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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. Vidyasagar.Guru
    आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ सानिध्य मे हुआ त्रि मंजिला समवशरण एवं चतुर्दिक चार सहस्त्रकूट जिनालयों का शिलान्यास
     
     
     
     
     
     
     
     
    🌴🛕अतिशय क्षेत्र में छोटे बाबा ने रचा इतिहास🛕🌴
    श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ जी तीर्थ क्षेत्र,शिरपुर जैन में पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य एवम आशिर्वाद से..२१ दिसम्बर २०२२, दिन बुधवार...
    🛕प्रात:भव्य त्रिमंजिला समवसरण 252 फीट एवं चतुर्दिक चार सहस्कूट जिनालयों का एक साथ भव्य शिलान्यास बा. ब्र. वाणी भूषण प्रतिष्ठा सम्राट विनय भैया जी के निर्देशन में हजारो  जन समुदाय की मेदनी के बीच हुआ और इस क्षेत्र पर इतिहास रचा गया।
    मुख्य मन्दिर जी के पुण्यार्जक लाभार्थी परिवार निम्न अनुसार है  :-👇 
    श्रेष्ठी श्रीमान श्री रतनलाल जी कँवरीलाल जी पाटनी परिवार आर के मार्बल परिवार (किशनगढ़ राज.) श्रेष्ठी श्रीमान श्री प्रभात सवाईलालजी श्रीमती इंदूजी जैन जुहू (मुम्बई) श्रेष्ठी श्रीमान श्री राजा भाई शाह एवं श्रीमती रेखा जी  शाह -(सूरत) गुजरात   
          💧💧💧💧💧💧💧💧
    सहस्त्र कूट जिनालय के पुण्यार्जक लाभार्थी परिवार:-👇
    जिनालय क्रमांक 1 श्रेष्ठी श्रीमान श्री अतुल जी सराफ एवं श्रीमती संगीता जी सराफ- पुणे-बारामती (महाराष्ट्र) जिनालय क्रमांक 2 श्रेष्ठी श्रीमान श्री नवीन जी जैन श्रीमती शिल्पी जी जैन - दिल्ली-गुड़गांव। जिनालय क्रमांक 3 श्रेष्ठी श्रीमान श्री शीतल जी दोशी श्रीमती वृशाली जी दोशी-पुणे (महाराष्ट्र) जिनालय क्रमांक 4 श्रेष्ठी श्रीमान श्री दिलीप जी घेवारे श्रीमती नीता जी घेवारे- ठाणे (मुम्बई)
     
     

  2. Vidyasagar.Guru
    29 जनवरी 31 
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       🍄आज रात्री विश्राम🍄
           🍄मक्काटोला🍄  
    (शासकीय पुर्व माध्यमिक शाला)
              जिला राजनांदगांव 
                    👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/7yEraEX6eJEi6K6p7
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      🍁कल की आहारचर्या🍁
            🍁कल्याणपूर🍁
         जिला राजनानांदगाव छत्तीसगढ           
                   👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/AhyNRYio3jUFoppdA
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    ➡️कल दोपहर की बेला मे ससंघ का तीर्थक्षेत्र चंद्रगिरी डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) मे मंगल प्रवेश
     
     
     
    27 जनवरी 23

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       🍄आज रात्री विश्राम🍄
             🍄शिरपूर🍄  
                 जिला गोंदिया   
                    👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/4iL7FDgfPhrtgnfh9
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      🍁कल की आहारचर्या🍁
            🍁चाबुकनाला🍁
                  छत्तीसगढ           
                    👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/FsmRbDvxpSpfpB768
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    संभावित विहार दिशा:-
    डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
     
     
     
    26 जनवरी 23 
     
     

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       🍄आज रात्री विश्राम🍄
      डोंगरगांव से 7:30 कि.मी.आगे
         🍄श्रीआनंद सागर🍄  
                 जिला गोंदिया   
                    👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/tuYMm6TkmKLTVTGt6
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
      🍁कल की आहारचर्या🍁
                🍁देवरी🍁
       (श्री.दिगम्बर जैन मंदिर देवरी)
                    जिला गोंदिया
                    👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/hGJD2KUTELPHV7mk9
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    संभावित विहार दिशा:-
    डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
     
    25 जनवरी 23
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       🍄आज रात्री विश्राम🍄
            🍄दुग्गेपार🍄     
                👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/qDa4RLcwsUbuqxbG8
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      🍁कल की आहारचर्या🍁
             🍁डोंगरगांव🍁
       (जि.प.केंद्रीय प्राथमिक शाळा-डोंगरगाव जि.गोंदिया)
                   👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/pgzXEy4ngVySZDePA
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    संभावित विहार दिशा:-
    डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
     
    24 जनवरी 23
          
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       🍄आज रात्री विश्राम🍄
            🍄श्रीराम नगर 🍄     
                👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/34RzozWWH49GeHveA
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      🍁कल की आहारचर्या🍁
             🍁सावंगी🍁
       (जि.प.प्राथमिक शाळा- जि.गोंदिया)
                   👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/ceAZVPgvwFHqL4888
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    संभावित विहार दिशा:-
    डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)
     
     
     
    23 जनवरी 23
     
        
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       🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄जांभळी 🍄 
          (मार्तंडराव पाटील कापगते विद्यालय जांभळी)
                👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/8PEywQcg6tHMGCBw9
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      🍁कल की आहारचर्या🍁
             🍁साकोली🍁
       (एम.बी.पटेल कॉलेज साकोली)
                   👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/n9T7Z4jZ3ht8ikpm8
     
     
     
    22 जनवरी  23 
     
     
     🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄लाखनी 🍄 
          (उत्सव मंगल कार्यालय)
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      🍁कल की आहारचर्या🍁
             🍁पिंपळगांव🍁
       (जि.प. केंद्र सेमी इंग्रजी स्कुल)
                   👇🏻👇🏻👇🏻 
    https://maps.app.goo.gl/QumjSyp7ynCu92o67    
     
     
     
     
     

     
    19 जनवरी 23
    आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम मधुबन उपहारगृह, मौदा, जिला नागपुर में हो रहा है 
    🌏मधुबन उपहारगृह की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Jain Madhuban restaurent
    https://maps.app.goo.gl/1LGk8t3rEJUUpjC8A
    🌳कल २०/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या बोरगांव से १ किलोमीटर आगे महादुला, जिला नागपुर में होने की संभावना है
    🌏महादुला की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    https://maps.app.goo.gl/ZR5yWDqfdke2qdnF6
     
     
    17 जनवरी 23
          
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍄आज रात्री विश्राम🍄
         🍄तिरुपति ट्रांसपोर्ट, कापसी🍄              
    https://maps.app.goo.gl/Tq5PvHrUuuzBLjyU9
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
      🍁कल कीआहारचर्या🍁
        🍁एस. एस. फूड प्रोडक्ट प्रा.लिमिटेड🍁
                 (संभावित)
    SS Food Products Pvt. Ltd
    https://maps.app.goo.gl/cN8ddXBvCor739XV7
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    16 जनवरी 23
    आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम गोटल पांजरी, जिला नागपुर में हो रहा है 
    🌏गोटल पांजरी की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    https://maps.app.goo.gl/pwoX9PqiJdjfmX5o6
    🌳कल १७/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या दिघोरी (नागपुर बायपास), जिला नागपुर में होने की संभावना है
    🌏दिघोरी (नागपुर बायपास) की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    https://maps.app.goo.gl/3km8mbdYZ9ruxggVA
     
     
    15 जनवरी 23
    आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम जिला परिषद प्राथमिक शाला, मोहगांव, जिला नागपुर में हो रहा है 
    🌏मोहगांव की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    https://maps.app.goo.gl/zpua4uoT5gY296UK9
    🌳कल १६/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या अन्विता फार्म्स, जामठा, जिला नागपुर में होने की संभावना है
    🌏अन्विता फार्म्स की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Anvita Farms
    https://maps.app.goo.gl/ngNFtQPCWQidB1hQ7
    ➡️👣⛳ संभावित विहार दिशा
    नागपुर
     
     
     
    13 जनवरी 23 
     
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍄आज रात्री विश्राम🍄
         🍄केलझार के पहले🍄
        (इंडियन ऑइल पेट्रोल पंप)
                  जिला वर्धा
    https://maps.app.goo.gl/XBiyyuBbkmeDwYsS6
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
      🍁कल कीआहारचर्या🍁
      🍁इंद्रा हायस्कूल, सेल्डोह 🍁
                 जिला वर्धा
                 (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/qjuq3sAdWuVxDS3w7
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     
     
    12 जनवरी 23 
    *आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ* का 
        💫सामयिक उपरांत💫 
          *👣मंगल विहार👣*
                 अभी - अभी
                     *वर्धा*
                   से हुआ।
     
    से हुआ।        
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍄आज रात्री विश्राम🍄
                🍄पवनार🍄
                  जिला वर्धा
    Pavnar
    https://maps.app.goo.gl/m2UyhaJ5NAE3Dxoo7
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
      🍁कल कीआहारचर्या🍁
                🍁सेलू🍁
                 जिला वर्धा
                 (संभावित)
    Seloo
    https://maps.app.goo.gl/V4zZpMqhPLgNiW598
     
     

     
     
     
    8 जनवरी 2023      
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
         🍄आज रात्री विश्राम🍄
    🍄फार्म हाउस, सालोड🍄
                जिला वर्धा
    https://maps.app.goo.gl/KZMPiYNE2arTpgaN9
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
         🔮भव्य मंगल प्रवेश🔮
           कल प्रातः ८ बजे
         🛕वर्धा🛕 में
    Wardha
    https://maps.app.goo.gl/spT7s75fa8KGjtaT6
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     
     
     
    7 जनवरी 2023
    आज आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या पुलगाव, जिला वर्धा में हुई 
    ➡️👣⛳ आज आचार्यश्री ससंघ का आहार एवं सामायिक के बाद विहार हुआ
    🌌आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम बोदड, जिला वर्धा में हो रहा है 
    🌏बोदड की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Bodad
    https://maps.app.goo.gl/NqXaJX3bvJmFNb7q6
    🌳कल ०८/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या प्रगती विद्यालय, दहेगाव, जिला वर्धा में ही होने की संभावना है
    🌏प्रगती विद्यालय, दहेगाव की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Pragati Vidyalaya, Dahegaon(St.)
    https://maps.app.goo.gl/my9dxDJXKQGgyYqP9
    ➡️👣⛳संभावित विहार दिशा
    वर्धा, महाराष्ट्र
     
     
     
     
     
    5 जनवरी 23
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍄आज रात्री विश्राम🍄
         🍄बोरवाघल फाटा🍄
                  जिला अमरावती
    M6R5+R75
    https://maps.app.goo.gl/ZVt97FZyDDBMZPym7
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     🍁कल कीआहारचर्या🍁
             🍁बोरगाव धांदे🍁
               जिला अमरावती
                 (संभावित)
    Z.P. School, Borgaon Dhande
    https://maps.app.goo.gl/viVZKxp65bHk5ngp8
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     
     
    4 जनवरी 23
    आज आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या घुईखेड, जिला अमरावती में हुई 
    आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम, तळेगाव (दशासर), जिला अमरावती में हो रहा है 
    🌏तळेगाव (दशासर) की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Talegaon Dashasar
    https://maps.app.goo.gl/RZAKAfpJPzUSr4pQ9
    🌳कल ०५/०१/२०२३ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या देवगाव, जिला अमरावती में ही होने की संभावना है
    🌏देवगाव की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Devgav
    https://maps.app.goo.gl/yv4C8h5cD91JnExm8
     
     
    2 जनवरी 23 
    युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि
     आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज
    💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 
    💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज
    💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज 
                   ससंघ का
              आज दोपहर में
      💫सामयिक उपरांत💫
             👣मंगल विहार👣  
             🔻सालोड🔺
                     से हुआ।        
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍄आज रात्री विश्राम🍄
             🍄सिंगणापूर🍄
                  जिला अमरावती 
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍁कल कीआहारचर्या🍁
               🍁वाघोडा🍁
             जिला अमरावती
                 (संभावित)
    Vaghoda
    👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/gvQXRkK6mD1wE3bu9
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     
     
     
    31 December 22
     
    *आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ* का 
        💫सामयिक उपरांत💫 
          *👣मंगल विहार👣*
                 अभी - अभी
               *कारंजा लाड*
                     से हुआ।
    *संभावित दिशा वर्धा* 
     
    आज रात्री विश्राम🍄
                🍄धानोरा🍄
                  जिला वाशीम
    Dhanora
    https://maps.app.goo.gl/92Bk3QVHXjkmmtte8
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     🍁कल कीआहारचर्या🍁
           🍁डोनड (bk)🍁
               जिला वाशीम
                 (संभावित)
    Donad Bk.
    https://maps.app.goo.gl/VJ99yF8d7d5hcU566
     
     
    --------------
     
    29 december 22
    आहारचर्या  स्थान 
    शेवटी, जिला वाशीम*
    👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
    https://maps.app.goo.gl/pPRvBo4GBHyqKvgy9
     
    27 december 22
    आज आचार्यश्री ससंघ का आहार एवं सामायिक के बाद विहार हुआ
    🌌आज आचार्यश्री ससंघ का रात्री विश्राम जिला परिषद स्कूल, किणीराजा, जिला वाशिम में हो रहा है 
    🌏जिला परिषद स्कूल की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Z P School Kinhiraja
    https://maps.app.goo.gl/TSz1ezayNCS3661j9
    ➡️👣⛳कल २८/१२/२०२२ को आचार्यश्री ससंघ की आहार चर्या लाठी, जिला वाशिम में ही होने की संभावना है
    🌏लाठी की गूगल मैप लिंक
    👇🏽👇🏽👇🏽 
    Lathi
    https://maps.app.goo.gl/qBDms7opSBTaBHPR7
    ➡️👣⛳ संभावित विहार दिशा
    कारंजा लाड 
     
    26 दिसम्बर 22 2pm
    युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज  ससंघ का मंगल विहार अभी अभी मालेगांव महाराष्ट्र से हुआ ।।
    👣दिशा :- कारंजा लाड़👣
     
     
    आज रात्री विश्राम🍄
            जिला परिषद स्कूल
                🍄खिर्डा🍄
               जिला वाशीम
    https://maps.app.goo.gl/d7tCheVQuNth6YSEA
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     🍁कल कीआहारचर्या🍁
       🍁काळा माथा🍁
               जिला वाशीम
    Kalamatha Temple (Awaliya)
    https://maps.app.goo.gl/e2vnrp1p3QvnGQ5fA
     
     
    26 दिसम्बर 22 को पूजन / प्रवचन / आहारचर्या मालेगांव मे  होगी  ( संभावित ) 
    गूगल  लिंक  नक्शा 
    https://maps.app.goo.gl/fsMR7qDiwrjpaVPt6
     
     
    ------------------------------
     
    आज रात्री विश्राम🍄
        🍄मालेगाव जहाँगीर🍄
               जिला वाशीम
    Malegaon Jahangir
    https://maps.app.goo.gl/Hq6fskdkmvvfWPZt5
    ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
     🍁कल का पूजन, प्रवचन एवं आहारचर्या🍁
       🍁मालेगाव जहाँगीर🍁
               जिला वाशीम
    Malegaon Jahangir
    https://maps.app.goo.gl/Hq6fskdkmvvfWPZt5
    संभावित दिशा मालेगांव
     
     
     

     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
  3. Vidyasagar.Guru
    22 जुलाई 2021 संध्याकाल
    ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
    पूज्य गुरुदेव ससंघ के बढ़ते हुए कदम  तिलवारा घाट जबलपुर की ओर...!!
    अब तिलवारा, जबलपुर दूरी मात्र लगभग 16 किमी।
    ● आज रात्रि विश्राम-
       बिछुआ ग्राम, मुख्य सड़क (Main Road)
    ● कल की संभावित आहार चर्या-
       बिछुआ ग्राम से लगभग 8 किमी आगे,
      
    विशेष खबर- पूज्य आचार्यसंघ का मंगल प्रवेश कल 23 जुलाई को दोपहर बाद लगभग 4:30 बजे तिलवारा घाट, जबलपुर में होने की पूर्ण सम्भावना।
     
