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वतन की उड़ान: इतिहास से सीखेंगे, भविष्य संवारेंगे - ओपन बुक प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. जरूरत से ज्यादा धन संचय, यश-कीर्ति की चाह हमें गर्त में ले जाती है : आचार्यश्री व्यक्ति का संपूर्ण जीवन धन संपदा के संचय में ही निकल जाता है। वह कितना भी धन संचय कर ले उसको तृप्ति नहीं होती।... व्यक्ति का संपूर्ण जीवन धन संपदा के संचय में ही निकल जाता है। वह कितना भी धन संचय कर ले उसको तृप्ति नहीं होती। परिगृह के बिना संसारी प्राणी बिन जल के मछली की तरह तड़पता है। मछली तो प्राणवायु नहीं मिलने से तड़पती है परंतु यह जीव हवा, जल, वायु सबकुछ मिलने के बाद भी बैचेन रहता है। हमें जितनी जरूरत हो उतना ही संचय करना चाहिए। जरूरत से ज्यादा धन संचय, यश कीर्ति की चाह भी हमें गर्त में ले जाती है। जरूरत से ज्यादा धन संचय चिंता का कारण तो बनता ही है इसके साथ अासक्ति का भाव रखना भी बहुत दुखदायी हो जाया करता है। यह बात नवीन जैन मंदिर में प्रवचन देते हुए अाचार्यश्री विद्यसागर महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि व्यक्ति यदि धन संचय करता भी है तो उसका एक भाग परोपकार के कार्यों, सुपात्र को दान आदि देकर सदुपयोग करते रहना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि धन संचय से रौद्र ध्यान अधिक होता है, धर्म ध्यान नहीं हो पाता। इसलिए हमें रौद्र ध्यान से बचने का सतत प्रयास करते रहना चाहिए। व्यक्ति को मांगने से कुछ नहीं मिलता। जब तक हमारे कर्मों का उदय न हो तब तक कुछ हासिल भी नहीं होता। हम जैसा सोचें या जो चाहें वह सबकुछ मिल जाए यह भी संभव नहीं। व्यक्ति को हमेशा परहित की बात ही सोचना चाहिए। ऐसा विचार करने से किसी का हित हो या न हो स्वयं का हित संवर्धन स्वमेव ही हो जाया करता है। उन्हाेंने कहा कि मन के विचारों को गहराने दो, अनुभूति के सरोवर में उतरने दो, कहने की उतावली मत करो, कहना सरल है सहना कठिन है कहने के बाद कुछ बचता नहीं और सहने के बाद कहने को कुछ रहता नहीं। सहने से आत्मा की निकटता बढ़ती है, कहने से वचनों का आलम्बन लेने से स्वयं से दूरियां बढ़ती है पर की निकटता रहती है फलतः जीवंतता समाप्त होती जाती है, औपचारिकताएं आ जाती हैं यह कोई जीवन नहीं और न ही जीवन का आनंद। उन्हाेंने कहा कि यदि भीतरी जीवन का आनंद पाना है तो कहो नहीं, आते हुए कर्मों की परिणति को शांत भाव से, साक्षी भाव से सहो अर्थात प्रतिकार मत करो। प्रतिकार करने से द्वेष भाव उत्पन्न होगा फिर दोषों से द्वेष रखना भी तो दोषों का वर्द्धन करना ही है, प्रकारान्तर से राग का पोषण करना ही तो है। जिन-जिन ने कर्मोंदय शांत भाव से सहे वे संसार में नहीं रहे। कर्मों की तीव्र धार के क्षणों में भी वे ज्ञानधार में पूर्ण सजगता से बहते रहे-बहते रहे, आखिर वे किनारा पा गए। चाहे पाण्डव हो या गजकुमार मुनि हों, सुकौशल स्वामी हों या देश भूषण-कुलभूषण स्वामी हों कर्मों के तीव्र प्रहार के समय वे अपने आपे में रहे निजगृह से बाहर निकले ही नहीं, स्वरूप गुप्त हो गए, त्रिगुप्ति के सुरक्षित दुर्ग में गुप्त हो गए, फलतः विजयी हो गए। प्रवचन के पूर्व ब्रह्मचारी द्वय एवं दान-दाताओं ने आचार्यश्री विद्यासागर महाराज की पूजन संपन्न की।
