*🏳️🌈भव्य दीक्षा महोत्सव 🏳️🌈*
*14 अगस्त 2021 दयोदय तीर्थ गौशाला जबलपुर परिसर।*
*आज 28 क्षुल्लक दीक्षा संपन्न हुई।*
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि *आज 28 नए नक्षत्र मेरे संघ में जुड़ गए*
आचार्य श्री जी ने अपने प्रवचन में कहा कि दीक्षा लेने के इछुक साधको की श्रंखला बढ़ती जा रही थी इसलिए समय भी बढ़ता गया ,
आचार्य श्री जी कहते हैं कि हर व्यक्ति सोचता है कि मुझे अच्छा करना है लेकिन दूसरों के साथ प्रतियोगिता करने में ही समय व्यय कर देते हैं और वेदना सहते हैं,
हमने जो कर्म किए हैं उन्हें साफ करते रहना चाहिए , प्रकृति का शरीर प्रकृति में ही मिल जाए यही कामना करना चाहिए , सब कुछ साफ करने के लिए जीवन पर्याप्त है कर्मों की निर्जरा करनी चाहिए, इस समय दीक्षा लेने वालों की उम्र 54 वर्ष से 87 वर्ष के बीच है , जब यह दीक्षा के लिए निवेदन करने आए तो किसी की भी कमर झुकी नहीं थी और कोई गंभीर रूप से किसी रोग से पीड़ित भी नहीं था, यह सब इनके संयमित जीवन शैली के कारण है। गृहस्थ आश्रम में रहकर इन्होंने संयम का पालन किया धर्म मार्ग पर चलें भोजन , व्यवहार मानसिक शांति और निश्चिंतता, खुश रहने से यह सभी स्वस्थ है और दीक्षा के पात्र हैं। आचार्यों ने हमें जो कर्तव्य बताए हैं हम उन कर्तव्यों का पालन करते हैं यही विधान है , 80 वर्ष तक के लोगों ने कहा गुरुजी मेरे बारे में सोचो तो गुरु आशीर्वाद से यह सब संपन्न हुआ , यह बहुत सरल कार्य है इसमे दृढ़ निश्चय आवश्यक है । आप पालन करते हैं तो आगे के रास्ते मिल सकते हैं । हर वर्ग और हर योग्यता के साधक दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं । मैंने सोचा दयोदय में आराम से , शांति से रहेंगे छोटा मुनिसंघ होगा लेकिन दयोदय में 28 नक्षत्र मिल गए।
दीक्षा में दिए गए नियमों का पालन करते हुए श्रावक के कार्य पीछे रह जाते हैं , दीक्षाधर्म पालन से आगे का मार्ग प्रशस्त होता है। अब मुस्कान के साथ मृत्युंजय बनना है यही साधना है । श्रावक का मुनि के बाद सल्लेखना की ओर अग्रसर होना मोक्ष मार्ग है ।
दोपहर 3:00 बजे आयोजित इस कार्यक्रम में आचार्य श्री ने मंत्रोच्चार के साथ 28 दीक्षार्थीओं को क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की आज से यह दीक्षित क्षुल्लक महाराज अपने परिवार के साथ ना रहकर एक निर्दिष्ट स्थन पर रहेंगे और क्षुल्लक धर्म का पालन करेंगे ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में बाल ब्रह्मचारी विनय भैया ने दीक्षार्थीयों को संबोधित करते हुए कहा कि दयोदय वह स्थल है जहां गुरु जी आते हैं तो दीक्षाए होती है, दीक्षा का मतलब होता है इच्छाओं का दमन करन करना । विनय भैया ने बताया कि 54 वर्ष से 84 वर्ष के लोगों की 50 से ज्यादा निवेदन आए थे क्षुल्लक दीक्षा के लिए उनमें से पिछले कई वर्षों से गृहस्थ जीवन में कठिन साधनारत 28 धर्म साधकों को आज दीक्षा दी गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तरमध्य के विधायक विनय सक्सेना एवं पूर्व राज्य मंत्री शरद जैन ने दीप प्रज्वलित कर किया
कार्यक्रम का आयोजन दिगंबर जैन संरक्षणि सभा पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र दयोदय तीर्थ गौशाला समिति द्वारा किया गया
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*🛕दयोदय जबलपुर क्षुल्लक दीक्षा महोत्सव🛕
*११ प्रतिमा संस्कार आरोपण(भिक्खु दीक्खा)*
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*📯दीक्षा प्रदाता📯*
संत शिरोमणि आचार्य प्रवर विद्यासागर महामुनिराज
*🎊दीक्षार्थी🎊*
1. ब्र. मल्लकुमार जी जबलपुर
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क्षु. तत्व सागर जी
2 ब्र. अजय मुन्ना जी लम्हेटा, जबलपुर
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क्षु. तत्वार्थ सागर जी
3.ब्र. विजय जी साड़ी वाले जबलपुर
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क्षु. तात्पर्य सागर जी
4.ब्र. संतोष जी सागर
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क्षु. वर्धन सागर जी
5. ब्र. विमल सेठी गया
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क्षु. वरदत्त सागर जी
6. ब्र. कोमलचंद जी भोपाल
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क्षु. वरदान सागर जी
7. ब्र. मुलायमचंद जी बांदकपुर
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क्षु. अनुग्रह सागर जी
8. ब्र. शीतलचंद जी सिलवानी
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क्षु. उपमान सागर जी
9. ब्र. महेंद्र जी नरसिंहपुर
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क्षु. उपकार सागर जी
10. ब्र. कमल किशोर जी आगरा
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क्षु. सहयोग सागर जी
11. ब्र. नेमिचंद जी बंड,अमरावती
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क्षु. उपयोग सागर जी
12. ब्र. प्रेमचन्द जी सहारनपुर
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क्षु. सुयोग्य सागर जी
13. ब्र. चमनलाल जी जबलपुर
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क्षु. धर्म सागर जी
14. ब्र. रमेशचंद्र जी जबलपुर
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क्षु. सुधर्म सागर जी
15. ब्र. ज्ञानचंद जी शाढोरा अशोकनगर
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क्षु. सुगम सागर जी
16. ब्र. नन्हेलाल जी नागपुर
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क्षु. प्रशम सागर जी
17.ब्र. निर्मल जी बाड़ी-बरेली
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क्षु. परम सागर जी
18.ब्र. सुभाष देवड़िया शहपुरा भिटौनी
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क्षु. साम्य सागर जी
19.ब्र. अभयकुमार जी जबलपुर
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क्षु. समकित सागर जी
20. ब्र. निर्मलचंद जी गढ़ा जबलपुर
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क्षु. संगत सागर जी
21.ब्र. सुंदरलाल जी तेंदूखेड़ा
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क्षु. औचित्य सागर जी
22.ब्र. सुरेश जी तेंदूखेड़ा
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क्षु.भाग्य सागर जी
23. ब्र. वीरेंद्र नायक हथनी खुरई
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क्षु. शुक्ल सागर जी
24.ब्र. प्रकाशचंद जी परसोरिया सागर
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क्षु. श्वेत सागर जी
25.ब्र. प्रेमचंद जी बांदकपुर
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क्षु. विरह सागर जी
26. ब्र. अशोक कुमार जी जबलपुर
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क्षु. विरत सागर जी
27.ब्र. महेंद्रकुमार जी शहडोल
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क्षु. अपार सागर जी
28. ब्र. सटरूलाल जी अशोकनगर
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क्षु. समदम सागर जी
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