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Blog Comments posted by Nirmal Jain
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संयम स्वर्ण महोत्सव प्रतियोगिता क्रमांक 10 दिनांक 25 जून 2018
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Namostu Guruvar ?????
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बाहर टेड़ा - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ४८६
In आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा हायकू छन्द और आपकी समझ
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नमोस्तु गुरूवर?इस छंद में सर्प के उदाहरण से समझाया हैकि अनादिकाल से इस संसार मेंमिथ्यात्व के कारणभटकता रहा अब तो हमें अपने (निजघर)आत्म स्वभाव में लीन हो जाना चाहिए ।
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जुड़ो ना जोड़ो - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू १
In आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा हायकू छन्द और आपकी समझ
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नमोस्तु गुरूवर,? इसमें कहा है कि अपनेअंतरग से जुड़जाओ वहिरंग कोछोड़ दो जो संसार जुड़ाहै उसे छोड़ कर ऐसा वेजोड़ अन्तरात्मा से जुड़ जाओ कि किसी जुड़ने जोड़ने का विकल्प ही समाप्त हो जाये।
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तेरी दो आँखें - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ७
In आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा हायकू छन्द और आपकी समझ
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हे गुरूदेव नमोस्तु । इस छंद में कहने का आशय है कि मेरे पास तो सिर्फ दोही आँखें है (व्यवहार निश्चय)तू अपने अंतरग में रमजा क्योंकि हजारों कर्म रूपी आँखो की दृष्टि तेरे पर है इसलिये हे चेतन। सावधान होकर अपने में रम जा
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आचार्य श्री ने आज पूज्य मुनिश्री योगसागर जीको " निर्यापक मुनि " घोषित किया
In सूचना पट्ट - आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज ससंघ
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आचार्य श्री के चरणों में विनय पूर्वक सादर नमोस्तु नमोस्तु नमो नमः कोटि कोटि प्रणाम।🙏🙏🙏
समस्त संघ को मेरा सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तुते।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