  2. स्थान एवं पता - श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, बही चौपाटी, महू नीमच फोर लेन रोड, तहसील मल्हारगढ़, जिला मंदसोर, मध्य प्रदेश साइज़ - पत्थर - लागत - पुण्यार्जक का नाम - इंजीनियर मुकेश वैभव पिता स्व. डॉ. विजय कुमार संगाई ( गुण आयतन ट्रस्टी), श्री जय कुमार पिता शांतिलाल जी बड़जात्या, श्री यश कुमार पिता सूरजमल जी बाकलीवाल सभी निवासी मंदसोर मध्य प्रदेश जी पी एस लोकेशन - 24.178404 75.007215 शिलान्यास तारीख - 03 मार्च 2018 शिलान्यास सानिध्य (पिच्छीधारी) - मुनि. श्री विनीत सागर जी महाराज साहब, मुनि. श्री चंद्रप्रभ सागर जी महाराज साहब शिलान्यास सानिध्य प्रतिष्टाचार्य - बाल ब्रहमचारी संजय भैया जी मुरैना शिलान्यास सानिध्य - राजनेता जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री मंगेश जी संगई एवं भाजपा महामंत्री श्री बंसी लाल जी गुर्जर लोकार्पण तारीख - 01 जनवरी 2019 लोकार्पण सानिध्य पिच्छीधारी एवं अन्य (त्यागी व्रती) - रीता दीदी, अपर्णा दीदी एवं बाल ब्रहमचारी संजय भैया जी मुरैना लोकार्पण सानिध्य राजनेता - जिला कांग्रेस महामंत्री श्री मंगेश जी संगई
  3. दमोह में पंचकल्याणक महोत्सव 11 से 17 जनवरी 2019 आशीर्वाद - परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज सानिध्य - पूज्य मुनिश्री योगसागर जी महाराज ससंघ, पूज्य मुनिश्री अभयसागर जी महाराज ससंघ, पूज्य मुनिश्री पूज्यसागर जी महाराज ससंघ प्रतिष्ठाचार्य - बाल ब्र.श्री विनय भैया जी बंडा पात्र चयन माता पिता- श्रेष्ठि श्री/श्रीमति तरुण सराफ सौधर्म इंद्र - श्रेष्ठिश्री मोदी चंदकुमार सराफ कुबेर- श्रेष्ठिश्रीअजय जी निरमा महायज्ञ नायक - श्रेष्ठिश्री अभय जी बनगांव राजा श्रेयांश - श्रेष्ठिश्री महेश दिगंबर राजा सोम - श्रेष्ठिश्री मनोज मीनू जी (विजय श्री) ईशान इंद्र - श्रेष्ठिश्री राजेन्द्र कमर्शियल बाहुबली - श्रेष्ठिश्री मुन्नालाल डबल्या
  4. स्थान एवं पता - ऐ. वी. रोड जगतपुरा चौराहा कोलारस जिला शिवपुरी मध्यप्रदेश साईज - 21 फीट लागत - 3 लाख पुन्यार्जक - सकल दिगंबर जैन समाज कोलारस शिलान्यास तारीख़ - 5 अक्टूबर 2017 शिलान्यास सानिध्य पिच्छीधारी - मुनि श्री 108 सुवृतसागर जी महाराज शिलान्यास सानिध्य त्यागी व्रती - बाल ब्र. अंसू भैया जी शिलान्यास सानिध्य राजनेता - रविन्द्र शिवहरे नगर पंचायत कोलारस लोकार्पण तारीख - 6 जनवरी 2018 लोकार्पण सानिध्य पिच्छीधारी - मुनि श्री 108 सुवृतसागर जी महाराज लोकार्पण सानिध्य त्यागी व्रती - बाल ब्र. अंसू भैया जी लोकार्पण सानिध्य राजनेता - रविन्द्र शिवहरे नगर पंचायत कोलारस, अध्यक्ष रविन्द्र कुमार जैन, मंत्री अशोक जैन, कोषाध्यक्ष शान्ति सेठ
  5. स्थान एवं पता - मॉडल स्कूल के पास घटी के नीचे सागर रोड शाहगढ़ साईज - 15 फीट पत्थर - संगमरमर लागत - 2,40,000 पुन्यार्जक - श्री मान सेठ रणजीत जी, श्री मति अंगूरी जैन, ब्र. बहिन संगीता दीदी, अमित सेठ, श्री मति रत्ना सेठ, आकाश सेठ श्री मति रचना सेठ, आयुष सेठ शिलान्यास तारीख - 25 जून 2017 शिलान्यास सान्निध्य प्रतिष्ठाचार्या - प. विनोद कुमार जी सेठलोकार्पण तारीख - 17 नवम्बर 2018 लोकार्पण सान्निध्य - श्री 108 मुनि योग्सागर जी मुनिराज ससंघ त्यागी व्रती - मुनि श्री रणजीत जी सेठ 10 प्रतिमाधारी शाहगढ़
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