Jump to content
सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

आचार्यश्री विद्यासागर जी से मुनिश्री प्रमाणसागर जी का भव्य मिलन


Vidyasagar.Guru

2,440 views

  • 15 साल 8 माह 23 दिन बाद गुरु के दर्शन कर चरण पखारे तो निकल गयी अश्रुधारा 
  • गुरु-शिष्यों का महामिलन देखने देश-विदेश से पहुंचे 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु 
  • गुरु की आज्ञा मिलते ही 15 दिन में 300 किमी का पदविहार कर बावनगजा से नेमावर पहुंचे मुनि प्रमाण सागर, पैरों में आ गए छाले फिर भी नहीं रुके कदम 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

🏻 पुनीत जैन (पट्ठा) खातेगांव 

रविवार को 15 साल 8 माह 23 दिन (5746 दिन) के लंबे इंतज़ार के बाद मुनिश्री प्रमाणसगारजी और 10 साल 8 माह 23 दिन (3920 दिन) बाद मुनिश्री विराटसागरजी ने सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में अपने गुरु आचार्यश्री विद्यासागरजी के दर्शन कर चरण पखारे तो दोनों की आंखों से आंसू बह निकले। अश्रुधारा और जल से दोनों ने अपने गुरु के पादप्रक्षालन किए और गंधोदक को अपने सिरमाथे पर लगाया। 

दोनों मुनि बावनगजा में चातुर्मासरत थे। गुरु से आज्ञा मिलते ही उनके दर्शन के लिए 15 नवंबर को वहां से लगभग 300 किमी का पदविहार करते हुए रविवार को नेमावर पहुंचे। मुनिश्री प्रमाणसागरजी ने इसके पूर्व 8 मार्च 2004 को रामटेक और मुनिश्री विराटसागरजी ने 8 मार्च 2009 को जबलपुर में गुरू के दर्शन कर उनकी आज्ञा और आशीर्वाद से विहार किया था।   

गुरु-शिष्यों के महामिलन के इन भावुक क्षणों में मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा जन्म तो सब लेते हैं, पर जय किसी विरले की हो होती है और जय उसी की होती है जो स्वयं को जीत लेता है। मेरे गुरुवर ने स्वयं को जीता है, इसलिए उनकी पूरी दुनिया में जय हो रही है। उनकी शरण में आने वाले की स्वतः ही विजय हो जाती है। गुरुदेव ने जिस त्याग और तपस्या से जिन ऊंचाई को छुआ है वह जैन समाज का पर्याय बन गया है। जैन धर्म की पहचान आज मेरे गुरुदेव से है।यह युग गुरुवर का युग है। मेरे गुरुदेव तो साक्षात अरिहंत की प्रतिकृति हैं। सम्पूर्ण श्रमण संस्कृति और सम्पूर्ण मानव समाज पर गुरुदेव की कृपा है। धरती पर बहुत से आचार्य हुए जिन्होंने जिनशासन के लिए बहुत कुछ किया लेकिन मेरे गुरुवर आचार्य विद्यासागरजी अपनी त्याग तपस्या और साधना के साथ-साथ मानवता के उत्थान के लिए, राष्ट्र के निर्माण के लिए, संस्कृति की रक्षा के लिए हर समय चिंतनमय रहते हैं। जिनके हर सांस में मानवता का हित दिखता हो। पंचम काल में मोक्ष की व्यवस्था तो नहीं पर जो सच्चे मन से इनकी शरण में आ जाता है उसका बेड़ा पार हो जाता है। गुरुदेव कहते हैं धन पाना, धन कमाना कोई बड़ी बात नही धन का सही नियोजन करके जीवन को धन्य बनाना सबसे बड़ी बात है। और आज पूरी दुनिया उनकी शरण में आकर जीवन को धन्य बना रही है। भक्तों के लिए तो गुरुकृपा और गुरुशरण ही सबसे बड़ा धन है।  सबको जो मिला वो मुकद्दर से मिला, मुझे तो मेरा मुक़द्दर ही गुरुवर के दर पर मिला।     

इसी क्रम में मुनिश्री विराटसागरजी ने भी भजन- गुरु की छाया में शरण जो पा गया उसके जीवन में सुमंगल आ गया के माध्यम से अपने भाव प्रकट किए। गुरु को ब्रम्हा विष्णु महेश के समान बताते हुए कहा कि मैं आज जो कुछ गुरुकृपा से हूँ। 

इस अवसर पर आचार्यश्री विद्यासागजी महाराज ने कहा शिष्य अपने गुरु से दूर रहने पर शिकायत करते हैं, लेकिन इन शिकायतों में भी कुछ ना कुछ सीख होती है। हम अपना संदेश भेजने के लिए दूरभाष, कोरियर या पत्र का प्रयोग नहीं करते फिर भी हमारे संदेश शिष्यों तक पहुंच जाते हैं, जिसके बारे में या तो सिर्फ वो जानते है या सिर्फ हम। 
 
इससे पूर्व ज्येष्ठ मुनि प्रमाणसागरजी और मुनिश्री विराटसागरजी की आगवानी के लिए आचार्यश्री के संघस्थ मुनि और अपार जनसमुदाय गुराड़िया फांटे पर पहुंचा। धर्मध्वजा और जयकारों के बीच मुनिगणों की आगवानी हुई। सभी मुनि महाराजों ने आचार्यश्री की परिक्रमा लगाई। यह दृश्य देखकर देश-विदेश के आए हजारों श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।

2 दिसम्बर  (1).jpeg

2 दिसम्बर  (2).jpeg

2 दिसम्बर  (3).jpeg

 

 

4 Comments


Recommended Comments

Create an account or sign in to comment

You need to be a member in order to leave a comment

Create an account

Sign up for a new account in our community. It's easy!

Register a new account

Sign in

Already have an account? Sign in here.

Sign In Now
  • बने सदस्य वेबसाइट के

    इस वेबसाइट के निशुल्क सदस्य आप गूगल, फेसबुक से लॉग इन कर बन सकते हैं 

    आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल एप्प डाउनलोड करें |

    डाउनलोड करने ले लिए यह लिंक खोले https://vidyasagar.guru/app/ 

     

     

×
×
  • Create New...