🙏🏻बड़ी खबर🙏🏻
श्रमण संस्कृति की सर्वोच्च साध्वी गणिनी प्रमुख आर्यिकाश्री ज्ञानमति माताजी का मंगल विहार श्रमण संस्कृति के सर्वोच्च आचार्य पूज्यपाद श्रमण चक्रवर्ती आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के प्रथम बार दर्शन हेतु राहतगढ से खुरई की ओर हुआ।
कल शाम को संभावित पूज्या माताजी खुरई में गुरुदेव के दर्शन करेंगी
"जैनाचार्य 108 विद्या सागर स्वर्ण संयम कीर्ति स्तंभ"
स्थान - अतिशय क्षेत्र करगुवा जी झांसी
लोकार्पण दिनांक - 2 अक्टूबर 2017
प्रेषक - सुमत कुमार जैन,(अछरोनी वाले ) झांसी
पुन्यार्जक - सुमत कुमार जैन, शीला जैन
लागत राशि - २४००००
आचार्यश्री विद्यासागर जी के ५० वे दीक्षा वर्ष में संयम कीर्ति स्तम्भ बना हो तो आप जानकारी प्रेषित करें , ताकि आने वाली स्मारिका में प्रकाशित किया जा सके |
निम्न बिन्दूओ पर जानकारी की आवश्यकता होगी
सामान्य जानकारी
1. स्थान एवं पता ((निकटतम प्रसिद्ध स्थान का नाम)
2. साइज़ (माप) / पत्थर / लागत
3. कीर्ति स्तम्भ का फोटो (Full view)
4. पुण्यार्जक का नाम (व्यक्तिगत है तो व्यक्ति का नाम अथवा सामूहिक है तो समूह का नाम)
5. जी पी एस लोकेशन
6. शिलान्यास विवरण
6.1 शिलान्यास तारीख
6.2 शिलान्यास सानिध्य (पिच्छीधारी
6.3 शिलान्यास सानिध्य प्रतिष्टाचार्य
6.4 शिलान्यास सानिध्य राजनेता
6.5 शिलान्यास के चित्र / फोटोग्राफ्स
7. लोकार्पण विवरण
7.1 लोकार्पण तारीख
7.2 लोकार्पण सानिध्य पिच्छीधारी एवं अन्य (त्यागी व्रती)
7.3 लोकार्पण सानिध्य राजनेता
7.4 लोकार्पण के चित्र / फोटोग्राफ्स
निम्न में से किसी एक स्थान पर भेजे
1 स्वयं www.Vidyasagar.Guru वेबसाइट पर डाले https://vidyasagar.guru/keerti-stambh/
2 google form पर डाले https://goo.gl/forms/oN06gvCbJUvumAIn1
3 ईमेल पर भेजे info@vidyasagar.guru
4 whatsapp करें 9694078989
5 डाक अथवा कोरियर से इस पते पे भेजे
सौरभ जैन 14/55 शिप्रा पथ मानसरोवर जयपुर राजस्थान ३०२०२०
सम्पूर्ण विवरण समाज के लेटर पैड पर लिख कर प्रेषित करें । साथ मे अखबार की कतरन भी भेजें
संपर्क सूत्र
सौरभ जैन जयपुर - 9694078989
आप सुनिश्चित करे की आपके यहाँ बना कीर्ति स्तम्भ नीचे लिंक पर जरूर दिखे
|https://vidyasagar.guru/blogs/blog/28-1
आचार्य भगवन श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के ससंघ खुरई में विराजमान है आज उनके सानिध्य में समस्त जैन समाज ने आचार्य भगवन का आशीर्वाद प्राप्त किया और आचार्य श्री के आशीर्वाद से बनेगा 126 फुट ऊँचा सहस्त्रकूट जिनालय बनने की हुई घोषणा और यह सौभाग्य विजय कुमार जी,संजय कुमार जी,विजय फाउंड्री वाले समस्त खुरई परिवार वाले को नींव से लेकर शिखर तक जिनालय बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ
खुरई के नवीन जैन मंदिर में अाचार्यश्री के प्रवचन हुए
खुरई
बुंदेलखण्ड वासियों की मधुर एवं कर्णप्रिय वाणी श्रवण कर जो आत्मीयता, धार्मिकता, समर्पण, त्याग, तपस्चर्या एवं एकता का परिदृश्य होता है, वैसी वाणी अन्यत्र कम ही देखने मिलती है। यहां के वाशिंदों की बोली मन में उत्साह एवं उमंग को संचारित कर देती है।
