकास' के अन्तर्गत 'पद्य साहित्य का इतिहास' शीर्षक के दसवें पाठ 'विविधा' में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का जीवन परिचय सहित' मूकमाटी'महाकाव्य के पृष्ठ १६९-१७० पृष्ठों पर मुद्रित कविता का चयनित अंश तीसरे पाठ के रूप में स्वाभिमान' नाम से संकलित व प्रकाशित होकर अब मध्यप्रदेश के विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन में सहयोगी बनेगा।
इसके अतिरिक्त रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर, मध्यप्रदेश भोज ( मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल, सेज यूनिवर्सिटी, इन्दौर (म.प्र.), बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर ( छत्तीसगढ़ ) इत्यादि के पाठ्यक्रमों में भी ‘मूकमाटी' महाकाव्य को शामिल किये जाने सम्बन्धी प्रक्रिया गतिमान है।
प्रतियोगिता क्रमांक 3 में भाग लेने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSf_YSv7DBPC_mx1CZCtRD6Jg-LeZz9EafbJJZLk3hr2AEFjYw/viewform?usp=sf_link
खुरई के श्री गुरूकुल लाल जैन मंदिर परिसर में हुए प्रवचन : हिन्दी भाषा सर्वाेपरि है, इसमें प्राचीनकाल में जाे शाेध हुए, उन पर ही अब विदेशी शाेध कर रहे हैं छोटा बालक अंतस जैन ने किया गोलक की राशि का दान किया व किया आचार्य श्री का पद प्रक्षालन
खुरई (सागर)- आचार्य गुरुदेव की मंगल देशना रविवार 23 दिसंबर गुरुकुल प्रांगण। बड़ी तादात में उपस्थित जनसमूह ।
खुरई - हम 70 वर्ष बाद भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हाे पाए, अंग्रेजी आज भी हमें परतंत्रता की बेड़ियाें में जकड़े हुए है, हम तब ही स्वतंत्र होंगे जब हमारे मन से अंग्रेजियत का भूत समाप्त होगा। जब तक हम भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने बच्चों को संस्कार नहीं देंगे। अपनी मातृभाषा हिन्दी को नहीं अपनाएंगे तब तक हमारा हित संवर्धन नहीं हो पाएगा।
पाश्चात्य संस्कृति में भौतिक सुख की प्राप्ति तो हो सकती है परन्तु आत्मिक शांति मिलना बहुत दूभर काम है। हिन्दी भाषा सर्वोपरि है, काैन कहता है कि हिन्दी में शाेध नहीं हाे सकता, हिन्दी से देश विकास नहीं कर सकता, अंग्रेजियत की साेच हमारे ऊपर लाद दी गई। जिन देशाें ने अपनी भाषा काे अपनाया वह विकसित हाे चुके हैं, चीन, फ्रांस, इजरायल,रूस, जर्मन जैसे देशाें में अंग्रेजी का काेई स्थान नहीं है। वह अपनी मातृभाषा से विकसित देश बने हैं। यह बात गुरुकुल के लालजैन मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने लगातार 89 मिनट प्रवचन देते हुए कही। उन्हाेंने राष्ट्र में व्याप्त गंभीर समस्याओं बेरोजगारी, आतंकवाद, सांप्रदायिक तनाव, चारित्रिक पतन, अराजकता, भुखमरी, आरक्षण जैसे मुद्दों पर मर्मस्पर्शी उद्बोधन दिया। उन्हाेंने कहा कि मेरे लिए किताब का प्रकाशन महत्वपूर्ण नहीं है, किताब से कितना प्रकाश मिलता है यह महत्वपूर्ण हैं। बच्चाें काे वह किताबें पढ़ने मिलें जिनसे उनका जीवन आलाेकित हाे सके। हम देख रहे हैं कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमारे बच्चों को अनेक प्रकार की डिग्रियों से तो विभूषित कर देती है, पालकों के लाखों रुपया व्यय करने के बाद भी रोजगारोन्मुखी शिक्षा नहीं दे पाती।