    *बिहार अपडेट 21 जुलाई 2021*
                  👣
               👣👣 
               👣👣
           *(5 पिच्छी)*
    *आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल विहार जबलपुर की ओर चल रहा है*
    *22 जुलाई को आहारचर्या "सोमती या घोघरी ग्राम" में होगी।*
    *21 जुलाई को रात्रि विश्राम तपस्वियों की धर्म नगरी, जहां से 4 आर्यिका माताजी आचार्य संघ में साधनारत है ऐसे चरगुवां ग्राम के शास उच्च मा स्कूल में हो रहा है यहाँ से प्रतिभास्थली जबलपुर की दूरी मात्र 31 किमी है। आचार्य श्री जी अब तक नेमावर से 342 किमी का बिहार 29 दिन में कर चुके है*
    ▶️ *बिहार दिशा- दयोदय गौशाला, प्रतिभास्थली, पूर्णायु चिकित्सालय परिसर जबलपुर*
    *संभावित प्रवेश जबलपुर 〽️ 23 या 24  जुलाई 21* 

    🙏🙏🙏🙏🙏
     
    20 जुलाई 2021 संध्याकाल
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    पूज्य गुरुदेव ससंघ के बढ़ते हुए कदम ...
    ● आज रात्रि विश्राम-
       लाटगाँव फाटा, रेलवे क्रासिंग पार, गोटेगांव
       जैन मंदिर से डेढ़ किमी आगे, चरगुवा रोड
    ● कल की संभावित आहार चर्या-
       गोटेगांव से लगभग 7 किमी बाद,
       जबलपुर की ओर।
    विहार दिशा - जबलपुर अब लगभग 45 किमी।
       
     
     *बिहार अपडेट 19 जुलाई शाम 5 बजे*
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           *(5 पिच्छी)*
    *आचार्यश्री 108 श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल विहार गोटेगांव की ओर चल रहा है*
    *19 जुलाई को दोपहर में विहार गोटेगांव की ओर हुआ,रात्रि विश्राम मानेगांव तिराहे में हुआ। रात्रि विश्राम स्थल से गोटेगांव की दूरी 12 किमी और जबलपुर की दूरी 58 किमी शेष, आज दिनांक तक आचार्य श्री जी नेमावर से 315 किमी का बिहार 27 दिन में कर चुके हैं*
    ▶️ *20 जुलाई को आहारचर्या इमलिया में होने की संभावना* ◀️
    ▶️ *बिहार दिशा- दयोदय गौशाला, प्रतिभास्थली, पूर्णायु चिकित्सालय परिसर जबलपुर*
    🙏 *संभावित प्रवेश जबलपुर - 25 जुलाई 2021* 🙏
     
     
    .       *आचार्यश्री जी विहार अपडेट-*
                  18, जुलाई : प्रातःकाल

    *परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ* 5 मुनिराज
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    ◆ *आज की आहार चर्या-* 
         संत निरंकारी सत्संग भवन,
         भारत पेट्रोल पंप के सामने,
         (नरसिंहपुर से 6 किमी पहले)
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    *दिशा : गोटेगांव, जबलपुर।
    *विशेष:* आगामी 2-3 दिन में मिल सकता है गोटेगांव समाज को दर्शन लाभ।
    *
     
           
    .         *आचार्यश्री जी विहार अपडेट-*
                  16, जुलाई : संध्याकाल 
     
    *परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ*
    __________________
    ◆ *आज रात्रि विश्राम-*
    रेवाश्री पब्लिक स्कूल, करेली बायपास रोड।
    __________________
    ◆ *कल की संभावित आहार चर्या-* 
    रात्रि विश्राम स्थल से लगभग 4-5 किमी आगे।
    _________________
    *दिशा : जबलपुर*
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    *विशेष -* गुरुवर विहार कर रहे बायपास होकर। न करेली और न नरसिंहपुर। अब सीधे जबलपुर।
     
     
     
    15, जुलाई : संध्याकाल 
     
    परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का चल रहा मंगल विहार : आज का अपडेट-
    ______
    ◆ आज रात्रि विश्राम-
    शास. उच्च.माध्यमिक विद्यालय करपगाँव
    (करेली लगभग 8 किमी)
    ______
    ◆ कल की संभावित आहार चर्या- 
    रात्रि विश्राम स्थल से लगभग 5 किमी आगे (करेली से 3 किमी पहले)
    _______
    दिशा : करेली, नरसिंहपुर, जबलपुर
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    विशेष - पूज्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर जी महाराज 5 मुनिराज का मंगल विहार गुरु आज्ञा से कुंडलपुर की ओर हुआ।
     
    *बिहार अपडेट 11 जुलाई 21*
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    *संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज  का ससंघ मंगल विहार करेली जिला नरसिंहपुर की ओर चल रहा है*
    *11 जुलाई को आचार्य संघ की आहारचर्या व रात्रि विश्राम तपोवन स्कूल सालीचौका रोड में हुआ। (आज शाम का बिहार नहीं हुआ)  गाडरवारा की दूरी यहां से 5 किमी है*
    *12 जुलाई को आचार्य संघ का गाडरवारा में प्रवेश संभव*
    *गाडरवारा से करेली की दूरी 35 किमी हैं।*
    *
     
    *बिहार अपडेट 10 जुलाई 21*
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    *संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज  का ससंघ मंगल विहार ------- की ओर चल रहा है*
    *10 जुलाई को आचार्य संघ का रात्रि विश्राम अधिवक्ता प्रशांत अग्रवाल के फॉर्म हाउस सालीचौका से तीन किलोमीटर आगे हुआ। यहां गाडरवारा की दूरी 12 किमी है*
    *11 जुलाई को आहार चर्या गाडरवारा रोड स्थित नांदनेर ग्राम के पास आहारचर्या संपन्न होगी* 
    *12 जुलाई को आचार्य संघ का गाडरवारा में प्रवेश संभव*
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    7 जुलाई 21
    आज रात्रि विश्राम गन्ना के खेत में बने एक किसान के भवन मैं बनखेड़ी रोड में होगा 
    8 जुलाई को आहार चर्या वनखेड़ी ग्राम में होगी .  
     
     
         *बिहार अपडेट..5 जुलाई 21* 
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    *संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज  का ससंघ मंगल विहार जबलपुर की ओर चल रहा है* 
    *5 जुलाई को आचार्य संघ का रात्रि विश्राम पंचायत भवन शोभापुर मैं होगा* 
    *6 जुलाई को आहारचर्या निधि मैरिज गार्डन सोहागपुर रोड पिपरिया में होगी* 
    *यहां से पिपरिया की दूरी मात्र 4  किमी है*
     
       
     *मंगल विहार : अपडेट-*
                3 जुलाई 2021 संध्याकाल

    _*परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ* का चल रहा मंगल विहार।_
    ● *आज रात्रि विश्राम-*
       _शासकीय प्राथमिक शाला, काछीपुरा,_
       _ग्राम- सेमरी हरचंद, तहसील-सुहागपुर_
       _जिला- होशंगावाद_
       
    ● *कल की संभावित आहार चर्या-*
        _श्री गजानंद शिक्षा कॉलेज, ग्राम बहोरीखुर्द_
         _जिला होशंगावाद_
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    1 जुलाई 2021 संध्याकाल
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    _आज दोपहर, निमसाड़िया पेट्रोल पंप परिसर से हुआ मंगल विहार।_
    ● *आज रात्रि विश्राम-*
       _हाई स्कूल भवन, आँचलखेड़ा_
      
    ● *कल की संभावित आहार चर्या-*
        _बाबई ( विश्राम स्थल से लगभग 7किमी)_
        _पिपरिया रोड।_
     
    *बिहार अपडेट....29 जून 21*
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    *चातुर्मास कलश स्थापना समारोह 23 जुलाई 2021, स्थान............*
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    *संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल विहार नेमावर से चल रहा है।*
    *29 जून को रात्रि विश्राम अरविंदो स्कूल बुधनी में हो रहा है।* 
    👍 *टर्निंग प्वाइंट... 30 जून सुबह*
    *बुधनी से दो रास्ते हैं* 
    ■ पहला रास्ता *बुधनी से होशंगाबाद 8 किमी है,यहां से बाबई, सोहागपुर, पिपरिया, गाडरवारा, करेली, नरसिंहपुर, गोटेगांव, जबलपुर (कुल दूरी 270 किमी)*
    ■ दूसरा रास्ता *बुधनी से शाहगंज बकतरा बाड़ी बरेली लगभग 90 किलोमीटर है वरेली से सीधा जबलपुर 180 किमी और बरेली से सागर 100 किमी है*
    ✍🏻 *मुकेश जैन ढाना*
          *एमडी न्यूज सागर*
     
     
        *🗓२८,जून,२०२१ सोमवार🗓*
    *परम पूज्य संत शिरोमणि*
    *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार ग्राम - सलकनपुर से  बुधनी रोड़ ( मध्यप्रदेश ) से हुआ है*
    ● *आज रात्रि विश्राम-*
    *सतपालसिंह जाट कृषि फॉर्म हाउस  (सलकनपुर से 7 किमी बाद)*
    *◆कल आहारचर्या* - संभावित
    *होलीपुरा हाई स्कूल  (बुधनी से 8 किमी पहले)*
    ◆ *आगामी सम्भावित विहार दिशा-* कुंडलपुर , जबलपुर , सागर या किसी ओर के भाग्य खुलते है
     
     
    *बिहार अपडेट....27 जून 21*
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    *चातुर्मास कलश स्थापना समारोह 23 जुलाई 2021*
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    *संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ मंगल विहार नेमावर से बुंदेलखंड की ओर चल रहा है।*
    *27 जून को रात्रि विश्राम रेहटी में हुआ। रेहटी से सलकनपुर तिराहा 5 किमी है* 
    👍 *टर्निंग प्वाइंट... 29 जून सुबह*
    *सलकनपुर से दो रास्ते हैं ■ पहला रास्ता बुधनी 26 किमी वहां से होशंगाबाद 8 किमी है,यहां से बाबई, सोहागपुर,वनखेड़ी, पिपरिया, गाडरवारा, करेली, नरसिंहपुर, गोटेगांव, शहपुरा भिटौनी, जबलपुर (कुल दूरी 300 किमी) ■ दूसरा रास्ता जबकि रेहटी से अब्दुल्लागंज 37 किमी, अब्दुल्लागंज से सुल्तानपुर तिराहा 37 किमी, सुल्तानपुर चौराहा से नकतरा तिगड्डा (सागर भोपाल मार्ग) 27 किमी, नकतरा तिगड्ढा से गैरतगंज 40 किमी, वहां से बेगमगंज 25 किमी और वहां से सागर 60 किमी (कुल दूरी 216 किमी) है*
    👍 *देखिए किस शहर के भाग्य जागते हैं प्रयास तो सभी कर रहे हैं परंतु पुण्य किसका है यह महत्वपूर्ण है*
    🙏🙏🎤🎤🙏🙏
    ✍🏻 *मुकेश जैन ढाना*
          *एमडी न्यूज सागर*
     
     
     
    *परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार- अपडेट-*

    26 जून 2021, शनिवार
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    *आज रात्रि विश्राम-*
    शासकीय उ.मा. विद्यालय सतराणा
    *कल की सम्भावित आहार चर्या-*
    सतराणा से 5 किमी (सतराणा से रेहटी के मध्य) गांव का नाम अभी स्पस्ट नही।
    *आंशिक परिवर्तन संभव
     
     
     
     
    25 जून को रात्रि विश्राम नसरुल्लागंज में हुआ। गुरुदेव का ससंघ आगे का इस विहार नसरुल्लागंज से रेहटी 20 किमी, रेहटी से सलकनपुर 11 किमी होने की सम्भावना है 
     

    24 जून 2021
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    *परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ के बढ़ते कदम-*
    ● *आज रात्रि विश्राम-*
       नयागांव (विहार 6.5 किमी)
    ● *कल की सम्भावित आहार चर्या-*
        बोरखेड़ा ग्राम
    ● *विशेष- कल दोपहर विहार कर पूज्य आचार्यश्री जी ससंघ  संध्या पूर्व पहुंच सकते हैं- "नसरुल्लागंज"*
    (विहार के दौरान परिस्थितियों बस रात्रि विश्राम एवम आहार चर्या स्थान में आंशिक परिवर्तन संभव है।)
     
     
     
     
    23 जून 2021
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    ● आज रात्रि विश्राम-
    महाराजा सूरजमल इंटरनेशनल स्कूल, बोरदा।
    (गोपालपुरा से 3 किमी पहले)
    ● कल की सम्भावित आहार चर्या-
    गोपालपुरा से 3 किमी आगे इटावा गार्डन ... स्थान पर।
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    ● पूज्य मुनिश्री सम्भवसागर जी महाराज ससंघ
    ● पूज्य मुनिश्री अक्षयसागर जी महाराज ससंघ
    ● पूज्य मुनिश्री विशदसागर जी महाराज ससंघ
    नेमावर जी मे विराजमान हैं
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    ● पूज्य मुनिश्री सौम्यसागर जी महाराज ससंघ
    ● पूज्य मुनिश्री दुर्लभसागर जी महाराज ससंघ
    ● पूज्य मुनिश्री निरापदसागर जी महाराज ससंघ
    ● पूज्य मुनिश्री निर्दोषसागर जी महाराज ससंघ
    का खातेगांव से कन्नौद की ओर हुआ विहार।
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    मौसम खराब - पूज्य आचार्यश्री संघ का जहां रात्रि विश्राम हो रहा है इस क्षेत्र में आज मौसम बहुत खराब है। जबरदस्त आंधी आने से जगह-जगह पेड़ टूटे पड़े हैं।
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    (विहार के दौरान परिस्थितियों बस रात्रि विश्राम एवम आहार चर्या स्थान में आंशिक परिवर्तन संभव है।)
     
     
     

    *पूज्य आचार्य संघ मंगल विहार अपडेट*
    22 जनवरी 2021
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    ● *आज रात्रि विश्राम-*
    संत सिंघा जी कॉलेज (नेमावर जी से 9 किमी)
    ● *कल की आहार चर्या-*
    पीपल्या नानकर में सम्भावित।
    (प्रातः कालीन विहार 5.5 किमी)
    *
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    परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार, सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र श्री नेमावर से हुआ।
    विशेष- पूज्य मुनिश्री संभवसागर जी महाराज जी सहित 9 महाराज जी नेमावर जी रुक रहे हैं यहाँ बेदी प्रतिष्ठा आदि कुछ मांगलिक कार्यक्रम होना है।
     
    पूज्य आचार्य भगवन के चरण ज्यों ज्यों  आगे बढ़ते जाएंगे रास्ते मे कुछ नए उपसंघों के विहार नई दिशाओं की ओर होते जाएंगे। 
     
     
    22 जून 
    प्रातः स्मरणीय संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज का मंगल विहार नेमावर से अभी-अभी 3.40 बजे हुआ
    आचार्य श्री जी नेमावर तीर्थक्षेत्र में पिछले 27 नवम्बर 21  से विराजमान थे।

     
     
     
    अभी अभी 

     
     
    --- WhatsApp Video 2021-06-22 at 3.04.43 PM.mp4
  4. Vidyasagar.Guru
    धन्य हो गई आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ के आगमन से लालित्य नगरी आचार्यश्री के पदविहार में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, ऐतिहासिक रूप में हुआ नगर प्रवेश पगडण्डी कहाँ चली गयी जो पहले थी : आचार्य श्री विद्यासागर जी बुंदेलखंडी 'हओ' पर श्रद्धालुओं को खूब गुदगुदाया आचार्यश्री ने कई किलोमीटर की लंबाई थी अगुवानी के जनसैलाव की  
    ललितपुर। जिस घड़ी का इंतजार ललितपुर वासियों को तीन दशक से अधिक समय से था वह इंतजार 21 नवम्बर को पूरा हो गया जब साधना के सुमेरु   भारतीय संस्कृति के संवाहक संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज अपने विशाल संघ के साथ ललितपुर नगर में प्रवेश किया। 