मन में संगीत की तरंगे प्रवाहित होने लगती है, पंकज की तरह आसमां को छू जाती हैं। अंधकारमय जीवन में प्रकाश भर देती है। वैसे भारत की संस्कृति का गुणगान संपूर्ण विश्व करता है, जितने भी शोध कार्य हो रहे हैं वह हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित सूत्रों के आधार पर हो रहे हैं। जैन धर्म अति प्राचीन धर्म है, इसके मूल ग्रंथों में आज से हजारों लाखों वर्ष पूर्व लिखा गया वह सभी प्रमाणिक एवं विज्ञान की कसौटी पर आज भी खरा उतरता है। यह बात नवीन जैन मंदिरजी में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने प्रवचन देते हुए कही।
उन्हाेंने कहा कि शिक्षा हमें किसकी, किसको एवं क्यों दी जा रही है इस पर भी मंथन जरूरी है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम नागरिक नहीं हैं क्याेंकि हमारे नगरों में रहने की तो योग्यता नहीं है, हम 'स्मार्ट सिटी' बना रहे हैं, तहसील को जिला एवं जिला को राजधानी बनाने ललायित हैं। श्रम के क्षेत्र में हम शून्य होते जा रहे हैं। तीसरे विश्व युद्ध की कगार पर खड़े हैं हम अपनी पहचान खोते जा रहे हैं, यह धारणा ठीक नहीं है। मैं दुनिया के ममत्व एवं भ्रांतियां देख आश्चर्यचकित हूं। अरे! कुछ बन सको या न बन सको, कम से कम नेक इंसान तो बन जाओ। उन्हाेंने कहा कि वर्तमान समय में हम विदेशी वस्तुएं अपनाने लगे हैं, स्वदेशी वस्तुएं अपनाने में हम बैकवर्ड कहलाने लगते हैं, यह धारणा ठीक नहीं।
हमें हस्त करघा उद्योग को विकसित करना होगा
, पूर्ण स्वदेशी एवं अहिंसक वस्तुओं का प्रयोग कर एक बार पुनः भारत के गौरव को बनाकर 'सोने की चिड़िया' के राष्ट्र का सम्मान दिलाना होगा, तभी हम एवं हमारा राष्ट्र खुशहाल हो सकेगा, तब ही हम अपने धर्म की रक्षा कर पाएंगे।
इस अवसर पर अनेक दान दाताओं ने दान की घोषणा की। पाठशाला के नौनिहाल बच्चों ने भी अपनी अपनी गुल्लकों से लगभग 21 हजार की दान राशि प्रदान कर आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज से आशीर्वाद लिया।
सागर पंचकल्याणक महोत्सव में www.Vidyasagar.Guru की स्टॉल लगाईं गई जिसमें धर्मानुरागी बंधुओं को [विद्यासागर.गुरु] वेब साईट एवं [आचार्य श्री विद्यासागर] एप्प की विभिन्न जानकारी से अवगत कराया गया | ताकि सभी धर्म लाभ ले सके और एक प्रतियोगिता संचालित की गई जिसके माध्यम से सभी को वेबसाइट एवं एप्प का इस्तमाल करना सिखाया गया प्रतियोगिता में विजयी हुए प्रतिभागी को हथकरघा श्रमदान की साड़ी / कुर्ता उपहार स्वरूप प्रदान किया गया एवं दस सांत्वना पुरस्कार भी वितरित किये गए |
खुरई के श्री गुरूकुल लाल जैन मंदिर परिसर में हुए प्रवचन : हिन्दी भाषा सर्वाेपरि है, इसमें प्राचीनकाल में जाे शाेध हुए, उन पर ही अब विदेशी शाेध कर रहे हैं छोटा बालक अंतस जैन ने किया गोलक की राशि का दान किया व किया आचार्य श्री का पद प्रक्षालन
खुरई (सागर)- आचार्य गुरुदेव की मंगल देशना रविवार 23 दिसंबर गुरुकुल प्रांगण। बड़ी तादात में उपस्थित जनसमूह ।
खुरई - हम 70 वर्ष बाद भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हाे पाए, अंग्रेजी आज भी हमें परतंत्रता की बेड़ियाें में जकड़े हुए है, हम तब ही स्वतंत्र होंगे जब हमारे मन से अंग्रेजियत का भूत समाप्त होगा। जब तक हम भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने बच्चों को संस्कार नहीं देंगे। अपनी मातृभाषा हिन्दी को नहीं अपनाएंगे तब तक हमारा हित संवर्धन नहीं हो पाएगा।