मात्र 5-6 हजार रूपए के वेतन के लिए अनेक पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट हजारों की संख्या में पंक्तिवद्ध खड़े नजर आते हैं, ऐसी शिक्षा किस काम की। यदि विश्व के विकसित राष्ट्रों पर नजर डाली जाए तो उनमें से चीन, अमेरिका जैसे अधिकांश राष्ट्रों ने सिर्फ इसलिए सफलता पाई कि उन्होंने अपनी मातृभाषा में ही बच्चों को पढ़ाकर योग्य एवं नेक इंसान बनाया। हम अपनी मातृभाषा हिन्दी को अपनाकर ही विकसित राष्ट्र की श्रेणी में अग्रिम स्थान प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
रविवार काे नवीन जैन मंदिर में आचार्यश्री के पूजन से पहले पैर प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट की बाेली लग रही थीं। तभी एक बच्चा अंतस जैन पिता सुनील जैन शुद्ध वस्त्राें में अपनी गुल्लक लेकर मंच के पास पहुंच गया। संचालन कर रहे सुनील भैया जी काे गुल्लक दिखाई। तब उन्हाेंने मंच पर बच्चे काे बुला लिया, उससे पूछा क्या बात है। उसने आचार्यश्री के समक्ष गुल्लक रखकर निवेदन किया कि गुल्लक की राशि दान कर आपके पैर प्रक्षालन करना चाहता हूं। बच्चे की बात सुनकर सभी भाव विभाेर हाे गए। आचार्यश्री ने चरण छूने की अनुमति दी, बच्चे ने आशीर्वाद लिया, फिर पैर प्रक्षालन भी कराए। बच्चे की भावना और संस्काराें के बारे में भैया जी ने कहा, यह हमारी संस्कृति है।
दीपक जलाना बहुत आसान होता है, परन्तु ज्ञानदीप को जलाना बहुत मुश्किल होता है। याद रखना बंधुओं दीपक के तले ही अंधेरा होता है।
व्यक्ति को हमेशा र|दीप जलाने का प्रयास करना चाहिए, र|दीप के नीचे न तो अंधेरा ही रहता है और न ही यह कभी बुझता है। इसकी ज्योति भी निरंतर अखण्ड रूप से प्रज्जवलित होती रहती है। अधकचरा ज्ञान हमें कभी भी अपनी मंजिल या लक्ष्य की प्राप्ति नहीं करा सकता। अंधों में काना राजा बनना भी ठीक नहीं है। ज्ञानावरणी कर्मों का क्षय करने का निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। यह बात मंगलधाम परिसर में प्रवचन देते हुए अाचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कही। उन्हाेंने कहा कि क्या हो गया तुझे, अपमान पर अपमान सह रहा है, कर्म तुझे मनमाने दुःख दे रहे हैं तू कुछ भी कर नहीं पा रहा है। अपने स्वभाव में रह नहीं पा रहा है इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है जो आत्मा स्वचतुष्टय के स्तम्भ पर खड़े निजगृह में न रहे तो उसके गृह में कर्मरूपी डकैत बसेरा कर लेते हैं।
