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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 1 : सूत्र 1

       (7 reviews)

    Vidyasagar.Guru

    अब ग्रन्थकार मोक्ष का उपाय बतलाते हैं:

     

    सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः॥१॥ 

    https://vidyasagar.guru/musicbox/play/462-audio/

     

     

    अर्थ - सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र ये तीनों मिले हुए मोक्ष का मार्ग हैं।

     

    English - Right faith, right knowledge & right conduct (together) constitute the path to liberation.

     

    विशेषार्थ - इस सूत्र का पहला शब्द 'सम्यक् का अर्थ है - प्रशंसा। यह शब्द प्रत्येक के साथ लगाना चाहिए। यानि सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र। किन्तु ये तीनों अलग-अलग मोक्ष के मार्ग नहीं हैं, बल्कि तीनों का मेल ही मोक्ष का मार्ग है। इसी से सूत्र में एकवाची ‘मार्गः' शब्द रखा है। पदार्थों के सच्चे स्वरूप के श्रद्धान को सम्यग्दर्शन कहते हैं; पदार्थों के सच्चे स्वरूप के जानने को सम्यग्ज्ञान कहते हैं और जिन कामों के करने से कर्मबन्ध होता है, उन कामों के न करने को सम्यक्चारित्र कहते हैं।

     

    शंका - सूत्र में ज्ञान को पहले रखना चाहिए, क्योंकि ज्ञान-पूर्वक ही पदार्थों का श्रद्धान होता है। तथा दर्शन की अपेक्षा ज्ञान में थोड़े अक्षर हैं। इसलिए भी अल्प अक्षर वाले ज्ञान को दर्शन से पहले कहना चाहिए?

     

    समाधान - जैसे मेघ-पटल के हटते ही सूर्य का प्रताप और प्रकाश दोनों एक साथ प्रकट होते हैं, वैसे ही दर्शनमोहनीय कर्म के उपशम, क्षयोपशम अथवा क्षय से जिस समय आत्मा में सम्यग्दर्शन प्रकट होता है, उसी समय आत्मा के कुमति और कुश्रुत ज्ञान मिटकर मतिज्ञान और श्रुतज्ञान रूप होते हैं। अतः सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में काल भेद नहीं है, दोनों एक साथ होते हैं। यद्यपि ‘ज्ञान' अल्प अक्षर वाला है, किन्तु अल्प अक्षर वाले से जो पूज्य होता है, वही प्रधान होता है। दर्शन और ज्ञान में दर्शन ही पूज्य है; क्योंकि सम्यग्दर्शन के होने पर ही मिथ्याज्ञान सम्यग्ज्ञान हो जाता है। अतः पूज्य होने से सम्यग्दर्शन को पहले कहा है, उसके बाद ज्ञान को रखा है। तथा सम्यग्ज्ञानपूर्वक ही सम्यक्चारित्र होता है। इसी से चारित्र को अन्त में रखा है।

     

     

     

    Edited by Vidyasagar.Guru


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    Nirmal Jain

       11 of 11 members found this review helpful 11 / 11 members

    बहुत ही ज्ञान वर्धक

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    Chandan Jain

       4 of 4 members found this review helpful 4 / 4 members

    अति उत्तम जानकारी

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