पाश्चात्य संस्कृति में भौतिक सुख की प्राप्ति तो हो सकती है परन्तु आत्मिक शांति मिलना बहुत दूभर काम है। हिन्दी भाषा सर्वोपरि है, काैन कहता है कि हिन्दी में शाेध नहीं हाे सकता, हिन्दी से देश विकास नहीं कर सकता, अंग्रेजियत की साेच हमारे ऊपर लाद दी गई। जिन देशाें ने अपनी भाषा काे अपनाया वह विकसित हाे चुके हैं, चीन, फ्रांस, इजरायल,रूस, जर्मन जैसे देशाें में अंग्रेजी का काेई स्थान नहीं है। वह अपनी मातृभाषा से विकसित देश बने हैं। यह बात गुरुकुल के लालजैन मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने लगातार 89 मिनट प्रवचन देते हुए कही। उन्हाेंने राष्ट्र में व्याप्त गंभीर समस्याओं बेरोजगारी, आतंकवाद, सांप्रदायिक तनाव, चारित्रिक पतन, अराजकता, भुखमरी, आरक्षण जैसे मुद्दों पर मर्मस्पर्शी उद्बोधन दिया। उन्हाेंने कहा कि मेरे लिए किताब का प्रकाशन महत्वपूर्ण नहीं है, किताब से कितना प्रकाश मिलता है यह महत्वपूर्ण हैं। बच्चाें काे वह किताबें पढ़ने मिलें जिनसे उनका जीवन आलाेकित हाे सके। हम देख रहे हैं कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमारे बच्चों को अनेक प्रकार की डिग्रियों से तो विभूषित कर देती है, पालकों के लाखों रुपया व्यय करने के बाद भी रोजगारोन्मुखी शिक्षा नहीं दे पाती।
मात्र 5-6 हजार रूपए के वेतन के लिए अनेक पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट हजारों की संख्या में पंक्तिवद्ध खड़े नजर आते हैं, ऐसी शिक्षा किस काम की। यदि विश्व के विकसित राष्ट्रों पर नजर डाली जाए तो उनमें से चीन, अमेरिका जैसे अधिकांश राष्ट्रों ने सिर्फ इसलिए सफलता पाई कि उन्होंने अपनी मातृभाषा में ही बच्चों को पढ़ाकर योग्य एवं नेक इंसान बनाया। हम अपनी मातृभाषा हिन्दी को अपनाकर ही विकसित राष्ट्र की श्रेणी में अग्रिम स्थान प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
रविवार काे नवीन जैन मंदिर में आचार्यश्री के पूजन से पहले पैर प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट की बाेली लग रही थीं। तभी एक बच्चा अंतस जैन पिता सुनील जैन शुद्ध वस्त्राें में अपनी गुल्लक लेकर मंच के पास पहुंच गया। संचालन कर रहे सुनील भैया जी काे गुल्लक दिखाई। तब उन्हाेंने मंच पर बच्चे काे बुला लिया, उससे पूछा क्या बात है। उसने आचार्यश्री के समक्ष गुल्लक रखकर निवेदन किया कि गुल्लक की राशि दान कर आपके पैर प्रक्षालन करना चाहता हूं। बच्चे की बात सुनकर सभी भाव विभाेर हाे गए। आचार्यश्री ने चरण छूने की अनुमति दी, बच्चे ने आशीर्वाद लिया, फिर पैर प्रक्षालन भी कराए। बच्चे की भावना और संस्काराें के बारे में भैया जी ने कहा, यह हमारी संस्कृति है।
भारत बोलो आंदोलन
आहारचर्या खुरई - दिनाँक :२१/१२/१८
आगम की पर्याय महाश्रमण युगशिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज को आहार दान का सौभाग्य खुरई नगर गौरव मुनि श्री निराकुल सागर जी एवं मुनि श्री निर्माण सागर जी के गृहस्थ अवस्था के परिवारजन श्री मुन्नालाल जी गुरहा श्रीमती रजनी जी,अंशुल कुमार जी गुराह खुरई उनके परिवार वालो को प्राप्त हुआ |
आपके पूण्य की अनुमोदना करते है।
भक्त के घर भगवान आ गये
