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अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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Blog Entries posted by Vidyasagar.Guru

  1. Vidyasagar.Guru
    #गुरुजी_का_दीक्षा_दिवस       
    #हरियाली_से_विनयांजलि

     
    कही ऐसा तो नही है हम जिन गुरु को मानते है उनकी कही बातों को नही मानते क्योंकि 5 जून पर्यावरण दिवस पर उन्होंने मड़िया जी मे विशेष प्रवचन देते हुए चिंता व्यक्त की थी कि आने वाले समय मे यदि सिर्फ बृक्षों की कटान होती रही लगाया नही गया तो वह दिन दूर नही जब हम हवा पानी छाया आदि के लिये तरस जाएंगे,,, चूंकि संत तो संत ही होते है वे तो मात्र हमे उपदेश दे सकते है निर्देश नही किन्तु उनके उपदेश में ही हमारा स्वार्थ निहित होता है इसलिये हमे चाहिये कि हम उनके उपदेशों को ही निर्देश मानते हुए कार्यो पर अमल करें और संतो को चिंता मुक्त रखें
     

                        जहाँ तक मुझे पता हैं विश्व पर्यावरण दिवस पर सरकार की ओर से बृक्षारोपण के बड़े बड़े आयोजन किये जाते है किंतु वे फिर भी नाकाफी होते है इसलिये हम सभी को चाहिये कि जैनाचार्य की बात को स्मरण रखते हुए अपने अपने जिले में बहुत बडे पैमाने पर पौधों को लगाकर उन्हें सरंक्षित करे और बड़े होने तक उनकी देखभाल अपने बच्चों की ही तरह करे,,, 
    वृक्षारोपण संकल्प पत्र

                      हिन्दू परम्पराओ के अनुसार हमारे मृत शरीर को अग्नि संस्कार के माध्यम से सुपुर्द ए खाक किया जाता है जिसमे मृत व्यक्ति के शरीर को जलाने लायक लकड़ी का उपयोग किया जाता है जो कम से कम 3 या 4 कुंतल तो होती ही है ,,, इसलिये यह मेरा निजी ख्याल भी है कि एक आदमी को अपने जीवनकाल में सिर्फ यही सोचकर एक बृक्ष लगाना चाहिये कि जितना बोझ लेकर उसे मरना है कम से कम उतना तो प्रकृति को देता जाय ताकि संतुलन बना रहे
                         आगामी 7 जुलाई को आचार्य गुरूदेव की दीक्षा के 51 वर्ष पूर्ण हो रहें है जिस दिन  हम अनगिनती पेड़ लगा कर इस धरती को हरीभरी करने का प्रयास करेंगे जिसके लिये एक संकल्प पत्र भी जारी किया गया है ताकि हम कुछ तो अनुमान लगा सके कि हमने कितने बृक्ष लगाए है और साथ ही साथ हमने सभी समाज के प्रमुख लोगो से भी निवेदन किया था कि वे भी अपने अपने जिले में एक ब्रह्द बृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन करें जिनकी जानकारी भी vidyaasagr.guru तक प्रेषित करें ,,, हम आशान्वित है कि समय रहते हमारे पास बहुत सारी प्रविष्टिया पहुचेगी और हमे उल्लासित करेंगी हम पुनः एक बार आप सभी को चेता रहे है कि संत की चिंता चिंतनीय होती है इसलिये हल्के में ना ले और विशाल आयोजन के साथ बृक्षारोपण का आयोजन करें
                     आचार्य गुरूदेव विद्यासागर जी महाराज की जय जय कार
    श्रीश ललितपुर
    🔔🚩 पुण्योदय विद्यासंघ🚩🔔
     
