*निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव साक्षात तीर्थ स्वरूप 108श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा*
*स्वयं की दृष्टि मे सम्यग्दृष्टि मत मानना*
*अनुभव कभी झूठ नहीं बोलता लेकिन अनुभव कभी प्रमाणिक नहीं होता हैं*
1.धर्म क्षेत्र में कभी झूठ नहीं बोलूंगा भगवान के सामने खुली किताब रखूंगा क्योंकि भगवान के सामने बेईमान हो ही नहीं सकते,भगवान की हा मे हा नहीं,जो अनुभव मे आ रहा है वैसा अनुभव करो,कुछ समझ मे नही आ रहा हैं कि आत्मा भगवान हो कि नहीं यदि कहा तो लोग मिथ्यादृष्टि कहेगे तो भी सच सच कहो भगवान के सामने कि मैं मिथ्यादृष्टी हुं,सम्यग्दृष्टि जैसा कहा वैसा अनुभव में आ जाए।
2.धर्म संसार में दोनों के बीच