आचार्य श्री जी की जरूरी जानकारी के लिए 7410821008 इस नंबर पर मिस्डकॉल अवश्य करे
विद्यासागर डॉट गुरु वेबसाइट की स्टाल भाग्योदय तीर्थ सागर में
*क्या आप सागर आ रहे हैं, तो अब आप वेबसाइट के अनुभव हमसे साझा स्टाल पर आकर कर सकते हैं |
अगर आप से वेबसाइट पर अकाउंट नहीं बन रहा हैं तो आप इस स्टाल पर आकर सीख सकते हैं |
स्थान - संत भवन के पास, भाग्योदय तीर्थ सागर दिनांक 11 दिसम्बर से 13 दिसम्बर 2018
*गुरु प्रभावन प्रतियोगिता, भाग्योदय तीर्थ सागर में* - जरूर भाग लें
*उपहार स्वरुप* हथकरघा निर्मित श्रमदान की साड़ी, कुर्ता एवं 10 सांत्वना पुरस्कार दिए जायेंगे|
आगे की सुचना इस लिंक पर उपलब्ध रहेगी
https://vidyasagar.guru/blogs/entry/1434-post/
19 जनवरी 2019
रात्री विश्राम - बंट
कल आहार चर्या जरुआखेड़ा में ही संभावित
4 PM पूज्य गुरुदेव ने बढ़ाये अपने कदम सिमरिया से भी आगे बंट की ओर।
1 45 PM परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का खुरई से सागर की ओर हुआ विहार।
ओह गज़ब अनियतविहारी का विहार गज़ब गज़ब गज़ब
अविश्वसनीय
लेकिन..... हमारे गुरुदेव तो अनियतविहारी जो ठहरे..... क्या भरोसा ऐसे निर्मोही, वीतरागी, चौथे काल के इन महासन्त का 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
8 जनवरी 2018
परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ खुरई में विराजमान हैं |
जब भी विहार होगा - यहाँ अपडेट कर दिया जायेगा
20 दिसंबर 2018
परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ खुरई में विराजमान हैं |
जब भी विहार होगा - यहाँ अपडेट कर दिया जायेगा
19 दिसम्बर, 2018
परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का खिमलासा से हुआ मंगल विहार...
रात्रि विश्राम त्योरा जहाँ से खुरई मात्र 9 किलोमीटर है सुबह प्रातःकाल में होगा भव्य प्रवेश
सम्भावित दिशा - खुरई
20 दिसंबर को आहारचर्या "खुरई" में होने की सम्भावना
7 दिसम्बर, 2018
पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार अपडेट-
● रात्रि विश्राम- निवारी ग्राम
● कल आहार चर्या- खिमलासा।
15 दिसम्बर 2018
आज दोपहर 1:40 बजे पूज्य गुरुदेव ससंघ के मुंगावली से हुआ विहार
*परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ 32 मुनिराज का मुंगावली से हुआ मंगल विहार।*
सम्भावित दिशा- कंजिया, खिमलासा
रात्रि विश्राम-ग्राम- कंजिया 12km*_
कल की आहारचर्या-भानगढ़ 07km*_
पूज्य मुनिश्री समयसागर जी महाराज 14 पिच्छी मुंगावली में ही विराजमान हैं।
–-------
आचार्य श्री की हुई मुंगावली में भव्य आगवानी
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४ दिसंबर 2018
आज दोपहर उपरान्त मुंगावली में भव्य अगवानी संभावित
3 दिसंबर 2018
आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का अभी अभी देवगढ़ (जिला - ललितपुर) से हुआ विहार
संभावित दिशा - नदियों के रास्ते(कच्चा मार्ग)..मुगरौली होते हुवे मुंगावली
2 दिसंबर 2018
*आचार्य गुरुवर 108 विद्यासागर जी महाराज का मंगल विहार जाखलौन (जिला ललितपुर) से हुआ*
*विहार दिशा - देवो के गढ़ देवगढ़ तीर्थ*
*४ बजे होगा मंगल प्रवेश*
आचार्य श्री ससंघ का हुआ मंगल प्रवेश अतिशय क्षेत्र देवगढ़ जी,में
दिनांक - 1 दिसम्बर 2018 1:30 P.M.