    आचार्यश्री का पदविहार वांसी से ललितपुर की ओर प्रातःकाल 6 बजे शुरू हुआ।जैसे ही लोंगो ने आचार्य श्रेष्ठ के नगर आगमन की सुनी तो खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।कोई पैदल तो कोई गाडी से पदविहार में सम्मिलित होने के लिए पहुंचा। इतनी सुबह सुबह भारी जनसैलाव उमड़ा देख रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोग भी उमड़ पड़े और आचार्यश्री की एक झलक पाने को लालायित देखे गए। जन सैलाव इतना था कि पुलिस प्रशासन लोगों से दूर से ही दर्शन करने की अपील कर रहे थे। बांसी से (ललितपुर से दूरी 20 किलोमीटर) ही हजारों की संख्या में बिना जूते-चप्पल  के श्रद्धालु चल रहे थे। जैसे-जैसे आचार्यश्री के पग आगे बढ़ रहे थे श्रद्धालुओं का जन सैलाव बढ़ता ही जा रहा था। हाइवे पर दूर-दूर तक अपार भीड़ ही भीड़ दिख रही थी। आलम यह था कि रोड की दूसरी ओर चलने वाले वाहनों को भी रुक-रुक चलना पड़ रहा था। इस दौरान आगे-पीछे और बीच में बड़ी संख्या में पुलिस प्रशासन व्यवस्था को सुचारू करने में लगे थे। आचार्यश्री के आगे आगे बैंड बाजे चल रहे थे इसके बाद पचरंगा झंडे लेकर कार्यकर्ता चल रहे थे इसके बाद पुलिस के पदाधिकारी चल रहे थे जो आचार्यश्री के दर्शन  लोगों से दूर से करने की अपील कर रहे थे ताकि पद विहार में बाधा उत्पन्न न हो। इसके बाद आचार्यश्री संघ सहित चल रहे थे पश्चात उनसे कुछ दूरी पर जन सैलाब चल रहा था।

     नगर में पूर्व से विराजमान मुनि श्री अविचल सागर जी ने नदनवारा पहुँचकर आचार्यश्री के चरणों में नमोस्तु पूर्वक नमन किया। रास्ते में रंग-बिरंगे गुब्बारे आकाश में छोड़े जा रहे थे। आचार्यश्री पदविहार करते हुए महर्रा ग्राम स्थित आदिनाथ कालेज प्रांगण में पहुंचे जहाँ पर मुख्य द्वार पर कालेज प्रबन्धन ने आचार्यश्री का वंदन किया। इसके पूर्व जैन पंचायत समिति और पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के पदाधिकारियों ने आचार्यश्री के चरणों में श्रीफ़ल समर्पित कर आरती की।
    आदिनाथ कॉलेज में सबसे पहले आचार्यश्री की पूजन भक्ति भाव से की गई।
    इस अवसर पर उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी एक चीज गुम गयी है। मैं आ रहा था, आप लोग भी आ रहे थे। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वह चीज आप लोगों को मिल गयी? इस पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने कहा 'हओ'। इस पर चुटकी लेते हुए आचार्यश्री ने कहा कि ललितपुर में भी 'हव' चलता कि नहीं। इस पर जन समुदाय ने कहा 'हओ'। उन्होंने कहा कि जो मतलब आप लोग समझ रहे हैं वह नहीं है।
    उन्होंने आगे  कहा कि मैं सोच रहा था कि भूल गए हैं आप लोग। उन्होंने कहा कि अब पगडण्डी जीवित है कि नहीं। अब शायद पगडण्डी जीवित नहीं रह पाएगी क्योंकि पगडंडियों पर चलाना तो चाहते हैं लेकिन चलना नहीं चाहते। अंत में उन्होंने कहा कि वाहनों पर लिखा रहता है 'फिरमिलेंगे'। संचालन संघस्थ ब्र. सुनील भैया जी ने किया। एसडीएम सदर घनश्याम वर्मा ने महर्रा पहुँचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों को समुचित दिशा निर्देश दिए।

    आचार्यश्री की आहारचर्या महर्रा स्थित आदिनाथ कॉलेज परिसर में हुई। सामायिक के बाद महर्रा से ललितपुर नगर की ओर विहार हुआ जिसमें पूरा नगर उमड़ पड़ा। आज ललितपुर के इतिहास में एक नया इतिहास जुड़ गया। लोग कह रहे थे उन्होंने आज तक किसी संत के नगर आगमन पर इतना जनसैलाव उमड़ते नहीं देखा है।  प्रवेश के दौरान पूरे  रास्ते में पड़ने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों के मालिकों द्वारा अपने द्वार पर स्वयं सजावट और स्वागत  की गई थी। आचार्यश्री के नगर में प्रवेश करते ही ऐसा लग रहा था जैसे पूरा शहर थम गया हो, एकमात्र आचार्यश्री के दर्शनों को लाखों आँखे निहार रही थी। सभी समुदाय के लोग आचार्यश्री को नमन कर रहे थे और स्वागत वंदन के लिए खड़े हुए थे। नगर प्रवेश का दृश्य अपने आप में देखने योग्य था।
    पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह , अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए पुलिस अधिकारी और सिपाही बड़े ही आनंद के साथ आचार्यश्री के आगे और पीछे दौड़ते भागते चल रहे थे। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए थे। पंचायत समिति ने नगर की सीमा चंदेरा पर भव्य अगुवानी की। इसके बाद विशाल जनसैलाब गल्लामंडी, इलाइट चौराहा, जेल चौराहा, तुवन चौराहा होते हुए विशाल शोभायात्रा स्टेशन रोड स्थित क्षेत्रपाल मंदिरजी पहुँची। रास्ते में लोगों ने श्रद्धालुओं को जल, मिठाई, फल देकर उनका खूब स्वागत किया। रास्ते में जहॉ नवयुवक करतब दिखाते हुए चल रहे थे वहीं अनेक बग्गियां, घोड़े पर ध्वज लेकर चल रहे थे। विभिन्न स्वयंसेवी संगठन अपनी सेवाएं दे रहे थे। जिसने भी आज का यह नजारा देखा कह उठा अद्भुत, अकल्पनीय, ऐतिहासिक, भूतो न भविष्यति। नगर में जब जुलूस चल रहा था तो जिसको जहॉ जगह मिली वहॉ से इन अमूल्य पलों को देखने को आतुर थे। ऐसी कोई छत नहीं थी जिस पर बड़ी संख्या में नगरवासी न हो। कई लोग जब जगह नहीं मिली तो अन्य साधनों पर चढ़कर देख रहे थे। अनेक लोग तो वृक्षों पर चढ़कर इन पलों के साक्षी बन रहे थे। सचमुच अद्भुत नजारा। शब्द ही नहीं है आज के इस भव्यता से पूर्ण मंगल प्रवेश के वर्णन के लिए।

    क्षेत्रपाल मंदिर पहुँचने पर  आचार्यश्री की भव्य अगुवानी की गई । इस दौरान तैयार विशेष मंच से जब आचार्यश्री संघ सहित चल रहे थे वह दृश्य अपने आपमें देखने योग्य, ऐतिहासिक और दर्शनीय था। चारों ओर से इस दौरान आवाज आचार्यश्री नमोस्तु की आवाज गुंजायमान हो रही थी। यह पल सभी अपने मोबाइल में भी कैद कर रहे थे। बैरिकेट लगे होने के बाद भी उसके अंदर पुलिस प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं को हाथ से हाथ पकड़कर सुरक्षा जंजीर बनानी पड़ी। मैं भी इस व्यवस्था में शामिल होकर इन अद्भुत नजरों को करीब से देखकर पुलकित हो रहा था। आज नगर वासियों की भक्ति देख सचमुच लग रहा था कि नगर में चलते-फिरते भगवान आये हैं। अनेक हमारे जैनेतर भाई कह भी रहे थे ये तो धरती के देवता हैं। इनका दर्शन आखिर कौन नहीं करना चाहेगा।
    नगर में उत्सव जैसा माहौल था। पाठशाला के बच्चे आचार्यश्री के अभियान हथकरघा, इंडिया नहीं भारत बोलो आदि की तख्तियां लेकर चल रहे थे। कई किलो मीटर की लंबाई में अगुवानी जुलूस देखने योग्य था।

    आचार्यश्री के नगर आगमन पर स्वागत के लिये पूरा शहर सजाया गया था। सड़क के ऊपर किनारों में झिलमिल चमकनी तो नीचे  रंगोली बनाई गई थी। अनेक स्वागत द्वार बनाये गए थे। शहर के लोग धरती के देवता को अपने बीच पाकर धन्य हो रहे थे। जयकारों से आकाश गुंजायमान हो रहा था। विभिन्न परिधानों में महिलाएं स्वागत के लिए खड़ी थी।उल्लेखनीय है कि जहां बतौर राज्य अतिथि उनका प्रथम नगर बार नगर आगमन हो रहा था तो वहीं वह 31 वर्ष बाद नगर में आ रहे थे। उधर जैन शिक्षक सामाजिक समूह के सदस्यों ने आचार्यश्री के नगर आगमन की ख़ुशी में जिला अस्पताल में फल वितरण किया। नगर सजाने में वीर क्लब का योगदान रहा। 
    इस अवसर पर राज्यसभा सासंद चंद्रपाल यादव, विधायक रामरतन कुशवाहा, सपा जिलाध्यक्ष ज्योति कल्पनीत, नगर पालिका अध्यक्षा रजनी साहू आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। नगर पालिका के पार्षदगण उपस्थित रहे।
    गोलाकोट, खनियाधाना से बड़ी संख्या में लोग बसों से आये हुए थे साथ ही में गुरुकुल के बच्चे गुरुवर गोलाकोट चलो की तख्तियां लेकर चल रहे थे।
    इस दौरान ललितपुर के साथ ही बार, बांसी,  कैलगुवा, गदयाना, महरौनी, मड़ावरा, पाली, तालबेहट, बबीना,जखौरा, बिरधा, टीकमगढ़, सागर, शिवपुरी, झाँसी, ग्वालियर,बीना, खिमलासा,  दिल्ली, दमोह, ग्वालियर, छतरपुर, बरुआसागर आदि अनेक स्थानों के बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे। नगर के सभी पत्रकार बंधु भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
    जैन पंचायत समिति , पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव समिति, नगर की सभी स्वयंसेवी संस्थाओं, उप समितियों का योगदान उल्लेखनीय रहा। 
    आचार्यश्री के देश-विदेश में लाखों की संख्या में भक्तों को देखते हुए इस भव्य मंगल प्रवेश का जिनवाणी चैनल पर लाइव प्रसारण भी किया गया, जिसे देश -विदेश में देखा देखा गया। 
    उल्लेखनीय है कि आचार्यश्री के सान्निध्य में मसौरा स्थित दयोदय गौशाला परिसर में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव 24 नवम्बर से 30 नवंबर तक बड़े ही उत्साह से होने जा रहा है।

    अनियत विहारी का विहार :
    आचार्य विद्यासागर जी महाराज कभी किसी को बता के विहार नहीं करते इसलिए उनके आगे अनियत विहारी संत लिखा जाता है। ललितपुर नगर प्रवेश को लेकर यह देखने भी मिला है। नगरवासी 22 नवम्बर को उनके नगर प्रवेश की पूर्ण संभावना मानकर चल रहे थे। 22 नवम्बर के हिसाब से ही लोग तैयारी में जुटे थे। बाहर से आने वाले इष्ट मित्र, रिश्तेदारों को भी यही सूचना दी गयी थी। लेकिन अचानक ही 21 तारीख को आचार्यश्री का मङ्गल पदार्पण नगर में हो गया। आज जब इतना जनसैलाव उमड़ पड़ा था यदि निर्धारित तिथि 22 नबम्बर को प्रवेश होता तो न जाने कितना जनसैलाव उमड़ता।
    जिलाधिकारी, एसपी पहुँचे आशीर्वाद लेने :
    शाम को क्षेत्रपाल मंदिर पहुंच कर जिलाधिकारी श्री मानवेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री ओपी सिंह,  अपर पुलिस अधीक्षक श्री अवधेश विजेता ने आचार्य श्री विद्या सागर जी मुनिराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और नगर आगमन पर उनको वंदन करते हुए नगरवासियों का सौभाग्य बताया।
    -डॉ. सुनील जैन संचय,ललितपुर मीडिया प्रभारी
  5. Vidyasagar.Guru
    आचार्यश्री के ससंघ 51 मुनिराज, 2 ऐलक श्री, 63 आर्यिकाओं के सानिध्य में 100 प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा, अब बीना बारहा का नया नाम होगा शांतिधाम
    अतिशय क्षेत्र बीना बारहा में 30 साल बाद दूसरी बार हुए पंचकल्याणक महाेत्सव के अंतिम दिन रविवार काे आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में गजरथ महोत्सव में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। गजरथ की सात फेरियों के साथ महोत्सव का समापन हाे गया और प्रभु का मोक्ष की ओर गमन हुआ। इस पूरे आयोजन में 100 प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित किया गया, जिन्हें जबलपुर, हर्रई, केवलारी, महराजपुर, केसली, बंगलोर, देवरी के विभिन्न जैन मंदिरों में स्थापित किया जाएगा। पंचकल्याणक में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के ससंघ 51 मुनिराज, दाे एेलक जी, 63 आर्यिकाओं का सानिध्य मिला। अंतिम दिन कैबिनेट मंत्री हर्ष यादव गजरथ फेरी में शामिल हुए। आचार्यश्री ने बीनाबारहा का नया नाम शांतिधाम रखा। कमेटी के अध्यक्ष अलकेश जैन कोयला वालाें ने बताया कि सात दिवसीय इस कार्यक्रम में पाषाण से भगवान बनने की प्रक्रिया हुई। जो गर्भ कल्याणक से शुरू होकर और मोक्ष कल्याणक के रूप तक हुई। सुबह 8.10 बजे कैलाश पर्वत से भगवान का मोक्ष गमन हुआ। मोक्ष कल्याणक के बाद भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य सभी इंद्र इंद्राणियाें को मिला। 

    पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है: आचार्यश्री 
    आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि भगवान को आज आजादी की प्राप्ति हुई और उन्हें मोक्ष हुआ। स्वतंत्रता का अर्थ है स्व,तंत्र स्व की जहां मुख्यता हैं। अभी हम परतंत्र हैं, हम सभी भावना भाएं की हमें भी निर्वाण की प्राप्ति हो। पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है।
  6. Vidyasagar.Guru
    अहंकार पतन और समर्पण उन्नति की ओर ले जाता है: आचार्यश्री
     
    अहंकार ही दुख का बड़ा कारण है, जीवन की मूलभूत समस्या अहंकार है। मैं भी कुछ हूं यह जो सोच है यही अहंकार है। अहंकार का जोर इतना जबरदस्त रहता है कि वह धर्म को भी अधर्म बना देता है। पुण्य को पाप में बदल देता है। अहंकार को सत्य समझाना अत्यंत कठिन कार्य है। यह बात नवीन जैन मंदिर में प्रवचन देते हुए आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कही। 

    उन्होंने कहा कि अहंकार अंधा है। अहंकारियों की स्थिति अंधों जैसी होती है। उनके पास आंखें होती हैं लेकिन फिर भी उन्हें दिखाई नहीं देता। रावण की पूरी लंका तबाह हो रही थी लेकिन रावण को लंका व अपने खानदान का तबाह होना कहां दिख रहा था। कंस की आंखें थीं लेकिन वह श्रीकृष्ण की शक्ति व सामर्थ्य को कहां देख सका। दुर्योधन आंखों वाला होकर भी क्या अहंकारी नहीं था। अहंकार विवेक का नाश कर देता है। अहंकार से ही क्रोध भी आ जाता है। अहंकार बड़ा खतरनाक है। अहंकार मीठा जहर है। अहंकार ठग है जो मानव को हर पल ठग रहा है। मानव में जो ’मैं’ और ’मेरापन’ है यही अहंकार की जड़ है। मैं ही परिवार का संरक्षक हूं। मैं ही समाज का कर्णधार हूं। मैं ही प|ी और बच्चों का भरण-पोषण कर रहा हूं। यही अहंकार मानव को दुखी बनाए हुए हैं। ऐसा झूठा अहंकार ही मानव को दुखी बना रहा है। उन्होंने कहा कि आज हमारे दांपत्य जीवन में, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में जो संघर्ष, मनमुटाव, मनोमालिन्य दिख रहा है, उसका मूल कारण अहंकार है। 

    यदि प|ी पति के प्रति और पति-पत्नी के प्रति, बाप-बेटा के प्रति और बेटा-बाप के प्रति, शिष्य-गुरू के प्रति और गुरू-शिष्य के प्रति समर्पण व सहयोग का रुख अपनाएं तो जीवन में व्याप्त सारी विसंगतियां समाप्त हो जाएं। अहंकार का समाधान विनम्रता है, मृदुता है। जो सुख विनम्रता व मृदुता में है वह अकड़ने में नहीं है। जो मृदु होगा उसे मौत कभी नहीं मिटाएगी। वह देर-सबेर मरेगा तो वह मरकर भी अमर हो जाएगा। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, क्राइस्ट ये ऐसे महापुरुष हुए हैं जो हमेशा विनम्रता में जिए हैं और अहंकार की गंध इनके किसी व्यवहार में कभी नहीं आई। मान करें तो विनय नहीं और विनय बिना विद्या भी नहीं आती है। 