    वृक्षारोपण संकल्प पत्र
     
  2. Vidyasagar.Guru
    *योग के बारे मे जानने का सुनहरा अवसर* 
    विशेष अनुरोध एवं मांग पर *अंतर्जगत् योग प्रतियोगिता* को दिया गया विस्तार 
    अब आप प्रतियोगिता मे 27 जून 2019 रात्रि १० बजे तक भाग ले सकते हें 
    अब तक जिन्होने भाग नही लिया वो भाग ले सकते हें | और जो भाग ले चुके हें उनको भी सांत्वना पुरस्कार मे शामिल किया जाएगा | दुबारा भाग न ले |
    उपहार मे सांत्वना पुरस्कार के रूप मे  योगा टी शर्ट ( 5 से अधिक) प्रदान की जाएगी 
    जो लोग भाग ले चुके हें - वो सभी को भाग लेने की प्रेरणा दे |
    (जितने ज्यादा प्रतियोगी - उतने ज्यादा उपहार)
    स्वाध्याय करने के लिये लिंक 
    ध्यान एवं योग - आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल ऐप्प 
    प्रतियोगिता मे भाग लेने के लिये - आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल ऐप्प > प्रतियोगिता 
    https://play.google.com/store/apps/details?id=com.app.vidyasagar
  3. Vidyasagar.Guru
    आर्यिका अनंतमति जी ससंघ,  आर्यिका भावनामति जी ससंघ आर्यिका अकंपमति जी ससंघ ने किये गुरु दर्शन
     
     
     
     
    aur video upload karrahe hin  
     
     
     
     
    3.mp4 4.mp4
  4. Vidyasagar.Guru
    भावना योग
    तन को स्वस्थ, मन को मस्त
    और आत्मा को पवित्र बनाने का
    अभिनव प्रयोग
     
     
    तन को स्वस्थ, मन को मस्त और आत्मा को पवित्र बनाने का अभिनव प्रयोग है “भावना योग”। “यद्भाव्यते तद् भवति (हम जैसी भावना भाते हैं वैसा होता है) की प्राचीन उक्ति पर आधारित इस योग को वर्तमान में लॉ ऑफ अट्रेक्शन के रूप में जाना जाता है। आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार हम जैसा सोचते हैं वैसे संस्कार हमारे अवचेतन मन पर पड़ जाते हैं वे ही प्रकट होकर हमारे भावी जीवन को नियंत्रित और निर्धारित करते हैं। कहा जाता है thoughts becomes things अर्थात् विचार साकार होते हैं। भावना योग का यही आधार है। इसके माध्यम से हम अपनी आत्मा में छिपी असीमित शक्तियों को प्रकट कर सकते हैं।
     
    सोहं इत्यात्त संस्कारात् तस्मिन् भावनया पुनः।
    तत्रैव दृढ़ संस्कारात् लभते हि आत्मनि स्थितिम्।।
     
    अर्थात् मैं शुद्ध आत्मा हूँ इसकी बार-बार भावना भाने से अपनी शुद्ध आत्मा को प्राप्त किया जा सकता है। आधुनिक मनोविज्ञान के व्याख्याता इसी आधार पर लॉ ऑफ अट्रेक्शन के सिद्धांत को प्रचारित कर रहे हैं। आधुनिक प्रयोगों के आधार पर यह बात सुस्पष्ट हो चुकी है कि भावनाओं के कारण हमारी अन्त: स्रावी ग्रन्थियों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके आधार पर अनेक गंभीर बीमारियों की चिकित्सा भी की जा रही है। यदि हम नियमित भावना योग करे तो इसका लाभ उठाया जा सकता है। इसे न्यूरो साइकोइम्युनोलॉजी के रूप में भी जाना जाता है। इसी सिद्धान्त पर विचार करते हुए मैंने भावना योग को तैयार किया है। यह वही प्राचीन वैज्ञानिक साधना है जिसे हजारों वर्षों से अपनाकर जैन मुनि अपना कल्याण करते रहे हैं। मैंने उसकी ही आधुनिक व्याख्या करके इसे जनोपयोगी बनाने का प्रयास किया है।
     
