पुण्यशाली भव्य आत्मा का वंदन करते हुए भावना भाते हैं कि हमारी भी गुरु चरणों में ऐसी समाधि हो.धन्य हो वसानी जी क्या भाग्य संवारा है,वर्तमान के महावीर के चरण सानिध्य में समाधि आपके पुण्य की जितनी भी अनुमोदना की जाये कम है।
बहुत ही उत्तम कार्य है। इन सूक्तियों के माध्यम से संक्षिप्त में धर्म को समझने की राह मिल गई। मैं यह सूक्तियां उन लोगों तक भेज देती हूँ जो गुरूओं तक पहुंच नहीं पाते या पहुँचना नहीं चाहते.आगे उनकी भवितव्यता.भावना भाती हूँ प्रभु उनकी बुद्धि प्रशस्त करें। उन तक भी गुरुदेव की करुणा पहुँच सके।
नमोस्तु गुरुदेव नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु.ऐसे ऐसे तथ्य और कथ्य गुरु के बिना कौन बता सकता है? सचमुच गुरु की महिमा वरणी न जाए। गुरु नाम जपूँ मन वचन काय.ऐसे परम उपकारी महा मुनिराज के चरणों में कोटि कोटि नमन.