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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

ARUN k jain

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  1. भाई राजेश जी अद्भुत शब्द संयोजन, पूज्य श्री की अद्भुत अनुपम साधना को आपके शब्द मनोहारी ढंग से व्यक्त करते हैं.
  2. आचार्य श्री अभी ललितपुर में प्रतिभा स्थली का निर्माण प्रारंभ करके शीत ऋतु की वाचना का लाभ भी ललितपुर को प्रदान करेंगे
  3. पूज्य श्री ने सही निर्णय लिया, परम पूज्य मुनि श्री समय सागर जी महाराज लंबी अवधि से इस दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं
  4. पूज्य श्री ललितपुर का सौभाग्य सूर्य उदित हो गया है. कण कण आपकी पद रज से अपना ललाट शोभायमान करने को आकुल है. आत्रो स्वामिन आत्रो.
  5. आज जब पूज्य श्री 73वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, सम्पूर्ण सृष्टि आनंद से आप्लावित है। पूरे 50 से भी अधिक वर्षो से यह देश लाभान्वित हो रहा है उस महान संत से जो चर्या की दृष्टि से हिमालय से भी ऊंचा है, करुणा की दृष्टि से माँ से अधिक दयालु है, ज्ञान जिनके स्वर में नहीं चर्या व आचरण से निरझिर्रित होता है, विपुल संपदा मात्र नयनों की मनोहर मुस्कान से जो जन जन को देते हैं, ऐसे गुरुदेव जयवंत हो।
  6. निश्चित रूप से यह पहल इन प्रतिभाओं को सम्पूर्ण देश से परिचय कराएंगी व पूज्य श्री का आशीष इन्हें प्रेरणा देगा। जय जय गुरुदेव
  7. भारत का हृदय है, मध्य प्रदेश,खजुराहो ही है दिल इसका। अध्यात्म के शिखर देव, हर दिल में इनका बिंब बना। दिल से करुणा की धार सदा,निर्बल,निर्धन को बहती है। लाखों दिल को तृप्ति देती, वाणी जो पवन खिरती है। है शिखर देव,हे हॄदय देव, भारत के ह्रदय विराजे हैं। अर्ध शदी हुई आज पूर्ण, सबके मन आप विराजे हैं। पल पल क्षण क्षण दो आलम्बन, तेरे पथ पर बढ़ते जाएं। न कभी अलग हो आशीष से, संग तेरे भवदधि तर जाएं ,
    पूज्य आचार्य श्री का खजुराहो में आगमन जैन संस्कृति के उन्नयन में मील का पत्थर है।यज़ विश्व मे खजुराहो अपनी उत्कृष्ट मूर्ति कला हेतु जाना जाता है।इनमें मंदिर की बाहरी दीवारों पर उत्कीर्ण विलास रत युगलों के बिंब बहुत femous हैं। अब से पूज्य श्री की सतत उपस्थिति तक यह नगर तप,त्याग, सदाचार, व्रत, नियम,साधना, प्रेम,अनुशासन, सेवा,समर्पण के लिए जाना जाएगा।हवाओं में सदाचार व सेवा की सुगंध प्रवाहित रहेगी, सतत, निरंतर। कोटिशः नमोस्तु पूज्य श्री
  8. कैसे अद्भुत गुरु हैं,हैं अनुरागी शिष्य। त्याग तपस्या श्रेष्ठ है,सृष्टि के सब मित्र। इनके चरणों में रहे, मेरा नित स्थान, पथ पर इनके चल सकूँ, कर अपना कल्याण। श्रीमती उषा, डॉ अकांक्षा, श्रमिती रिया जैन भोपाल, टेरान्तो, फरीदाबाद
  9. जिनकी छाया मेरा जीवन, उन गुरुवर को शत शत वंदन। जिनको थामे चला में पग पग, उनपथदर्शक को शत वदन। नमोस्तु पूज्य श्री। आज बंदा जी में पूज्य अभय सागर जी की भवंजली।
  10. गुरु की महिमा, गुरु ही जाने और न जाने कोई। 30जून को कहाँ विराजे, कहाँ महोत्सव होइ। भव्य पपौरा, टीकमगढ़ या ललित नगर सुख होगा। स्वर्ण जयंती भव्य आयोजन किस भूमि पर होगा। धन्य भाग बुन्देली भू का स्वर्णिम कण कण होगा। स्वर्ण जयंतीभव्य आयोजन बुन्देली भू पर होगा।,, नमोस्तु पूज्य आचार्य श्री ससंघ
  11. कितने नमन करूँ मैं गुरुवर इन पावन चरणों में। श्रद्धा व्यक्त करूँ मैं गुरुवर इन पावन चरणों में। वेष दिगम्बर नमन है मेरा शीत, ग्रीष्म भीषणहो। आहार चर्या नमन करूँ, रस विहीन उत्तम है। मीठा, नमक,न मेवा फल हैं, फिर भी ऊर्जा पाते। केशलोंच करते मुस्का कर,देख अश्रु भर आते। कभी नहीं स्नान किया, काया कंचन सी न्यारी। रज चरणों की दुर्लभ इतनी, दुनिया पीछे आती। नहीं बताते कब आओगे, जग फिर भी दीवाना। बिना बताए चल देते न निश्चित कोई ठिकाना। सतयुग का अहसास कराते, तुमसे होते होंगे। नयनामृत से देते सब कुछ, ऐसे ही होते होंगे। कर आशीष भी जो मिलता तृप्ति मन आ जाती। इन चरणों की छांव तले, हर निधि ही मिल जाती। युगों युगों तक साथ रहे इन पावन चरणों का। मेरे मन में सदा विराजे, आचार्य श्री
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