    अहंकार पतन की ओर ले जाता है और समर्पण उन्नति की ओर। अहंकार मृत्यु की ओर एवं समर्पण परम सुख की ओर। कुतर्क नर्क है, समर्पण स्वर्ग है। आचार्यश्री के प्रवचन के पूर्व बांदरी में आयोजित पंचकल्याणक महामहोत्सव के प्रमुख पात्रों ने समस्त आचार्य संघ को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। आचार्यश्री की आहारचर्या सुभाषचंद्र संदीप रोकड़या के यहां संपन्न हुई । 
  7. Vidyasagar.Guru
    बिहार अपडेट...
    12 मार्च 22
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    👣👣👣👣
    आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज का ससंघ विहार चल रहा है।
    👉 12 मार्च को सुबह 7.28 बजे मंगल प्रवेश हुआ आहारचर्या- जैन तीर्थ क्षेत्र पटना गंज रहली
    🙏🙏🙏🙏🙏
     
     
     
           10 मार्च, मध्यान्ह बेला     
                      
    पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार मुहाली ग्राम से हुआ।
    सम्भावित रात्रि विश्राम :  छिरारी ग्राम (10 किमी)
    सम्भावित दिशा : पटनागंज रहली (छिरारी से 12 किमी)
     
     
    विहार अपडेट : आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज 
    8 मार्च 
     
    सम्भावित रात्रि विश्राम :  झापन (दमोह)
    GPS Location
    https://goo.gl/maps/VL2qcBRwwdmnaT2y8
     
    7 मार्च  2022 6 :pm 
     
    रात्री विश्राम : ग्राम पंचायत: इमलिया घाट  जिला दमोह
     
    GPS location
    https://goo.gl/maps/qTGrQNaaVgLGBUa48
    शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला इमलिया घाट, जिला दमोह
     
    बिहार अपडेट...
    7 मार्च 22
        👣
    👣👣
    👣👣
    संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ससंघ बिहार चल रहा है। 
    7 मार्च को आहारचर्या अथखेड़ा ग्राम में हुई।
    7 मार्च को रात्रि विश्राम "इमलिया या सोमखेडा" में होने की संभावना
    संभावित 👉 8 मार्च आहारचर्या- सोमखेडा-लकलका
    👇👇👇👇👇
    आज की दिशा ग्राम टौरी, सलैया,इमलिया, सोमखेडा, ढूहली, लकलका दूरी लगभग 18 किमी
    लकलका से मुहली 16 किमी
    👉 मुहली से बीना बारह लगभग 35 किमी जंगल के रास्ते
    और 👇👇👇
    मुहली से पटनागंज रहली 24 किमी (सागर-जबलपुर मार्ग नौरादेही अभ्यारण)
    👇👇👇👇👇
    प्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र पटनागंज रहली / बीना बारह जिला सागर की संभावनाएं बढ़ी
    🙏🙏🙏🙏🙏
    मुकेश जैन ढाना
     
    आचार्यश्री जी मंगल विहार अपडेट
    7 मार्च 
    ◆ आज की आहार चर्या- "अर्थखेड़ा"  में होगी।
    (दसोंद से लगभग 5 किमी)

    6 मार्च, रविवार प्रातःकाल

    पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज
     ● मुनिश्री प्रसाद सागर जी महाराज
     ● मुनिश्री चंद्रप्रभ सागर जी महाराज
     ● मुनिश्री निरामय सागर जी महाराज
     ● ऐलकश्री सिद्धांत सागर जी महाराज
    का रात्रि विश्राम हाई स्कूल अभाना में हुआ । कस्बे से मात्र 1 किमी।
    ◆ आज की आहार चर्या- अभाना जिला दमोह में होगी।
    रात्रि विश्राम ग्राम पंचायत भवन  दसोंद में
     
    *आचार्यश्री जी मंगल विहार*
    5 मार्च, शनिवार मध्यान्हकाल

    *परम पूज्य आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ* का अभी अभी जुझार से मंगल विहार हुआ । 
    ◆ अभाना की ओर सम्भावित।
     
     
    5 मार्च 2022, शनिवार प्रातःकाल

    परम पूज्य आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज का मंगल विहार हुआ ।
    *आज की आहार चर्या  *जुझार ग्राम* में होगी*
    रात्रि विश्राम स्थल से दूरी लगभग 5 किलोमीटर आगे ।(नोहटा की ओर)
     
    4 मार्च 22
    सीधे बिहार स्थल टोल प्लाजा बांदकपुर से
    👣👣👣👣👣
    संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का बिहार बांदकपुर
    से 10 किमी हलगंज की ओर हुआ।
    संभावित दिशा
    👉 5 मार्च शनिवार को
     हलगंज से अभाना या नोहटा लगभग 17-18 किमी 
     
    *आचार्यश्री जी विहार अपडेट-*
    4 मार्च, 8:00AM

    _*परम पूज्य आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ की मंगल आहार चर्या - टोल प्लाजा (बांदकपुर से 7 किलोमीटर पहले रेलवे स्टेशन के पास) होगी।*_
    ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
     
    *आचार्यश्री मंगल विहार अपडेट-*
    3 मार्च, 4:45 PM

    *परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ-*
    _बांदकपुर से लगभग 7 किमी पहले, टोलनाका के पास पहुँचे। *आज का रात्रि विश्राम* यही होगा।_
    _*कल की आहार चर्या* की जानकारी सुवह दी जा सकेगी।_
    ●  *दिशा - बांदकपुर रोड ।*
    ( मुख्य दिशा अभी भी स्पस्ट नहीं , सभी के अनुमान फीके। आगे-आगे देखिए होता है क्या?)

     
    3 मार्च, प्रातः 7:30

    परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का मंगल विहार प्रातः काल की बेला में कुम्हारी से हुआ ।
    ●  दिशा - बांदकपुर ।
    ● आहार चर्या कुम्हारी से लगभग 12 किलोमीटर आगे होगी।

    अनिल जैन बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह
     
     
    *आचार्यश्री जी का हुआ मंगल विहार-*

    *पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनि राज का ससंघ मंगल विहार सिद्ध क्षेत्र श्री कुण्डलपुर जी से हुआ।*
     
     विहार दिशा
    हिनौती  ( परिवर्तन हो सकता हैं ) - गुरु जी अनियत विहारी 
    आज आचार्य संघ की आहार चर्या ग्राम कोटा में होगी कुंडलपुर से 2 km दूर
     
     
     
    इस लिंक  पर अपडेट करते रहेंगे 
    आपके पास विहार की सूचना / फोटो  हो तो आप कमेन्ट मे अपडेट कर सकते हैं 
  8. Vidyasagar.Guru
    केंद्रीय जेल सागर में हथकरघा केंद्र का उद्घाटन कार्यक्रम शनिवार को भाग्योदय तीर्थ परिसर में हुआ। 

    आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि विदेशी लोगो ने भारत को जाना पहचाना है पर भारत के लोगों ने अपने स्वयं के इतिहास काे नहीं जाना है। शील मर्यादा का पालन विदेशी वस्त्रों से कभी संभव नहीं है हथकरघा के वस्त्रों के माध्यम से इसका पालन कर सकते हैं। इसी में आप स्वस्थ रहोगे और इसी में परमार्थ भी करोगे। उन्होंने कहा कि आज्ञाकारी एक लड़का अच्छा है आज्ञा देने वाले कई लड़कों से। मनोरंजन की सामग्री ने भारत को श्रम से दूर कर दिया है। संतान आपकी स्वाश्रित हो पराश्रित नहीं अन्यथा आप को ही सिर दर्द रहेगा। हथकरघा मात्र निर्वाह नहीं निर्माण है। बेटे को लाड़-प्यार में पिता कुछ नहीं सिखा सकता है कुछ सिखाना है तो एश-अाे आराम से उसे दूर रखना होगा। 

    दो दिवसीय राष्ट्रीय हथकरघा एवं हस्तकला संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए ग्रामोद्योग एवं कुटीर मंत्री हर्ष यादव ने प्रदेश सरकार द्वारा हथकरघा व हस्त कला में किए जा रहे कार्यों एवं योजना की विस्तृत चर्चा एकांत में आचार्यश्री से की। यादव ने कहा कि शिल्पकला एवं हस्तशिल्प को नए आयाम देना ही हमारा लक्ष्य है। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि ऐसे हथकरघा केंद्र प्रदेश की अन्य जेलों में तो खुले हीं, बाहर भी खाेले जाएं ताकि लाेग राेजगार से जुड़ सकें। मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में आचार्यश्री जैसा चाहेंगे, वैसा हम करेंगे। अाचार्यश्री की आज्ञा शिरोधार्य है। 

    आचार्यश्री बोले : शिक्षा के केंद्र वर्तमान में नाैकर पैदा करने वाले गोदाम बन गए हैं :
    आचार्य श्री ने कहा कि जीवन उपयोगी शिक्षा ही सच्ची शिक्षा है। ईंट गारा से बनाए गए भवनों को शिक्षा का केंद्र मानना हमारी बड़ी भूल है। नेताओं से उद्घाटन करा लिया और विद्यालय चालू हो गया। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में कुछ समय पूर्व एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी ने बताया था वर्तमान की शिक्षा की हालत ऐसी हो गई है इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त इंजीनियर बने 80% किसी काम के नहीं है और बाकी के 10 से 20% इंजीनियर विदेश में जाकर नौकरी कर अपनी अच्छी शिक्षा का उपयोग कर रहे हैं। अाचार्यश्री ने बताया कि भोपाल के आसपास बड़े-बड़े विद्यालयों एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों के संचालकों ने जब उनसे वहां प्रतिभास्थली खोलेने काे कहा हमने जवाब दिया कि हम संस्कारधाम की बात करते हैं यह तो बड़े-बड़े गोदाम बने हैं। 

    प्रतिभास्थली में हम बीजाक्षर सिखाते हैं। यहां तो बीज ही चौपट हो जाएगा। यहां मात्र नौकरी को लेकर पढ़ाया जा रहा है यानी नौकर तैयार किए जा रहे हैं। आचार्य संघ में 105 पिच्छी विराजमान हैं इनमें 48 मुनि महाराज और 57 आर्यिका माताजी हैं यह जानकारी मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने दी। 

    तिहाड़ में 16 हजार कैदी, उनके राेजगार के लिए 32 फैक्ट्रियां अाैर 35 सेक्टर 

    सागर| डीअाईजी एसएस परिहार ने संगोष्ठी में बताया कि दिल्ली तिहाड़ जेल में चलाई जा रही सुधारात्मक व्यवस्था में हमने दक्षिणा अाफ्रीका के राष्ट्रपति स्वर्गीय नेल्सन मंडेला रुल्स काे फालाे किया है। यह रुल्स उन्हाेंने जेल में रहते हुए कैदियाें के हाव-भाव, अादत अादि में सुधार लाने के लिए बनाए थे। मंडेला के 122 रुल्स हैं। सुधार के लिए तिहाड़ जेल में 63 एनजीअाे काम करते हैं। हमारे जेल के कैदी सप्ताह में दाे दिन अपने परिवार जनाें से विडियाे कालिंग के जरिए रुबरु हाेते हैं। लीगल काउंसिलिंग, मंथली न्यूज लेटर सहित जेल में चल रहे 65 तरह के सुधार कार्यक्रमाें का प्रजेंटेशन मंच पर प्राेजेक्टर से किया।जेल में 32 फैक्टरी अाैर 36 सेक्टर हैं। तिहाड़ में 16 हजार कैदी है। इनमें से 6000 डिप्रेशन के शिकार है। इन्हे डिप्रेशन से उबारने 35 टीचर याेगा कराते हैं। डीअाईजी परिहार ने अंत में आचार्य श्री को संघ सहित तिहाड़ जेल आने का निमंत्रण दिया। ब्रम्हचारी सुलभ भैया मुंबई ने बताया कि हथकरघा पूर्ण रूप से शाकाहारी पद्धति से बनाए जाते हैं । हस्तशिल्प कला का प्रशिक्षण दे रहे आगरा के उद्योगपति आशीष जैन ने भी संबोधित किया। भाग्याेदय में मंच पर जेल अधीक्षक राकेश बांगरे, जेलर मदन कमलेश अाैर नागेन्द्र चौधरी , आशीष जैन आगरा के साथ जेल में हथकरघा भवन का निर्माण करने वाले ऋषभ जैन मोकलपुर का सम्मान किया गया। संचालन ब्रम्हचारिणी डॉ. रेखा जैन ने किया । 

    कार्यक्रम में पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया , विधायक शैलेन्द्र जैन , अाईएएस राहुल जैन, महेश बिलहरा, सहित विभिन्न शहराें से अाए समाजसेवी उपस्थित थे । संचालन ब्रम्हचारिणी डॉ. रेखा जैन ने किया । भाग्याेदय तीर्थ परिसर में सलाखों से स्वावलंबन की ओर नाटक का मंचन किया गया। 

    प्रवक्ता वीरेन्द्र मालथौन के अनुसार रविवार को सुबह आठ बजे तीसरा सत्र, जबकि दोपहर दो बजे से समापन सत्र की शुरुअात होगी। इस दाैरान आचार्यश्री के विशेष रविवारीय प्रवचन भी हाेंगे। रात में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के जीवन पर केंद्रित विद्योदय फ़िल्म प्रदर्शित की गर्इ। 
  9. Vidyasagar.Guru
    जैन राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का जबलपुर में चातुर्मास समाप्ति के पश्चात लगातार विहाररत हैं और कहां जाना है, किसी को पता नहीं होता। वे बस चलते रहते हैं और जहां भी सायं हो जाती है, वहीं रुक जाते हैं और प्रात: होते ही पुन: विहाररत हो जाते हैं। शुक्रवार को जैसे ही आचार्यश्री ससंघ ने दमोह की सीमा में प्रवेश किया। उनकी आगवानी के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। यही नहीं उनके दर्शन के लिए प्रशासिनक अधिकारी सहित जिला कलेक्टर एवं एसपी के साथ जनप्रतिनिधियों ने आचार्यश्री विद्यासागर के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
     

     
     
    कटंगी टोल प्लाजा जमुनिया से आचार्यश्री ससंघ ने विहार किया उनके पीछे हजारों श्रद्धालुगण जय-जयकार करते हुए चल रहे थे। जिले के गुबरा के भगवान आदिनाथ जिनालय में आचार्यश्री ससंघ ने दर्शन किये। इस दौरान आचार्यश्री को आहार देने के सौभाग्य सिग्रामपुर की ब्रह्मचारिणी दीदी सपना जैन के परिवार को मिला। दोपहर में कलेक्टर एसकृष्ण चैतन्य एवं एसपी डी. आर. तेनीवार ने वहां पहुंचकर आचार्यश्री के संभावित विहार मार्ग का जायजा लिया और आचार्यश्री का श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। संभावना जतायी जा रही है कि संग्रामपुर से आचार्यश्री ससंघ जबेरा पहुंच सकते हैं। शुक्रवार रात्रि का विश्राम दानीताल में हुआ। आचार्यश्री के जबेरा पहुंचने की संभावनाओं के चलते जबेरा निवासी अति-उत्साहित हैं और आचार्यश्री ससंघ की आगवानी के लिए तैयारियों में ब्यस्त हैं।
     
  10. Vidyasagar.Guru
    खातेगांव! आचार्यश्री विद्यासागर जी और मूकमाटी पर पीएचडी करने वाले 12 शोधार्थियों की किताबों का रविवार को सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में विमोचन हुआ। कार्यक्रम के संयोजक प्रवेश सेठी, प्रफुल्ल पाटनी ने बताया कि अब तक देश के विभिन्न प्रान्तों के 50 से ज्यादा शोधार्थियों ने आचार्यश्री और उनके द्वारा रचित मूकमाटी महाकाव्य पर पीएचडी की है। इन्ही में से 12 शोधार्थियों द्वारा जमा की गई थीसिस पर आधारित किताबों का विमोचन आचार्यश्री के ससंघ सानिध्य में किया गया। ट्रस्ट कमेटी के कार्याध्यक्ष संजय मेक्स, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश काला सहित अन्य पदाधिकारियों ने सभी शोधार्थियों को प्रशस्ति पत्र और साहित्य देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्र संजय भैया ने किया

