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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 28 नवम्बर 2018 बुधवार, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष षष्ठी, पुष्य नक्षत्र, कृष्ण पक्ष, ब्रह्म योग, दयोदय गौशाला ललितपुर (उ.प्र) में दस मुनि दीक्षाएँ प्रदान की गई मुनिश्री निर्ग्रन्थसागर जी मुनिश्री निर्भ्रान्तसागर जी मुनिश्री निरालससागर जी मुनिश्री निराश्रवसागर जी मुनिश्री निराकारसागर जी मुनिश्री निश्चिन्तसागर जी मुनिश्री निर्माणसागर जी मुनिश्री निशंकसागर जी मुनिश्री निरंजन सागर जी मुनिश्री निर्लेपसागर जी इस वर्ष मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष षष्ठी की पावन तिथि दिनांक - 18 नवम्बर 2019 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | दूसरे मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  2. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 31 जुलाई, 2015, शुक्रवार, द्वितीय आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा वि० सं० २०७२, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बीनाबारहा, सागर (म० प्र०) में तीन मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री संधानसागर जी मुनिश्री संस्कारसागर जी मुनिश्री ओंकारसागर जी इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा की पावन तिथि दिनांक - 13 जुलाई 2022 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 8 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  3. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 16 अक्टूबर, 2014, गुरुवार, कार्तिक शुक्ल अष्टमी वि० सं० २०७१, श्री दिगम्बर जैन तीर्थ ‘शीतलधाम' विदिशा (म प्र०) में 4 मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री शीतलसागर जी मुनिश्री शाश्वतसागर जी मुनिश्री समरससागर जी मुनिश्री श्रमणसागर जी इस वर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी की पावन तिथि दिनांक - 4 नवम्बर 2019 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 6 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  4. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 10 अगस्त, 2013, शनिवार, श्रावण शुक्ल चतुर्थी, वि० सं० २०७०, श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र रामटेक जी, नागपुर (म०प्र०) में 24 मुनि दीक्षायें प्रदान की मुनिश्री निस्वार्थसागर जी मुनिश्री निर्दोषसागर जी मुनिश्री निर्लोभसागर जी मुनिश्री नीरोगसागर जी मुनिश्री निर्मोहसागर जी मुनिश्री निष्पक्षसागर जी मुनिश्री निष्पृहसागर जी मुनिश्री निश्चलसागर जी मुनिश्री निष्कम्पसागर जी मुनिश्री निष्पन्दसागर जी मुनिश्री निरामयसागर जी मुनिश्री निरापदसागर जी मुनिश्री निराकुलसागर जी मुनिश्री निरुपमसागर जी मुनिश्री निष्कामसागर जी मुनिश्री निरीहसागर जी मुनिश्री निस्सीमसागर जी मुनिश्री निर्भीकसागर जी मुनिश्री नीरागसागर जी मुनिश्री नीरजसागर जी मुनिश्री निकलंकसागर जी मुनिश्री निर्मदसागर जी मुनिश्री निर्सगसागर जी मुनिश्री निस्संगसागर जी इस वर्ष श्रावण शुक्ल चतुर्थी की पावन तिथि दिनांक - 4 अगस्त 2019 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 7 वां मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏 VID-20190804-WA0008.mp4