     
    Benefits
    श्रद्धापूर्वक एवं नियमित प्रयोग से पहले सप्ताह से इसके लाभ प्राप्त होने लगते हैं। प्रतिदिन भावना योग करने वालों का मानना है कि इसे करने से उनकी संकल्पशक्ति, आत्मविश्वास, inner will, self-determination में वृद्धि आई है। अपनी भावनाओं, क्रोध एवं सोच पर खुद का नियंत्रण पा उन्हें तनाव, डिप्रेशन, चिंता, डर से मुक्ति मिली जिससे उनका मन शांत हुआ और नकारात्मक सोच से सकारात्मक सोच की ओर परिवर्तन हुआ। इसके निरंतर (तीन माह+) श्रद्धापूर्वक प्रयोग से जटिल शारीरिक समस्याओं - Knee replacement हार्ट के ब्लॉकेज का निवारण भी पाया गया।  
    मंगल भावना
    भावना योग का मूल गीत
     
    मंगल - मंगल होय जगत् में, सब मंगलमय होय ।
    इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय ।।
     
    कहीं क्लेश का लेश रहे ना, दु:ख कहीं भी होय।
    मुन में चिन्ता भय न सतावे, रोग-शोक नहीं होय।।
    नहीं बैर अभिमान हो मन में, क्षोभ कभी नहीं होय ।
    मैत्री प्रेम का भाव रहे नित मन मंगलमय होय ||१||
    मंगल - मंगल ......
     
    मन का सब संताप मिटे अरू, अन्तर उज्ज्वल होय।
    रागद्वेष औ मोह मिट जावे, आतम् निर्मल होय।।
    प्रभु का मंगल गान करें सब, पापों का क्षय होय।
    इस जग के हर प्राणी का हर दिन, मंगलमय होय ||१||
    मंगल - मंगल ......
     
    गुरु हो मंगल, प्रभु हो मंगल, धर्म सुमंगल होय।
    मात-पिता का जीवन मंगल, परिजन मंगल होय।।
    जन का मंगल, गण का मंगल, मन का मंगल होय।
    राजा-प्रजा सभी का मंगल, धरा धर्ममय होय ||3||
    मंगल - मंगल ......
     
    मंगलमय हो प्रात हमारा, रात सुमंगल होय।
    जीवन के हर पल हर क्षण की बात सुमंगल होय।।
    घर-घर में मंगल छा जावे, जन-जन मंगल होय।
    इस धरती का कण-कण पावन औ मंगलमय होय ||४||
    मंगल - मंगल ......
     
    दोहा
    सब जग में मंगल बढे, टले अमंगल भाव ।
    है ‘प्रमाण' की भावना सबमें हो सद्-भाव ||
     
     
    भावना योग Guided Meditation के प्रारूप पर आधारित-स्तुति, प्रार्थना, कायोत्सर्ग और सामायिक का एक अनूठा संगम है। जिसके चार मुख्य स्तम्भ हैं -
    प्रार्थना inner nourishment, प्रतिक्रमण innercleaning, प्रत्याख्यान innerresolution और सामायिक inner reflection  
    इसमें सबसे पहले भगवान के प्रति आभार (gratitude) व्यक्त कर, कुछ अच्छी प्रार्थना करते हैं- अपने आपको सकारात्मक शांत और सक्षम बनाने की, इसके बाद हम अपने अतीत के दोषों को झांक करके उसे साफ करने की कोशिश करते हैं, अपनी निंदा-गर्दा करते हुए मन को साफ और स्वच्छ बनाना, फिर भावी जीवन को, आज के दिन को उत्सव की तरह से कैसे जियूं इस संकल्प को दोहराते हुए प्रत्याख्यान करते हैं। और अंत में आत्मा में लीन हो सामायिक, शुद्धोऽहम् बुद्धोऽहम् निरंजनोऽहम् मैं शांत हूँ- मैं स्वस्थ हूँ- मैं निरंजन हूँ का ध्यान करते हैं। इसके श्रद्धापूर्वक एवं नियमित प्रयोग से हम अपनी आत्मा का निर्मलीकरण कर, अपनी चेतना की विशुद्धि बढ़ा, अपने जीवन में आमूलचूल परिवर्तन ला सकते हैं।
     
