कुंडलपुर जाने की मेरी बहुत ही इच्छा थी,सबसे अच्छा यह रहा कीएकसाथ इतने साधु-संतों और आचार्य श्री, आर्यिका माताजी के दर्शन हुये, वहां की व्यवस्था इतने सुचारु रुप से थी कहीं गड़बड़ कुछ नहीं इतना शांत था से सब कार्यक्रम हो रहे थे
रथ का कार्यक्रम इतना अच्छा था , आकाश में लहराती लंबीध्वजा आचार्य श्री के संदेश मानो जन-जन तक पहुचा रही है ,यह सब आचार्य श्री के विश्वास का फल है जो इतना सफलतापूर्वक सफल हुआ, आज संपुर्ण विश्व और जैन समाज को आचार्य श्री जैसे वर्तमान के वर्धमान पर गर्व है
लिखना तो बहुत कुछ है बड़े बाबा की महिमा तो अपरंपार है पर छोटे बाबा की महिमा भी कोई कम नहीं है सभी को जयजिनेंद्र