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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Nirmal Jain

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  1. बहुत ही ज्ञानवर्धक।। नमोस्तु गुरुदेव।।
  2. आचार्य श्री के चरणों में विनय पूर्वक सादर नमोस्तु नमोस्तु नमो नमः कोटि कोटि प्रणाम।🙏🙏🙏 समस्त संघ को मेरा सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तुते।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
  3. नमोस्तु, नमोस्तु नमोस्तु भगवन आचार्य श्री को बारम्बार प्रणाम।,?????
  4. नमोस्तु गुरूवर नमोस्तु, नमोस्तु, नमोस्तु भगवन समझते हुए भी स्थिरता नही टिक पाती??? फिर भी पूरा प्रयास करेगें।???
  5. नमोस्तु गुरूवर,? इसमें कहा है कि अपनेअंतरग से जुड़जाओ वहिरंग कोछोड़ दो जो संसार जुड़ाहै उसे छोड़ कर ऐसा वेजोड़ अन्तरात्मा से जुड़ जाओ कि किसी जुड़ने जोड़ने का विकल्प ही समाप्त हो जाये।
  6. हे गुरूदेव नमोस्तु । इस छंद में कहने का आशय है कि मेरे पास तो सिर्फ दोही आँखें है (व्यवहार निश्चय)तू अपने अंतरग में रमजा क्योंकि हजारों कर्म रूपी आँखो की दृष्टि तेरे पर है इसलिये हे चेतन। सावधान होकर अपने में रम जा
  7. आपका हर अध्याय ज्ञानवर्धक व प्रशँसनीय है
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