     
    नेमावर! आचार्यश्री विद्यासागर जी और मूकमाटी पर पीएचडी करने वाले 12 शोधार्थियों की किताबों का रविवार को सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में विमोचन हुआ। कार्यक्रम के संयोजक प्रवेश जैन, प्रफुल्ल पाटनी ने बताया कि अब तक देश के विभिन्न प्रान्तों के 50 से ज्यादा शोधार्थियों ने आचार्यश्री और उनके द्वारा रचित मूकमाटी महाकाव्य पर पीएचडी की है। इन्ही में से 12 शोधार्थियों द्वारा जमा की गई थीसिस पर आधारित किताबों का विमोचन आचार्यश्री के ससंघ सानिध्य में किया गया। ट्रस्ट कमेटी के कार्याध्यक्ष संजय मेक्स, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश काला सहित अन्य पदाधिकारियों ने सभी शोधार्थियों को प्रशस्ति पत्र और साहित्य देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्र संजय भैया ने किया। मुनिश्री संभवसागरजी ने भी आशीर्वचन दिए। जैन समाज के प्रवक्ता नरेंद्र चौधरी, पुनीत जैन (पट्ठा) ने बताया कि 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर भी एक विशेष कार्यक्रम होगा, जिसमें देशभर के करीब 500 शिक्षक यहां उपस्थित होंगे।
    शोधार्थी जिनकी किताबों का विमोचन हुआ-
    • साधना सेठी कटारिया वस्त्रापुर अहमदाबाद: आचार्यश्री के विचारों का दार्शनिक अनुशीलन • बारेलाल जैन टीकमगढ़: हिंदी साहित्य की संत काव्य परंपरा के परिप्रेक्ष्य में आचार्य विद्यासागर के कर्तव्य का अनुशीलन • शालिनी गुप्ता कुसमी जिला बलरामपुर: भक्ति काव्य के मूल्य और आचार्य विद्यासागर का काव्य • माया जैन उदयपुर: आचार्य विद्यासागर व्यक्तित्व एवं काव्य कला • किरण जैन मनोरमा कॉलोनी सागर: जैन दर्शन के संदर्भ में मुनि श्री विद्यासागर जी के साहित्य का अनुशीलन • सुधीर जैन अरेरा कॉलोनी भोपाल: आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के साहित्य एवं श्रीमद्भगवद्गीता का तुलनात्मक अध्ययन • अनिल सिरवैया भोपाल: आचार्य विद्यासागर का साहित्य एक अनुशीलन • प्रशांत कुमार जैन राघोगढ़ जिला गुना: आधुनिक हिंदी काव्य के विकास में आचार्य विद्यासागर जी का योगदान • निधि गुप्ता गाजियाबाद: आचार्य विद्यासागर के साहित्य में जीवन मूल्य • रमाशंकर दीक्षित कटनी: आचार्य विद्यासागर केंद्रीत प्रमुख शोध ग्रंथों का अनुशीलन • सुनीता दुबे विदिशा: आचार्य विद्यासागर की लोक दृष्टि और उनके काव्य कलागत अनुशीलन • सुदाणी जल्पावी मोटाबारमण जिला अमरेली: मूकमाटी महाकाव्य में व्यक्त लोकोपयोगी विचार  
     
    दिगम्बर जैनाचार्य सन्त शिरोमणि 108 श्री विद्यासागर महाराज के विपुल वाङ्मय सम्बन्धी शोधकार्य
     
  11. Vidyasagar.Guru
    ⛳ आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थावस्था के ज्येष्ठ भ्राता श्री महावीर जी जैन अष्टगे ने आज शिरपुर जैन, जिला वाशिम, महाराष्ट्र में आचार्यश्री से श्रावकों की सातवी ब्रह्मचर्य प्रतिमा के व्रत गुरु पुष्य नक्षत्र में  ग्रहण किए। अब आचार्यश्री के गृहस्थावस्था के सभी परिवारजन मोक्षमार्ग पर आरूढ़ हो गए 🙏🏽🙂
    ब्रह्मचर्य प्रतिमा के व्रत के साथ ड्रेस भी हुई चेंज | श्री महावीर जी जैन अष्टगे निर्यापक श्रमन मुनि श्री समय सागर जी एवं निर्यापक श्रमन योग सागर जी के भी गृहस्थावस्था के ज्येष्ठ भ्राता हैं |  
     
     
    ⛳ब्रह्मचर्य प्रतिमा का संकल्प
    मन, वचन, काय एवं कृत, कारित, अनुमोदना से जो श्रावक मैथुन का त्याग करते हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य प्रतिमाधारी श्रावक कहते हैं। ब्रह्मचर्याणु व्रत में स्व स्त्री से सम्बन्ध रहता है किन्तु ब्रह्मचर्य प्रतिमा में स्व स्त्री से भी विरत हो जाते हैं।
    🛕जिनशासन संघ🛕 की ओर से श्री महावीरजी जैन अष्टगे द्वारा सातवी प्रतिमा ग्रहण करने की बहुत बहुत अनुमोदना एवं शुभकामनाएं
    🙏🏽🙏🏽🙏🏽
    🖼️ सलग्न फ़ोटो देखें
    ⛳जिनशासन जयवंत हो⛳
        🛕जिनशासन संघ🛕
     

     
     
     

  12. Vidyasagar.Guru
    विहार अपडेट
    30 नवंबर 2023 तिलदा नेवरा मे हुआ मंगल प्रवेश 
     

     
    29 नवंबर 23
     
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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
                 🍄लांजा🍄  
            (मिडिल हायस्कुल )
             जि.बलौद बाजार (छ.ग.) 
    https://maps.app.goo.gl/oiRRvpBWJjLzEBgt7
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         🍁कल की आहार चर्या 🍁
               🍁सासाहोली🍁
                   (अरिहंत ट्रेडर्स)
                 जि.रायपुर(छ.ग.)
                     (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/TpFPvcRSRoPa7E1WA
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    28 नवंबर 23
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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
                 🍄कठिया🍄  
          (श्री राजेश साहु मकान )
               जि.बलोदा बाजार(छ.ग.) 
    https://maps.app.goo.gl/sfqD2hNVivMU4pEf8
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         🍁कल की आहार चर्या 🍁
                 🍁सिंमगा🍁
                 जि.बलौदा बाजार
                     (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/x4o3tR3m35jjraXT8
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    27 नवंबर 23
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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
                 🍄मटका🍄  
              (विभा राइस मिल)
                जि.बेमेतरा (छ.ग.) 
    https://maps.app.goo.gl/SeSiRv2EpHRTsTrY6
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         🍁कल की आहार चर्या 🍁
                  🍁जेवरा🍁
          (शासकिय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला) 
                  जि.बेमेतरा
                  (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/tRRZyX59rCnhHng68
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    26 नवंबर 23
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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄कन्तेली🍄  
             (पूर्व माध्यमिक शाला)
               जि.कबिरधाम(छ.ग.) 
    https://maps.app.goo.gl/QCxDU41BcKygQx3g6
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         🍁कल की आहार चर्या 🍁
            🍁कोबिया बेमेतरा🍁
              (टावर -काशी राजपूत जी का परिसर) 
              जि.कबिरधाम
                (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/kvKT7r9xkAGYFF4g6
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    25 नवंबर 23
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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄देवरवीजा🍄  
            (सेवा सहकारी समिती मर्यादित)
                   जि.दुर्ग(छ.ग.) https://maps.app.goo.gl/XXaZ8GVSgXpbz2am8
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         🍁कल की आहार चर्या 🍁
                  🍁निनवा🍁
              (शासकिय प्राथमिक शाला) 
                     जि. दुर्ग
                   (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/qLb8acQLnufMHtfM9
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    24 नवंबर 23
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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄राखी जोबा🍄  
             (मनोरमा इंटरनैशनल स्कुल)
                    जि.दुर्ग(छ.ग.)  
    https://maps.app.goo.gl/J8acTxU8bKfCPJ9p6
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         🍁कल की आहार चर्या 🍁
                  🍁कोदवा🍁
                   (राठी धर्म कांटा) 
                        जि. दुर्ग
                       (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/LV4Mjjw7FtjJHKdG6
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    22 नवंबर  23

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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
    🍄जैन विहार धाम मनोहर गौशाला 🍄  
              जि.दुर्ग(छ.ग.)  
    https://maps.app.goo.gl/2bYwtGca5tqyRSSP8
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      🍁कल की आहार चर्या 🍁
    🍁बाबा उमाकांत जी महाराज,आश्रम पेंडरी🍁
                     जि. दुर्ग
                   (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/eN3q6F5rtTagGffeA
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    21 नवंबर  23
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        🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄जोरातराई 🍄
           (रामकिशन वर्मा निवास)
              जि. खैरागढ़(छ.ग.)  
    https://maps.app.goo.gl/cxw4EqiLa4sGiiu99
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       🍁कल की आहार चर्या 🍁
                  🍁रौंदा🍁
                (शॉप कंपलेक्स)
                 जि. खैरागढ़
                   (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/DQQ7o79gfBd2dG3u8
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    20 नवंबर 2023
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        🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄 चंदैनी🍄
     (शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला)
           जिला खैरागढ़(छ.ग.)     https://maps.app.goo.gl/wCG2JQnZRGVXF1uA8
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       🍁कल की आहार चर्या 🍁
           🍁बाजार अतरिया🍁
                   (जैन भवन)
                 जिला खैरागढ़
                   (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/kaSY2uf1asgTBGLe9
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    19 नवंबर 2023
    🔻आज विश्राम धर्मपूरा🔻 
                  मे ही होगा।
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       🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄धर्मपुरा🍄
    https://maps.app.goo.gl/igmZtgKQmHfYPGdr5       
     ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍁कल की आहार चर्या 🍁
              🍁मालूद🍁
           (प्राथमिक शाला मालूद) 
    https://maps.app.goo.gl/GqdkebK1YUWy8TmL6
     
    18 नवंबर 2023
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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄अमलीडी🍄
             (राजेश फुटनी निवास) 
          https://maps.app.goo.gl/xzEYMwsSCPTjZtAA7
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       🍁कल की आहार चर्या 🍁
              🍁धर्मपुरा🍁
           (नरेश जी चोपडा निवास) 
                 (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/igmZtgKQmHfYPGdr5
     
    17 नवंबर 2023
    ➖➖➖➖➖➖➖
         🍄आज रात्री विश्राम🍄
            🍄खपरी सिरदार🍄
                  (ग्राम पंचायत)
    https://maps.app.goo.gl/iyv7YEYE5kWkGrbk6         
     ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
       🍁कल की आहार चर्या 🍁
              🍁गढा़घाट🍁
           (शासकीय हाई स्कुल) 
                 (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/t3Z61ed34KYxKVvN9
     
    16 नवंबर 2023

         🍄आज रात्री विश्राम🍄
                 🍄ढारा🍄
             (नितीन किराना ढारा)
    https://maps.app.goo.gl/iCijkstpdVCBavVH7           
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     🍁कल की आहार चर्या 🍁
            🍁भंडारपूर🍁
        (व्यायाम शाला एवं प्राथमिक शाला परिसर) 
                (संभावित)
    https://maps.app.goo.gl/FbAAAKuQ3CrvbvdPA
     
     
    15 नवंबर 2023 
    🪷युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज
    🪷निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसादसागर जी महाराज 
    🪷मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभसागर जी महाराज
    🪷मुनि श्री १०८ निरामयसागर जी महाराज 
                ससंघ का
            आज दोपहर में
     💫सामयिक उपरांत💫
           👣मंगल विहार👣 
     🔻तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी डोंगरगढ🔻 
                  से हुआ।

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         🍄आज रात्री विश्राम🍄
              🍄 अछोली 🍄
                 ( साहूजी निवास) 
    https://maps.app.goo.gl/YUYbnVCyix7AQRrT9
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     🍁कल की आहार चर्या 🍁
       🍁हायस्कुल देवकट्टा🍁 https://maps.app.goo.gl/uLEjcBabu9yRrEJN6
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  13. Vidyasagar.Guru
    15 साल 8 माह 23 दिन बाद गुरु के दर्शन कर चरण पखारे तो निकल गयी अश्रुधारा  गुरु-शिष्यों का महामिलन देखने देश-विदेश से पहुंचे 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु  गुरु की आज्ञा मिलते ही 15 दिन में 300 किमी का पदविहार कर बावनगजा से नेमावर पहुंचे मुनि प्रमाण सागर, पैरों में आ गए छाले फिर भी नहीं रुके कदम   
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    ✍🏻 पुनीत जैन (पट्ठा) खातेगांव 
    रविवार को 15 साल 8 माह 23 दिन (5746 दिन) के लंबे इंतज़ार के बाद मुनिश्री प्रमाणसगारजी और 10 साल 8 माह 23 दिन (3920 दिन) बाद मुनिश्री विराटसागरजी ने सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में अपने गुरु आचार्यश्री विद्यासागरजी के दर्शन कर चरण पखारे तो दोनों की आंखों से आंसू बह निकले। अश्रुधारा और जल से दोनों ने अपने गुरु के पादप्रक्षालन किए और गंधोदक को अपने सिरमाथे पर लगाया। 
    दोनों मुनि बावनगजा में चातुर्मासरत थे। गुरु से आज्ञा मिलते ही उनके दर्शन के लिए 15 नवंबर को वहां से लगभग 300 किमी का पदविहार करते हुए रविवार को नेमावर पहुंचे। मुनिश्री प्रमाणसागरजी ने इसके पूर्व 8 मार्च 2004 को रामटेक और मुनिश्री विराटसागरजी ने 8 मार्च 2009 को जबलपुर में गुरू के दर्शन कर उनकी आज्ञा और आशीर्वाद से विहार किया था।   
    गुरु-शिष्यों के महामिलन के इन भावुक क्षणों में मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा जन्म तो सब लेते हैं, पर जय किसी विरले की हो होती है और जय उसी की होती है जो स्वयं को जीत लेता है। मेरे गुरुवर ने स्वयं को जीता है, इसलिए उनकी पूरी दुनिया में जय हो रही है। उनकी शरण में आने वाले की स्वतः ही विजय हो जाती है। गुरुदेव ने जिस त्याग और तपस्या से जिन ऊंचाई को छुआ है वह जैन समाज का पर्याय बन गया है। जैन धर्म की पहचान आज मेरे गुरुदेव से है।यह युग गुरुवर का युग है। मेरे गुरुदेव तो साक्षात अरिहंत की प्रतिकृति हैं। सम्पूर्ण श्रमण संस्कृति और सम्पूर्ण मानव समाज पर गुरुदेव की कृपा है। धरती पर बहुत से आचार्य हुए जिन्होंने जिनशासन के लिए बहुत कुछ किया लेकिन मेरे गुरुवर आचार्य विद्यासागरजी अपनी त्याग तपस्या और साधना के साथ-साथ मानवता के उत्थान के लिए, राष्ट्र के निर्माण के लिए, संस्कृति की रक्षा के लिए हर समय चिंतनमय रहते हैं। जिनके हर सांस में मानवता का हित दिखता हो। पंचम काल में मोक्ष की व्यवस्था तो नहीं पर जो सच्चे मन से इनकी शरण में आ जाता है उसका बेड़ा पार हो जाता है। गुरुदेव कहते हैं धन पाना, धन कमाना कोई बड़ी बात नही धन का सही नियोजन करके जीवन को धन्य बनाना सबसे बड़ी बात है। और आज पूरी दुनिया उनकी शरण में आकर जीवन को धन्य बना रही है। भक्तों के लिए तो गुरुकृपा और गुरुशरण ही सबसे बड़ा धन है।  सबको जो मिला वो मुकद्दर से मिला, मुझे तो मेरा मुक़द्दर ही गुरुवर के दर पर मिला।     
    इसी क्रम में मुनिश्री विराटसागरजी ने भी भजन- गुरु की छाया में शरण जो पा गया उसके जीवन में सुमंगल आ गया के माध्यम से अपने भाव प्रकट किए। गुरु को ब्रम्हा विष्णु महेश के समान बताते हुए कहा कि मैं आज जो कुछ गुरुकृपा से हूँ। 
    इस अवसर पर आचार्यश्री विद्यासागजी महाराज ने कहा शिष्य अपने गुरु से दूर रहने पर शिकायत करते हैं, लेकिन इन शिकायतों में भी कुछ ना कुछ सीख होती है। हम अपना संदेश भेजने के लिए दूरभाष, कोरियर या पत्र का प्रयोग नहीं करते फिर भी हमारे संदेश शिष्यों तक पहुंच जाते हैं, जिसके बारे में या तो सिर्फ वो जानते है या सिर्फ हम। 
     
    इससे पूर्व ज्येष्ठ मुनि प्रमाणसागरजी और मुनिश्री विराटसागरजी की आगवानी के लिए आचार्यश्री के संघस्थ मुनि और अपार जनसमुदाय गुराड़िया फांटे पर पहुंचा। धर्मध्वजा और जयकारों के बीच मुनिगणों की आगवानी हुई। सभी मुनि महाराजों ने आचार्यश्री की परिक्रमा लगाई। यह दृश्य देखकर देश-विदेश के आए हजारों श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।



