आचार्यश्री के ससंघ 51 मुनिराज, 2 ऐलक श्री, 63 आर्यिकाओं के सानिध्य में 100 प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा, अब बीना बारहा का नया नाम होगा शांतिधाम
आचार्यश्री के ससंघ 51 मुनिराज, 2 ऐलक श्री, 63 आर्यिकाओं के सानिध्य में 100 प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा, अब बीना बारहा का नया नाम होगा शांतिधाम
अतिशय क्षेत्र बीना बारहा में 30 साल बाद दूसरी बार हुए पंचकल्याणक महाेत्सव के अंतिम दिन रविवार काे आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में गजरथ महोत्सव में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। गजरथ की सात फेरियों के साथ महोत्सव का समापन हाे गया और प्रभु का मोक्ष की ओर गमन हुआ। इस पूरे आयोजन में 100 प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित किया गया, जिन्हें जबलपुर, हर्रई, केवलारी, महराजपुर, केसली, बंगलोर, देवरी के विभिन्न जैन मंदिरों में स्थापित किया जाएगा। पंचकल्याणक में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के ससंघ 51 मुनिराज, दाे एेलक जी, 63 आर्यिकाओं का सानिध्य मिला। अंतिम दिन कैबिनेट मंत्री हर्ष यादव गजरथ फेरी में शामिल हुए। आचार्यश्री ने बीनाबारहा का नया नाम शांतिधाम रखा। कमेटी के अध्यक्ष अलकेश जैन कोयला वालाें ने बताया कि सात दिवसीय इस कार्यक्रम में पाषाण से भगवान बनने की प्रक्रिया हुई। जो गर्भ कल्याणक से शुरू होकर और मोक्ष कल्याणक के रूप तक हुई। सुबह 8.10 बजे कैलाश पर्वत से भगवान का मोक्ष गमन हुआ। मोक्ष कल्याणक के बाद भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य सभी इंद्र इंद्राणियाें को मिला।
पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है: आचार्यश्री
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि भगवान को आज आजादी की प्राप्ति हुई और उन्हें मोक्ष हुआ। स्वतंत्रता का अर्थ है स्व,तंत्र स्व की जहां मुख्यता हैं। अभी हम परतंत्र हैं, हम सभी भावना भाएं की हमें भी निर्वाण की प्राप्ति हो। पाषाण से परमात्मा बनाने की पद्धति का नाम पंचकल्याण है।
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