  5. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 21 अगस्त, 2004 शनिवार, श्रावण शुक्ल षष्ठी, वि० सं० २०६१, दयोदय तीर्थ तिलवारा घाट, जबलपुर (म० प्र०) में 25 मुनि दीक्षायें प्रदान की मुनिश्री वीरसागर जी मुनिश्री क्षीरसागर जी मुनिश्री धीरसागर जी मुनिश्री उपशमसागर जी मुनिश्री प्रशमसागर जी मुनिश्री आगमसागर जी मुनिश्री महासागर जी मुनिश्री विराटसागर जी मुनिश्री विशालसागर जी मुनिश्री शैलसागर जी मुनिश्री अचलसागर जी मुनिश्री पुनीतसागर जी मुनिश्री वैराग्यसागर जी मुनिश्री अविचलसागर जी मुनिश्री विसदसागर जी मुनिश्री धवलसागर जी मुनिश्री सौम्यसागर जी मुनिश्री अनुभवसागर जी मुनिश्री दुर्लभसागर जी मुनिश्री विनम्रसागर जी मुनिश्री अतुलसागर जी मुनिश्री भावसागर जी मुनिश्री आनंदसागर जी मुनिश्री अगम्यसागर जी मुनिश्री सहजसागर जी इस वर्ष श्रावण शुक्ल षष्ठी की पावन तिथि दिनांक - 3 अगस्त 2021 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 19 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  6. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 22 अप्रैल, 1999, गुरुवार, वैशाख शुक्ल सप्तमी, वि० सं० २०५६, सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर जी, देवास (म० प्र०) में 23 मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री ऋषभसागरजी मुनिश्री अजितसागरजी मुनिश्री संभवसागरजी मुनिश्री अभिनंदनसागर जी मुनिश्री सुमतिसागर जी* (समाधिस्थ) मुनिश्री पद्मसागर जी मुनिश्री सुपार्श्वसागरजी मुनिश्री चंद्रप्रभसागर जी मुनिश्री पुष्पदंतसागर जी (समाधिस्थ) मुनिश्री शीतलसागर जी मुनिश्री श्रेयांससागर जी मुनिश्री पूज्यसागर जी मुनिश्री विमलसागर जी मुनिश्री अनंतसागर जी मुनिश्री धर्मसागर जी मुनिश्री शान्तिसागर जी* (समाधिस्थ) मुनिश्री कुन्थुसागर जी मुनिश्री अरहसागर जी मुनिश्री मल्लिसागर जी मुनिश्री सुव्रतसागर जी मुनिश्री नमिसागर जी मुनिश्री नेमीसागर जी मुनिश्री पार्श्वसागर जी इस वर्ष वैशाख शुक्ल सप्तमी की पावन तिथि दिनांक - 14 मई 2024 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 26 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  7. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 11 फरवरी 1998, बुधवार, माघ शुक्ल पूर्णिमा वि० सं० २०५४,मुक्तागिरिजी, बैतूल (म० प्र०) में 9 मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री अभयसागर जी मुनिश्री अक्षयसागर जी मुनिश्री प्रशस्तसागरजी मुनिश्री पुराणसागर जी मुनिश्री प्रयोगसागर जी मुनिश्री प्रबोधसागर जी मुनिश्री प्रणम्यसागरजी मुनिश्री प्रभातसागर जी मुनिश्री चन्द्रसागर जी इस वर्ष माघ शुक्ल पूर्णिमा की पावन तिथि दिनांक - 5 फरवरी 2023 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 26 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  8. मंजिल का कोई कद नहीं होता है, लघु पथ से वह गुरु पथ की ओर जाता है: आचार्यश्री रविवार, आज वीरवार भी है। दूर- दूर से मेहमान आए हैं। इस बड़ी पंचायत में उन्हें पहले जगह मिलना चाहिए। आज यहां मुझे लघु रास्ते से लाया गया तो मैने पूछा यह नया- नया सा लग रहा है। जब मन में जानने की जिज्ञासा होती है तो वह उसका पूरी स्पष्टता से समाधान भी चाहती है। मैं अल्प समय में उसका अंतरंग में ध्यान रख कर बताता हूं कि आपकी जिज्ञासा जानने में नहीं जीने की इच्छा को लेकर होती है। भगवान राम रघुकुल के भी थे और गुरुकुल के भी। इसलिए उनका जीवन हर किसी व्यक्ति के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। गुरुकुल के भाव राम के जीवन में हमेशा बने रहे। भगवान श्रीराम लघुपथ को चुन कर पगडंडियों पर चलते थे। उन्होंने अपने आपको हमेशा लघु माना। मंजिल का कोई कद नहीं हुआ करता है। लघु पथ से वह गुरु पथ की ओर जाता है। हम लोग खूब आकुल- व्याकुल रहते हैं और जो भगवान से संबंध रखते हैं। उनमें आकुलता नहीं रहती है। आप अपने आपको भूलोगे तो अपने बन जाओगे। क्योंकि इसमें भीतरी छवि और आत्म तत्व की बात होती है। हमें ऊपर की शक्ल देख कर संतुष्ट नहीं होना चाहिए बाहर की छवि को अच्छा देखना चाहिए लेकिन उन्हें भीतरी सोच के साथ रखना चाहिए। जैसे कि डाक्टर ऊपर की