पंचकल्याणक महोत्सव के उपरान्त हुआ मंगल विहार
संभावित दिशा - देवगढ़
आचार्य श्री ससंघ, समय सागर जी ससंघ (नव दीक्षित मुनिराज ) का
●आज रात्रिविश्राम-
*ग्राम- बछलापुर 10km*
●कल की आहारचर्या-
*ग्राम- जाखलौन(बछलापुर से 13km)*
■ जाखलौन से देवगढ़ जी 15km■
प्रमाणीकरण जारी किया गया है कि जैन पंचायत ललितपुर एवम पशु संरक्षण केंद्र द्वारा आयोजित आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की अगवानी में 2 लाख से अधिक जैन समाज के लोग शामिल हुए। 21 नवम्बर 2018 को यह जुलुश 12 किमी लम्बे मार्ग ग्राम विगा महाराज से क्षेत्रपाल जी स्टेशन रोड ललितपुर तक था। यह अब तक का बड़े जुलुश का विश्व रिकॉर्ड है। जारी किये गए प्रमाण पत्र की प्रति अवलोकनार्थ प्रस्तुत है।
आचार्य श्री के प्रवचनांश
- परम्परा को निर्मल व अक्षुण्ण बनाये रखने हेतु प्रवचन सार में आचार्य कुंद कुंद देव ने निर्यापक शब्द की स्पष्ट व्याख्या की है|
- जब संघ में अनुभवी साधुओं का समूह तैयार हो जाता है तब संघ में नवदीक्षित मुनिराजों के निर्वाह के लिए निर्यापक श्रमण की व्यवस्था होती है जिससे संघ में श्रमणों का निर्वाह होता है और सम्पूर्ण संघ को इसका लाभ प्राप्त होता है|
- मूलाचार में संघ में दीक्षित अर्यिकाओं के निर्वाह के लिए (शिक्षा, दीक्षा, प्रायश्चित इत्यादि) जो उनका गणधर होगा उसके व्यक्तित्व योग्यता गुण की अलग व्याख्या की गई है|
-आवश्यकता अनुसार निर्यापकों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है|
नवदीक्षित मुनि महाराजों के नाम-
ब्र.श्रेयांश भैया बुढ़ार - परम पूज्य मुनि श्रीनिर्ग्रन्थसागर जी महाराज
ब्र.मोनू भैया पनागर - परम पूज्य मुनि श्रीनिर्भ्रांतसागर जी महाराज
ब्र.मोनू भैया पथरिया - परम पूज्य मुनि श्रीनिरालससागर जी महाराज
ब्र.नितेन्द्र भैया नरसिंहपुर - परम पूज्य मुनि श्रीनिराश्रवसागर जी महाराज
ब्र.पिंकेश भैया हाटपिपल्या - परम पूज्य मुनि श्रीनिराकारसागर जी महाराज
ब्र.आकाश भैया सागर - परम पूज्य मुनि श्रीनिश्चिंतसागर जी महाराज
ब्र.दीपक भैया संदलपुर - परम पूज्य मुनि श्रीनिर्माणसागर जी महाराज
ब्र.सतीश भैया खुरई - परम पूज्य मुनि श्रीनिशंकसागर जी महाराज
ब्र.मनीष भैया इंदौर - परम पूज्य मुनि श्रीनिरंजनसागर जी महाराज
ब्र.अर्पित भैया इंदौर - परम पूज्य मुनि श्रीनिर्लेपसागर जी महाराज
भोर से पहले रात्रि के अंतिम पहर में करीब 2 व 2.30 के करीब सभी दीक्षार्थियों का हुआ केशलौंच
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*दीक्षार्थी बिनोली मार्ग-*
_सभी दीक्षार्थी भैयाजियों की मेहंदी एवम गोद भराई की रश्म गौशाला परिसर में ही सम्पन्न हुई।_
_*अब बिनोली की तैयारी पूर्ण। 15 मिनिट में श्री क्षेत्रपाल मन्दिर से बिनोली निकलेगी एवम अटा मन्दिर जी पहुचेगी। केश लॉन्च प्रभात पूर्व होने की संभावना।*_
■ 8:00PM
न्यूज़ अपडेट
कल ललितपुर के लिए ऐतिहासिक दिन, होंगी भव्य मुनि दीक्षाएं
