नमोस्तु गुरूवर,? इसमें कहा है कि अपनेअंतरग से जुड़जाओ वहिरंग कोछोड़ दो जो संसार जुड़ाहै उसे छोड़ कर ऐसा वेजोड़ अन्तरात्मा से जुड़ जाओ कि किसी जुड़ने जोड़ने का विकल्प ही समाप्त हो जाये।
हे गुरूदेव नमोस्तु । इस छंद में कहने का आशय है कि मेरे पास तो सिर्फ दोही आँखें है (व्यवहार निश्चय)तू अपने अंतरग में रमजा क्योंकि हजारों कर्म रूपी आँखो की दृष्टि तेरे पर है इसलिये हे चेतन। सावधान होकर अपने में रम जा