शक्ल देख कर नहीं भीतरी आकृति देख कर संतुष्ट होता है। वही चिकित्सा अंदर की करता है उसका असर ऊपर से नजर आता है। जैसे सोने को कभी चमकाया नहीं जाता है वह भट्टी में जाते ही और चमकदार हो जाता है भट्टी में वह जलता नहीं है। अपने को लघु बनाना बड़ी वस्तु है हम खुद को तो आरोग्यधाम बनना चाहते हैं। जबकि इसकी रोक धाम आयुर्वेदिक इलाज में है। यह बहुत प्राचीन पद्धति है। चीन इसमें बहुत आगे बढ़ गया है परंतु उसे यह नहीं पता कि नाड़ी से क्या होता है। हमारा इतिहास बताता है कि हमारे यहां नाड़ी देखकर रोग का पता लगा लिया जाता था। जो लोगों की व्याधि को जान सकता है वह आयुर्वेदिक है। आयु क्या है, आत्मा क्या है। यह जाने बिना चिरायु को जाना नहीं जा सकता है। चिरंजीव कोई नहीं हो सकता है चिरंजीव तो सिर्फ भगवान ही होते हैं, जो अनंत काल तक जीते हैं। हम तो पूर्ण आयु की कामना कर सकते हैं। बीच में अकाल मरण ना हो आयु को पूर्ण करके मृत्यु हो। पूर्ण आयु के लिए सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र की आवश्यकता है शिष्य की दृष्टि हमेशा गुरु के ऊपर रहनी चाहिए, जबकि गुरु की दृष्टि सभी शिष्यों के ऊपर रहती है। मौसम बदलने पर सुकमाल व्यक्ति को कुछ ना कुछ रोग हो जाता है तापमान के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं। यदि अच्छी नींद आ जाए और भूख मिट जाएं तो आप के रोग अपने आप दूर हो जाते हैं। 12 वर्षों के अध्ययन के बाद नाड़ी के वैद्य बनते हैं तब वह रोग पकड़ने में माहिर हो जाते हैं। भाग्योदय तीर्थ में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने रविवारीय धर्मसभा को दोपहर में संबोधित किया। उन्होंंने जो वचन कहे, उन्हें हम यहां जस का तस दे रहे हैं। रविवार, आज वीरवार भी है। दूर- दूर से मेहमान आए हैं। इस बड़ी पंचायत में उन्हें पहले जगह मिलना चाहिए। आज यहां मुझे लघु रास्ते से लाया गया तो मैने पूछा यह नया- नया सा लग रहा है। जब मन में जानने की जिज्ञासा होती है तो वह उसका पूरी स्पष्टता से समाधान भी चाहती है। मैं अल्प समय में उसका अंतरंग में ध्यान रख कर बताता हूं कि आपकी जिज्ञासा जानने में नहीं जीने की इच्छा को लेकर होती है। भगवान राम रघुकुल के भी थे और गुरुकुल के भी। इसलिए उनका जीवन हर किसी व्यक्ति के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। गुरुकुल के भाव राम के जीवन में हमेशा बने रहे। भगवान श्रीराम लघुपथ को चुन कर पगडंडियों पर चलते थे। उन्होंने अपने आपको हमेशा लघु माना। मंजिल का कोई कद नहीं हुआ करता है। लघु पथ से वह गुरु पथ की ओर जाता है। हम लोग खूब आकुल- व्याकुल रहते हैं और जो भगवान से संबंध रखते हैं। उनमें आकुलता नहीं रहती है। आप अपने आपको भूलोगे तो अपने बन जाओगे। क्योंकि इसमें भीतरी छवि और आत्म तत्व की बात होती है। हमें ऊपर की शक्ल देख कर संतुष्ट नहीं होना चाहिए बाहर की छवि को अच्छा देखना चाहिए लेकिन उन्हें भीतरी सोच के साथ रखना चाहिए। जैसे कि डाक्टर ऊपर की शक्ल देख कर नहीं भीतरी आकृति देख कर संतुष्ट होता है। वही चिकित्सा अंदर की करता है उसका असर ऊपर से नजर आता है। जैसे सोने को कभी चमकाया नहीं जाता है वह भट्टी में जाते ही और चमकदार हो जाता है भट्टी में वह जलता नहीं है। अपने को लघु बनाना बड़ी वस्तु है हम खुद को तो आरोग्यधाम बनना चाहते हैं। जबकि इसकी रोक धाम आयुर्वेदिक इलाज में है। यह बहुत प्राचीन पद्धति है। चीन इसमें बहुत आगे बढ़ गया है परंतु उसे यह नहीं पता कि नाड़ी से क्या होता है। हमारा इतिहास बताता है कि हमारे यहां नाड़ी देखकर रोग का पता लगा लिया जाता था। जो लोगों की व्याधि को जान सकता है वह आयुर्वेदिक है। आयु क्या है, आत्मा क्या है। यह जाने बिना चिरायु को जाना नहीं जा सकता है। चिरंजीव कोई नहीं हो सकता है चिरंजीव तो सिर्फ भगवान ही