कल बुधवार को ललितपुर में नया इतिहास बनने जा रहा है, महोत्सव में तप कल्याणक (दीक्षा कल्याणक) के दिन आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज अपने कर कमलों से साधनारत ब्रह्मचारी भैयागणों को दीक्षाएं प्रदान करने जा रहे हैं। शाम तक मात्र कयास ही लगाए जा रहे थे क्योंकि आचार्यश्री कभी भी दीक्षाओं के लिए पूर्व से तिथि निश्चित नहीं करते हैं। ये खबर दिनभर चर्चाओं में रही। सभी कयासों पर विराम उस समय लग गया जब रात्रि में दीक्षार्थियों की गोद भराई ( विनोली) की रस्म होने लगी। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पारस और जिनवाणी चेनल पर किया जाएगा। ललितपुर के इतिहास में कल का दिन स्वर्णिम होने जा रहा है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि नगर के एक-दो भाइयों की भी दीक्षा हो सकती है।
संलग्न चित्र : दीक्षार्थी ब्रह्मचर्य भाइयों की गोद भराई की और मेहदी की रस्म गौशाला परिसर में होते हुए।
प्रेषक : डॉ सुनील जैन संचय
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जिन ब्रह्मचारी भैया लोगो को दीक्षाये मिलने के संकेत हैं उनका परिचय
संभावित सूचि १० - अभी तक .....
आकाश भैया सागर
पिंकेश भैया इंदौर
दीपक भैया हरदा
अर्पित भैया इंदौर
मनीष भैया इंदौर
श्रेयांश भैया बुढ़ार
अभिषेक भैया (मोनू भैया पनागर)
मोनु भैया पथरिया (विपेन्द्र भैया)
नितेन्द्र भैया नरसिंहपुर
सतीश भैया खुरई
गोद भराई की रसम और मेंहदी भैया लोगो की चालू हो गयी है
6 PM
कल ललितपुर में दीक्षाएं होने जा रहीं हैं, विनोली का कार्यक्रम कुछ देर बाद शुरू हो रहा है।
2:15 PM
ललितपुर में दीक्षा की संभावना बढ़ी। हलचल तेज़।
परमपूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के हस्तकमलों से ललितपुर में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की जाने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
अभी अभी लगभग 2:15 बजे ब्रह्मचारी गण द्वारा आचार्यश्री जी के कक्ष में जाकर दीक्षा प्रदान करने हेतु श्रीफल समर्पित किया।
आज श्री क्षेत्रपाल मंदिर जी से दयोदय पशु संरक्षण केंद्र गौशाला ललितपुर पंचकल्याणक स्थल पर जाते समय आचार्य भगवंत अचानक एक स्थान पर विश्राम हेतु रुक गए वह स्थान एक बहुत ही गरीब व्यक्ति की झोपड़ी थी वहां आचार्य भगवंत ने थोड़ी देर विश्राम किया उसी घर में एक 16 वर्षीय बालक जोकि विगत कई वर्षों से लकवा का शिकार था दयानी हालत में जमीन पर लेटा हुआ था आचार्य भगवान जैसे ही उसके समीप गए उसने आचार्य भगवंत के चरण पकड़ लिए आचार्य श्री ने उसे संबोधन और ओम की ध्वनि का जाप करने का आशीर्वाद दिया गुरुदेव ने उसके साथ परिवार को आशीर्वाद दिया बा उसकी झोपड़ी पर नजर डाली और पुणे आशीर्वाद देकर दयोदय गौशाला के लिए बिहार कर दिया गुरुदेव ने उस व्यक्ति की झोपड़ी में लगभग 20 मिनट का समय व्यतीत किया
आचार्यश्री ने कहा धन को गाड़ना नहीं उगारना
उन्होंने कहा ललितपुर में आज बहुत बदलाब आ गया है
पंचकल्याणक के पात्रों का हुआ चयन
विनोद कामरा सौधर्मेन्द्र और ज्ञानचंद्र इमलिया बने कुबेर
आचार्यश्री के बुंदेली भाषा में प्रवचन सुन श्रोता हुए लोटपोट
नगर में बह रही है धर्म की बयार
ललितपुर- नगर के स्टेशन रोड स्थित क्षेत्रपाल मंदिर में विराजमान संत शिरोमणि राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज के दर्शनों के लिए निरंतर तांता लगा रहता है। हजारों की संख्या में जहां नगर के श्रद्धालु क्षेत्रपाल मंदिर में मौजूद रहते हैं वहीं देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके दर्शनों के लिए पहुँच रहे हैं। गुरुवार को प्रातः विशाल धर्म सभा का आयोजन किया गया जिसमें सर्वप्रथम मंचासीन त्यागी व्रतियों ब्रह्मचारी भैयागणों ने आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्ज्वलन किया।