     
     
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  14. Vidyasagar.Guru
    पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी, पांडिचेरी की उप राज्यपाल किरण बेदी, मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित तीन राज्यों के जेल मंत्री और 10 डीजीपी भी आने की संभावनाएं 

    आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का विहार इस समय सागर की ओर चल रहा है। आचार्य संघ नरयावली तक आ गया है। गुरुवार को सुबह 8 बजे सकल दिगंबर जैन समाज सागर के लोग नरयावली पहुंचकर आचार्य संघ काे श्रीफल अर्पित करेंगे। 25 जनवरी शुक्रवार को आचार्यश्री की भाग्योदय तीर्थ पहुंचने की उम्मीद है। इसकी तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। आचार्यश्री का सागर में एक पखवाड़े से अधिक समय तक रुकना भी लगभग तय माना जा रहा है। इसकी वजह है 16 और 17 फरवरी को केंद्रीय जेल सागर में होने वाले हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन कार्यक्रम। यह आयोजन आचार्यश्री के सानिध्य में होगा। 

    आचार्यश्री ने ही 16 फरवरी की तारीख तय कर दी है। कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा। बताया गया है कि इस आयोजन में देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी, पांडिचेरी की उप राज्यपाल किरण बेदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित मध्यप्रदेश और दो अन्य राज्यों के जेल मंत्री एवं करीब 10 डीजीपी भी शामिल हो सकते हैं। मुनिश्री सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि कैदियों को रोजगार से जोड़कर अपराध की दुनिया से समाज में पुनर्वास की भावना को लेकर आचार्यश्री की यह पहल है। इस तरह के केंद्र वे देश में कई जगह बनवाने के लिए प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं। 

    10 हजार वर्गफीट में है केंद्र, बंदी साड़ी, कालीन और खादी के कपड़े बुनना सीखेंगे करीब 10 हजार वर्गफीट में फैले इस प्रशिक्षण केंद्र का नामकरण आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के नाम पर ही किया गया है। इसमें 108 हथकरघा लगाए जाना है। जिनमें से 54 लग चुके हैं। प्रत्येक हथकरघा में एक साथ 5 बंदी साड़ी, कालीन, खादी आदि के कपड़े बुनने का प्रशिक्षण ले सकेंगे। वर्तमान में यह रह रहे करीब 300 बंदी इसमें प्रशिक्षण ले सकेंगे। इन बंदियों काे प्रशिक्षण के लिए चिन्हित किया जाएगा। इतना ही नहीं सागर के अलावा अन्य जेल के बंदियों को भी प्रशिक्षण लेने के लिए यहां बुलाया जा सकेगा। 
  15. Vidyasagar.Guru
    आचार्य विद्यासागर जी महाराज ससंघ की उपस्थिति में खजुराहो श्रमदान पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान हथकरघा के वस्त्रो का अवलोकन करते हुए |
  16. Vidyasagar.Guru
    आज जो होगा, अद्भुत होगा

    पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज, समस्त मुनिराज एवम आर्यिकाओं के मंगल सानिध्य में आज, बड़ी संख्या में बहनों को आत्मकल्याण के पथ पर चलने हेतु दीक्षित/संस्कारित करेंगे।  बीती रात इन बहनों ने केशलोंच भी कर लिए हैं।
    यद्यपि इस सम्बन्ध में कोई सार्वजनिक घोषणा नही की गई है । सम्भावना है कि इन बहनों को 10 प्रतिमा के संस्कार (गृह त्याग) प्रदान किये जावेंगे। संघ में सम्भवतः यह प्रथम सुअवसर देखने को मिलेगा।

     
    जो भी होगा - आपको वेबसाईट पर इसी लिंक पर अपडेट किया जाएगा 

  17. Vidyasagar.Guru
    आज दोपहर 3: 15  बजे Live तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय 1 प्रतियोगिता Kahoot पर होगी
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    Topic: तत्वर्थ सूत्र अध्याय 1 प्रतियोगिता
    Time: Sep 10, 2021 03:15 PM India
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    दो मोबाईल साथ रखें (दो मोबाईल ना होने पर :split screen कर भी भाग ले सकते हैं 
     
    अध्याय 1 स्वाध्याय 
    shttps://vidyasagar.guru/paathshala/tattvarthasutra/adhyay-1/
     
  18. Vidyasagar.Guru

    साहित्य
    आतम गुण के घातक चारों कर्म आपने घात दिए
    अनन्तचतुष्टय गुण के धारक दोष अठारह नाश किए
    शत इन्द्रों से पूज्य जिनेश्वर अरिहंतों को नमन करूँ
    आत्म बोध पाकर विभाव का नाश करूँ सब दोष हरु ॥1॥

    कभी आपका दर्श किया ना ऐ सिद्धालय के वासी
    आगम से परिचय पाकर मैं हुआ शुद्ध पद अभिलाषी
    ज्ञान शरीरी विदेह जिनको वंदन करने मैं आया
    सिद्ध देश का पथिक बना मैं सिद्धों सा बनने आया ॥2॥

    छत्तीस मूलगुणों के गहने निज आतम को पहनाए
    पाले पंचाचार स्वयं ही शिष्य गणों से पलवाए
    शिवरमणी को वरने वाले जिनवर के लघुनंदन हैं
    श्री आचार्य महा मुनिवर को तीन योग से वंदन है ॥3॥

    अंग पूर्व धर उपाध्याय श्रीश्रुत ज्ञानमृत दाता हैं
    ज्ञान मूर्ति पाठक दर्शन से पाते भविजन साता हैं
    ज्ञान गुफा में रहने वाले कर्म शत्रु से रक्षित हैं
    णमो उवज्झायाणं पद से भव्य जनों से वंदित हैं ॥4॥

    आत्म साधना लीन साधुगण आठ बीस गुण धारी हैं
    अनुपम तीन रत्न के धारक शिवपद के अधिकारी हैं
    साधु पद से अर्हत होकर सिद्ध दशा को पाना है
    अतः प्रथम इन श्री गुरुओं के पद में शीश नवाना है ॥5॥

    धन्य धन्य जिनवर की वाणी आत्म बोध का हेतु है
    निज आतम से परमातम में मिलने का एक सेतु है
    जहाँ जहाँ पर द्रव्यागम है उनको भाव सहित वंदन
    नमन भावश्रुत धर को मेरा मेटो भव भव का क्रंदन ॥6॥

    निज भावों की परिणतिया ही कर्मरूप फल देती है
    भावों की शुभ-अशुभ दशा ही दुख-सुख मय कर देती है
    कर्म स्वरूप न जान सका मैं नोकर्मों को दोष दिया
    नूतन कर्म बाँध कर निज को अनंत दुख का कोष किया ॥7॥

    तन से एक क्षेत्र अवगाही होकर यद्यपि रहता हूँ
    फिर भी स्वात्मचतुष्टय में ही निवास मैं नित करता हूँ
    पर भावों मे व्यर्थ उलझ कर स्वातम को न लख पाया
    भान हो रहा मुझे आज क्यों आतम रस न चख पाया ॥8॥

    उपादान से पर न किंचित मेरा कुछ कर सकता है
    नहीं स्वयं भी पर द्रव्यों को बना मिटा न सकता है
    किंतु भ्रमित हो पर को निज का निज को पर कर्ता माने
    अशुभ भाव से भव-कानन मे भटके निज न पहचाने ॥9॥

    मिथ्यावश चैतन्य देश का राज कर्म को सौंप दिया
    दुष्कर्मों ने मनमानी कर गुणोंद्यान को जला दिया
    विकृत गुण को देख देख कर नाथ आज पछताता हूँ
    कैसे प्राप्त करूँ स्वराज को सोच नही कुछ पाता हूँ ॥10॥

    इक पल की अज्ञान दशा में भव-भव दुख का बँध किया
    अनर्थकारी रागादिक कर पल भर भी न चैन लिया
    विकल्प जितना सस्ता उसका फल उतना ही महँगा है
    सुख में रस्ता छोटा लगता दुख में लगता लंबा है ॥11॥

    मंद कषाय दशा में प्रभु के दिव्य वचन का श्रवण किया
    किंतु मोह वश सम्यक श्रद्धा और नहीं अनुसरण किया
    आत्मस्वरूप शब्द से जाना अनुभव से मैं दूर रहा
    स्वानुभूति के बिना स्वयं के कष्ट दुःख हों चूर कहाँ ॥12॥

    मेरे चेतन चिदाकाश में अन्य द्रव्य अवगाह नहीं
    फिर भी देहादिक निज माने यह मेरा अपराध सही
    नीरक्षीर सम चेतन तन से नित्य भिन्न रहने वाला
    रहा अचेतन तन्मय चेतन अनंत गुण गहने वाला ॥13॥

    जग में यश पाकर अज्ञानी मान शिखर पर बैठ गया
    सबसे बड़ा मान कर निज को काल कीच में पैठ गया
    पर को हीन मान निज-पर के स्वरूप से अनजान रहा
    इक पल यश सौ पल अपयश में दिवस बिता कर दुःख सहा ॥14॥

    विशेष बनने की आशा में नहीं रहा सामान्य प्रभो
    साधारण में एकेन्द्रिय बन काल बिताया अनंत प्रभो
    भाव यही सामान्य रहूं नित विशेष शिव पद पाना है
    सिद्ध शिला पर नंत सिद्ध में समान होकर रहना है ॥15॥

    मैं हूँ चिन्मय देश निवासी जहाँ असंख्य प्रदेश रहें
    अनंत गुणमणि कोष भरे जग दुःख कष्ट न लेश रहें
    जानन देखन काम निरंतर लक्ष्य मेरा निष्काम रहा
    मेरा शाश्वत परिचय सुनलो आतम मेरा नाम रहा ॥16॥

    स्पर्श रूप रस गंध रहित मैं शब्द अगोचर रहता हूँ
    परम योगी के गम्य अनुपम निज में खेली करता हूँ
    निराकार निर्बन्ध स्वरूपी निश्चय से निर्दोषी हूँ
    स्वानुभूति रस पीने वाला निज गुण में संतोषी हूँ ॥17॥

    निज भावों से कर्म बाँध क्यों पर को दोषी ठहराता
    कर्म सज़ा ना देता इनको यह विकल्प तू क्यों लाता
    कर्म न्याय करने मे सक्षम सुख-दुख आदिक कार्यों में
    हस्तक्षेप न करना पर में विशेष गुण यह आर्यों में ॥18॥

    गुरुदर्श गुरुस्नेह कृपा सच शिव सुख के ही साधन हैं
    गुरु स्नेह पा मान करे तो होता धर्म विराधन है
    अतः सुनो हे मेरे चेतन आतम नेह नहीं तजना
    कृपा करो निज शुद्धातम पर मान यान पर न चढ़ना ॥19॥

    नश्वर तन-धन की हो प्रशंसा सुनकर क्यों इतराते हो
    कर्म निमित्ताधीन सभी यह समझ नहीं क्यों पाते हो
    शत्रु पक्ष को प्रोत्साहित कर शर्म तुम्हें क्यों न आती
    सिद्ध प्रभु के वंशज हो तुम क्रिया न यह शोभा पाती ॥20॥

    अपने को न अपना माने तब तक ही अज्ञानी है
    तन में आतम भ्रांति करके करे स्वयं मनमानी है
    इष्टानिष्ट कल्पना करके क्यों निज को तड़पाता है
    ज्ञानवान होकर भी चेतन सत्य समझ न पाता है ॥21॥

    जगत प्रशंसा धन अर्चन हित जैनागम अभ्यास किया
    स्वात्म लक्ष्य से जिनवाणी का श्रवण किया न ध्यान किया
    बिना अनुभव मात्र शब्द से औरों को भी समझाया
    किया अभी तक क्या-क्या अपनी करनी पर मैं पछ्ताया ॥22॥

    स्वयं जागृति से हो प्रगति बात समझ में आई है
    मात्र निमित्त से नहीं उन्नति कभी किसी ने पाई है
    निज सम्यक पुरुषार्थ जगाकर नही एक पल खोना है
    निज से निज में निज के द्वारा निज को निजमय होना है ॥23॥

    पर भावों के नहीं स्वयं के भावों के ही कर्ता हैं
    कर्मोदय के समय जीव निज भाव फलों का भोक्ता है
    भाव शुभाशुभ कर्म जनित सब शुद्ध स्वभाव हितंकर है
    अर्हत और सिद्ध पद दाता अनंत गुण रत्नाकर है ॥24॥

    निज उपयोग रहे निज गृह तो कर्म चोर न घुस पाता
    पर द्रव्यों में रहे भटकता चेतन गुण गृह लुट जाता
    जागो जागो मेरे चेतन सदा जागते तुम रहना
    सम्यक दृष्टि खोलो अपनी निज गृह की रक्षा करना ॥25॥

    राग द्वेष से दुष्कर्मों को क्यों करता आमंत्रित है
    स्वयं दुखी होने को आतुर क्यों शिव सुख से वंचित है
    गुण विकृत हो दोष बने पर गुण की सत्ता नाश नही
    ज्ञानादिक की अनुपम महिमा क्या यह तुझको ज्ञात नहीं ॥26॥

    सहानुभूति की चाह रखे न स्वानुभूति ऐसी पाऊँ
    स्वात्मचतुष्टय का वासी मैं पराधीनता न पाऊँ
    मैं हूँ नित स्वाधीन स्वयं में निमित्त के आधीन नहीं
    शुद्ध तत्त्व का लक्ष्य बनाकर पाऊँ पावन ज्ञान मही ॥27॥

    जीव द्रव्य के भेद ज्ञात कर परिभाषा भी ज्ञात हुई
    किंतु यह मैं जीव तत्त्व हूँ भाव भासना नही हुई
    बिना नीव जो भवन बनाना सर्व परिश्रम व्यर्थ रहा
    आत्म तत्त्व के ज्ञान बिना त्यों चारित का क्या अर्थ रहा ॥28॥

    त्रैकालिक पर्याय पिंडमय अनंत गुणमय द्रव्य महान
    निज स्वरूप से हीन मानना भगवंतों ने पाप कहा
    वर्तमान पर्याय मात्र ही क्यों तू निज को मान रहा
    पर्यायों में मूढ़ आत्मा पूर्ण द्रव्य न जान रहा ॥29॥

    कर्म पुण्य का वेश पहन कर चेतन के गृह में आया
    निज गृह में भोले चेतन ने पर से ही धोखा खाया
    सहज सरल होना अच्छा पर सावधान होकर रहना
    आतम गुण की अनुपम निधियां अब इसकी रक्षा करना ॥30॥

    पढ़ा कर्म सिद्धांत बहुत पर समझ नही कुछ भी आया
    नोकर्मों पर बरस पड़ा यह जब दुष्कर्म उदय आया
    कर्म स्वरूप भिन्न है मुझसे भेद ज्ञान यह हुआ नही
    बोझ रूप वह शब्द ज्ञान है कहते हैं जिनराज सही ॥31॥

    पर द्रव्यों के जड़ वैभव पर आतम क्यों ललचाता है
    निज प्रदेश में अणु मात्र भी नही कभी कुछ पाता है
    हो संतुष्ट अनंत गुणों से अनंत सुख को पाएगा
    निज वैभव से भव विनाश कर सिद्ध परम पद पाएगा ॥32॥

    वीतराग की पूजा कर क्यों राग भाव से राग करे
    निर्ग्रंथों का पूजक होकर परिग्रह की क्यों आश करे
    कथनी औ करनी में अंतर धरती अंबर जैसा है
    कहो वही जो करते हो तुम वरना निज को धोखा है ॥33॥

    अंतर्मुख उपयोग रहे तो निजानन्द का द्वार खुले
    अन्य द्रव्य की नहीं अपेक्षा कर्म-मैल भी सहज धुले
    गृह स्वामी ज्ञानोपयोग यदि निज गृह रहता सुख पाता
    पर ज्ञेयों में व्यर्थ भटकता झूठा है पर का नाता ॥34॥

    अपने को जो अपना माने वह पर को भी पर माने
    स्वपर भेद विज्ञानी होकर लक्ष्य परम पद का ठाने
    ज्ञानी करता ज्ञान मान का अज्ञ ज्ञान का मान करे
    संयोगों में राग द्वेष बिन विज्ञ स्वात्म पहचान करे ॥35॥

    वस्तु अच्छी बुरी नहीं होती दृष्टि इष्टानिष्ट करे
    वस्तु का आलंबन लेकर विकल्प मोही नित्य करे
    बंधन का कारण नहीं वस्तु भाव बँध का कारण है
    अतः भव्य जन भाव सम्हालो कहते गुरु भवतारण हैं ॥36॥