होते हैं, जो अनंत काल तक जीते हैं। हम तो पूर्ण आयु की कामना कर सकते हैं। बीच में अकाल मरण ना हो आयु को पूर्ण करके मृत्यु हो। पूर्ण आयु के लिए सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र की आवश्यकता है शिष्य की दृष्टि हमेशा गुरु के ऊपर रहनी चाहिए, जबकि गुरु की दृष्टि सभी शिष्यों के ऊपर रहती है। मौसम बदलने पर सुकमाल व्यक्ति को कुछ ना कुछ रोग हो जाता है तापमान के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं। यदि अच्छी नींद आ जाए और भूख मिट जाएं तो आप के रोग अपने आप दूर हो जाते हैं। 12 वर्षों के अध्ययन के बाद नाड़ी के वैद्य बनते हैं तब वह रोग पकड़ने में माहिर हो जाते हैं।
  9. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 16 अक्टूबर 1997, गुरुवार, आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा), वि० सं० २०५४, सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर जी, देवास (म० प्र०) में 10 मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री अपूर्वसागर जी* (समाधिस्थ) मुनिश्री प्रशांतसागर जी (समाधिस्थ) मुनिश्री निर्वेगसागर जी मुनिश्री विनीतसागर जी मुनिश्री निर्णयसागर जी मुनिश्री प्रबुद्धसागर जी मुनिश्री प्रवचनसागर जी* (समाधिस्थ) मुनिश्री पुण्यसागर जी मुनिश्री पायसागर जी मुनिश्री प्रसादसागर जी इस वर्ष आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की पावन तिथि दिनांक - 27 अक्टूबर 2023 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 27 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  10. संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ परिसर में शनिवार को धर्मसभा में कहा कि बच्चों में शुरू से ही संस्कार डालना चाहिए। फास्ट फूड के रूप में एक अजान फल जो पैकेट में बंद रहता है, उसके अंदर क्या है। यह मालूम नहीं तो भी उसका सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है। ये ठीक नहीं है। इसकी जगह आप सभी को घर का भोजन करना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा पैकेट में अंदर क्या है। पैकेट में ना तो हवा जाती है और कैसे वह बना है यह भी नहीं मालूम, बस थोड़ा चटपटा और जीभ को अच्छा लगता है इसके चलते लोग इसे आंख बंद करके खा रहे हैं। जबकि इससे पेट नहीं भरता फिर भी बच्चे इसके दीवाने हैं और खा रहे हैं। घर का खाना खाने से आप स्वस्थ रहेंगे । क्योंकि फास्ट फूड कैंसर का सबसे बड़ा कारण है और आने वाले समय में हर घर में इस रोग से व्यक्ति पीड़ित रहेंगे। इस रोग से बचना है तो फास्ट फूड का त्याग करना होगा । कई लोगों ने की सहस्त्र कूट जिनालय में प्रतिमा विराजमान कराने की घोषणा : वीरेंद्र जैन फैंसी ज्वेलर्स 11 मूर्ति,आनंद जैन बंटी राहतगढ़ ने एक बड़ी मूर्ति और कपिश जैन दिल्ली चार्टर्ड अकाउंटेंट ने आचार्य श्री के चरणों का पाद प्रक्षालन किया। आचार्य श्री की आहार चर्या राकेश जैन ,नमिता जैन, रितुल जैन और ईशु जैन के चौके में हुई।सहस्त्र कूट जिनालय में प्रतिमा विराजमान कराने की घोषणा डा. विनोद मीना जैन, अजय जैन शिखर चंद जैन, क्रांति जैन सुलोचना जैन,सरोज जैन, निशांत समैया ,प्रदीप जैन, संदीप जैन , कंछेदी लाल दाऊ, भागचंद जैन, अरविंद जैन, अखिलेश जैन, प्रियंका, आनंद जैन, राहुल जैन , हुकमचंद जय कुमार सुनील, जिनेंद्र जैन, सुनील जैन, सुशील जैन, वर्षा जैन ने एक- एक मूर्ति विराजमान कराने की घोषणा की। जस्टिस, कुलपति, डीआईजी, एसपी ने लिया आर्शीवाद : शनिवार को मप्र मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एन के जैन, हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राघवेंद्र प्रसाद तिवारी, डीआईजी पुलिस राकेश जैन, पुलिस अधीक्षक अमित सांघी आदि मुनिश्री के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। भाग्योदय