गृहमालिक कमजोर पड़ जाए, कमजोर बलजोर हो जाए और आत्मा मारा-मारा फिरे, इन्द्रिय और मन के विषयों की गुलामी करता रहे, पर में ही सुख को खोजता फिरे इससे बड़ा आत्मा का अपमान और क्या हो सकता है। उन्हाेंने कहा कि अपनी इस दुर्दशा पर क्या तुम्हें तरस नहीं आता। विषय भोगी और मान कषायी जीवों से पल भर भी कुछ सम्मान के शब्द सुनने के पीछे कितने दुःखों का भार उठाना पड़ रहा है। सम्यक् विचार क्यों नहीं करते। मान से उत्पन्न हुए सुखाभास रूप सुख को कुछ पल के लिए पाने हेतु कितने सारे पल दुःख में बीते जा रहे हैं। अरे! इन भारी कर्णाभूषणों को पहनने का औचित्य क्या जिससे कान ही कट जाए, कभी कुछ पहन ही न पाए। ऐसे मान का क्या प्रयोजन जो भगवान ही न बनने दे, भगवत्ता पर आवरण डाल दे। प्रभु की वाणी में भी सम्यक्त्व की, व्रती की प्रशंसा होती है यदि तुममें ये गुण नहीं हैं तो लज्जा की बात है। यदि सम्मान ही पाना है तो प्रभु वचनों में सम्मान पाअाे। आचार्यश्री ने कहा कि मानी जीवों से सम्मान पाकर क्या होना है यदि वे तुझे एक बार सम्मान देते हैं तो तुझसे सौ बार सम्मान पाने की तमन्ना भी रखते हैं यह निश्चित है। मान के लिए पर से सम्बन्ध जोड़ने पड़ते है, प्रशंसक एकत्रित करने होते हैं, इसके लिए उनकी भी झूठी प्रशंसा करनी होती है ऐसी झूठी जिंदगी जीने का मतलब ही क्या।
यदि मोक्ष सुख को पाने लिए परीशह उपसर्ग सहते तो कर्म निर्जरित हो जाते किन्तु मान के लिए अपमान को सहते रहने से तो और-और कर्म ही बांधते रहे। अपनी बर्बादी करते रहे यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि अपमान के घूंट बार बार पीने से दीनता आती है। आचार्यश्री ने कहा कि जहां सम्मान की तमन्ना में अपने आत्मिक वैभव की बाजी लगा देनी पड़े ऐसे मान को धिक्कार हो जिसमें सच्चा सुख तो एक पल का भी है ही नहीं। मान का सही ज्ञान हो तो सुख की शुरूआत हो, मान से छुटकारा हो, ज्ञानयान पर सवार होकर यात्रा की शुरूआत हो, आनंद की बरसात हो ऐसा कुछ करने का सतत् प्रयास करें। प्रवचन सभा के पूर्व आचार्यश्री की पूजन संपन्न हुई, गुरूवर की अाहारचर्या महेन्द्र गुड़ वालों के यहां हुई। ईशुरवारा अतिशय क्षेत्र के समस्त पदाधिकारियों ने आचार्य संघ को श्रीफल भेंटकर ईशुरवारा अतिशय क्षेत्र में आने को आमंत्रित किया।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को दिया राज्य अतिथि का दर्जा
आचार्य श्री की आगवानी मे भी उपस्थित रहने के दिये संकेत
पत्रकार सम्भव सिंघई
पंजाब केसरी
जैन आचार्य विद्यासागर जी महामुनिराज के 32वर्ष उपरांत उत्तर प्रदेश की धरा पर आगमन की सम्भवनाओं को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ जी ने आचार्य भगवन को दिया राज्य अतिथि का दर्जा दिया
सम्मिलित होने का पूर्ण आस्वासनआचार्य श्री के ललितपुर आगमन पर मुख्यमंत्री हो सकते हैं आगवानी में शामिल
ललितपुर गौरव संत संतोष दास"सतुआ जी महाराज,सदर विधायक रामरतन कुशवाहा जी व् पंचकल्याणक महोत्सव समिति ने मुख्यमंत्री जी से मुलाकात कर पंचकल्याणक महोत्सव आगमन हेतु आमंत्रण किया भेंट।
*चातुर्मास 2021*
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1} *युगतिलक संतशिरोमणि परम पूज्य आचार्य श्री 108*
*विद्यासागर जी* *महा मुनिराज ससंघ = *पूर्णायु जबलपुर*
2} ज्येष्ठ निर्यापक मुनि श्री समय सागर जी ससंघ = *सागर*
3} निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी ससंघ = *कुंडलपुर*
4} निर्यापक मुनि श्री नियम सागर जी ससंघ = *हिरे हट्टीहोली*
5} निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी ससंघ = *चांदखेड़ी*
6} मुनि श्री समता सागर जी ससंघ = *सिलवानी*
7} मुनि श्री प्रमाण सागर जी ससंघ = *गुणायतन शिखर जी*
8} मुनि श्री पवित्र सागर जी ससंघ = *सांगली*
9} मुनि श्री प्रसाद सागर जी ससंघ = *कुंभराज*
10} मुनि श्री प्रशांत सागर जी ससंघ = *टीकमगढ़*
11} मुनि श्री विनीत सागर जी ससंघ = *भवानीमंडी*
12} मुनि श्री अभय सागर जी ससंघ = *सिरोंज*
13} मुनि श्री अक्षय सागर जी ससंघ = *बरेली*
14} मुनि श्री प्रणम्य सागर जी ससंघ = *हरिपर्वत आगरा*
15} मुनि श्री प्रबोध सागर जी ससंघ = *परभणी*
16} मुनि श्री अजित सागर जी ससंघ = *मुंगावली*
17} मुनि श्री संभव सागर जी ससंघ = *भोपाल*
18} मुनि श्री विमल सागर जी ससंघ = *बंधा जी*
19} मुनि श्री वीर सागर जी महाराज = *छिपीटोला आगरा*
20} मुनि श्री आगम सागर जी ससंघ = *अमरावती*
21} मुनि श्री विशद सागर जी ससंघ = *इटारसी*
22} मुनि श्री सौम्य सागर जी ससंघ = *विदिशा*
23} मुनि श्री दुर्लभ सागर जी ससंघ = *मंडी बामौरा*
24} मुनि निर्दोष सागर जी महाराज ससंघ = *पठारी*
25} मुनि श्री निरापद सागर जी महाराज ससंघ = *गंज बासौदा*
26} आर्यिका गुरूमति माता जी ससंघ = *गोटेगाँव*
27} आर्यिका द्रणमति माता जी ससंघ = *खजुराहो*
28} आर्यिका मृदु मति माता जी ससंघ = *चरगुवाँ*
29} आर्यिका ऋजुमति माता जी ससंघ = *खुरई*
30} आर्यिका तपो मति माता जी ससंघ = *धनोरा*
31} आर्यिका गुणमति माता जी ससंघ = *हटा*
32} आर्यिका प्रशांत मति माता जी ससंघ = *जरूवाखेड़ा*
33} आर्यिका पूर्ण मति माता जी ससंघ = *शाहपुर*
34} आर्यिका अनंतमति माता जी ससंघ = *नेहानगर सागर*
35} आर्यिका धारणा मति माता जी ससंघ= *बाँदरी*
36} आर्यिका आदर्श मति माता जी ससंघ = *गौशाला ललितपुर*
37} आर्यिका अंतरमति माता जी ससंघ = *मड़ावरा*
38} आर्यिका अपूर्वमति माता जी ससंघ = *खिमलासा*
39} आर्यिका उपशान्त मति माता जी ससंघ = *राजा बिलहरा*
40} आर्यिका अकंप मति माता जी ससंघ = *तेंदूखेड़ा*
41} आर्यिका विज्ञान मति माता जी ससंघ = *महरौनी*
42} आर्यिका पवित्र मति माता जी ससंघ = *बहादुरपुर*
43} छुल्लक श्री स्वाध्याय सागर जी ससंघ = *नेमावर*
*आचार्यश्री के दर्शन करने पहुंचे मप्र उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह
*न्यायमूर्ति ने कहा कि अब अधिकांश सुनवाई भी हिंदी में करेंगे
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह ने मंगलवार को आचार्यश्री विद्यासागर से भेंट की और कहा कि आपकी प्रेरणा से पहली बार हिंदी में निर्णय दिया। अब अधिकांश सुनवाई हिंदी में ही हो रही है।