    Prescribed Duration / निर्धारित समय - प्रतिदिन 30-45 मिनट
    Audience / कौन कर सकता है - हर वर्ग का व्यक्ति जो अपने जीवन में बदलाव एवं सकारात्मकता का अनुभव लाना चाहता है।
    Time / किस समय करें - सुबह का समय आत्म ध्यान एवं आत्म साधना के लिए सबसे उपयुक्त होता है, सुबह ना हो तो शाम को अपनी जीवन शैली के अनुकूल जब समय मिले भावना योग कर सकते हैं।
     

     

     

  5. Vidyasagar.Guru
    मंगल-भावना मंगल-मंगल होय जगत् में, सब मंगलमय होय। इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय।। कहीं क्लेश का लेश रहे ना, दु:ख कहीं भी ना होय। मन में चिंता भय न सतावे, रोग-शोक नहीं होय।। नहीं वैर अभिमान हो मन में, क्षोभ कभी नहीं होय। मैत्री प्रेम का भाव रहे नित, मन मंगलमय…
     
     
  6. Vidyasagar.Guru
    पूज्य मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज की मंगल प्रेरणा व आशीर्वाद से भावना योग शिविर का आयोजन दिनांक 31 मई से 2 जून तक श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट में आयोजित हुआ। शिविर के दौरान हुए भावना योग की विडियो नीचे संकलित हैं।
     
     
     
     
  7. Vidyasagar.Guru
    भावना योग का महत्व जैन साधना में जो ध्यान है वह चित्त की एकाग्रता का नाम है और वहां तो यह कहा गया कि यदि तुम ध्यान की गहराई में डूबना चाहते हो तो ‘तुम कोई भी चेष्टा मत करो, कुछ बोलो मत, कुछ सोचो मत, आत्मा को आत्मा में स्थिर रखो; यही परम ध्यान…
     
     
  8. Vidyasagar.Guru
    भावना योग का महत्व जैन साधना में जो ध्यान है वह चित्त की एकाग्रता का नाम है और वहां तो यह कहा गया कि यदि तुम ध्यान की गहराई में डूबना चाहते हो तो ‘तुम कोई भी चेष्टा मत करो, कुछ बोलो मत, कुछ सोचो मत, आत्मा को आत्मा में स्थिर रखो; यही परम ध्यान…
     
     
  9. Vidyasagar.Guru
    पूज्यगुरूदेव आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी
                           एवं
    संघस्थ मुनिश्री
    मुनिश्री सौम्यसागर जी 
     मुनिश्री दुर्लभसागर जी 
    मुनिश्री विनम्रसागर जी 
    मुनिश्री निष्पक्षसागर जी 
     मुनिश्री निश्चलसागर जी 
     मुनिश्री निरापदसागर जी 
    मुनिश्री नीरागसागर जी 
     मुनिश्री श्रमणसागर जी
     मुनिश्री संधानसागर जी
     
    के   तिलवारा, जबलपुरमें  हुए  केश लोच |
     
    WhatsApp Video 2019-06-16 at 1.25.05 PM (1).mp4 WhatsApp Video 2019-06-16 at 1.25.05 PM (2).mp4 WhatsApp Video 2019-06-16 at 1.25.06 PM.mp4
  10. Vidyasagar.Guru
    "संयम कीर्ति स्तम्भ का विवरण "
     
    स्थान एवं पता - श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी,  गढ़कोटा, जिला- सागर (म.प्र.) सागर से जबलपुर मार्ग पर,( सागर से 45 कि.मी.,दमोह से 35कि.मि.)
     