इसके बाद आचार्यश्री की पूजन भक्ति संगीत के साथ की गई। पूजन करने का सौभाग्य जैन पंचायत समिति और पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के सभी पदाधिकारियों को प्राप्त हुआ। आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य बड़ा जैन मंदिर के प्रबंधक वीरेंद्र जैन प्रेस परिवार और अटा जैन मंदिर के प्रबंधक भगवानदास संतोष जैन राजेश जैन कैलगुवा परिवार को प्राप्त हुआ वहीं शास्त्र भेंट करने का सुअवसर प्रदीप कुमार प्रसन्न जैन नौहरकला परिवार तथा जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल परिवार को प्राप्त हुआ।
आचार्यश्री ने आज के अपने मंगल प्रवचन की शुरुआत बुंदेली भाषा से जैसे ही की धर्मसभा में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने तालियों की आवाज गुंजायमान कर दी। आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा की तनक-सो का अर्थ क्या होता है? पता है न आपको। इसका अर्थ होता है थोड़ा-सा। अपने स्वभाव की ओर देखना है वह न तनक सा है न मनक सा। उसकी जिसको भनक होती है वही देख सकता है। लोहा और स्वर्ण का उदाहरण देकर समझाते हुए उन्होंने कहा कि लोहा एक धातु है और स्वर्ण भी एक धातु है, लेकिन दोनों में अंतर बहुत है। लोहा कीचड़ में गिर गया तो गया। वैसे ही हमें जैसा हवा पानी मिल जाय तो सब अपना रूप बदलना प्रारंभ कर देते हैं। कीचड़ में गिरा वह लोहा जंग खा जाता है। उसके बाद उसकी दशा बुरी हो जाती है क्योंकि वह पर को अपनाता है। जो मोह के साथ रहता है वह न तो स्वयं में रहता है न ही पर में रहता है।
सोना गाड़ के रख देते हो तो उसे कुछ भी नहीं होता है। क्योंकि वह दूसरों को पकड़ता नहीं है। लोहे की दशा विपरीत है इसलिए उसमें जंग लग जाती है और अंततः वह नष्ट हो जाता है। अब आप ही बताओ कि सोने के हो या और किसी धातु के। भगवान के ऊपर आप धारा पीतल के कलश से करो , चांदी से करो या तनक सी सोने की लुटिया से करो। सभी दर्शक यह सुनकर मुस्करा उठते हैं। उन्होंने दर्शकों से पूछा भगवान को खुश करना बहुत कठिन है न। हम यह समझते हैं भगवान हम से राजी हो जाएं , वह किसी से न राजी होते हैं न नाराज ।
ललितपुर मैं 32 वर्ष पूर्व अपने प्रवास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज बहुत बदलाब आ गया है। पहचान मुश्किल है। क्षेत्रपाल मंदिर में विराजमान अभिनन्दन भगवान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सामने पहुँचने पर ऐसा लगता है जैसे कोई पंचकल्याणक हो रहा हो। उन्होंने कहा कि आगे के लिए कमाई हो रही है।उन्होंने चंचला लक्ष्मी (धन) की ओर इशारा करते हुए कहा कि गाड़ना नहीं उगारना। उन्होंने कहा इससे भक्त तो बन जाओगे लेकिन भगवान नहीं बन पाओगे। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से मुस्कराते हुए पूछा कि आप लोगों को भगवान बनना है न। तो एक स्वर में आवाज आई हां। इस पर आचार्यश्री ने मंद-मंद मुस्कराते हुए बुंदेली भाषा में पूंछा-ऊसई-ऊसई की सई में। तो जनसमुदाय ने जबाब दिया सई में यानी सही में भगवान बनना है।