। न्यायमूर्ति सिंह ने आचार्यश्री से चर्चा में बताया कि वर्ष 2016 में पहली बार आपके दर्शन भोपाल में किए थे। उस दिन आपने कहा था कि हिंदी भाषा में अधिक से अधिक कार्य करें। आपकी प्रेरणा पर अब मैंने क्रियान्वयन किया है। वर्ष 2020 के हिंदी दिवस से मेरी बेंच में होने वाली अधिकांश केस की सुनवाई हिंदी में हो रही है। गत दिनों एक मामले का निर्णय भी मैंने हिंदी में दिया था।
इस पर आचार्यश्री ने कहा कि हमारा देश भारत गांवों में बसता है। देश की अधिकांश जनता अंग्रेजी नहीं समझती है। इसलिए देश के न्यायिक और प्रशासनिक कार्य हिंदी में होने चाहिए। इससे जिसके पक्ष में फैसले होंगे, वे लोग आसानी से समझ सकेंगे। आचार्यश्री ने कहा कि 200 साल पहले हमारे देश में अंग्रेजी नहीं थी, तब क्या हम उन्नाति नहीं कर रहे थे। विश्व में अनेक ऐसे देश भी हैं, जिन्होंने अपनी भाषा को नहीं छोड़ा है। वे देश भी आज के समय उन्नाति कर रहे हैं। इसके बाद फिर आचार्यश्री ने आशीर्वाद स्वरूप न्यायमूर्ति सिंह को धार्मिक पुस्तक दी।
⛳ आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थावस्था के ज्येष्ठ भ्राता श्री महावीर जी जैन अष्टगे ने आज शिरपुर जैन, जिला वाशिम, महाराष्ट्र में आचार्यश्री से श्रावकों की सातवी ब्रह्मचर्य प्रतिमा के व्रत गुरु पुष्य नक्षत्र में ग्रहण किए। अब आचार्यश्री के गृहस्थावस्था के सभी परिवारजन मोक्षमार्ग पर आरूढ़ हो गए 🙏🏽🙂
ब्रह्मचर्य प्रतिमा के व्रत के साथ ड्रेस भी हुई चेंज |
श्री महावीर जी जैन अष्टगे निर्यापक श्रमन मुनि श्री समय सागर जी एवं निर्यापक श्रमन योग सागर जी के भी गृहस्थावस्था के ज्येष्ठ भ्राता हैं |
⛳ब्रह्मचर्य प्रतिमा का संकल्प
मन, वचन, काय एवं कृत, कारित, अनुमोदना से जो श्रावक मैथुन का त्याग करते हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य प्रतिमाधारी श्रावक कहते हैं। ब्रह्मचर्याणु व्रत में स्व स्त्री से सम्बन्ध रहता है किन्तु ब्रह्मचर्य प्रतिमा में स्व स्त्री से भी विरत हो जाते हैं।
🛕जिनशासन संघ🛕 की ओर से श्री महावीरजी जैन अष्टगे द्वारा सातवी प्रतिमा ग्रहण करने की बहुत बहुत अनुमोदना एवं शुभकामनाएं 🙏🏽🙏🏽🙏🏽
🖼️ सलग्न फ़ोटो देखें
⛳जिनशासन जयवंत हो⛳
🛕जिनशासन संघ🛕
सामूहिक कार्य का श्रेय समूह को ही जाता है, कोई वियक्ति विशेष को नही -आचार्य विद्यासागर जी
स्वर्णोदय जिनालय के शिलान्यास समारोह में पधारे मुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री | विश्व पटल पर संस्कृति धरोहरों में अपना स्थान बनाने के बाद जिसे अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को ने विश्व संपदा के रूप में चंदेलकालीन मंदिरों को उत्कृष्ट स्थान पूरे विश्व मे दिलाया। आज उस इतिहास में एक नई ऊर्जा के साथ स्वर्णोदय तीर्थ न्यास अतिशय क्षेत्र खजुराहो में एक भव्य स्वर्णिम जिनालय का जो कि विश्व मे सबसे ऊंचा एवं शिल्पकारी में खजुराहो को विश्व पटल पर न कि एक पर्यटन नगरी के रूप में बल्कि स्वर्णिम तीर्थ स्थान के रूप में पह्चान दिलाएगा। अपने उद्बोधन में मान्यनिय मुख्यमंत्री ने अचार्य विद्यासागर जी ने जीवदया सम्मान प्राप्त करने वाले सभी पशु पक्षी प्रेमियों को हार्दिक बधाई