    इच्छा की उत्पत्ति होना भव दुख का ही वर्धन है
    इच्छा की पूर्ति हो जाना राग भाव का बंधन है
    इच्छा की पूर्ति न हो तो द्वेष भाव हो जाता है
    इच्छाओं का दास आत्मा भव वन में खो जाता है ॥37॥

    सर्व द्रव्य हैं न्यारे-न्यारे यही समझ अब आता है
    जीव अकेला इस भव वन में सुख-दुख भोगा करता है
    फिर क्यों पर की आशा करना सदा अकेले रहना है
    स्व सन्मुख दृष्टि करके अब अपने में ही रमना है ॥38॥

    अरी चेतना सोच ज़रा क्यों पर परिणति में लिपट रही
    स्वानुभूति से वंचित होकर क्यों निज-सुख से विमुख रही
    पर द्रव्यों में उलझ-उलझ कर बोल अभी तक क्या पाया
    अपना अनुपम गुण-धन खोकर विभाव में ही भरमाया ॥39॥

    पिता पुत्र धन दौलत नारी मोह बढ़ावन हारे हैं
    परम देव गुरु शास्त्र समागम मोह घटावन हारे हैं
    सम्यक दर्शन ज्ञान चरित सब मोह नशावन हारा हैं
    रत्नत्रय की नैया ने ही नंत भव्य को तारा है ॥40॥

    अज्ञानी जन राग भाव को उपादेय ही मान रहे
    ज्ञानी भी तो राग करे पर हेय मानना चाह रहे
    दृष्टि में नित हेय वर्तता किंतु आचरण में रागी
    ऐसे ज्ञानी धन्य-धन्य हैं शीघ्र बनें वे वैरागी ॥41॥

    कर्म बँध के समय आत्मा रागादिक से मलिन हुई
    कर्म उदय के समय कर्म फल संवेदन मे लीन हुई
    भाव कर्म से द्रव्य कर्म औ द्रव्य उदय में भाव हुआ
    निमित्त नैमित्तिक भावों से इसी तरह परिभ्रमण हुआ ॥42॥

    कर्म उदय को जीत आत्मा निज स्वरूप में लीन रहे
    उपादान को जागृत करके नहीं निमित्ताधीन रहे
    राग द्वेष भावों को तज कर नूतन कर्म विहीन करे
    जिनवर कहते विजितमना वह मुक्तिरमा को शीघ्र वरे ॥43॥

    कर्म यान पर संसारी जन बैठ चतुर्गति सैर करे
    ज्ञान नाव पर ज्ञानी बैठे भव समुद्र से तैर रहे
    एक कर्म फल का रस चखता इक शिव फल रस पीता है
    जनम मरण करता अज्ञानी ज्ञानी शाश्वत जीता है ॥44॥

    योगी भोजन करते-करते कर्म निर्जरा करता है
    भजन करे अज्ञानी फिर भी कर्म बंध ही करता है
    अभिप्राय अनुसार कर्म के बंध निर्जरा होती है
    श्रीजिनवर की सहज देशना कर्म कलुशता धोती है ॥45॥

    चेतन द्रव्य नहीं दिखता है जो दिखता वह सब जड़ है
    फिर क्यों जड़ का राग करूँ मैं चेतन मेरा शुचितम है
    देह विनाशी मैं अविनाशी निज का ही संवेदक हूँ
    स्वयं स्वयं का पालनहारा निज का ही निर्देशक हूँ ॥46॥

    क्या ले कर आए क्या ले कर जाएँगे ये मत सोचो
    तीव्र पुण्य ले कर आए हो जैन धर्म पाया सोचो
    देव शास्त्र गुरु मिला समागम तत्त्व रूचि भी प्रकट हुई
    शक्ति के अनुसार व्रती बन नर काया यह सफल हुई ॥47॥

    हे उपयोगी नाथ ज्ञानमय दृष्टि स्वसन्मुख कर दो
    नंत कल से व्यथित चेतना दुःख शमन कर सुख भर दो
    तजो अशुभ उपयोग नाथ तुम शुभ से शुद्ध वरण कर लो
    अपनी प्रिया चेतना के गृह मिथ्यातमस सभी हर लो ॥48॥

    पर वस्तु पर द्रव्य समागम दुःख क्लेश का कारण है
    आत्मज्ञान से निजानुभव ही सुख कारण भय वारण है
    स्वपर तत्त्व का भेद जानकर निज को ही नित लखना है
    शिव पद पाकर नंत काल तक स्वात्म ज्ञान रस चखना है ॥49॥

    मेरे पावन चेतन गृह में अनंत निधियां भरी पड़ी
    माँ जिनवाणी बता रही पर ज्ञान नयन पर धूल पड़ी
    बना विकारी मन इन्द्रिय से भीख माँगता रहता है
    दर दर का यह बना भिखारी पर घर दृष्टि रखता है ॥50॥

    हे आतम तू नंत काल से निज में परिणम करता है
    पर से कुछ न लेना देना फिर विकल्प क्यों करता है
    निर्विकल्प होने का चेतन दृढ़ संकल्प तुम्हें करना
    तज कर अन्तर्जल्प शीघ्र ही शांत भवन में है रहना ॥51॥

    वर्तमान में भूल कर रहा पूर्व कर्म का उदय रहा
    नहीं भूल को भूल मानना वर्तमान का दोष रहा
    निज से ही अंजान आत्मा पर को कैसे जानेगा
    इच्छा के अनुसार वर्तता प्रभु की कैसे मानेगा ॥52॥

    मेरी अनुपम सुनो चेतना ज्ञान-बाग में तुम विचरो
    निज उपयोगी देव संग में शील स्वरूप सुगंध भरो
    अन्य द्रव्य से दृष्टि हटाकर व्यभिचार का त्याग करो
    अनविकार चेष्टाएँ तजकर निजात्म पर उपकार करो॥53॥

    सुख स्वरूप आतम अनुभव से राग दुःखमय भास रहा
    निज निर्दोष स्वरूप लखा तो दृष्टि में न दोष रहा
    राग भाव संयोगज जाने ज्ञानी इनसे दूर रहे
    मैं एकत्व विभक्त आत्मा यही जान सुख पूर रहे ॥54॥

    पर से नित्य विभक्त चेतना निज गुण से एकत्व रही
    स्वभाव से सामर्थ्यवान यह पर द्रव्यों से पृथक रही
    अन्य अपेक्षा नहीं किसी की निजानन्द को पाने में
    निज स्वभाव का सार यही है विभाव के खो जाने में॥55॥

    न्यायवान एक कर्म रहा है समदृष्टि से न्याय करे
    भावों के अनुसार उदय की पूर्ण व्यवस्था कर्म करे
    कर्म समान व्यवस्थापक इस जग में और न दिखता है
    निज निज करनी के अनुसारी लेख सभी के लिखता है ॥56॥

    तन चेतन इक साथ रहे तो दुख का कारण न मानो
    एक मानना देहातम को अनंत दुख कारण जानो
    देह चेतना भिन्न-भिन्न ज्यों त्यों दुख चेतन भिन्न रहा
    परम शुद्ध निश्चय से आतम नित चिन्मय सुख कंद कहा ॥57॥

    राग भाव है आत्म विपत्ति इसे नहीं अपना मानो
    राग भाव का राग सदा ही महा विपत्ति ही जानो
    सब विभाव से भिन्न रहा मैं ज्ञान भाव से भिन्न नहीं
    राग आग का फल है जलना पाऊँ केवलज्ञान मही ॥58॥

    पूजा और प्रतिष्ठा के हित भगवत भक्ति न करना
    शब्द ज्ञान पांडित्य हेतु मन श्रुताभ्यास भी न करना
    मात्र बाह्य उपलब्धि हेतु अनुष्ठान सब व्यर्थ रहा
    दृष्टि सम्यक नहीं हुई तो पुरुषार्थ क्या अर्थ रहा ॥59॥

    मैं को प्राप्त नहीं करना है मात्र प्रतीति करना है
    जो मैं हूँ वह निज में ही हूँ स्वानुभूति ही करना है
    दृष्टि अपेक्षा विभाव तजकर ज्ञान मात्र अनुभवना है
    नंत गुणों का पिंड स्वयं मैं निज में ही नित रमना है ॥60॥

    आत्म भावना भा ले चेतन भाव स्वयं ही बदलेगा
    भाव बदलते भव बदलेगा पर का तू क्या कर लेगा
    स्वयं जगत परिणाम हो रहा तू निज भावों का कर्ता
    ज्ञान मात्र अनुभवो स्वयं को हे चेतन चिन्मय भोक्ता ॥61॥

    तत्त्व ज्ञान जितना गहरा हो निज समीपता आती है
    निकट सरोवर के हो जितना शीतलता ही आती है
    आत्म तत्त्व का आश्रय करके ज्ञान करे तो सम्यक हो
    ज्ञान सिंधु में खूब नहाकर भविष्य शाश्वत उज्जवल हो ॥62॥

    पूर्ति असंभव सब विकल्प की अभाव इसका संभव है
    पर आश्रय से होने वाले स्वाश्रय से होता क्षय है
    विकल्प करने योग्य नहीं है निषेधने के योग्य रहे
    निर्विकल्प होकर हे चेतन ज्ञान मात्र ही भोग्य रहे ॥63॥

    भविष्य के संकल्प भूत के विकल्प तू क्यों करता है
    अजर अमर अविनाशी होकर कौन जनमता मरता है
    पुद्गल की इन पर्यायों में निर्भ्रम होकर रहना है
    वर्तमान में निज विवेक से निजात्म में ही रमना है॥64॥

    पर का कर्ता मान भले तू पर कर्ता न बन सकता
    पर को सुखी-दुखी करने में भाव मात्र ही कर सकता
    तेरा कार्य तुझे ही करना अन्य नहीं कर सकता है
    दृढ़ निश्चय यह करके आतम अनंत सौख्य पा सकता है ॥65॥

    किंचित ज्ञान प्राप्त कर चेतन समझाने क्यों दौड़ गया
    लक्ष्य स्वयं को समझाने का तू क्यों आख़िर भूल गया
    सभी समझते स्वयं ज्ञान से पर की चिंता मत करना
    स्वयं शुद्ध आत्मज्ञ होय कर ज्ञान शरीरी ही रहना ॥66॥

    निमित्त दूर करो मत चेतन उपादान को सम्हालो
    बारंबार निमित्त मिलेंगे चाहे कितना कुछ कर लो
    कर्मोदय ही नोकर्मों के निमित्त स्वयं जुटाता है
    उपादान यदि जागृत हो तो कोई न कुछ कर पाता है ॥67॥

    भव वर्धक भावों से आतम कभी रूचि तुम मत करना
    परमानंद तुम्हारा तुममें इससे वंचित न रहना
    बहुत कर चुके कार्य अभी तक किंतु नहीं कृतकृत्य हुए
    रूचि अनुसारी वीर्य वर्तता आत्म रूचि अतः प्राप्त करे ॥68॥

    निज की सुध-बुध भूल गया तो कर्म लूट ले जाएँगे
    स्वसन्मुख यदि दृष्टि रही तो कर्म ठहर न पाएँगे
    निज पर नज़र गड़ाए रखना हे अनंत धन के स्वामी
    आत्म प्रभु का कहना मानो बनना तुमको शिवधामी ॥69॥

    इच्छा से जब कुछ न होता फिर क्यों कष्ट उठाते हो
    सब अनर्थ की जड़ है इच्छा समझ नहीं क्यों पाते हो
    ज्ञानानंद घातने वाली इच्छाएँ ही विपदा हैं
    निस्तरंग आनंद सरोवर निज में शाश्वत सुखदा है ॥70॥

    परिजन मित्र समाज देशहित बहुत व्यवस्थाएँ करते
    अस्त-व्यस्त निज रही चेतना आत्म व्यवस्था कब करते
    चेतन प्यारे निज की सुध लो बाहर में कुछ इष्ट नहीं
    नंत काल से जानबूझ कर विष को पीना ठीक नहीं ॥71॥

    पुद्गल आदिक बाह्य कार्य में चेतन जड़वत हो जाना
    विषय भोग व्यवहार कार्य में मेरे आतम सो जाना
    निश्चय में नित जागृत रहना लक्ष्य न ओझल हो पावे
    कर्मोदय हो तीव्र भले पर दृष्टि आतम पर जावे ॥72॥

    हेय तत्त्व का ज्ञान किया जो मात्र हेय के लिए नहीं
    उपादेय की प्राप्ति हेतु ही ज्ञेय ज्ञान हो जाए सही
    ज्ञायक मेरा रूप सुहाना ज्ञाता मेरा भाव रहे
    ज्ञान संग मैं अनंत गुणयुत चिन्मय मेरा धाम रहे ॥73॥

    प्रति वस्तु की अपनी-अपनी मर्यादाएँ होती हैं
    भिन्न चतुष्टय सबके अपने निज में परिणति होती है
    इक क्षेत्रावगाह चेतन तन होकर भिन्न-भिन्न रहते
    निज-निज गुणमय पर्यायों में द्रव्य नित्य परिणम करते ॥74॥

    निज की महिमा नहीं समझता यही पाप का उदय कहा
    पर पदार्थ की महिमा गाता नश्वर की तू शरण रहा
    वीतराग प्रभुवर कहते तू तीन लोक का ज्ञाता है
    इससे बढ़कर क्या महिमा है निश्चय से निज दृष्टा है ॥75॥

    मेरे में मैं ही रहता हूँ अन्य द्रव्य का दखल नहीं
    अनंत गुण हैं सदा सुरक्षित सत्ता मेरी नित्य रही
    निज में ही संतुष्ट रहूं मैं पर से मेरा काम नहीं
    यह दृढ़ निश्चय करके ही मैं पा जाऊँ ध्रुव धाम मही ॥76॥

    निज पर दुष्कर्मों के द्वारा क्यों उपसर्ग कराते हो
    मिथ्यातम अविरत कषाय औ योग द्वार खुलवाते हो
    अपने हाथों निज गृह में क्यों आग लगाते रहते हो
    अपने को ही अपना मानो अपनों में क्यों रमते हो ॥77॥

    स्वपर भेद अभ्यास बिना ही संकट नाश नहीं होता
    स्वात्म प्रभु की दृढ़ आस्था बिन निज में भास नहीं होता
    भेद ज्ञान अमृत के जैसा अजर अमर पद दाई है
    हे आतम इसको न तजना यह अनुपम अतिशायी है ॥78॥

    विभाव विष को तज कर आतम स्वभाव अमृत पान करो
    सबसे भिन्न निराला निरखो निज का निज में ध्यान धरो
    बहुत सरल है आत्म ध्यान जो पंचेंद्रिय अनपेक्ष रहा
    सरल कार्य को कठिन बनाया चेतन अब तो चेत ज़रा ॥79॥

    स्वभाव का सामर्थ्य जानकर पर द्रव्यों से पृथक रहो
    विभाव को विपरीत समझकर स्वात्म गुणों में लीन रहो
    बाहर में करने जैसा कुछ नहीं जगत में दिखता है
    भीतर में जो होने वाला वही हो रहा होता है ॥80॥

    निज आतम से अन्य रहे जो वे मुझको क्या दे सकते
    मेरे गुण मुझ में शाश्वत हैं वे मुझसे क्या ले सकते
    मैं अपने में परिणमता हूँ पर का कुछ संयोग नहीं
    मेरा सब कुछ मुझ को करना मेरा दृढ़ विश्वास यही ॥81॥

    मैं धर्मात्मा बहुत शांत हूँ जग वालों से मत कहना
    शांति प्रदर्शन बिन अशांति के कैसे हो जिन का कहना
    ज्ञानी तुम्हे अशांत कहेंगे अतः सत्य शांति पाओ
    शब्द अगोचर आत्मशांति है शब्द वेश ना पहनाओ ॥82॥

    जो दिखता है वह अजीव है इसमे सुख गुण सत्त्व नहीं
    फिर कैसे वह सुख दे सकता आश न रखना अन्य कहीं
    सुख गुण वाले जीव नंत पर वह निज सुख न दे सकते
    अपने सुख को प्रगटा कर अनंत सुखमय हो सकते ॥83॥

    आत्म शांति यदि पाना चाहो जग के मुखिया मत होना
    नश्वर ख्याति पद के खातिर आतम निधियां मत खोना
    पल भर इंद्रिय सुख को पाने चिदानंद को न भूलो
    सर्व जगत से मोह हटा कर निज प्रदेश को तुम छू लो ॥84॥