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी योगेन्द्र बहादुर एवं सपा जिलाध्यक्ष ज्योति कल्पनीत भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। नगर के पत्रकार बंधुओं ने भी बड़ी संख्या में अग्रिम पंक्ति में बैठकर धर्मलाभ लिया। इस दौरान दानवीर, भामाशाह आर. के.मार्बल समूह के मुखिया अशोक पाटनी मदनगंज-किशनगढ़ राजस्थान, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के नव निर्वाचित अध्यक्ष प्रभात जैन, राजा भाई सूरत, पारस चेनल के चेयरमैन पंकज जैन , दिल्ली, विनोद बड़जात्या, कवि चन्द्रसेन भोपाल, केलिफोर्निया से आये प्रदीप कुमार, प्रदीप छतरपुर, मुकेश जैन ढाना सागर और जिनवाणी चेनल के चेयरमैन आदि बाहर से आये समाज श्रेष्ठियों ने आचार्यश्री के चरणों में श्रीफ़ल समर्पित कर आशीर्वाद लिया।
संचालन प्रतिष्ठाचार्य ब्र. विनय भैया जी व ब्र. सुनील भैया जी ने किया। आहारचर्या के दौरान चौका लगाने वालों में भारी उत्साह देखा गया। नगर में आज 320 चौके लगाए गए थे जो एक रिकार्ड है।आज आचार्यश्री के आहार कराने का सौभाग्य नरेंद्र जैन छोटे पहलवान परिवार को प्राप्त हुआ। अतिथियों का स्वागत स्वागत अध्यक्ष नरेन्द्र कड़ंकी, संयोजक प्रदीप सतरवांस, क्षेत्रपाल मंदिर के प्रबंधक द्वय मोदी पंकज जैन पार्षद, राजेन्द्र जैन, कैप्टन राजकुमार जैन आदि ने किया।
श्रीजी का वार्षिक विमानोत्सव शुक्रवार को : जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल व महामंत्री डॉ. अक्षय टडैया ने बताया कि 23 नवंबर को प्रति बर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रीजी की वार्षिक विमान यात्रा भव्य रूप में आचार्य श्री विद्यासागर जी के ससंघ सान्निध्य में प्रातः 6 बजे से निकाली जाएगी। नगर के सभी मंदिरों से श्रीजी के विमान अपने स्थान से प्रारंभ होंगे। श्रीजी की शोभा यात्रा घंटाघर, तुवन चौराहा, वर्णी चौराहा होते हुए क्षेत्रपाल जैन मंदिर पहुँचेगी। आयोजन को लेकर भव्य तैयारी की गई है।
पंचकल्याणक के पात्रों का हुआ चयन : आचार्यश्री के सान्निध्य में ब्र. विनय भैया के निर्देशन में 24 नवम्बर से दयोदय गौशाला मसौरा परिसर में होने जा रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव के पात्रों का चयन दोपहर में किया गया । जिसमें सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य विनोद कुमार, देवेंद्र कुमार, मुकेश, राकेश, सुनील कामरा परिवार को प्राप्त हुआ। कुबेर बनने का सौभाग्य ज्ञानचंद्र, संतोष कुमार, सुनील कुमार समस्त इमलिया परिवार को मिलेगा। महायज्ञनायक सेठ शिखरचंद्र , सुभाष, सुरेन्द्र , लोकेश कुमार सराफ किसलवास परिवार व राजा श्रेयांस वीरचन्द्र , विपिन कुमार सराफ न्यू नूतन ज्वेलर्स परिवार को प्राप्त हुआ।
मूलनायक मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमा पहुँची क्षेत्रपाल मंदिर : गौ शाला में नव निर्मित मंदिर में प्रतिष्ठित होकर विराजमान होने वाली मूलनायक मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमा आज क्षेत्रपाल मंदिर पहुँची, जहां भगवान को निहारने, दर्शन के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रतिमा की प्रतिष्ठा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में होगी।