दी। तथा उन्होंने इस कार्य को संचालित करने के लिए अलग मंत्रालय बनाने की घोषणा की। स्वर्णोदय तीर्थ न्यास समिति के विशेष निमंत्रण पर मान्यनिय मुख्य मंत्री, वित्त मंत्री जयंत मलैया एवं श्री मल्ल कुमार जैन पंडित सुधीर शर्मा, श्री रमेश जैन, विनोद जैन, योगेश जैन ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरण पखारकर आशीर्वाद लिया। समिति के महामंत्री इंजी० रमेश जैन ने सम्पूर्ण भारत वर्ष से पधारे तीर्थ यात्रियों का एवं मुख्य मंत्री वित्त मंत्री जिला प्रशासन खजुराहो डेवलपमेंट एशोसिएशन तथा समस्त खजुराहो वासियों का ह्रदय से स्वागत हार्दिक अभिनंदन किया। तथा उन्होने पंडित सुधीर शर्मा का कार्यक्रम में विशेष सहयोग देने एवं कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार वयक्त किया।
आचार्य महाराज के सम्मुख मुख्यमंत्री के उद्गार/भावनाओं की अभिव्यक्ति
1. देश का प्रथम "गौसंवर्धन मंत्रालय"होगा मध्यप्रदेश में -शिवराज सिंह
2. जीव दया के क्षेत्र में सबको मिलकर कार्य करना -शिवराज सिंह चौहान
3.आचार्य श्री जी की कृपा बरसती रहे -मुख्यमंत्री
इस अवसर पर पूरे देश से जैन समुदाय के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे वैसे तो यह भीड़ प्रतिदिन होती है पर आज का दिन कुछ विशेष भीड़ बाला वाला रहा विदित हो आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज खजुराहो में चतुर्मास कर रहे हैं जिनके चलते प्रतिदिन ही हजारों की संख्या में उनके अनुयाई यहां पहुंच रहे हैं | कार्यक्रम का सफल संचालन ब्रह्मचारी श्री सुनील भैया जी एवं दीपक भैया जी ने किया।
17 फरवरी 2024 शाम 5 बजे
संत शिरोमणि आचार्य भगवान श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार मुरमुंदा फार्म हाउस से चंद्रगिरी डोंगरगढ के लिए अभी-अभी हुआ!
आचार्य श्री ससंध का प्रवेश चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में कुछ ही देर में
15 फरवरी लगभग दोपहर 2 : 30 बजे
आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज का डोंगरगढ़ से विहार हो गया🙏
मुरमूँदा रात्रि विश्राम
एक अपूर्व अवसर खजुराहो के इतिहास मे लगभग एक हजार वर्ष के बाद आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य मे समवसरण जिनालय का भव्य शिलान्यास दिनांक 24/10/2018 दोपहर 1:30 शरद पूर्णिमा पर्व पर होने जा रहा है जिसमे आपकी गरिमामय उपस्थिति से कमेटी गौरान्वित महसूस करेगी|
प्रात: स्मरणीय, विश्व वंदनीय, संत शिरोमणी 108 आचार्यश्रेष्ठ ममगुरू श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के मंगल अवतरण दिवस, शरद पूर्णिमा, के शुभावसर पर प्रसिद्ध गायक अवशेष जैन एंड पार्टी, जबलपुर द्वारा "एक शाम गुरुवर के नाम" रंगारंग संगीतमय भजन संध्या का आयोजन किया जा रहा है। स्थान - अतिशय क्षेत्र खजुराहो समय - शाम ७:३०
दिनांक - 24/10/2018
आयोजक :- स्वर्णोदय तीर्थ न्यास एवं प्रबंध समिति खजुराहो जिला छतरपुर म0प्र0