    समझाने का भ्रम न पालो किसकी सुनता कौन यहाँ
    सब अपने मन की सुनते हैं कौन किसी का हुआ यहाँ
    अपना ही अपना होता है केवल आतम अपना है
    ज्ञानमयी आतम को समझो शेष जगत सब सपना है ॥85॥

    मान बढ़ाने जग का परिचय विकल्पाग्नि का ईंधन है
    स्वात्म अनंत गुणों का परिचय जीवन का शाश्वत धन है
    पर से परिचित निज से वंचित रह कर आख़िर क्या पाया
    जिन परिचय से निज का परिचय मुझको आज समझ आया ॥86॥

    पर पदार्थ को शरण मानकर निज को अशरण करना है
    निज का संबल छूट गया तो भव-भव में दुख वरना है
    परमेष्ठी व्यवहार शरण औ निज शुद्धातम निश्चय है
    अनंत बलयुत चिद घन निर्मल शरणभूत निज चिन्मय है ॥87॥

    कर्मोपाधी रहित सदा मैं अनंत गुण का पिंड रहा
    जिनवाणी ने आत्म तत्त्व को पूर्ण ज्ञान मार्तंड कहा
    सुख-दुख कर्म जनित पीड़ाएँ आती जाती रहती हैं
    मेरे ज्ञान समंदर में नित ज्ञान धार ही बहती है ॥88॥

    राग भाव की पूर्ति करके अज्ञानी हर्षित होता
    ज्ञानी राग नहीं करता पर हो जाने पर दुख होता
    ज्ञानी और अज्ञानीजन में अंतर अवनि अंबर का
    इक बाहर नश्वर सुख पाता इक पाता है अंदर का ॥89॥

    बिना कमाए सारे वैभव पुण्योदय से मिल जाते
    किंतु तत्त्व-ज्ञान बिन आतम शांति कभी नहीं पाते
    श्रम करते पर पापोदय में धन सुख वैभव नहीं मिले ॥90॥

    जो दिखता है वह मैं न हूँ देखनहारा ही मैं हूँ
    निज आतम को ज्ञानद्वार से जाननहारा ही मैं हूँ
    ज्ञान ज्ञान में ही रहता है पर ज्ञेयों में न जाता
    ज्ञेय ज्ञेय में ही रहते पर सहज जानने में आता ॥91॥

    वर्तमान में निर्दोषी पर भूतकाल का दोषी हूँ
    नोकर्मों का दोष नहीं कुछ यही समझ संतोषी हूँ
    अन्य मुझे दुख देना चाहे किंतु दुखी मैं क्यों होऊ
    आत्मधरा पर कषाय करके नये कर्म को क्यों बोऊ ॥92॥

    निश्चय से उपयोग कभी भी बाहर कहीं न जा सकता
    एक द्रव्य का गुण दूजे में प्रवेश ही न पा सकता
    मोही पर को विषय बनाता तब कहने में आता है
    यदि पर में उपयोग गया तो ज्ञान शून्य हो जाता है ॥93॥

    अगर हृदय में श्रद्धा है तो पत्थर में भी जिनवर हैं
    मूर्तिमान दिखते मूर्ति में कागज पर जिनवर वच हैं
    कर्म परत के पार दिखेगा तुझको तेरा प्रभु महान
    कौन रोक पाएगा तुझको बनने से अर्हत भगवान ॥94॥

    मान नाम हित किया दान तो अनर्थ औ निस्सार रहा
    पुण्य लक्ष्य से दान दिया तो दान नहीं व्यापार रहा
    पुण्य खरीदा निज को भूला अपना क्यों नुकसान करे
    अहम भाव से रहित दान कर भगवत पद आसान करे ॥95॥

    पाप भाव का दंड बाह्य में मिले न या मिल सकता है
    पर अंतस मे आकुलता का दंड निरंतर मिलता है
    पाप विभाव भाव दुखदाई कर्म जनित है नित्य नहीं
    जो स्वभाव है वह अपना है शाश्वत रहता सत्य वही ॥96॥

    पूजादिक शुभ सर्व क्रियाएँ रूढिक कही न जा सकती
    मोक्ष निमित्तिक क्रिया सभी यह शिव मंज़िल ले जा सकती
    समकित के यदि साथ क्रिया हो सम्यक संयम चरित वही
    अतः भावयुत क्रिया करो नित पा जाओ ध्रुव धाम मही ॥97॥

    तन परिजन परिवार संबंधी नंत बार कर्तव्य किए
    निज शुद्धात्म प्रकट करने को कभी न कोई कार्य किए
    निज मंतव्य शुद्ध करके अब शीघ्र प्राप्त गंतव्य करें
    कुछ ऐसा कर्तव्य करें अब जिनवर पद कृतकृत्य वरे ॥98॥

    हो निमित्त आधीन आत्मा कर्म बांधता रहता है
    कभी-कभी ऐसा भी होता उसे पता न चलता है
    बँध शुभाशुभ भावों से हो श्वान वृत्ति को तजना है
    सिंह वृत्ति से उपादान की स्वयं विशुद्धी करना है ॥99॥

    पर की अपकीर्ति फैलाकर कभी कीर्ति न पा सकते
    अपयश का भय रख कर यश की चाह नही कम कर सकते
    ख्याति-त्याग के प्रवचन में भी ख्याति का न लक्ष्य रहे
    यश चाहो तो ऐसा चाहो तीन लोक यश बना रहे ॥100॥

    भव भटकन को तज कर साधक आत्मिक यात्रा शुरू करो
    स्वानुभूति का मंत्र जापकर अपनी मंज़िल प्राप्त करो
    पर ज्ञेयों की छटा ना देखो आत्म ज्ञान ही ज्ञेय रहे
    कर्मशूल से बच कर चलना मात्र लक्ष्य आदेय रहे ॥
  19. Vidyasagar.Guru
    आत्मविश्वास से हर कार्य संभव है |
    सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र मोक्षमार्ग में आवश्यक है |
    -  आचार्य श्री विद्यासागर महाराज
    26/05/2023 शुक्रवार
     
     
     
    डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है चाहे वह आपके रिश्ते में हो या धर्म में | जब तक विश्वास होता है सब कुछ ठीक लगता है विश्वास में ही श्रद्धा, भक्ति, भाव निहित होता है | विश्वास में जहा कमी होती है वहाँ पर अरुचि होने लगती है | उसमे हमारा मन नहीं लगता है ध्यान इधर – उधर भटकता है | और जिसमे हमारी रूचि होती है वहाँ चाहे दिन हो या रात मन लगा रहता है और उत्साह बना रहता है | आपकी रूचि अच्छे या बुरे कार्य में होगी तो उसके अनुरूप ही उसका फल आपको मिलेगा | अणुव्रत और महाव्रत दोनों  अपनी – अपनी जगह महत्वपूर्ण है | अणुव्रत का पालन आप लोग करते हैं  और महाव्रत का पालन महाव्रती करते हैं  | कुछ लोग पूछते हैं महाराज यदि अणुव्रत को तोड़ सकते हैं या यह किसी कारण टूट जाये तो क्या करें | जिसमे रूचि होती है वहाँ चाहे वह छोटा (अणुव्रत) हो या बड़ा (महाव्रत) हो वह हर पल उसका ध्यान रखता है और वह उसका विवेक और उत्साह पूर्वक पालन करता है | और यदि अणुव्रत टूट जाये तो उसका टूटने का कारण क्या है क्यों टूटा इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है | आचार्यों ने बताया है कि व्रतों का उत्साह पूर्वक अपनी शक्ति अनुरूप पालन करना चाहिये जिससे उसमे रूचि बढती रहे और मन शांत रहे | जिस प्रकार एक गीतकार अपने सुर का ध्यान रखता है कि कहा ऊँचा लेना है और कहा निचा लेना है | वह अपने गीत के माध्यम से अकेले ही भक्ति करने में सक्षम होता है | एक और व्यक्ति उस गीतकार के साथ मृदंग (तबला) बजाने के माध्यम जुड़ना चाहता है| तो गीतकार कहता है कि यदि तुमने कुछ आगे पीछे बजा दिया तो मेरा गीत गड़बड़ हो जायेगा तो तबला बजाने वाला कहता है कि नहीं कुछ गड़बड़ नहीं होगी आप निश्चिन्त रहो | मेरे मृदंग वादन से आपके गीत में और आनंद और उत्साह आ जायेगा | इसके बाद एक नृत्यकार आ जाता है और कहता है कि आपके गीत और मृदंग्वादन के साथ मै नृत्य करना चाहता हूँ तो गीतकार कहता है यदि तुम कुछ ऊपर निचे कर दिए तो हमारा कार्य गड़बड़ हो जायेगा तो नृत्यकार कहता है नहीं ऐसा नहीं होगा आप मुझपर विश्वास रखो मेरे नृत्य से आपके गीत  में और आनंद और उत्साह आ जायेगा | आप के गीत गायन में कुछ ऊपर निचे हो सकता है पर मेरे नृत्य में कभी गड़बड़ी नहीं हो सकती | आपने सौधर्म इंद्र का ताण्डव तो देखा ही होगा जिसमे ना गीत कि और ना ही मृदंग (तबला) कि आवश्यकता होती है | इस प्रकार हमें सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र को मोक्षमार्ग में आवश्यक मानना चाहिये | मोक्षमार्गी को अपना अटूट आत्मविश्वास इसपर बनाये रखना चाहिये | आज आप लोगो ने इतने अच्छे से मोक्षमार्ग के बारे में सुना इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूँ |
     

     
    आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य प्रतिभास्थली कि ब्रह्मचारिणी सोनल दीदी मीनल दीदी  परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन  (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी | श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हाथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके | उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है |
     
     
  20. Vidyasagar.Guru
    आत्मा का स्वभाव जानना और देखना है |
    दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वस् धनवान |
    कहीं न सुख संसार में, सब जग देखलियों छान ||
    राजा राणा छत्रपति हाथिन के अश्वार |
    मरना सबको एक दिन अपनी – अपनी बार ||
    -  आचार्य श्री विद्यासागर महाराज
     
    29/05/2023 सोमवार
    डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि एक बड़ा वृक्ष है जिसकी छाँव में बहुत सारी गाये आदि बैठे थे और वहाँ के वातावरण में कुछ ठंडक थी | इसके पीछे क्या रहस्य है यह छाँव कहा से आ रही है और इसमें कुछ ठंडक का एहसास भी हो रहा है जिससे पशु – पक्षी आदि वहाँ एकत्रित हो गये है | उस वृक्ष को किसने लगाया या वह अपने आप ही उग गया है | जब उस वृक्ष के बारे में गहराई से शोध करते हैं तो पता चलता है कि वह वृक्ष एक सरसों के दाने जितना बड़ा बीज से उत्पन हुआ है और वह जो कुछ भी आज है उसे सब कुछ धरती से प्राप्त हुआ है | वह आज भी इतनी ऊंचाई पर होने के बाद भी अपनी जड़ से जुड़ा हुआ है जिसके कारण उसको भूमिगत जल से जल कि प्राप्ति हो जाती है जिससे वह स्वयं ठंडा रहता है और उसकी छाँव में भी कुछ ठंडक का एहसास होता है | आप लोग जो आज कल दिनभर कूलर के सामने बैठे रहते हैं वह शुरुवात में ठंडी ठंडी हवा देता देता है परन्तु कुछ घंटो बाद वह उतनी ठंडी हवा नहीं देता उसमे से भी हल्की गर्म हवा आने लगती है क्योंकि आपके कमरे का वातावरण में बाहर कि हवा का प्रवाह बंद होने के कारण ऐसा होता है जबकि उस वृक्ष कि छाँव में हमेशा ठंडक बनी रहती है चाहे बाहर लू चल रही हो तो भी छाँव में आते ही कुछ ठंडक का एहसास होने लगता है | आत्मा का स्वभाव जानना और देखना है | किसी भी वस्तु आदि को देखने  और जानने में कोई समस्या नहीं है लेकिन उस वस्तु को पकड़ने कि, खरीदकर अपने पास रखने कि  और छिनने का स्वभाव आत्मा का नहीं होता है | इसलिए जो व्यक्ति अपने स्वभाव में रहता है वह संतोषी होता है उसके भाव, परिणाम शांत रहते है |
     
     
    दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वस धनवान |
    कहीं न सुख संसार में, सब जग देखलियों छान ||
    धन के बिना निर्धन दुखी है और तृष्णा के कारण धनवान भी और – और – और धन चाहिये के चक्कर में दुखी रहता है पर वह किसी से कहता नहीं है | इस संसार में कितने चक्रवर्ती हुए है कितने अरबपति, ख़राबपति हुए है पर आज तक कोई संतुष्ट नहीं हुआ है धन, दौलत, हीरा, मोती, सोना, चांदी आदि जमा कर - कर के | इस संसार में जो कुछ बाहर कि वस्तु आदि है वह सब सुखाभास है | जो सच्चा सुख है वह हमारे भीतर है जो इसे जान लेता है वह फिर पैसे के पीछे नहीं जाता जबकि उसके पीछे पैसा भागता है |
    राजा राणा छत्रपति हाथिन के अश्वार |
    मरना सबको एक दिन अपनी – अपनी बार ||
    इस धरती पर कितने ही राजा, महाराजा हुए है जिनके पास सैकड़ों, हजारों कर्मचारी, महल, धन, दौलत, हीरा, मोती, सोना, चांदी आदि होते हुए भी आज वे कहाँ है कुछ पता नहीं | कितने आये और कितने चले गए ऐसे ही सबको एक दिन जाना है यह निश्चित है जिसको कोई रोक नहीं सकता है | बारह भावना में यह सब कुछ लिखा है जिसे हमें प्रतिदिन पढना चाहिये और उसका स्मरण भी करना चाहिये| दिगम्बर मुनिराज जो इस तपती गर्मी में पहाड़ पर जाकर तप करते हैं जहाँ बाहर लू चल रही हो और निचे चट्टान भी तप रही हो ऐसे में वो अपने तप में ऐसे लीन रहते हैं जिससे उनके कर्मों कि निर्जरा होती है | आज आप लोग तप के बारे में सुन रहे हैं अच्छा है जिसके बारे में सोचने से भी आपको पसीना आता है ऐसे में वो मुनिराजों कि तपस्या क्या गजब होती होगी जो शिखरों में, बड़े – बड़े पहाड़ कि गुफाओं में अपनी तपस्या करते होंगे | कभी चंद्रगिरी के पहाड़ में भी कई साधुओं ने तप किया होगा | ऐसे तपस्वियों के प्रभाव से ही आपको यहाँ आकर शान्ति का अनुभव होता है | तो सोचो उन तपस्वियों को कितनी शान्ति का अनुभव होता होगा और वे कितने आनंदीत होते होंगे | एक – एक पल में कितने – कितने कर्मों कि निर्जरा होती होगी | इस प्रकार आप अपने स्वभाव में रहकर अपना आत्मकल्याण कर सुख – शांति से अपना जीवन जी सकते हैं | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्री श्रेणिक जी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन  (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है |
  21. Vidyasagar.Guru
    आत्मीय स्पर्श
     जीवन आकाश-सा हो
     तो विस्तार असीम है
     वृक्ष सा हो
     तो छाया 
     सघन है
     जीवन 
     सूरज-सा हो
     तो रोशनी
     हरदम है
     जीवन में
     आत्मीय स्पर्श हो
     तो हर क्षण स्वर्णिम है!
     
    Soulfulness
     Life is endless
     If it is like the sky.
     Life is dense shade
     If it is like a tree.
     If it is like the sun,
     Then life is light.
     Each moment is ecstacy
     If life has soulfulness
     In it.
  22. Vidyasagar.Guru
    आदत
     चिड़िया का 
     आकाश में 
     ऊँचे उड़ना
     प्रकृति का 
     सहज-सरल
     और उन्मुक्त होना,
     अब हमें प्रेरणा नहीं देता!
     वृक्षों का 
     हवाओं में लहराना
     और फल-फूलों से भरकर
     कृतज्ञता से झुक जाना
     अब हमें आंदोलित नहीं करता !
     किसी का 
     सच्चा होना
     भला और अच्छा होना
     अब हमें चुनौती नहीं देता !
     असल में 
     हमारी आदत नहीं रही
     आदतें बदलने की !
     
    Habit
     The bird
     Flying high in the sky,
     And nature
     Vast in its spontaneity,
     No longer
     Inspire us.
     The tree swaying with the wind,
     Bending low with its
     Flower and fruit blessings,
     No longer thrills us.
     We are not impressed also,
     By anyone’s
     Uprightness
     Or honesty.
     I think, we no longer
     Wish to change
     Our set habits.
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