के डॉक्टरों ने आचार्य श्री को श्रीफल भेंट किया। आचार्य श्री के रविवारीय प्रवचन आज : भाग्योदय तीर्थ परिसर में विराजमान आचार्य विद्यासागर महाराज के रविवार को दोपहर 2 बजे से होंगे। मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि आचार्य श्री का पूजन सुबह 9 बजे से छोटे पंडाल में होगी। इसके बाद मंगल देशना सुबह 9:30 बजे, आहारचर्या सुबह 10 बजे और दोपहर 2 बजे से बड़े पंडाल में आचार्य श्री की मंगल देशना होगी। ये है त्याग आचार्य श्री ने कहा त्याग क्या है एक बार जंगल में दो लोग जा रहे थे उन्हें बहुत तेज भूख लग रही थी अचानक एक पेड़ ऐसा दिखा जहां पर बहुत अच्छे और रस भरे फल लगे हुए दिखाई दे रहे थे लेकिन उस फल का नाम किसी को नहीं मालूम था एक व्यक्ति ने कहा कि मैंने मुनि महाराज से नियम लिया है कि जिस फल का नाम नहीं मालूम हो ऐसे अजान फल को मैं नहीं खाऊंगा लेकिन दूसरे व्यक्ति को इतनी तेज भूख लगी थी तो उसने एक फल खाया और कुछ ही मिनटों में उसके प्राण निकल गए त्याग के कारण एक व्यक्ति की जान बच गई और दूसरे के प्राण चले गए।आचार्य श्री ने कहा देने वाले को अपना मोह कम करना चाहिए त्याग के भाव बनाना अच्छी बात है
  11. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 31 मार्च, 1988, गुरुवार, चैत्र शुक्ल त्रयोदशी (महावीर जयंती) वि० सं० २०४५, श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिरि जी, दतिया (म० प्र०) में ८ मुनि दीक्षायें प्रदान की मुनिश्री प्रमाणसागर जी मुनिश्री आर्जवसागर जी मुनिश्री मार्दवसागर जी मुनिश्री पवित्रसागर जी मुनिश्री उत्तमसागर जी मुनिश्री चिन्मयसागर जी मुनिश्री पावनसागर जी मुनिश्री सुखसागर जी इस वर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी की पावन तिथि दिनांक - 21 अप्रैल 2024 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 37 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  12. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 1 जुलाई 1985, सोमवार, आषाढ़ शुक्ल चतुर्दशी, वि० सं० २०४२, श्री दिगः जैन अतिशय क्षेत्र अहारजी, टीकमगढ़ (म० प्र०) में १ मुनि दीक्षा प्रदान की मुनिश्री वैराग्यसागर जी* (समाधिस्थ) इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल चतुर्दशी की पावन तिथि दिनांक - 15 जुलाई 2019 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 35 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर मुनिश्री वैराग्यसागर जी* (समाधिस्थ) के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  13. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 25 सितम्बर 1983, रविवार, आश्विन कृष्ण तृतीया, वि० सं० २०३४, ईसरी, गिरिडीह (बिहार) (झारखंड) में ५ मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री सुधासागर जी मुनिश्री समतासागर जी मुनिश्री स्वभावसागर जी * (समाधिस्थ) मुनिश्री समाधिसागर जी मुनिश्री सरलसागर जी इस वर्ष आश्विन कृष्ण तृतीया की पावन तिथि दिनांक - 5 सितम्बर 2020 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 38 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर समस्त मुनिराजो के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  14. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 20 अगस्त 1982, शुक्रवार, भाद्रपद शुक्ल द्वितीया, वि० सं० २०३९, सिद्धक्षेत्र नैनागिरिजी, छतरपुर (म० प्र०) में ३ मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री क्षमासागर जी* (समाधिस्थ) मुनिश्री गुप्तिसागर जी मुनिश्री संयमसागर जी* (समाधिस्थ) इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितीया की पावन तिथि दिनांक - 20 अगस्त 2020 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 39 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर मुनिश्री क्षमासागर जी* (समाधिस्थ) एवं मुनिश्री गुप्तिसागर जी और मुनिश्री संयमसागर जी* (समाधिस्थ) के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  15. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 29 अक्टूबर, 1981, मंगलवार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया, विक सं० २०३८, स्थान-सिद्धक्षेत्र नैनागिरि जी, जिला-छतरपुर (मः प्र०) में २ मुनि दीक्षायें प्रदान कीं मुनिश्री चेतनसागर जी मुनिश्री ओमसागर जी इस वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया की पावन तिथि दिनांक - 29 अक्टूबर 2019 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 39 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर मुनिश्री चेतनसागर जी एवं मुनिश्री ओमसागर जी के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 नमोस्तु गुरुवर 🙏
  16. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 15 अप्रैल, 1980, मंगलवार, वैशाख कृष्ण अमावस्या वि० सं० २०३७, स्थान-मोराजी, सागर (म० प्र०) में २ मुनि दीक्षायें प्रदान की निर्यापक मुनिश्री योगसागर जी निर्यापक मुनिश्री नियमसागर जी इस वर्ष वैशाख कृष्ण अमावस्या की पावन तिथि दिनांक - 8 मई 2024 को हम सभी मुनिश्री के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 45 वें मुनि दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर मुनिश्री योगसागर जी एवं मुनिश्री नियमसागर जी के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन।
  17. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिनांक - 13 फरवरी, 2006, सोमवार, माघ शुक्ल पूर्णिमा वि० सं० 2062, के पावन अवसर पर श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर जी, जिला-दमोह (म० प्र०) में 58 आर्यिका दीक्षा प्रदान की गईं, जिनके नाम निम्न प्रकार है - आर्यिका स्वस्थमति जी आर्यिका तथ्यमति जी आर्यिका वात्सल्यमति जी आर्यिका पथ्यमति जी आर्यिका जाग्रतमति जी आर्यिका कर्तव्यमति जी आर्यिका गन्तव्यमति जी आर्यिका संस्कारमति जी आर्यिका निष्काममति जी आर्यिका विरतमति जी आर्यिका तथामति जी आर्यिका उदारमति जी आर्यिका विजितमति जी आर्यिका संतुष्टमति जी आर्यिका निकटमति जी आर्यिका संवरमति जी आर्यिका ध्येयमति जी आर्यिका आत्ममति जी आर्यिका चैत्यमति जी आर्यिका पृथ्वीयमति जी आर्यिका निर्मदमति जी आर्यिका पुनीतमति जी आर्यिका विनीतमति जी आर्यिका मेरुमति जी आर्यिका आप्तमति जी आर्यिका उपशममति जी आर्यिका ध्रुवमति जी आर्यिका असीममति जी आर्यिका गौतममति जी आर्यिका संयतमति जी आर्यिका अगाधमति जी आर्यिका निर्वाणमति जी आर्यिका मार्दवमति जी आर्यिका मंगलमति जी आर्यिका परमार्थमति जी आर्यिका ध्यानमति जी आर्यिका विदेहमति जी आर्यिका अवायमति जी आर्यिका पारमति जी आर्यिका आगतमति जी आर्यिका श्रुतमति जी आर्यिका अदूरमति जी आर्यिका स्वभावमति जी आर्यिका धवलमति जी आर्यिका विनयमति जी आर्यिका समितिमति जी आर्यिका अमितमति जी आर्यिका परममति जी आर्यिका चेतनमति जी आर्यिका निसर्गमति जी आर्यिका मननमति जी आर्यिका अविकारमति जी (समाधिस्थ) आर्यिका चारित्रमति जी आर्यिका श्रद्धामति जी आर्यिका उत्कर्षमति जी आर्यिका संगतमति जी आर्यिका लक्ष्यमति जी आर्यिका भक्तिमति जी इस वर्ष माघ शुक्ल पूर्णिमा की पावन तिथि दिनांक - 9 फरवरी 2020 को हम सभी उपरोक्त आर्यिकाओं के रत्नत्रय की अनुमोदना करते है | 15 वें आर्यिका दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर सभी (58) अर्यिकाओं के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन। 🙏 वन्दामि माताजी 🙏
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