आप सभी इस संगीतमय भक्ति संध्या का आनंद लेने हेतू सपरिवार ईष्ट मित्रो सहित सादर आमंत्रित है।
पूज्यगुरूदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज के अतिशय क्षेत्र राहली पटनागंज में हुए केश लोच |
प्रतिकूल अवस्था मे भी सहजता से किए गुरु जी ने केश लोच |
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों मे शत शत नमन
जानकारी देते हुए ब्र. सुनील भैया और मीडिया प्रभारी राहुल सेठी ने बताया की आचार्यश्री विद्यासागरजी महामुनिराज सहित पूरे संघ का चातुर्मास साँवेर रोड स्थित तीर्थोदय धाम प्रतिभास्थली, इंदौर में होगा।
५ जुलाई २०२०, गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सभी मुनियों द्वारा चातुर्मास का संकल्प लिया जाएगा। प्रातः 7 बजे से यह क्रिया आरंभ होगी। इसके साथ ही चार्तुमास स्थापना के पहले दिन आचार्य श्री सहित सभी मुनिराजों का उपवास रहेगा। पूरे दिन चातुर्मास की विधि संपन्न होगी।
आगामी रविवार, 12 जुलाई 2020 को दोपहर 1ः30 बजे से चातुर्मास कलश स्थापना की क्रिया संपन्न होगी। इसी दिन कलश स्थापना करने का सौभाग्य प्राप्त करने वाले पात्रों का चयन भी किया जाएगा। आचार्यश्री के सान्निध्य में जो भी आयोजन होंगे, वे सभी कोरोना संबंधी सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार होंगे। आचार्यश्री सहित सभी मुनिराजों का मंगल प्रवेश 5 जनवरी 2020 को इंदौर में हुआ था। अब 14 नवम्बर दीपावली तक चातुर्मास का लाभ भी श्रावक-श्राविकाओं व श्रद्धालुओं को मिलेगा। इस बार चातुर्मास का लगभग 5 महीने का होगा अर्थात् 4 जुलाई 2020 से 14 नवंबर 2020 तक।
● चातुर्मास के मुख्य कार्यक्रम की पूरी जानकारी
मीडिया प्रभारी राहुल सेठी ने बताया कि इस बार चातुर्मास में अनेक पर्व मनाए तो जाएँगे, लेकिन सभी आयोजनों में कोरोना संबंधी सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा ।
चातुर्मास के प्रमुख पर्व – चातुर्मास प्रारंभ 4 जुलाई, गुरू पूर्णिमा पर्व 5 जुलाई, भगवान पार्श्वनाथजी का मोक्ष कल्याणक मोक्ष सप्तमी 26 जुलाई, सौभाग्य दशमी 29 जुलाई, रक्षाबंधन 3 अगस्त, रोट तीज 21 अगस्त, दशलक्षण महापर्व (पर्यूषण पर्व) 23 अगस्त से आरंभ, सुगंध दशमी (धूपदशमी) 28 अगस्त, दशलक्षण महापर्व का समापन 01 सितम्बर, क्षमावणी पर्व 03 अगस्त, शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर, भगवान महावीर स्वामी निर्वाण कल्याणक महोत्सव-दीपावली 14 नवम्बर।
● आचार्यश्री के साथ ये मुनिगण कर रहे हैं वर्षायोग
इस वर्ष आचार्यश्री के संघ में 12 मुनि सम्मिलित हैं- मुनि श्री १०८ सौम्य सागर महाराज, मुनि श्री १०८ दुर्लभ सागर महाराज, मुनि श्री १०८ निर्दोष सागर महाराज, मुनि श्री १०८ निर्लोभ सागर महाराज, मुनि श्री १०८ नीरोग सागर महाराज, मुनि श्री १०८ निरामय सागर महाराज, मुनि श्री १०८ निराकुल सागर महाराज, मुनि श्री १०८ निरुपम सागर महाराज, मुनि श्री १०८ निरापद सागर महाराज, मुनि श्री १०८ शीतल सागर महाराज, मुनि श्री १०८ श्रमण सागर महाराज, मुनि श्री १०८ संधान सागर महाराज शामिल है।