    निकटतम प्रसिद्ध तीर्थस्थान - 
    श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, पटनागंज, रहली,जिला- सागर (म.प्र.) 19कि.मी. श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, बीनाबारहा,देवरी, जिला- सागर (म.प्र.) 45 कि.मी श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर, जिला- दमोह (म.प्र.) 72 कि.मी  
    साइज/ माप / पत्थर / लागत - 21 फुट, वंडर मार्बल, 5,54,878रूपये
     
    पुण्यार्जक का नाम - इंजी. आशीष - सुम्बुल,  किंजल, रोणित, सानिया जैन व डॉ. मनीष - डियाना, मनाली, बोधि जैन सुपुत्र श्रीमती सुषमा जैन निवासी टेक्सास ह्यूस्टन, अमेरिका ने अपने पिताजी स्वर्गीय श्री रमेश चंद जैन सुपुत्र स्वर्गीय लाला मोतीलाल जैन (दूधाहेड़ी वाले ) की स्मृति मे बनवाया |
     
    शिलान्यास तारीख - 9 जून 2018
     
    शिलान्यास सानिध्य प्रतिष्टाचार्य - ब्र.प. सुभाषचन्द्र जैन दमोह म.प्र
     
    शिलान्यास सानिध्य त्यागीव्रती - बा.ब्र. डॉ. सत्येन्द्र जैन दमोह (म. प्र.), बा.ब्र. बहिन संगीता दीदी गढ़ाकोटा,सागर (म.प्र)
     
    लोकार्पण तारीख - 16 जुलाई 2018
     
    लोकार्पण सानिध्य पिच्छीधारी एवं अन्य त्यागी व्रती - पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की प्रभावक शिष्या आर्यिका 105 कुशलमति माताजी ससंघ बा.ब्र. राजकुमारी दीदी दमोह , बा.ब्र. सुनीता दीदी पिंडरई, बा.ब्र. सुनीता दीदी राहतगढ़, बा.ब्र. संगीता दीदी गढ़ाकोटा, ब्र. कमलादेवी जैन दमोह बा.ब्र. डॉ. सत्येन्द्र जैन दमोह 
     
    लोकार्पण सानिध्य प्रतिष्टाचार्य - प. श्रेयांश शास्त्री सागर,
    क्षेत्र के पदाधिकारी 1 - श्री अनिल सांघेलिया,अध्यक्ष श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी,  गढ़ाकोटा,जिला- सागर (म.प्र.), 2-श्री अमित चौधरी,महामंत्री श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी,  गढ़ाकोटा,जिला सागर
     
















































  11. Vidyasagar.Guru
    आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है 12 जून बुधवार को प्रातः 8:00 बजे दयोदय तीर्थ परिसर में विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय की अध्यक्षता में कार्यक्रम होगा। अंग्रेजी भाषा का भ्रमजाल पुस्तक के मराठी संस्करण का विमोचन संपन्न होगा इसमें पुस्तक के लेखक संक्रांत शानू उपस्थित रहेंगे । आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज युवा पीढ़ी को एक विशेष दिशा बोध  प्रदान  करेंगे। आचार्य श्री जी का पाद प्रक्षालन एवं महा पूजन भी संपन्न होगा। आप अपने घर के बच्चों को नई दिशा प्रदान करने के लिए इस कार्यक्रम में अवश्य भेजें ।।        
     
                                     निवेदक श्री दिगंबर जैन संरक्षिणी सभा जबलपुर, दयोदय तीर्थ प्रतिभाशाली ज्ञानोदय विद्यापीठ पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान विद्यापीठ
     
    आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनि राज 12 जून दिन बुधवार को प्रातः 8:00 बजे दयोदय तीर्थ परिसर में युवा पीढ़ी को विशेष संबोधन प्रदान करने जा रहे हैं विद्यालय एवं महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्रा एवं व्यवसाय में संलग्न युवा पीढ़ी सभी  कार्यक्रम में आमंत्रित है।
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